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Thursday, July 14, 2011

मैं मेरे ही देश में कब तक फटता रहूँगा???

मित्रों अब तक तो सभी को पता चल गया है कि १३ जुलाई को शाम करीब ६:४५ बजे मुंबई फिर से दहल गयी| सिलसिलेवार तीन धमाकों में करीब २५ लोग मारे गए हैं और करीब सवा सौ लोग घायल हो गए हैं|

ये सरकारी आंकड़े हैं, अत: इनकी विश्वसनीयता पर मुझे संदेह है| निश्चित ही असलियत तो और भी भयंकर होगी|

कौनसा बम कहाँ फटा और उसमे कितने लोग मारे गए, यह मेरे लिए महत्वपूर्ण नहीं है| मैं कोई News Channel नहीं चलाता| सबसे अधिक पीड़ादाई यह है कि फिर से किसी बम धमाके में हमारे अपने भी बमों के साथ फट गए| इससे पहले भी कई बार फट चुके हैं|

मित्रों एक सरकारी दामाद अजमल कसाब के जन्मदिवस के अवसर पर जिहादियों द्वारा यह तो केवल एक आतिशबाजी की गयी थी| एक चेतावनी कि हम तो अपनी ख़ुशी भी ऐसे ही मनाएंगे| तुम क्या कर लोगे?


उनकी ख़ुशी मनेगी और हमारी......

कहाँ गया राहुल गांधी? अब इधर आकर मरने वालों का दुःख बाँट| इसके अलावा तुम और कर भी क्या सकते हो? क्योंकि सरकारी महलों में बैठे अफजल और कसाब तो तुम्हारे अब्बा जान के चचा जान लगते हैं न| उनको खरोंच भी आ जाए तो देश की सुरक्षा व्यवस्था पर खतरा मंडराने लगता है| और हम, हमारा क्या है? हमने तो यहाँ इस देश में जन्म ही इस लिए लिया है कि तुम्हारी राजनैतिक इच्छाओं की वेदी पर बमों के साथ हम भी फटते रहें|


पहले भी फटे थे, अब भी फट रहे हैं| पता नहीं कब तुम्हारी इच्छाएँ पूरी होंगी और पता नहीं कब तक हम यूं ही फटते रहेंगे?

अब तो आदत सी हो गयी है| कोई बड़ी बात नहीं है, बम धमाके में ही तो मारा गया है, कौनसा कैंसर से या हार्ट अटैक से मरा है?

कहो राहुल गांधी, क्या अब तुम्हे शर्म आती है, खुद को भारतीय कहते हुए? हमे पता है कि महाराष्ट्र में अभी चुनाव नहीं हैं, और वहाँ तुम्हारी ही सरकार है|
खैर तुम्हे क्या शर्म आएगी? शर्म बेचकर ही तो तुम्हारे परिवार ने चंदा जमा किया है| उसी चंदे को विदेशी बैंकों में जमा किया है| शर्म तो हमे अपने आप पर आती है, कि तुम जैसे नेताओं को झेल रहे हैं|

कहाँ गए दिग्गी? आज कहीं आरएसएस या भाजपा का हाथ नहीं दिखाओगे? हाथ तो केवल कांग्रेस का ही है और निश्चित ही वह हमारे साथ तो कतई नहीं है|


खैर यह रोना तो इस देश में लगा ही रहेगा| महत्वपूर्ण यह है कि अब हमे क्या करना है? सरकार की ओर से किसी भी प्रकार की आशा न रखें|
मैं तो चाहता ही यही हूँ कि कोई भी आतंकवादी न पकड़ा जाए, सभी फरार हो जाएं| चौकिये मत अगर आतंकवादी फरार हो गए तो कम से कम तसल्ली तो रहेगी कि हमारे हाथ नहीं लगे वरना वह दुर्दशा करते कि इस देश की तरफ कोई आँख उठाकर भी नहीं देखता| यदि गलती से एक भी पकड़ा गया  तो एक और राजमहल बनाना पड़ेगा| हमारे खून पसीने की कमाई तो उसके एक टाइम के चिकन-शिकन में ही लगा दी जाएगी|


हमारी इस नपुंसक सरकार से इससे अधिक मुझे तो और कोई उम्मीद नहीं है| अत: जो करना है वह हमे ही करना है| सरकार गिरेगी, नहीं गिरेगी, कब गिरेगी, क्यों गिरेगी, अगली सरकार क्या करेगी ये सब बेकार की बातें लगने लगी हैं अब| सरकारों के भरोसे बैठे रहे तो हो लिया भारत उदय|

सबसे पहले तो हमे वही करना है जो आतंकवादी हमसे नहीं चाहते थे| कई लोग कहते रहेंगे कि घरों से बाहर न निकलें, किसी अनजान व्यक्ति से बात न करें आदि आदि|
क्यों बैठ जाऊं मैं अपने घर में छुप कर?

