मित्रों मैंने पिछली पोस्ट बुद्धुजीवियों की बयानबाजी से परेशान हो कर लिखी थी| अभी भी ऐसी ही बयानबाजियों का दौर चल रहा है| कुछ तो मुझसे सबूत मांग रहे हैं कि किस आधार पर मैं बार बार कांग्रेस व सोनिया पर आरोप लगा रहा हूँ| एक वामपंथी कार्यकर्ता ने तो मुझे पिछले दिनों तिहाड़ जेल की सजा सुना दी (यहाँ देखें)|
तिहाड़ जेल भी भेज दो, मुझे कोई आपत्ति नहीं है|
सबूत मांगने वालों को मैंने अपनी एक पोस्ट पढाई जिसे मैंने करीब दो महीने पहले लिखा था| उस समय मेरे ब्लॉग पर पाठकों की संख्या नहीं के बराबर थी| अभी पिछले कुछ दिनों से यहाँ नियमित रूप से कुछ पाठकों का आना हो रहा है| क्यों कि मैं अपने ब्लॉग को समय नहीं दे पाता| कुछ दिनों से इतना व्यस्त नहीं हूँ अत: कुछ समय अंतराल में नयी पोस्ट लिख देता हूँ, जहाँ पहले महीने में एक बार ही लिख पाता था|
टिप्पणियां भी करने का समय मिल जाता है जो पहले नहीं कर पाता था| ब्लॉग लिखना व अन्य ब्लॉग पढना व उन पर टिप्पणियां करना अच्छा लगता है किन्तु समयाभाव के कारण ऐसा हमेशा नहीं कर पाता| अभी कुछ दिनों बाद शायद फिर से कुछ दिनों के लिए ब्लॉग से दूर होना पड़े|
दरअसल मैं यहाँ ब्लॉग लिखने नहीं आया था| ना ही मैं यहाँ लेखक बनने आया था| मैं कोई लेखक नहीं हूँ| ब्लॉग तो केवल अपनी बात सब तक पहुंचाने के लिए ही लिख रहा हूँ| यह मात्र एक साधन है| किन्तु आवश्यकता पड़ने पर साधनों को बदला भी जा सकता है| मुझे ब्लॉग की प्रसिद्धि की महत्वकांक्षा नहीं है| हाँ अपने लिए लोगों का प्यार देखकर ख़ुशी जरुर मिलती है|
खैर मैं यहाँ सबूत की बात कर रहा था| दो महीने पहले मैंने जो पोस्ट लिखी थी उसे कुछ ही लोगों ने पढ़ा| मीडिया में भी इसपर कोई खबर नहीं आई| खैर मीडिया से ऐसी अपेक्षाएं रखना व्यर्थ है|
एक बहुत बड़ा सच जो अभी तक अधिकतर भारतवासियों की दृष्टि से दूर है, उसे यहाँ रखना चाहता हूँ| शायद कुछ लोग इसके बारे में जानते होंगे| मुझे इसके बारे में जानकर गहरा सदमा लगा था| यह पोस्ट मैं ट्रेन में बैठा लिख रहा हूँ| अपनी एक पुरानी पोस्ट को यहाँ रख रहा हूँ|
मित्रों अब मुझे पूरी तरह से विश्वास हो गया है कि इस देश को कोई माफिया ही चला रहा है| आज सुबह (१५ अप्रेल २०११) ही चौथी दुनिया पर मैंने डॉ. मनीष कुमार (सम्पादक चौथी दुनिया) व श्री विश्व बंधू गुप्ता (पूर्व आयकर आयुक्त) की वार्ता देखी| चर्चा का मुख्य विषय था...
१.रिजर्व बैंक के खजाने तक नकली नोट कैसे पहुंचे?
२.सीबीआई ने रिजर्व बैंक में क्यों छापा मारा?
३.इस खुलासे के बाद यूरोप के देशों में क्यों भूचाल आया?
