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Wednesday, July 27, 2011

चाहे कुछ भी हो जाए, हिमालय का सर नहीं झुकेगा

मित्रों २६ जुलाई २०११, कारगिल विजय की बारहवीं वर्षगाँठ| यह भारत के लिए एक सम्मान से कम नहीं है|
भारत माँ के उन वीर सपूतों को नमन, जिन्होंने अपने प्राणों की आहूति देकर भारत का गौरव खोने नहीं दिया|

कारगिल युद्ध मेरे जीवन में एक ऐसा युद्ध रहा जिसके बारे में मुझे लगता है कि जैसे मैंने अपनी आँखों से इस युद्ध को देखा| जैसे मैंने यह युद्ध लड़ा| क्योंकि इससे पहले हुए युद्धों के समय तो मेरा जन्म ही नहीं हुआ था|

बचपन से ही मैं फौजी बनना चाहता था| बहुत प्रयास भी किया| बहुत से दोस्तों व वरिष्ठ सेना अधिकारियों से मिलने पर उन्होंने भी यही कहा कि मुझमे सेना का एक अफसर बनने के गुण हैं| साथ ही मैं एक मुक्केबाज़ भी रह चूका हूँ| अत: मुझे इसके लिए सतत प्रयासरत रहना चाहिए|

किन्तु एक कारण ऐसा रहा जिसने सभी प्रयासों को विफल कर दिया|
करीब पांच-छ: वर्ष पहले एक सड़क दुर्घटना में सर में चोट आने की वजह से मेरी आँखों का कॉर्निया कुछ घूम गया व इसकी मोटाई भी कुछ घट गयी| इस कारण मैं सेना के लिए अयोग्य साबित हो गया| इसका दुःख तो बहुत हुआ, किन्तु नियति को शायद यही स्वीकार था| सेना में न सही, सेना से बाहर रहकर भी हिमालय को झुकने से बचाया जा सकता है| अत: अब इसी प्रयास में लगा हूँ|

कारगिल युद्ध के वीरों पर कई साहित्य पढ़ा| बहुत से सैनिकों के शौर्य का वर्णन देखा| वैसे तो इनमे किसी भी प्रकार की तुलना इनके बलिदान का अपमान होगी, अत: सभी का बराबर सम्मान करता हूँ| किन्तु गोरखा रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे ने कुछ विशेष आकर्षित किया| इनके विषय में जब पढ़ रहा था तो एक अजीब सा सुख व गौरव का अनुभव किया| किस प्रकार उन्होंने एक के बाद एक चोटियों पर तिरंगा लहराया| पहले कूकर्थान, फिर जहान्बाग और अंत में टाइगर हिल की चढ़ाई करते हुए शहादत| किन्तु मरते मरते दुश्मन का एक पूरा बंकर उन्होंने नष्ट कर दिया व उसमे बैठे सात दुष्ट पाक पापियों को मार डाला| टाइगर हिल की चढ़ाई से पहले दुश्मन के ठिकानों का पता लगाने भी वे अकेले निकल पड़े थे| चढ़ाई से पहले उन्होंने अपने अफसर से कहा था कि मैं दुश्मन की छाती पर पाँव रखकर टाइगर हिल पर तिरंगा लहराऊंगा| तिरंगा तो वे नहीं लहरा सके, यह सौभाग्य 18 ग्रेनेडियर्स को मिला था| किन्तु 18 ग्रेनेडियर्स के लिए उन्होंने रास्ता साफ़ कर दिया था व सच में दुश्मन की छाती पर कदम रख कर उन्होंने चोटी की अंतिम चढ़ाई की|

मित्रों कारगिल युद्ध के बारे में तो आप भी बहुत कुछ जानते ही होंगे| एक ऐसा युद्ध जिसे जीत पाना असंभव सा लग रहा था| क्योंकि दुश्मन की स्थिति, संख्या, सामर्थ्य आदि का कोई ज्ञान हमे नहीं था| दुख्मन कहीं भी हो सकता है, संख्या में कितना भी हो सकता है, किसी भी प्रकार के हथियारों से युक्त हो सकता है| ऐसे में उसके ठिकानों का पता लगाना व उसे परास्त करना एक बहुत ही कठिन कार्य था| किन्तु हमारे वीरों ने उस असंभव को भी संभव बनाया|