१३ मई २००८ को जयपुर में भी सात धमाके हुए थे| एक धमाका तो मुझसे केवल डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर ही हुआ था| उस समय तो अफरा तफरी मचनी ही थी| हर ओर भय का माहौल था| वह समझ आता है, किन्तु अगले दिन जब बाहर आकर देखा तो पूरा शहर घरों में छिपा बैठा है|
सड़कों पर गिने चुने लोग ही मंडरा रहे थे| बाज़ार दुकाने सभी बंद| मुझे भी बहुतों ने कहा कि आज बाहर कहीं मत जाना| कहीं आज भी कोई धमाका न हो जाए| मेरे घर (बीकानेर) से भी बार बार फोन आ रहा था कि आज कहीं बाहर मत निकलना| क्यों न निकलूं मैं बाहर?
अरे ये जिहादी इतने मुर्ख है क्या जो एक दिन पहले जिस शहर में धमाके किये हैं उसी शहर में आज भी हाथ आजमाएंगे, जहाँ रेड अलर्ट जारी हो गया है? फिर क्यों लोग अपने अपने घरों में छिपे बैठे हैं? पुलिस ने कर्फ्यू लगाया होता तो बात अलग थी| ऐसी अवस्था में बाहर नहीं निकलना चाहिए|
मैं तो उसदिन भी आवश्यकता नहीं होने पर भी बाहर गया और शहर की सड़कों पर भटकता रहा| रक्तदान केंद्र जाकर रक्तदान किया क्योंकि समाचारों में बार बार बताया जा रहा था कि जयपुर के ब्लड बैंकों में रक्त की भारी कमी आई है| अत: जयपुर वासियों से अनुरोध है कि वे कृपया रक्तदान करें ताकि इस विकट परिस्थिति से बाहर निकला जा सके| बम धमाकों में घायल लोगों को रक्त की आवश्यकता थी|

रक्तदान केंद्र जाकर ख़ुशी हुई कि वहाँ युवाओं की लम्बी कतार लगी थी| ये वही युवा थे जो बिना डरे यहाँ तक आए| 
अरे यदि डर कर घर में छुप जाते हैं तो इससे तो आतंकवादियों का मकसद हल हो जाएगा| उनका मकसद था आतंक फैलाना और लोगों को अपने घरों में छुपाकर उनका मकसद तो हल हो जाएगा| हमे आतंकित नहीं होना है| हमे आतंकवादियों को अपने बुलंद हौंसले से हराना है| ये क्या बात हुई कि मैं मेरे ही देश में डरा सहमा अपने घर में छिपा बैठा रहूँ और वे बाहर से आकर भी बेख़ौफ़ घुमते रहें?

सरकार के हौंसले तो बुलंद हैं नहीं, कम से कम जनता का पौरुष तो नष्ट न हो|

अत: मुंबई वासियों से भी यही अनुरोध है कि यदि शहर में कर्फ्यू नहीं है तो बिना डरे बाहर आएं व अपने अपने काम पर जाएं|
वैसे मुंबई शहर को अपने घरों में कैद करना इन जिहादियों के बस की बात नहीं है| मुंबई में ही हुए रेल धमाके के अगले दिन भी लोकल ट्रेनों में उतनी ही भीड़ थी, जितनी हमेशा होती है|

अब बेचारे वे भी क्या करें? यहाँ तो अब यह आम बात हो गयी है| घरों में छिपे बैठे रहे तो कामधाम कौन करेगा?