मेरे विचार से यह मामला नकली नोटों पर अब तक का सबसे बड़ा खुलासा है| जो श्री विश्व बंधू गुप्ता जी के कठिन परिश्रम और ईमानदारी से सामने आया है|
सबसे पहले बात करते हैं कि रिजर्व बैंक के खजाने तक नकली नोट कैसे पहुंचे?
अगस्त २०१० को सीबीआई ने मुंबई के रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के वाल्ट पर छापा मारा| उसे वहां पांच सौ व हज़ार के नकली नोट मिले (ध्यान दें इस घटना को एक वर्ष पूरा होने वाला है किन्तु कहीं किसी को इस बात की खबर भी नहीं है)| जांच में सीबीआई ने वहां के अधिकारियों से पूछताछ की| इस छापे का मुख्य कारण दरअसल यह था कि इससे पहले सीबीआई ने नेपाल सीमा पर देश के करीब साठ-सत्तर बैंकों पर छापा मारा| जांच एजेंसियों को सूचना मिली थी कि पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई नेपाल के रास्ते भारत में नकली नोटों का कारोबार चला रही है| नेपाल-भारत सीमा पर सभी बैंकों में नकली नोटों का लेन देन हो रहा है| आईएसआई के द्वारा ५०० का नोट २५० में बेचा जा रहा है| छापे में बैंकों के खजाने में ५०० व १००० के नकली नोट मिले| बैंक अधिकारियों की धर पकड़ व पूछताछ में उन्होंने रोते हुए अपने बच्चों की कसमें खाते यह कहा कि हम इस विषय में कुछ नहीं जानते| हमें तो यह नोट रिजर्व बैंक से प्राप्त हुए हैं| यदि यह किसी एक बैंक का मामला होता तो सीबीआई इन बैंक अधिकारियों को बंदी बना लेती, किन्तु यहाँ तो सभी बैंकों का यह हाल था| अत: इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता था की ये नोट रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया से आये हैं|
इसकी जांच के लिए सीबीआई ने जब रिजर्व बैंक के वाल्ट पर छापा मारा तो उसके होश उड़ गए| रिजर्व बैंक के खजाने में ५०० व १००० के नकली नोट मिले| इसकी और अधिक जांच करने पर पता चला कि ये वही नकली नोट हैं जो आईएसआई के द्वारा नेपाल के रास्ते भारत में पंहुचाये जा रहे हैं|
ये नकली नोट देखने में बिलकुल असली लगते हैं, केवल एक मामूली सा अंतर है जिसे पकड़ पाना बेहद कठिन है| दरअसल जब उत्तर प्रदेश व बिहार के बैंकों में छापा मारा गया तो केस अदालत पहुंचा, जहाँ इन नोटों को जांच के लिए सरकारी लैबों में भेजा गया| वह से रिपोर्ट आई कि ये नोट असली हैं| अब सीबीआई परेशान हो गयी कि यदि ये नोट असली हैं तो ५०० का नोट २५० में कैसे मिल सकता है? इसके बाद इन्हें जांच के लिए टोक्यो व हांगकांग की सरकारी लैबों में भेजा गया, वहां से भी यही रिपोर्ट आई कि नोट असली हैं| फिर इन्हें अमरीका भेजा गया और अमरीकी जांच में पता चला की यह नोट नकली हैं| अमरीकी लैब ने यह बताया कि इन नकली नोटों में एक छोटी सी छेड़छाड़ की हुई है जिसे कोई छोटी मोटी संस्था नहीं कर सकती बल्कि नोट बनाने वाली कोई बेहतरीन कंपनी ही ऐसे नोट बना सकती है| अमरीकी लैब ने भारतीय जांच एजेंसियों को पूरे प्रूफ दे दिए और असली नकली नोट में अंतर को पहचानने का तरीका भी सिखाया|
अब सवाल यह था कि आईएसआई द्वारा नेपाल के रास्ते भारतीय बैंकों में पहुंचाए गए ५०० व १००० के नकली नोट बिलकुल वैसे ही हैं जैसे रिजर्व बैंक के खजाने में मिले, तो क्या आईएसआई की पहुँच रिजर्व बैंक तक है? क्योंकि दोनों नोटों का पेपर, इंक व उनकी छपाई एक जैसी ही थी|
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि भारत के ५०० व १००० के नोटों की डिजाइन व क्वालिटी कुछ ऐसी है जो की आसानी से नहीं बनाई जा सकती| फिर आईएसआई ने यह नोट कैसे बना लिए क्योंकि पाकिस्तान के पास तो वैसी टेक्नोलॉजी ही नहीं है|
अब या तो जो संस्था आईएसआई को यह नोट पहुंचा रही है वही रिजर्व बैंक तक भी अपनी पहुँच रखती हो, या फिर आई एस आई की पहुँच रिजर्व बैंक तक हो गयी है| दोनों ही परिस्थितियों में देश के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है| और उससे भी गंभीर बात यह है कि ये नोट कौनसी कंपनी बना रही है?
जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि ये नकली नोट डे ला रू नाम की कंपनी बना रही है| जी हाँ वही कंपनी जो भारत के लिए असली नोट छापती है| विश्व बंधू गुप्ता की बात सही है कि दुनिया में केवल ६-७ ऐसे देश हैं जो चाँद तक अपने उपगृह पहुंचाने में सफल हुए हैं| चंद्रयान छोड़ने के बाद भारत भी इन देशों में शामिल हो गया है| इतने आधुनिक तकनीक होने के बाद भी क्या हम अपनी कोई कंपनी नहीं बना सकते जो नोट छापे? उसके लिए भी विदेशों के पास जाना पड़ेगा?
डे ला रू की कमाई का २५ प्रतिशत हिस्सा भारत से कमाया जाता है| डे ला रू का सबसे बड़ा करार रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के साथ है| यह कंपनी आरबीआई को स्पेशल वाटर मार्क वाला बैंक पेपर नोट सप्लाई करती थी| यह खबर आते ही यूरोप में हंगामा मच गया| डे रा रू के शेयर नीचे गिरने लगे|आरबीआई से अपनी डील को बचाने के लिए कंपनी ने अपनी गलती मानी और १३ अगस्त २०१० को कंपनी के चीफ एक्ज़ीक्यूटिव जेम्स हसी को इस्तीफा देना पड़ा| कंपनी में अभी तक जांच चल रही है किन्तु आरबीआई खामोश है, हमारी संसद आज तक खामोश है| और इतनी खामोश है कि देश की मीडिया से यह बात छुपी रह गयी या मीडिया के मूंह में बोटी ठूंस कर उसे चुप करा दिया | और इतना बड़ा काण्ड देश की जनता के सामने आने से रह गया|
सबसे सनसनीखेज व शर्मनाक बात जो इस तहकीकात में सामने आई वह यह है कि २००५ में सरकार की अनुमति से डे ला रू कैश इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम से यह कंपनी दिल्ली में रजिस्टर्ड हुई थी| २००४ में यूपीए प्रथम की सरकार केंद्र में आई थी| आपको पता होगा कि क्वात्रोची छिपा बैठा है| सीबीआई उसे ढूंढ रही है| किन्तु २००५ में उसके बेटे मलुस्मा को अंडमान निकोबार में तेल की खुदाई का ठेका इसी सरकार ने दिया है| उसे १५ हज्जार एकड़ भूमि भी आबंटित की गयी है| ईएनआई इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड नाम से उसकी कंपनी भारत में रजिस्टर्ड है| जिस इटैलियन माफिया क्वात्रोची व उसके बेटे मलुस्मा को गिरफ्तार करना है, उसका दफ्तर दिल्ली के मैरेडियन होटल में है| किसी की इतनी हिम्मत नहीं जो उसे हाथ भी लगा दे| आखिर इटली से आया है न| देश के कुछ जिम्मेदार नागरिकों को याद होगा कि २००५ में ही इटली के आठ बैंक व स्विट्ज़रलैंड के चार बैंकों को भारत में व्यापार करने की अनुमति केंद्र सरकार ने दी थी| ये इटली के वो बैंक हैं जिन्हें वहां का माफिया चला रहा है| और ये स्विट्जरलैंड के वो बैंक हैं जिन्हें यूबीएस चला रहा है| अर्थात देश