मैं राजस्थान के बीकानेर जिले से हूँ| कारगिल युद्ध के समय बीकानेर में ही रहता था| बीकानेर जिला पाक सीमा को छूता है| हमारा शहर भारत पाक सीमा से शायद केवल सौ किलोमीटर की दूरी पर ही है| अत: सुरक्षा की दृष्टि से कई बार वहां रात में ब्लैकआउट करवाया गया| मैंने अपने जीवन में पहली बार ब्लैक आउट देखा था| सारा शहर अँधेरे में डूबा हुआ व वायु सेना के विमान बहत नीचे काफी तेज़ गति से शहर के ऊपर मंडराते रहते थे| यह भी अपने आप में एक रोमांच था|

मेरे ताऊजी (पिता के बड़े भाई) मेजर जनरल यश नारायण शर्मा अभी दो वर्षों से यहाँ जयपुर में ही पोस्टेड हैं| अभी वे यहाँ छावनी क्षेत्र में अकेले ही रहते हैं| कई बार उनसे मिला व  कारगिल युद्ध की कहानी उनसे सुनी| कारगिल युद्ध के समय वे कर्नल थे व अखनूर सेक्टर में तैनात थे| उनसे कारगिल युद्ध की उनकी आँखों देखी सुनी| वे खुद कर्नल थे अत: फ्रंट में जाने की आज्ञा तो उनके बराबरी के अफसरों को नहीं मिलती, किन्तु अपनी आँखों से युद्ध उन्होंने भी देखा है| उन्होंने बताया कि ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी हम इस युद्ध को जीत पाने में सफल हुए| हाँ यह भी सत्य है कि भारतीय सेना उस समय नियंत्रण रेखा पार करना चाहती थी| क्योंकि मौका अच्छा था, सामने से युद्ध का आमंत्रण मिला था, जिसका फायदा उठाकर पाक अधिकृत कश्मीर को मुक्त कराया जा सकता था| युद्ध में तत्कालीन भारत सरकार ने सेना की बहुत सहायता की| रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीज़ ने सेना के लिए हथियारों का भण्डार खोल दिया था| किन्तु नियंत्रण रेखा को पार करने से रोकना शायद एक बहुत बड़ी भूल थी|

२६ जुलाई २०११, दिन भर प्रतीक्षा की कि शायद भारत सरकार का कोई मंत्री आज के दिन के सन्दर्भ में उन वीरों की वीरता व इस ऐतिहासिक विजय के लिए देशवाशियों को कोई बधाई दे व शहीदों को श्रद्धांजलि| मैंने तो ऐसा कोई समाचार नहीं देखा| यदि दिया भी है तो कहाँ दिया कि हम तक खबर भी नहीं पहुंची?
खैर अब इस देशद्रोही सरकार से ऐसी अपेक्षाएं रखना केवल मुर्खता है| हमारे भ्रष्ट, खुनी व आतंकी मंत्रिमंडल को सोनिया माता (?) की चमचा गिरी से कुछ फुर्सत मिले तब तो वे भारत माता के विषय में कुछ सोचें| मैं तो शुक्र मनाता हूँ कि कारगिल युद्ध के समय वाजपेयी जी की सरकार थी| यदि मनमोहन जी होते तो इन्हें युद्ध की खबर उस समय मिलती जब हम युद्ध हार चुके होते| क्योंकि ऐसी भ्रष्ट सरकार व नपुंसक प्रधान मंत्री के होते हुए क्या भारतीय सेना को किसी प्रकार की सहायता मिलती? देश की जनता जो कुछ भी सेना के लिए चंदा इकठ्ठा करती वह सब स्विस खातों में जमा हो गया होता| ऐसे में सेना कैसे दुश्मन से लड़ सकती है?