सरकार से तो उम्मीद रखना ही बेकार है कि वह कोई सख्त कदम उठाएगी| हमारा क्या है? आज २५ मरे हैं, कल ५० मर जाएंगे| कमी थोड़े ही न है| एक सौ बीस करोड़ हैं|

जाते जाते इन बम धमाकों में मरने वालों को श्रद्धांजलि| इश्वर उनके परिजनों को इस भारी दुःख को सहने की शक्ति दे| साथ ही हमारी सरकारों को सद्बुद्धि भी|

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नोट : मुझे इस सरकार पर बिलकुल भी भरोसा नहीं है| ये सरकार किसी आतंकवादी से कम नहीं है| किसी विशेष मुद्दे से जनता का ध्यान हटाने के लिए भी यह धमाका किया जा सकता है| अब वह मुद्दा क्या है, आप लोग समझ सकते हैं|


23 comments:

  1. .

    समाचार सुना तो बहुत निराशा हुयी थी . यह कभी न थमने वाला सिलसिला है. क्यूँकी सत्ता में बैठे लोग अपने कर्तव्यों से विमुख हो गए हैं , उनका पूरा ध्यान अपनी कुर्सी बचाने और देश को लूटने में लगा है. आम जनता की फिकर नहीं है उन्हें. हमारी जान बहुत सस्ती है इनके लिए.

    मेरे पास तो एक ही आशा है कोई देशभक्त संभाले इस पुण्यभूमि की बाग़ डोर तो ही भला होगा इस देश का और देशवासियों का.

    .

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  2. मुंबई के लोग गजब का हौसला रखते है। यह पूरे देश का मीनी स्वरूप है। कर्मशील प्रजा है। इस विपत्ति का भी डटकर मुकाबला करेंगे, और आतंक का हौसला पस्त करते रहेंगे।
    दुर्घटना में जान खोने वाले बंधुओ के प्रति सम्वेदनाएं।

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  3. दिग्विजय श्वान ने ३ दिन पूर्व बोला था की क्यों नहीं कोई धमाका हो रहा है जब से प्रज्ञा ठाकुर पकड़ी गयी है..
    अब लो हो गया धमाका शायद बाटला हॉउस में बिरयानी खा रहा है..
    मुझें लगता है ये कांग्रेस प्रायोजित ब्लास्ट है...मीडिया को मिल गया मसाला १० दिन के लए और काला धन भ्रष्टाचार अन्ना का जन्लोकपाल सबसे ध्यान हट गया ..
    अफजल और कसब को दामाद बना कर रखने वाली व्यवस्था में हम इससे ज्यादा क्या सोच सकते हैं..
    ये जेहादी श्वान यही कह रहें हैं की हम तो फोड़ेंगे बम तुम्हारे हिजड़े शासको का समर्थन है..क्या कर लोगे???

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  4. झलक कर गिर पड़े आंसू
    मंज़र देख कर ऐसा
    हमला किया किसी ने या कहे
    कुदरत का खेल ये कैसा

    http://soch-ek-nazar.blogspot.com/2011/07/blog-post_5681.html

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  5. हंसराज भाई, मुंबई वासियों के हौंसले सच में बुलंद हैं| उनकी हिम्मत को सराहा जाना चाहिए| आपके व आपके परिवार व परिचितों में तो सब कुशल मंगल है न?

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  6. आशुतोष भाई दिग्गी लादेन की इच्छा पूरी हो गयी| लो हो गया ब्लास्ट|
    आपके अनुमान से मैं भी सहमत हूँ| मुझे भी यह कोई कांग्रेस प्रायोजित धमाका ही लगता है|

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  7. अभी अभी प्राप्त सूचनाओं से पता चला है कि राहुल गाँधी ने उड़ीसा में प्रेस के सामने बोला है कि "एक दो हमले तो होते ही रहते है ... हर धमाके को तो नहीं रोका जा सकता "
    इन नोसिखऐ मनचले ने ये भी कहा कि काफी दिनों बाद हुए हमले से सिद्ध होता है कि देश का ख़ुफ़िया तंत्र मजबूत पहले से मजबूत हुआ है !....कांग्रेस के उमीद का सितारा यही नहीं रुका आगे बोला धमाके तो सारी दुनिया में हो रहे है ...अफगानिस्तान में हो रहे है .... पाकिस्तान में हो रहे है .....
    इस महानुभाव कि मानसिकता का इससे पता चलता है ? इसको नहीं पता कि वो जिस कांग्रेस पार्टी तथा कथित सरदार कहलाता है , उसके रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने रेल दुर्घटना होते ही त्यागपत्र दे दिया था ?... हमले नहीं रुकते तो गध्ही छोड़ दो ? ये है कांग्रेस कि नयी पीडी कि देश के बारे में सोच ?..जिनको अफगानिस्तान , पाकिस्तान और भारत में फर्क ही नहीं मालूम है ?.... अरे तुम कुछ करने के काबिल नहीं हो तो कम से कम अपनी मुंडी [ जबान ] बंद करके घर में ही दुबके रहो ?... संकट कि इस घडी में जले पे नमक तो न छिडको ?

