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Saturday, July 30, 2011

देशभक्त का पासपोर्ट फर्जी,, और देशद्रोही का ??? आचार्य बालकृष्ण बनाम रौल विन्ची

मित्रों बाबा रामदेव पर शिकंजा कसने के लिए उनके दायें हाथ आचार्य बालकृष्ण को अब कांग्रेस ने साधना शुरू कर दिया है| जब हर तरफ से विफल हो गए और मुद्दों का अभाव हो गया तो पता नहीं कहाँ कहाँ से अर्जी फर्जी मुद्दे उठाकर ला रहे हैं| आचार्य बालकृष्ण का पासपोर्ट यदि फर्जी है तो क्या कल ही फर्जी हो गया? अभी इतने दिन उनके पासपोर्ट की याद क्यों नहीं आई? काले धन के लिए मूंह क्या खोल दिया, उनका पासपोर्ट ही फर्जी हो गया?

जब बाबा रामदेव चार जून की काली रात के बाद भी अनशन पर डटे रहे व स्वास्थ्य खराब होने के कारण कुछ नहीं कर पा रहे थे, ऐसे में आचार्य बालकृष्ण ने कमान संभाल रखी थी| अब इतना बड़ा दुस्साहस करने का दंड तो उन्हें मिलना ही था| उनकी हिम्मत कैसे हो गयी भ्रष्टों के सिंहासन को हिलाने की?

बहरहाल न्यायालय ने फिलहाल उन्हें ज़मानत पर छोड़ रखा है| अब आचार्य को चार अगस्त को सी बी आई (कांग्रेस ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) के समक्ष पूछताछ के लिए उपस्थित होना है|

प्रश्न यह है की आखिर आचार्य बालकृष्ण के साथ ऐसा क्यों? यदि वे भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आवाज़ नहीं उठाते तो कोई कुत्ता भी नहीं भौंकता उन पर| किन्तु इतना बड़ा दुस्साहस करने पर अब सरकार में बैठे अव्वल दर्जे के कुत्तों ने भौंक भौंक कर पूरे वातावरण का ध्वनि प्रदुषण कर रखा है|
आरोप भी कैसे कैसे, सुने तो हंसी आ जाए|
एक आरोप यह है कि आचार्य की डिग्रियां फर्जी हैं| किन्तु जब उनके विश्वविद्यालय के प्राधानाचार्य ने भी यह साफ़ कर दिया है कि आचार्य बालकृष्ण की डिग्रियां फर्जी नहीं हैं| वे यहाँ पढ़ चुके हैं| किन्तु कुत्तों को यह बात कहाँ समझ आने वाली थी?
जैसे तैसे अगला आरोप मढ़ डाला कि आचार्य की जन्मतिथि वह नहीं है जो उनकी डिग्रियों में लिखी है| मतलब बाल की खाल निकालनी हो तो केवल देशभक्तों पर ही निशाना लगाया जाए, खुद तो जैसे दूध के धुले हैं| संसार में जैसे इनसे बड़ा कोई सत्यवादी हरीश्चन्द्र कोई हुआ ही नहीं|
अब आप ही बताएं कि भारत में कितने ऐसे विद्यार्थी हैं जिनके जन्म प्रमाणपत्र पर एकदम सही तिथि लिखी है? स्कूल में दाखिला लेते समय अपनी जन्म तिथि दो चार महीने आगे पीछे कर देना कोई अपराध नहीं है| दूसरी बात जन्म प्रमाण पत्र को ही जन्म तिथि का अंतिम प्रमाण माना जाता है| इसके आगे यदि भगवान् भी आकर कह दें कि इसका जन्म इस दिनांक को इस समय नहीं हुआ था, तो भी सरकारी मामलों में इस जन्म तिथि को ही सही माना जाता है| फिर किस कारण आचार्य पर यह आरोप लगाया जाता है? क्या आचार्य के जन्म के समय दिग्गी राजा वहां मौजूद थे, कि इन्हें जन्म की दिनांक व समय एकदम सही सही याद है|
मेरे दोनों भाइयों के जन्म प्रमाणपत्र पर गलत दिनांक लिखी है| क्या उनके पासपोर्ट भी फर्जी हैं? फिर तो इस देश में आधे से ज्यादा पासपोर्ट फर्जी ही निकलेंगे|

बार बार इसी प्रकार देशभक्तों को प्रताड़ित किया जा रहा है| कभी बाबा रामदेव के ट्रस्ट की संपत्ति को लेकर तो कभी आचार्य बालकृष्ण के पासपोर्ट को लेकर| भ्रष्टाचार व काले धन के मुद्दे से पहले बाबा रामदेव की संपत्ति भी सफ़ेद थी व आचार्य का पासपोर्ट भी| पता नहीं अचानक ये काले कैसे हो गए?