के गद्दार नेताओं का जमा किया हुआ काला धन व अंतर्राष्ट्रीय माफिया द्वारा कमाया गया काला धन मुंबई के स्टॉक मार्केट में पहुंचाया गया और उससे सट्टा खेला गया| और यह सब हुआ यूपीए सरकार की परमीशन से| मतलब सत्ता में आते ही इस भ्रष्ट सरकार ने अपना खेल खेलना शुरू कर दिया| देश को लूटने की इन्हें इतनी जल्दी थी कि ये खुद को एक साल के लिए भी रोक नहीं पाए|
मित्रों कांग्रेस को गालियाँ बाद में देंगे पहले बात करते हैं डे ला रू की| २००५ में यह कंपनी भारत में रजिस्टर्ड हुई| यह कंपनी करंसी पेपर के अलावा पासपोर्ट, हाई सिक्योरिटी पेपर, सिक्योरिटी प्रिंट, होलोग्राम और कैश प्रोसेसिंग सोल्यूशन में भी डील करती है| इसके अलावा यह भारत में असली नकली नोटों की पहचान करने वाली मशीन भी बनाकर बेचती है| मतलब जो कंपनी नकली नोट भारत में भेज रही है वही नकली नोटों की पहचान करने वाली मशीन भी बेच रही है, तो बताइये कैसे भरोसा किया जाए इन मशीनों पर? और इसी प्रकार यह पैसा आरबीआई के पास पहुंचा, देश के बैंकों व एटीएम तक पहुंचा| और आरबीआई के गवर्नर व हमारा वित्त मंत्रालय इन सब से अनभिज्ञ रहा| संभावनाएं दो ही हैं, कि या तो हमारा वित्त मंत्रालय निहायत ही मुर्ख व नालायक है या फिर वह भी इस लूट में शामिल है| सीबीआई के सूत्रों ने बताया कि डे ला रू का मालिक इटालियन रैकेट के साथ मिलकर देश में नकली नोट सप्लाई कर रहा है और पाकिस्तान के साथ मिलकर आतंकवादियों तक नकली नोट पहुंचा रहा है| यही नोट आईएसआई के द्वारा नेपाल के रास्ते से भारत में आ रहे हैं और आतंकवादी अपनी गतिविधियों को भी इन्ही के द्वारा अंजाम दे रहे हैं| यह सब किसके इशारे पर हो रहा है आप सोच सकते हैं| हमारी जांच एजेंसियां नकली नोटों के इस व्यापार को इस लिए नहीं रोक पा रही थी क्यों कि वे पाकिस्तान, नेपाल, हांगकांग, थाईलैंड, मॉरिशस व मलेशिया आदि से आगे सोच नहीं पा रहे थे| किन्तु यूरोप में इतना कुछ घटित हो गया और आरबीआई चुप है, वित्त मंत्रालय चुप है और भारत सरकार भी चुप है| सच्चाई यही है की देश में आतंकवादी गतिविधियों में मरने वालों के खून से सोनिया, मनमोहन, चिदंबरम व प्रणव मुखर्जी के हाथ रंगे हुए हैं| वरना क्या वजह रही कि डे ला रू की धोखाधडी उजागर होने के बाद भी उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी केवल उसके साथ डील तोड़ने के अलावा? क्यों इसे संसद में नहीं उठाया गया? डे ला रू से डील तोड़ कर चार अन्य कंपनियों के साथ डील कर ली गयी किसी को पता क्यों नहीं चला? किससे पूछ कर यह डील की गयी? इसके लिए संसद में बहस क्यों नहीं हुई?