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  8. अब तो हमारे नेता कह रहे हिं की हम हर धमाका तो नहीं रोक सकते हैं ............

    कितने लोग भेंट चढ़ेंगे इस खुनी कायर दिल्ली की

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  9. शायद हमारे सत्ता के गलियारों में ये मान लिया गया है भारत की हालत इराक और अफगानिस्तान जैसी हो गयी है , हमारे गृहमंत्री कह रहे हैं की ख़ुफ़िया तंत्र को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी | कैसे हो सकती है जानकारी सारा ख़ुफ़िया तंत्र तो बाबा रामदेव के विरुद्ध साक्ष्य बनाने में जुटा हुआ है और हिन्दू को आतंकी सिद्ध करने में लगा हुआ है , हम इस इस्लामिक सरकार से और आशा भी क्या कर सकते हैं ???

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  10. समाचार सुन कर दिल को धक्का सा लगा !
    कैसी है आज की हमारी नकारी सरकार ?
    कि मनमोहन सिंह अब भी वही रटा रटाया वाक्य कह रहे हैं की
    कोई हमारे धैर्य की परीक्षा न ले |
    ना जाने कब इनका धैर्य टूटेगा ? क्या चाहते हैं ये ?
    हर कोई सब कुछ जानता है फिर भी ये सरकार चुप्पी लगा कर बैठी हुई है |
    इनके लिए तो बाबा रामदेव जैसे देश भक्त महा ठग व पुलिसिया दरिंदगी के पात्र है
    जब कि कसाब तथा लादेन जैसे दुर्दांत आतंकवादी आदर व मानवीय संवेदना के पात्र है |
    क्या ये देश को रसातल में जाने कि प्रतीक्षा कर रहे हैं ?

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  11. प्रिय दिवस भाई,
    कुछ तो करना होगा... कई वर्षों से आपके जैसे भावों को मन में दबाये हुए हूँ.
    http://pratul-kavyatherapy.blogspot.com/2010/04/blog-post_14.html
    अब किसी से अपेक्षा नहीं रही.... जिनमें कुछ संभावना पाते हैं... उन्हें शहीद करने में लगी है सरकार.
    दुष्टों और शैतानों के बर्थडे-सोंग मीडिया परोक्ष रूप से गा रही है.... अक्ल का दिवालियापन सामने है.
    कुछ तो करना होगा.... शीघ्र....

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  12. और वो सरकारी भोंपू दिग्गी राजा आज कल क्या कर रहा है ?
    क्या उसे भी ये सब दिखाई नहीं देता ?
    किसी ने सही कहा है राम ने मिलाई कैसी जोड़ी
    एक तो अंधा दूसरा कोढ़ी

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  13. आज मुझे प्रतुल वशिष्ठ जी का वो वाक्य याद आ रहा है
    "जब देश में आतंकवादी गतिविधियाँ बढ़ जाएँ तब मन को किस धर्म से मढूं? .
    'धृति' मुझे रास नहीं आता.....क्षमा करने का अब मन नहीं करता..... दुष्टों के दमन की इच्छा बलवती रहती है......
    सोचता हूँ कहीं से, (शाद पुलिस थाने से) शस्त्र (रिवोल्वर) की चोरी करके आस-पास के गुंडों को भूनना शुरू कर दूँ.
    समाज के काफी लोग (पुलिस समेत) असामाजिक तत्वों को भलीभाँति पहचानते हैं...
    देश के गद्दारों को पहचानकर मारने की योजना मन में बनाता रहता हूँ. ............ ये कैसा धर्म कहा जायेगा?
    ... क्या राष्ट्र धर्म तो नहीं?? "

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  14. http://charchamanch.blogspot.com/
    शुक्रवार : चर्चा मंच - 576

    जानते क्या ? एक रचना है यहाँ पर |
    खोजिये, क्या आपका सम्बन्ध इससे ??