और सवाल उठाने वाले भी कौन? इन्हें क्या अधिकार है, आचार्य पर इस प्रकार का आरोप लगाने का? यदि जांच करनी ही है तो पहले रौल विन्ची के पासपोर्ट की जांच करो| डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने यह सिद्ध कर दिया है कि विन्ची के पास इतालवी पासपोर्ट है, भारतीय नहीं| अर्थात वह भारतीय नागरिक नहीं, इटली का नागरिक है| यहाँ तक कि उस पर उसका नाम राहुल गांधी नहीं अपितु रौल विन्ची लिखा है| फिर किस अधिकार से उसे भारत का भावी प्रधानमंत्री घोषित कर रखा है?
यदि डिग्रियों की जांच करनी है तो पहले विन्ची की डिग्रियों की जांच की जाए| जो आदमी पांच विश्वविद्यालयों में पढ़कर भी आज तक B.A. पास न कर सका, किस अधिकार से स्वयं को M.Phil. कहता है? और किस अधिकार से उसे भारत का भावी प्रधान मंत्री घोषित कर रखा है?
वह आदमी जो बलात्कारी है| नीचे देखें...



क्यों न पहले इसकी जांच कर ली जाए? इसके जुर्म के आगे तो आचार्य बालकृष्ण के तथाकथित अपराध कुछ भी नहीं हैं|

जब इतनी जांच हो ही रही है तो लगे हाथ सोनिया व राजिव गांधी की डिग्रियों की भी जाँच करवा ली जाए| वो औरत जो केवल पांचवीं पास है, किस आधार पर स्वयं को अंग्रेजी में स्नातक कहती आई है?
और वो आदमी जिसे केम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पहले ही वर्ष में तीन बार फेल होने के कारण निकाल दिया गया था, किस आधार पर स्वयं को मैकेनिकल इंजिनियर कहता रहा?

और तो और इसी बहाने असम के कांग्रेस के सांसद एम्. के. सुब्बा राव के पासपोर्ट की जांच भी करवा ली जाए| सुब्बा राव की नागरिकता पर सी बी आई चार्ज शीट तक दायर कर चुकी है| आचार्य के मामले में सी बी आई ने उनके भारतीय नागरिक होने पर कोई सवाल नहीं उठाया था, केवल पासपोर्ट कार्यालय में जमा किये गए दस्तावेजों पर ही जांच की मांग की है| किन्तु सुब्बा राव के विरुद्ध तो सी बी आई ने उनकी नागरिकता पर सवाल उठाते हुए मामला दर्ज किया था| फिर क्या कारण है कि सुब्बा राव की जांच में एक दशक से भी अधिक का समय लग गया और आचार्य बालकृष्ण के मामले में इतनी जल्दबाजी की जा रही है? सुब्बार राव आज भी आसानी से भारत में अपना व्यापार चला रहा है और पूर्व सांसद होने के सुख भी भोग रहा है|
इसका अर्थ साफ़ है कि सी बी आई कोई स्वतंत्र जांच एजेंसी न रहकर कांग्रेस के इशारों पर नाचने वाली संस्था मात्र रह गयी है|

और अंत में कादिर मौलाना की भी जांच करवा ली जाए| इन महानुभाव के विषय में कुछ लिखकर अपने लैपटॉप के कीबोर्ड को कलंकित करने से अच्छा है, आप यह चित्र ही ध्यान से देख लें|

इस तस्वीर को देखकर तो यही कगता है कि कांग्रेस का यह कुत्ता जरुर आई एस आई का सदस्य होगा अथवा लश्कर-ए-तैयबा या जैश-ए-मोहम्मद या हिजबुल या फिर अलकायदा का कोई आतंकी ही होगा|


इन सब के विपरीत न्यायालय ने यह कह कर आचार्य को ज़मानत पर छोड़ दिया है कि पासपोर्ट विभाग ने ही अभी तक उनकी डिग्रियों को लेकर कोई शिकायत दर्ज नहीं की है तो जांच की आवश्यकता ही क्या है?