डे ला रू का नेपाल व आईएसआई से क्या कनेक्शन है यह भी सुन लो| कंधार विमान अपहरण का मामला वैसे तो पुराना हो गया किन्तु एक व्यक्ति इस विमान में ऐसा था जिसके बारे में जानकर हैरानी हो सकती है| उसका नाम है रोबेर्तो गयोरी| यही आदमी डे ला रू कंपनी का मालिक है जिसे यह कंपनी अपने पिता से विरासत में मिली है| यह कंपनी दुनिया के ९० देशों के लिए नोट छपती है और आईएसआई के लिए भी काम करती है| इस आदमी की एक भी तस्वीर किसी के पास नहीं है| केवल एक तस्वीर है, अपहरण से छूटने के बाद उस विमान से उतरते हुए| रोबेर्तो गयोरी के पास एक ऐसा रसायन है जिसे वह अपने चेहरे पर लगा लेता है और उसके बाद कोई भी कैमरा उसकी तस्वीर नहीं उतार सकता| विमान अपहरण के समय दो दिन विमान में रहने के बाद उसका वह रसायन ख़त्म हो गया और उसकी तस्वीर कैमरा में आ गयी| उस विमान में यह आदमी दो महिलाओं के साथ यात्रा कर रहा था| दोनों महिलाओं के पास स्विट्ज़रलैंड की नागरिकता थी| स्वयं रोबेर्तो गयोरी के पास भी दो देशों की नागरिकता है, एक स्विट्ज़रलैंड व दूसरा इटली (देख लीजिये इन दो देशों का नाम तो हमेशा ही आता है)| नेपाल से उड़ान भरने के बाद जब विमान का अपहरण हुआ तो स्विट्ज़रलैंड के एक विशिष्ट दल ने भारत सरकार पर दबाव बनाना शुरू किया कि वह हमारे नागरिकों की सुरक्षा करे| इसी दल को स्विट्ज़रलैंड सरकार ने हाईजैकर्स से बातचीत करने कंधार भी भेजा| सभी यात्री विमान में घबराए हुए थे जबकि रोबेर्तो गयोरी विमान के पिछले हिस्से में बैठा आराम से अपने लैपटॉप पर काम कर रहा था| उसके पास सेटेलाईट पेनड्राइव व फोन भी था| अब यह आदमी उस विमान में क्या कर रहा था, उसके पास यह सामान आतंकवादियों ने क्यों छोड़ दिया, नेपाल में ऐसा क्या था जो स्विटज़र लैंड का सबसे अमीर आदमी (जिसे दुनिया में करंसी किंग के नाम से जाना जाता है, क्यों की दुनिया में इतने बड़े लेवल पर वह करंसी निर्माण कर रहा है) वहां क्यों गया था, क्या नेपाल जाने से पहले वह भारत में भी आया था? आदि कई सवाल हैं जिनके जवाब शायद आप खुद ही जान सके हों|
मित्रों इतना सब कुछ होने के बाद भी यदि इस भ्रष्ट कांग्रेस, व एंटोनिया मायनों पर आपका विश्वास है तो भगवान् ही बचाए इस देश को| यह तो भला हो विश्व बंधू गुप्ता का जिन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर इतना बड़ा सच देश के सामने ला दिया| भगवान् उन्हें दीर्घायु प्रदान करे|
विश्व बंधू गुप्ता से डॉ. मनीष कुमार की बातचीत देखने के लिए यहाँ चटका लगाएं|
इसके अतिरिक्त विश्व बंधू गुप्ता का ही हसन अली व उसके सहयोगियों के खुलासे पर जल्दी ही एक पोस्ट लिखूंगा|
आप सभी स्वजनों से आग्रह है कि इस पोस्ट को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं| इस पर मेरा कोई कॉपी राईट नहीं है, सबको कॉपी करने का राईट है| आप इस पोस्ट को अपने ब्लॉग पर अपने नाम से भी लिख सकते हैं| मेरा उद्देश्य शोहरत हासिल करना नहीं है| सच सबके सामने आना बहुत ज़रूरी है...