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  15. हर-हर बम-बम
    बम-बम धम-धम |

    थम-थम, गम-गम,
    हम-हम, नम-नम|

    शठ-शम शठ-शम
    व्यर्थम - व्यर्थम |

    दम-ख़म, बम-बम,
    तम-कम, हर-दम |

    समदन सम-सम,
    समरथ सब हम | समदन = युद्ध

    अनरथ कर कम
    चट-पट भर दम |

    भकभक जल यम
    मरदन मरहम ||
    राहुल उवाच : कई देशों में तो, बम विस्फोट दिनचर्या में शामिल है |

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  16. सुबह से ही पहले गृह मंत्री ,मुख्य मंत्री और हमारे देश के कथित युवराज ने मुंबई के जज्बे को पहले सलाम किया फिर अपने अपने ढंग से भोली भाली जनता को बहलाना शुरू किया.युवराज ने तो इतना तक कह दिया कि हम हर धमाके के तो रोक नहीं सकते एक दो धमाके तो हो ही जाते है. उनका सामान्य ज्ञान भी लगता है कुछ कम है तभी तो उन्होंने ये कहा कि अमेरिका में भी ऐसे धमाके होते रहते है जबकि हम सब जानते है कि पिछले दस साल से वहां कोई भी आतंकी घटना नहीं हुई है. हमारे गृह मंत्री इस बात से संतुष्ट दिखे कि पिछले इक्कतीस महीने से मुंबई में कोई आतंकी हमला नहीं हुआ था. ये देश की जनता करे तो क्या करे. ...

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  17. इस घटना के बाद से... मन बहुत ही व्यथित था... दोस्त से एक घंटे तक देश की स्थति को लेकर चर्चा हुयी... जब तक इस देश में कायर नेताओं की फ़ौज है... यही होता रहेगा...

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  18. यह घटना देश की सरकार और नेताओ की पोल खोल रही है !जो देश की सुरक्षा की बात करते है !पर् यहाँ पर् तो आतंकवादी को पूजा पूजा जाता है ना यह तो होना ही था