अंत में जाते जाते श्रद्धांजलि उन वीरों को जिनके त्याग व बलिदान के कारण हमे यह गौरव प्राप्त हुआ| नमन उन वीरों को जिन्होंने असंभव को भी संभव कर दिखाया| नमन उन वीरों को जिन्होंने पापी पाकिस्तान को उसकी औकात दिखा दी|

कारगिल युद्ध में करीब ६०० से अधिक जवान शहीद हुए थे| सबके विषय में तो मैं नहीं जानता, किन्तु कुछ नाम यहाँ दे रहा हूँ|

लेफ्टिनेंट कर्नल विश्वनाथन
लेफ्टिनेंट कर्नल विजय राघवन
लेफ्टिनेंट कर्नल सचिन कुमार
मेजर अजय सिंह जसरोटिया
मेजर कमलेश पाठक
मेजर पध्मफानी आचार्य
मेजर मारियप्पन सर्वानन
मेजर राजेश सिंह अधिकारी
मेजर हरमिंदर पाल सिंह
मेजर मनोज तलवार
मेजर विवेक गुप्ता
मेजर सोनम वांगचुक
मेजर अजय कुमार
कैप्टन अमोल कालिया
कैप्टन कीशिंग क्लिफ्फोर्ड नोंग्रुम
कैप्टन सुमित रॉय
कैप्टन अमित वर्मा
कैप्टन पन्निकोट विश्वनाथ विक्रम
कैप्टन अनुज नायर
कैप्टन विक्रम बत्रा
कैप्टन जिन्तु गोगोई
कमांडेंट जॉय लाल
लेफ्टिनेंट विजयंत थापर
लेफ्टिनेंट एन. केनगुरुसे
लेफ्टिनेंट हनीफ उद्दीन
लेफ्टिनेंट सौरव कालिया
लेफ्टिनेंट अमित भारद्वाज
लेफ्टिनेंट बलवान सिंह
लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे
स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा
स्क्वाड्रन लीडर राजीव पुंडीर
फ्लाईट लेफ्टिनेंट एस मुहिलन
फ्लाईट लेफ्टिनेंट नचिकेत राव
सार्जंट पीवीएनआर प्रसाद
सार्जंट राज किशोर साहू
नायक चमन सिंह
नायक आर कामराज
नायक कुलदीप सिंह
नायक बीरेंद्र सिंह लाम्बा
नायक जसवीर सिंह
नायक सुरेन्द्र पाल
नायक राजकुमार पूनिया
नायक एस एन मालिक
नायक सुरजीत सिंह
नायक जुगल किशोर
नायक सुच्चा सिंह
नायक सुमेर सिंह राठौड़
नायक सुरेन्द्र सिंह
नायक किशन लाल
नायक रामपाल सिंह
नायक गणेश यादव
नायक दिगेंद्र कुमार
हवालदार मेजर यशवीर सिंह
लांस नायक अहमद अली
लांस नायक गुलाम मोहम्मद खान
लांस नायक एम् आर साहू
लांस नायक सतपाल सिंह
लांस नायक शत्रुगन सिंह
लांस नायक श्याम सिंह
लांस नायक विजय सिंह
हवलदार बलदेव राज
हवलदार जय प्रकाश सिंह
हवलदार महावीर सिंह
हवलदार मणि राम
हवलदार राजबीर सिंह
हवलदार सतबीर सिंह
हवलदार अब्दुल करीम
हवलदार दलेर सिंह बाहू
सूबेदार भंवर सिंह राठौड़
रायफलमैन लिंकन प्रधान
रायफलमैन बच्चन सिंह
रायफलमैन सतबीर सिंह
रायफलमैन जगमाल सिंह
रायफलमैन रतन चन्द
रायफलमैन मोहम्मद फंद
रायफलमैन मोहम्मद असलम
रायफलमैन योगेन्द्र सिंह
रायफलमैन संजय सिंह
ग्रेनेडियर मनोहर सिंह
गनर उद्दभ दास
कॉन्स्टेबल सूरज भान
सिपाही अमरदीप सिंह
सिपाही विजय पाल सिंह
सिपाही वीरेंद्र कुमार
सिपाही यशवंत सिंह
सिपाही संतोख सिंह
सिपाही दिनेश भई
सिपाही हरेन्द्रगिरी गोस्वामी
सिपाही अमरीश पाल बानगी
सिपाही लखबीर सिंह
सिपाही बजिन्द्र सिंह
सिपाही दीप चन्द
सिपाही दोंदिभा देसाई
सिपाही केवलानंद द्विवेदी
सिपाही हरजिंदर सिंह
सिपाही जसवंत सिंह
सिपाही जसविंदर सिंह
सिपाही लाल सिंह
सिपाही राकेश कुमार (राजस्थान)
सिपाही राकेश कुमार (डोगरा)
सिपाही रस्विंदर सिंह
सिपाही बीर सिंह
सिपाही अशोक कुमार तोमर
सिपाही आर सेलवाकुमार

श्रद्धांजलि इन शहीदों को, श्रद्धांजलि उन शहीदों को भी जिनके नाम यहाँ नहीं हैं|

जय हिंद...जय हिंद की सेना...