आप सभी स्वजनों से आग्रह है कि इस पोस्ट को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं| इस पर मेरा कोई कॉपी राईट नहीं है, सबको कॉपी करने का राईट है| आप इस पोस्ट को अपने ब्लॉग पर अपने नाम से भी लिख सकते हैं| मेरा उद्देश्य शोहरत हासिल करना नहीं है| सच सबके सामने आना बहुत ज़रूरी है...
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जाते जाते एक दुखद सूचना जो आज सुबह ही मिली कि गंगा बचाओ आन्दोलन के लिए पहले ७३ दिन व बाद में ६८ दिन का अनशन करने वाले संत स्वामी निगमानंद अनंत में विलीन हो चुके हैं| वैसे तो भारतीय अध्यात्म परंपरा में संत व अनंत एक सामान ही है| स्वामी निगमानंद सही अर्थों में गंगा पुत्र थे|
वैसे तो एक संत का जीवन लेखनी से लिखना बेहद कठिन कार्य है| शब्दों का भी आभाव पड़ सकता है| किन्तु इनके विषय पर कुछ लिखने की इच्छा है| जल्दी ही एक पोस्ट स्वामी निगमानंद के लिए भी लिखने की कोशिश करूँगा|
विश्व बंधु गुप्ता का एक पेनल डिस्कशन मैंने देखा था उसमें उन्होंने कुछ बातों का जिक्र किया था। लेकिन आज आपने विस्तार से सारा प्रकरण लिखा है जो आँखे खोल देने वाला है। लगता है भारत में न जाने कितने खौफनाक कार्य हो रहे हैं और जनता अभी भी इन्हें अपना माई-बाप मानकर पूज रही है।
ReplyDeleteYeah Jaan kari bahot hi sansani khej hai aur hum sabhi ko isse prakashit karni chahiye apne apne blog pe
ReplyDelete.
ReplyDeleteनिसंदेह आँखें खोल देने वाली जानकारी । इन कारस्तानियों का तो आम जनता को पता ही नहीं चलता। मीडिया को और सार्थक प्रयास करने चाहिए इस दिशा में। सारा कच्चा चिटठा अवश्य पहुंचना चाहिए आम जनता तक।
आपने कहा की unfollow करके दुबारा follow करूँ , लेकिन मुझे unfollow करना नहीं आता ।
कृपया बताएं।
वैसे मुझ तक फीड पहुंचे या न पहुंचे , मैं स्वयं ही आपके ब्लॉग पर आने वाली हर पोस्ट को चेक कर लेती हूँ। हां यहाँ आने में देर सबेर हो सकती है।
.
ऐसी जानकारियां लोगों तक पहुंचना आवश्यक हैं...... बहुत अच्छी और सचेत करती पोस्ट है...... आपके ब्लॉग का नया पता मिल गया है...... धन्यवाद
ReplyDeletehttp://india_resource.tripod.com/Hindi-Essays.html
ReplyDeletehttp://itihaasam.blogspot.com
पर भारत का गौरवशाली इतिहास पढ़ें।
ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए धन्यवाद .
ReplyDeleteस्वामी निगमानंद जी के निधन से गंगा बचाओ अभियान को करारा झटका लगा है .
बहुत जानकारी युक्त बातें बता कर आखें खोल दी आपने..........