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  19. इतने दिन धमाके क्यों नहीं हुए.. तो वो इसलिए नहीं हुए क्योंकि जाली नोट बनाने का इनका कारखाना बंद हो गया था (जब से R B I में जाली नोट सीबीआई ने पकडे थे)...
    और अब धमाका क्यूँ हुआ... तो ये तो सोचने वाली बात है.. ISI इतने महंगे धमाके तो नहीं करवाती (500 का नोट 75 रुपये में मिलाता था तभी इतने धमाके होते थे, और ये नोट छपने कि मशीन सोनिया गन्दी कि ही लगाईं हुई थी )... तो अब ये पैसा ISI के पास आया कहाँ से ?? कहीं ये पैसा उस हवाला का कमीशन तो नहीं जो पैसा सोनिया ने स्विस बैंक से निकाल कर दूसरी किसी इटली कि बैंक में डाला है ?? या ये पैसा खुद कांग्रेस ने ही दिया है बाबा और भ्रष्टाचार से ध्यान हटाने के लिए ?? वो कपिल सिब्बल, जो बाबा से समझोते में सबसे आगे था, उसी पर जब सीबीआई ने उंगली उठाई, तो लगा मानो अब इसके बाद चिदंबरम और फिर मेडम सोनिया का नंबर आने वाला है...!!!
    रौल विन्ची कहता है अफगानिस्तान से कम धमाके हो रहे हैं... तो क्या कांग्रेस का सपना भारत को अफगानिस्तान बनाने का है... जब हम पकिस्तान और अफगानिस्तान के बराबर हो जायेंगे तब कोम्परिजन करना बंद होगा क्या ??? जैसा ये तथाकथित युवराज ऑफ़ कांग्रेस कह रहा था ऐसा ही एक बुद्धूजीवी भी कह रहा था महंगाई के उपार टिपण्णी करते हुए, कि पकिस्तान, नेपाल और बंगलादेश में गेस के सिलेंडर 700 - 900 रुपये के हैं... भारत में 600 हो जाए तब भी हमारी कीमत कम ही है... वाह रे ऐसे सड़े युवराज और उनको चाहने वाले.. अबे सालों.. अच्छा न सोच सको तो कोई बात नहीं, पर कम से कम बुरा तो मत सोचो..
    दिग्गी जैसे सोनिया के चमचे रौल विन्ची को PM बनाना चाहते हैं.. एक ऐसे आदमी को जो बलात्कारी है.. (2006 में अपने 6 फिरंगी दोस्तों के साथ अमेठी के गेस्ट हॉउस में.. और बलात्कार कि शिकार लड़की और उसका परिवार लापता है.. केस दर्ज नहीं किया पुलिस ने ).. जो अपने आप को इटली कि नागरिक कहलवाना चाहता है.. डबल नागरिकता रखता है.. बाप के सर नेम कि जगह मौसा का सर नेम लगाता है.. भारत को अफगानिस्तान से तुलना करता है.. काले धन के मामले में माँ के साथ साथ बराबर का मुजरिम है.. ये ही रौल विन्ची है जो कह रहा था कि प्रधान मंत्री को लोकपाल के दायरे के बाहर रखो.. अब पता चला कि मंद मोहन क्यूँ लोकपाल के विरुद्ध है.. सोनिया तो PM बन नहीं सकी (भला हो सुब्रह्मण्यम स्वामी जी और अब्दुल कलाम आजाद जी का).. पर सोनिया अपनी महत्वाकांक्षा रौल विन्ची के जरिये पूरी करना चाहती है..
    साला रौल... UP में चुनाव हैं तो भट्टा परसौल के किसान का दर्द याद आ रहा है.. महाराष्ट्र (जहाँ कांग्रेस की सरकार है), वहाँ देश के सबसे ज्यादा किसान परेशान हैं.. सबसे ज्यादा किसानो ने वहाँ आत्महत्या कि है.. उनका दर्द उसे आज तक नहीं दिखा ! ... गुजरात में तो उन्हें कोई पोल नहीं दिखाती, वरना तो ये गुजरात के एक दर्द पर सारे के सारे वहाँ बैठ जाते.. साड़ी मिडिया को वहीँ लगा देते..
    कांग्रेस कहती है कि 31 महीने हमने मुंबई को बचा के रखा... तो अब भी बता दो कि कितने दिन अब और बचाओगे.. (मतलब अगला धमाका मुंबई में कब करोगे ??).. तुम्हे पता था कि 31 महीने बचा सकते थे.. तो अब कितने टाइम बचाओगे.. ताकि मुंबई कर उतने टाइम के बाद थोड़े सचेत हो जाएँ...अपने जान बचा लें...