12 comments:

  1. मानवता पर तन मन धन न्योछवर करने वाला हर व्यक्ति श्रद्धेय है! जय हिंद...जय हिंद की सेना...

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  2. .

    सरकार घोटालों में व्यस्त , फिर खुद को बचाने में व्यस्त है ! वीर शहीदों के लिए उनके पास समय कहाँ ? .... आज भारत का यदि कोई अस्तित्व है तो वह इन्हीं वीर सपूतों के कारण है ! धन्य हैं हमारे जवान !

    जय हिंद !
    जय भारत !
    जय जवान !

    प्रिय भाई दिवस के जज्बे को नमन !

    .

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  3. अखबार में तो चित्र दिया है कि रक्षा मंत्री, सेना प्रमुख, वायुसेना प्रमुख सब ने दिल्ली में श्रद्धान्जलि दी। और नीतीश को भी देखा।

    वैसे श्रद्धान्जलि महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण है जीवन में सक्रियता न कि फूलबाजी जैसे दिखावे।

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  4. शहीदों को मेरी तरफ से भी श्रधांजलि ...जय हिंद दिवसजी आपने शहीद हुए सैनिकों की याद में एक सार्थक आलेख लिखा है बहुत सी जानकारियां भी मिली ..........धन्यवाद

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  5. दिवस जी आपने सही कहा कि जिन शहीदों कि बजह से आज हम ज़िंदा हैं ये सरकार उनके लिए कुछ नहीं करेगी इससे उम्मीद करना भी बेकार है ! उन सभी शहीदों को मेरा कोटि कोटि नमन !

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  6. hamaraa sir kahi nahi jhukega jai hind

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  7. किन्तु एक कारण ऐसा रहा जिसने सभी प्रयासों को विफल कर दिया|
    करीब पांच-छ: वर्ष पहले एक सड़क दुर्घटना में सर में चोट आने की वजह से मेरी आँखों का कॉर्निया कुछ घूम गया व इसकी मोटाई भी कुछ घट गयी| इस कारण मैं सेना के लिए अयोग्य साबित हो गया| इसका दुःख तो बहुत हुआ, किन्तु नियति को शायद यही स्वीकार था| सेना में न सही, सेना से बाहर रहकर भी हिमालय को झुकने से
    बचाया जा सकता है| अत: अब इसी प्रयास में लगा हूँ|
    is bare me jankar dukh huaa...........aadarneeya DIWAS ji MAA SHARDA ke shaher MAIHAR se mai BHARAT PANDEY aap ko namshkaar karta hun..........pehli baar aap ka lekh padha..........bhahot prabhawit aap se...........is bahumoolya lekh ke liye aap ko mera sachhe dil se dhanyvaad.........JAI MAA BHARTY

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  8. भारत माँ के इन वीर सपूतों को नमन ...शत शत नमन ..

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  9. विनम्र श्रद्धांजलि ....नमन

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  10. जी हाँ झूठी श्रद्धांजलि का दिखावा उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितनी की हमारे दिल में देश प्रेम की भावना |
    . हमें इस सरकार से कोई भी उम्मीद नहीं है और इसके पहले की सरकार तो शहीदों का कफ़न तक बेच कर खा गयी |
    अगर चाहा जाता तो कारगिल के समय पर ही आर पार का फैसला हो गया होता |
    कोई भी सरकार जनता का भला नहीं चाहती सिवाय अपने स्वार्थ के !

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  11. बहुत ही सारगर्भित लेख लिखा है आपने आपका आभार !
    भारत माँ के इन वीर सपूतों को नमन ...शत शत नमन .

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  12. कारगिल के अमर शहीदों को हमारा प्रणाम।

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