ReplyDeleteसरकार की पोल खोलने और ऐसी अहम् जानकारियां हम तक पहुँचाने के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद आगे भी ऐसी पोस्ट जरुर लिखें
ReplyDeleteकमाल का ब्लाग लिखा है आपने दिवस जी। एक बढिय़ा लेख के लिए धन्यवाद। वैसे अपने दिल की बात कहूं तो यह बाबा शुरू से ही मुझे ढ़ोंगी लगता था। इस पर आंख मूंद कर विश्वास करने वालों को तो नहीं समझा सकता, कि अब तो बस करो। यह बनिया है शुद्ध रूप से अपनी दुकानदारी चलाने के लिए ढ़ोंग कर रहा था। इतने दिनों से। एक तरफ तो कहता था 200 साल तक जिंदा रहूंगा, और 9 दिन में ही टें बोल गये। मैं तो योग नहीं करता, पर सुना है योग करने वालों की इच्छाशक्ति जबरदस्त हो जाती है। खैर मैं भी थोड़ा बहुत लिख लेता हूं, कभी गौर फरमाइयेगा
ReplyDeleteब्लाग का लिंक भेज रहा हूं: मुसाफिर-आदित्या.ब्लॉगस्पोट.कॉम
जवाब दें
बहुत अच्छी और सचेत करती पोस्ट...स्वामी निगमानंद सही अर्थों में गंगा पुत्र थे....
ReplyDeleteये बात सच हो सकती है कि बाबा मौत से नहीं डरते हैं पर जिंदगी कोई १० रूपये का सडा हुआ नोट भी तो नहीं है कि इन हरामखोर भ्रष्टाचारीयों के जाल में फँसकर गवाँ दी जाये | सिर्फ मरना उद्देश्य नहीं है बेनामी जी, भ्रष्टाचार मिटाना उद्देश्य है , दिमाग नाम की चीज है कि नहीं आपमें
ReplyDeleteआप फॉण्ट को बड़ा करें और हर पेरेग्राफ के बाद २ से ३ लाइन छोडे ताकि अछे से पढ़ सके आपका लेख छोटे अक्षरों के कारन पढ़ने में दिक्कत होती है. और पढ़े बिना रहा भी नहीं जाता.
ReplyDeletenice
ReplyDeleteआदरणीय श्रीगोरसाहब,
ReplyDeleteइस आलेख के कुछ अंश मैं गुजराती आर्टिकल में उपयोग कस सकता हूँ। यह सच गुजरात में भी सब के सामने आना ही चाहिए ।
आपकी अनन्य देशभक्ति को शतशत सलाम ।
मार्कण्ड दवे।
mdave42@gmail.com
पहले पाकिस्तान से अब नेपालियों से भी बचना पडेगा नही तो पता नही किस किस भेस मे आ कर लोगों के बीच घुस पैठ कर लेंगे। अपने लोग तो आस्था मे यकीन रखते हैं इस लिये बाहर के लोग हमे बहका लेते हैं। बचो ऐसे लोगों से और खबरदार रहो दुश्मन घर के अन्दर ही हैं।
ReplyDeleteआदरणीय अजित गुप्ता जी आभार...इन भ्रष्टों के सभी काले कारनामे सबके सामने जरुर आएँगे...
ReplyDeleteचन्दन भाई आपके लिंक देखे...भारत का गौरव शाली इतिहास के लिए आपका लिंक बहुत शानदा लगा...किन्तु कुछ लिंक स्वामी रामदेव व अन्ना को बदनाम करते प्रतीत होते हैं...मुझे नहीं पता कि aapko स्वामी रामदेव से घृणा क्यों है? आशा करता हूँ कि एक दिन आप उनके पवित्र उद्देश्यों को मानेंगे...
दिव्या दीदी व मोनिका दीदी यह काली कारस्तानियाँ सबके सामने अवश्य आएंगी, सबका कच्चा चिटठा खुलेगा...आप बस देखती जाइए व राष्ट्र आराधन करती रहें...
आदरणीय अशोक बजाज जी आभार...
आदरणीय मदन शर्मा जी आपने बेनामी को बिलकुल सही उत्तर दे दिया है...बेनामी से इतना ही कहना चाहूँगा कि पूर्वाग्रहों से ग्रसित न हों, दिमाग लगा कर सोचें कि क्या चल रहा है इस देश में...
आदरणीय संध्या शर्मा जी आपका बहुत बहुत आभार...ब्लॉग पर आपका स्वागत है...