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  20. ख़ुफ़िया तंत्र पे आरोप मत लगाओ, ख़ुफ़िया तंत्र तो हमारा बहुत सजग है.. हमें पता था कि कब चीन हमारे पीठ में वार करेगा और कब पकिस्तान.. वो तो तुम उसकी सुनते नहीं हो.. और वो ज्यादा बताने लगता है तो उसे दूसरे काम में ऐसा फंसा देते हो कि वो अपना मैं काम ही न देख सके.. अब देखो न, सारा ख़ुफ़िया तंत्र तो बिचारे बाबा कि सम्पति और बालकृष्ण के पासपोर्ट के मामले में उलझा पड़ा है.. और बाकी लोगों को अन्ना के चारों और लगा रखा है कि इसको कैसे काबू में लें.. तो देश का मत सोचो.. खुद का ही सेफ गार्ड बना लो... जो आदमी देश कि भलाई में लगा है उसका पासपोर्ट चेक करो (क्यूंकि वो कांग्रेस के खिलाफ है), और लाखों करोड़ों घुसपेठियों को वोटर कार्ड बनवा कर दे रही है (क्यूंकि वो कांग्रेस के वोट बैंक हैं).. उनकी कोई जांच नहीं और जो जांच के लिए बोले उसको तरह तरह से परेशान करते हैं...
    भला हो देश का ... भगवान् रहम कर... ये कांग्रेस केवल पैसों से ही नहीं .. आम जनता के खून से भी खेलती है.. निठारी काण्ड ( जिसमे मासूम बच्चों को किडनेप करके उनके शारीर के अंगों, किडनी, लीवर बेचने वाले... जिस केस को केवल एक पन्दारे और उसके नौकर द्वारा बलात्कार केस पर रोक कर जनता को बहका दिया.. उससे जुड़े पुराने केस कि सारी फाइल्स जला दी.. जिसे साड़ी मिडिया ने अपने केमरों में कैद करके दिखाया.. पर दूसरे दिन से ये न्यूज़ साड़ी मीडिया से गायब हो गई..) ISI को बेचे नकली नोट, जिनसे देश में अनाप शनाप ब्लास्ट हुए, जम्मू काश्मीर का खुनी खेल.. जब चाहे तब ब्लास्ट (भारत के सबसे ज्यादा ब्लास्ट और उनमे एक भी नेता नहीं मरा).. नोर्थ ईस्ट कि हालत तो ये कर दी कि लगता ही नहीं कि ये भारत का हिस्सा भी है...बोडो से ले कर उल्फा तक... पंजाब के दंगो से लेकर गुजरात के दंगो तक.. पूरे देश को जलाया अपने वोट के लिए.... जब बीजेपी सत्ता में आई तो आतंकवादियों से इनके रिश्ते सड़क पर आ गए, जिन आतंकवादियों ने आजादी से लेकर आज तक किसी भी कांग्रेसी नेता पे हमला नहीं किया, वो संसद तक आ गए सारे बीजेपी कि सरकार को ख़त्म करने.. जैसे कि नेपाल के ज्ञानेंद्र ने किया था... और नेपाल के हाल भी बेहाल तभी हुए जब राजीव गांधी नेपाल से नाराज हुए (सोनिया को हिन्दू मंदिर में प्रवेश कि अनुमति नहीं देने से).. और ज्ञानेंद्र को पूरा राजघराना ख़त्म करने के लिए माध्यम मिल गया (कांग्रेस, जिसके जरिये आतंकवादियों कि दूसरी राजधानी नेपाल बन गयी)...

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  21. इस संकर परिवार ने (इरानी - पारसी - मुस्लिम - क्रिस्टियन - नाम हिन्दू ) पूरे देश को संक्रमित कर दिया है.. इस संक्रमण से बचना है तो इन एड्स के वाइरस को (जवाहर लाल नेहरू एड्स से ही मरा था) बाहर निकालना पड़ेगा... वरना हमें ये डायलोग हमेशा और हर ब्लास्ट के बाद सुनना पड़ सकता है कि "ऐसे छोटे छोटे 2 - 4 ब्लास्ट तो होते रहते हैं..." ... "हमारे सब्र का इम्तिहान मत लो.."...."देश कि जनता इसे भुला कर फिर से चले और बता दे आतंकवादियों को कि तुम्हारे ब्लास्ट से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता, तुम और ब्लास्ट कर सकते हो.." .... "इसके पीछे ISI का हाथ है ".... "हम पकिस्तान को आतंकवादियों कि लिस्ट सोंप रहे हैं और जल्द उनको भारत लाने कि कौशिश हो रही है".... "आतंकवादियों को पहचान लिया गया है.. और वो पाकिस्तान में जा कर छुपे हैं.."....
    और अगर किसी देशभक्त ने गलती से किसी आतंकवादी को पकड़ लिया, तो हमारे पसीने कि कमाई से उसे सुरक्षा पहरे में बैठा कर ऐश करवाएंगे..
    कोई ISI या पकिस्तान नहीं है इन आतंकवादी घटनाओं के पीछे.. ये खुनी GOVT . ही है.. जो इन्हें पैसे देती है (नकली नोट भी ये ही छाप रही थी और उसे ISI को बेच रही थी).. ब्लास्ट करवाती है.. फिर फ़ालतू का शोर मचाती है कि इसके पीछे RSS का हाथ है..

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  22. Bomb phate, log maren, muslim naam aaye toh atankvadi ki koi jaati ya dharam nahi hota, pehle hindo ke naam jhute ghuassao kisi bomb blast mai phir kaho Bhagva Attankvad se desh ko sabse bada khatra, 1% to blast ho hi sakte hai - kehna hai Raul vinci ka, Phir Bhi sharm nahi aati aise logo ko jo jai jaikar karte hai aise bike hue logo ka.

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