अब यदि आचार्य बालकृष्ण दोषी भी हैं तो मेरे विचार से उनका अपराध तो इन सब के सामने कुछ भी नहीं है| अच्छा यही होगा कि आचार्य से पहले इन सब बागड़ बिल्लों की जांच हो|
यदि इनकी जांच नहीं हो सकती तो आचार्य की जांच भी नहीं होगी| इस देश का संविधान सभी को बराबर के अधिकार देता है| यदि संविधान की कमियों का फायदा कांग्रेस उठाना जानती है तो हम भी जानते हैं|

दरअसल ये दुष्ट सरकार, बेशर्म सरकार भारतवासियों का ध्यान भ्रष्टाचार के मुद्दे से भटका कर, इसके विरुद्ध लड़ने वालों को ही कटघरे में खड़ा कर रही है|
इस भ्रष्ट सरकार का देशवासियों को सीधे सीधे यह सन्देश है कि हम भ्रष्टाचार करते रहेंगे, देश में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम भी देते रहेंगे, यदि किसी ने हमारा विरोध किया तो चार जून की काली रात की तरह उसका दमन कर देंगे| फिर भी यदि किसी ने सर उठाया तो उस पर व्यक्तिगत कार्यवाही करेंगे, जैसी इस समय आचार्य बालकृष्ण व बाबा रामदेव के साथ की जा रही है|
सरकार के हौंसले बुलंद हैं क्योंकि भारतीयों का पौरुष नष्ट हो गया है| ऐसा लगता है कि अचानक सभी भारतीय नपुंसक हो गए हैं| भारत में रहने वाले वीरों की संख्या कुछ लाख या एक आध करोड़ ही रह गयी है| जो आज भी अपनी मातृभूमि व उसकी संतानों के अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं|
भारतवासियों का पौरुष कहाँ लुप्त हो गया? क्यों आज देश में केवल बुद्धिजीवी (?) (असल में इन्हें बुद्धूजीवी कहा जाना चाहिए) ही बचे हैं? भारत के वे रणबांकुरे कहाँ गए, जिनकी दहाड़ सुनकर यवन भी इस देश को छोड़कर अपनी जान बचाने पुन: यूनान भाग गए थे? कहाँ गयीं महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी महाराज, रानी झांसी की संतानें? क्या उत्तर दोगे मृत्यु के पश्चात अपने पितरों को? स्वर्ग में बैठी उनकी आत्माएं भी अपनी डरपोक संतानों पर लज्जा कर रही होंगी|
कहाँ गयी भारत की वे महिलाएं जो कभी वीरों को जन्म देती थीं? क्या इनके दूध में अब milk powder मिल गया है, जो आजकल इनकी कोख से नपुंसकों का जन्म हो रहा है?
अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाना क्या पाप है? आपके बाबा रामदेव, अन्ना हजारे या आचार्य बालकृष्ण से व्यक्तिगत मतभेद हो सकते हैं| किन्तु उनके विरुद्ध सरकार का यह आचरण न्यायसंगत नहीं है| जिस प्रकार यह देशद्रोही सरकार उनपर अत्याचार कर रही है, आपका मौन रहना सरकार को समर्थन दे रहा है| जिन लोगों ने आपके अधिकारों की रक्षा के लिए आन्दोलन खड़ा किया है उन पर होने वाले अत्याचार को आप मौन रहकर मूक सहमती दे रहे हैं| यह भी एक प्रकार का देशद्रोह ही है| अत्याचारियों का विरोध करने की आपकी शक्ति कहाँ लुप्त हो गयी? क्या आप केवल मैं, मेरा घर, मेरा परिवार की मानसिकता से बंध गए हैं? क्या आप इन सब से ऊपर उठकर "मेरा राष्ट्र" की मानसिकता को नहीं अपना सकते?

यदि नहीं तो इस देश में ऐसे लोगों के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए| नपुंसकों, डरपोकों व कायरों के लिए हमारे देश में एक इंच भूमि भी नहीं है| यह वीरों का देश है और यहाँ केवल वीरों को ही स्थान मिलेगा|
इस देश में ऐसी व्यवस्था लानी होगी, जहाँ इस देश में जीने का अधिकार केवल उसी को मिलेगा जो इस देश पर मर मिटने के लिए सदैव तत्पर रहे|

जय हिंद
वंदेमातरम 

10 comments:

  1. सार्थक पोल-खोल कार्यक्रम!!