@blogtaknik आपका सुझाव अच्छा है...आने वाली पोस्ट बड़े फॉण्ट में लिखूंगा...इस सुझाव के लिए आपका धन्यवाद...
आदरणीय सुमन जी आभार...
आदरणीय मार्कंड दावे जी...आप इस लेख की पंक्तियों का उपयोग अपने लेख में करेंगे तो मुझे ख़ुशी होगी...आप ऐसा अवश्य करें...आपका आभार...
अपना मेल देखिए अपने किताब का एक अध्याय और पूर्व में राजीव दीक्षित से संबन्धित कुछ चीजें भेजी हैं। किसी भी व्यक्ति के लक्ष्यों और चरित्र के बारे में जानना या खोजबीन करना अगर गलत हो तो मैं यह गलती करने को तैयार हूँ। रामदेव से मुझे बिलकुल घृणा नहीं है। इस बारे में आपसे व्यक्तिगत मेलों के जरिए बात करनी पड़ेगी। मैं आपकी या किसी अन्य देशभक्त लोगों की श्रद्धा का निश्चय ही सम्मान करता हूँ लेकिन आपलोग सही उद्देश्य और गलत नेतृत्व में फँस गए हैं। ऐसा मुझे लगता है। मेरी अपनी सोच है और कोई उसे गलत या सही कहे तो शायद यह ठीक नहीं। मैं लोगों की टिप्पणियाँ देखता हूँ। लोग बुद्ध, विवेकानन्द, गाँधी जी और भगतसिंह को याद करें।
ReplyDeleteबहुत बारीकी से पैनी नजर के साथ आपने इस प्रकरण में प्रकाश डाला है... हमें ऐसे लोगो को पहचान कर तदानुकूल व्यवहार से अपने और अपने देश को बचाना होगा... जय भारत माँ..
ReplyDeleteनिसंदेह आँखें खोल देने वाली जानकारी है। आप का स्वागत है और आप मेरे ब्लॉग के समर्थक बने उसके लिए आप का बहुत-बहुत आभार !!
ReplyDeleteधन्यवाद...
बहुत ही गहराई की बात !
ReplyDeleteदिवस भाई
ReplyDeleteआपने इतना कुछ लिखा अपने ब्लोग्स में १ साल होने को आ रहा है पर आज भी २% लोगो को भी इस सच का पता नहीं है |
क्या इन्टरनेट के अलावा ऐसा कोई माध्यम हमारे देश में नहीं रह गया है जो भ्रस्टाचार से बचा हो और जिसके माध्यम से यह सब आम जनता तक पहुँचाया जा सके ,खासतौर से उस जनता तक जो आँख मूंद कर कांग्रेस पार्टी और गाँधी के नाम से ही वोट करती आई है |
इस भ्रष्ट मीडिया का कोई विकल्प नहीं हैं |
क्या कांग्रेस के अलावा अन्य दल दोषी नहीं है इन सब के लिए, क्यूँ नहीं हमारे देश में एक ससक्त और देशभक्त विपक्ष नहीं बन पाया आजादी के ६५ सालो बाद भी,
इसके लिए हम लोग भी दोषी हैं जो सिर्फ इन्टरनेट पर ही लिखना और पढना चाहते हैं अपनी सुविधा के अनुसार |
दिवस भाई
ReplyDeleteयह तो पुरानी खबर है तब यहाँ के समाचार पत्रों में पढ़ा था मैंने इसके बारे में पर इसका इटली कनेक्शन आज ही ज्ञात हुआ आपका लेख पढ़कर
हमारे यहाँ के भी कुछ बैंको में यह प्रकरण सामने आया था,पर कई करोड़ के नकली नोट बैंको से बरामद होने के बाद भी इस खबर को २ दिन से ज्यादा किसी अख़बार में प्रमुखता नहीं दी गयी |
संदेह तो हुआ था की कुछ गड़बड़ है और बड़े स्तर पर है,आज उसपे से पर्दा उठ गया |
धन्यवाद इस ज्ञानपूर्ण संकलन लेख के लिए |