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  2. दिवस.. भाई, बहुत सही कहा आपने. ये देश वीरों की भूमि है.. लेकिन इनकी पुरानी आदत है, जब तक शिशुपाल की 100 गलती न हो जाए तब तक सहन करते रहने की... अब लगभग सभी शेर जागने लगे हैं... क्यूंकि इस कांग्रेस रूपी शिशुपाल ने १०१ का लेवल पार कर लिया है.. .. .. रही बात बुद्धुजिवियों की तो इस टाइप के लोग तो भगतसिंह के टाइम में भी थे... खुद महात्मा गाँधी जी भी भगतसिंह की क्रांति को नादानी भरा कहते थे.. काले अंग्रेजों के खिलाफ हमें अब कुछ गाँधी जी जैसे कदम भी उठाने होंगे... जैसे असहयोग आन्दोलन... और ये असहयोग हो कांग्रेस और उनका साथ देने वाले कोर्पोराते, मिडिया और अन्य लोगों को नजरअंदाज करने का... कांग्रेस supported मीडिया को देखना ही बंद कर दो.. उनकी TRP गिर गयी तो अपने आप उनकी कमाई बंद हो जायेगी... corporate घरानों की वस्तुएं खरीदनी बंद कर दो...उनको भी समझ आ जाएगा की किस का साथ दें.. एक आवाज में इन सभी का बहिष्कार कर दो.. जो इन भ्रष्ट लोगों के थोडा भी समर्थन में बोले, उस से बात करनी बंद कर दो.. जब व्यक्ति समाज से अलग होगा तो उसे भी समझ आ जाएगा की बिना समाज के उसका आस्तित्व क्या है..

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  3. दिवस भाई - इस बारे में क्या किया जाए - समझ ही में नहीं आता | पता नहीं कब हम लोग जागेंगे - जगाने वाले तो ढोल पीट पीट कर हार गए - पर हमारी कुम्भकर्ण को भी मात करती नींद है - उचटती ही नहीं ! या यह कहें कि सोते हुए को तो जगाया जा सकता है - जागते हुए को कैसे जगाया जाए?

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  4. .

    जो लोग कुछ करना नहीं चाहते वे कर्मठ और इमानदार लोगों को देखकर ईर्ष्या करते हैं और उनके सार्थक प्रयासों को मिटटी में मिलाने के लिए प्रयास्यत रहते हैं ऐसा ही कुछ कर रहे हैं सत्ता के सौदागर आचार्य के साथ ... ईर्ष्या का कोई इलाज नहीं है !

    सत्यमेव जयते!

    .

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  5. हाँ बाल की खाल ही निकाली जा रही है .... वैसे सर्टिफिकेट और जन्म की असली तारीख तो हमरे यहाँ की आधी आबादी की अलग अलग निकलेगी .....और तो क्या कहें सब कुछ एक योजना बनाकर किया जा रहा है.... सार्थक पोस्ट

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  6. दिवस जी आपने सही लिखा .....youtube पर भी राहुल के बारे में खूब है आप देखना मामले को दबाया गया है ......बस चंद दिनों कि बात है ये सब अपने आप चुप हो जायेंगे

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  7. स्थिति बहुत ही ख़राब है बड़े -बड़े अपराधीआज आजाद घूम रहे हैं जबकि सरकार छोटी -मोटी उलझनों को ही सुलझाने में लगी है या फिर यों कहिए कि अपने विरुद्ध आवाज उठाने वालों को ही निपटाने में व्यस्त है सार्थक मुद्दा

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  8. Ek choohe ko marna hee ho to kya atom bomb to zarooree nahee? Hansi aatee hai sab sun padhke....aur man nirash bhee ho jata hai.

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  9. @इस देश में आधे से ज्यादा पासपोर्ट फर्जी ही निकलेंगे|

    पासपोर्ट तो पता नहीं, मगर फ़र्ज़ी जन्मतिथियाँ तो लगता है देश भर में बिखरी पडी हैं, पिछले दिनों शायद सेनाध्यक्ष की दो जन्मतिथियों का संशय चल रहा था।

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  10. मेरी जानकारी में तो शायद ही कोई है जिनकी जन्मतिथि इधर-उधर नहीं है। आप तो मेरे खयाल से परिचित हैं ही लेकिन सवाल गम्भीर तो है ही कि सरकार को इसी समय जाँच करवाने की क्यों सूझ रही है। वजह तो सब जानते हैं। लेकिन समाधान सुझाइए। उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर किया जाय कि इन सब दुष्टों की भी जाँच हो। और एकपक्षीय क्यों सबकी हो राहुल की भी हो, सोनिया की भी हो लेकिन हम इसके लिए क्या करें। कोई उपाय हो तो सुझाइए। अब ब्लाग पर तो कुछ कर नहीं सकते।

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