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Friday, June 10, 2011

बुद्धुजिवियों की बयानबाजी, राष्ट्रद्रोहियों से भरी कांग्रेस, बाबा का स्वास्थ्य बिगड़ा, हम बाबा को कुछ नहीं होने देंगे

मित्रों दिल्ली में उस काली रात बाबा रामदेव के आन्दोलन का दमन इस बर्बरता से होने के बाद भी कई बुद्धूजीवी पता नहीं क्या क्या कहते जा रहे हैं| यह एक ऐसा वर्ग है जिनका नामकरण तो बुद्धिजीवी के नाम से हुआ था किन्तु इन्हें बुद्धूजीवी नाम ज्यादा सूट करता है|
बुद्धू जीवी ऐसे प्राणी होते हैं जो आजकल कांग्रेस, वामपंथ आदि अन्य सेक्युलर दलों में बहुतायत पाए जाते हैं| इसके अतिरिक्त अभी भी कुछ बुद्धूजीवी समाज में स्वतंत्र विचरण करते हुए देखे जा सकते हैं|
मुख्यत: ये दो प्रकार के होते हैं-

१. वे जीव जो अपने ज्ञान(?) के आधार पर गहरा शोध(?) करते हैं व उस शोध के अनुसार एक निष्कर्ष जल्दी ही निकाल लेते हैं| यह निष्कर्ष प्राय: भविष्यवाणी सा ही प्रतीत होता है|
(अब देख लो, कैसा समय आ गया है, इतने ज्ञानी लोगों को भी बुद्धूजीवी कहना पड़ रहा है|)

२. वे जीव जो पूरी तरह से अज्ञानी होने के बाद भी अपना ज्ञान झाड़ने व थोड़ी सी पब्लिसिटी के लिए बिना किसी बात के निष्कर्ष निकाल रहे हैं|
(अब इन्हें बुद्धूजीवी न कहें तो और क्या कहें?)

उस काली रात के बाद आज तक ये जीव भाँती भाँती की बयानबाजी कर चुके हैं| बहुतेरे मिले तो ऐसे, जिनका कोई पैन्दा ही नहीं है| पता नहीं चाहते क्या हैं? जब जहाँ दिल किया लुढ़क लेते हैं|

जब से दिल्ली से लौटा हूँ, ऐसे कई बुद्धुजिवियों से सामना हो चूका है| इनसे बात करने बैठें तो अपना ही सर पीटने का मन करता है कि किस मुर्ख से माथा मार रहे हैं?

सबसे पहले बुद्धुजिवियों ने जो प्रश्न किया वह उस चिट्ठी से सम्बंधित था जिस पर आचार्य बालकृष्ण ने हस्ताक्षर किये थे| अब अव्वल तो यही समझ नहीं आता की उस पत्र में ऐसा क्या था जो इतना विवाद खड़ा कर रखा है? दरअसल मीडिया ने जो दिखा दिया उसी को Universal Truth मान बैठे हैं| किन्तु जब बात शाहरुख खान या सलमान खान की आती है तो कहते हैं कि मीडिया उन्हें बदनाम कर रहा है|

चार जून की शाम बाबा रामदेव ने हमें उस पत्र के विषय में पहले ही बता दिया था जिसे यह सरकार बाबा रामदेव के विरुद्ध एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही थी| दरअसल जब स्वामीजी से बात करने के लिए उन्हें होटल में बुलाया गया तो यह पत्र उन्हें दिखाया गया| पत्र में लिखा था कि यदि हम ६ जून को आपकी सभी मांगे मान लें तो क्या आप अनशन तोड़ देंगे? इस पर स्वामीजी ने कहा की यह कैसा प्रश्न है? मुझे अनशन करने का कोई शौक तो है नहीं| आप अभी मेरी मांगे मान लो तो मैं अनशन पर बैठूँगा ही नहीं| तो फिर पत्र पर हस्ताक्षर करने की बात ही क्या है?
इस पर सरकार का कहना था की हमे प्रधान मंत्री को भी कुछ जवाब देना होता है, अत: औपचारिकता के लिए इस पर हस्ताक्षर कर दें| अत: आचार्य बालकृष्ण ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए| पत्र में स्वामीजी ने साफ़ साफ़ यह स्पष्ट कर दिया था कि हमारी मांगे पूरी होने पर ही हम आन्दोलन रोकेंगे| यदि हमारी एक भी मांग नहीं मानी गयी तो अनशन जारी रहेगा|

इस पत्र को सरकार ने भांड मीडिया के द्वारा यह कहकर प्रचारित करवाया कि हमारा तो स्वामी रामदेव से समझौता हो गया है और उन्होंने ६ जून को अपना अनशन तोड़ने की बात पर हस्ताक्षर कर दिए हैं|

बुद्धूजीवी मुझसे कहते हैं कि टीवी पर वह पत्र दिखाया गया है तो मैंने उनसे पूछा क्या तुमने उसे पूरा पढ़ा? क्या टीवी पर पत्र दिखाते समय उसे पढने जितना समय दिया? यदि नहीं तो पेट में मरोड़े क्यों उठ रहे हैं?
वे तो यहाँ तक कहने लगे की जब सरकार से पूरी बात हो गयी कि ६ जून को मांगे मान ली जाएंगी तो केवल अपनी जिद के लिए अनशन करना कहाँ तक उचित है?
अब बताइये इनका बुद्धिबल देखकर माथा न पीटें तो और क्या करें?

बाबाजी के हस्ताक्षर से क्या होना है? जवाब उन्हें देना जो सरकार में बैठे हैं बाबाजी को नहीं| हस्ताक्षर उन्हें करना है जो सरकार में बैठे हैं बाबाजी को नहीं| बाबा रामदेव ने यह स्पष्ट कर दिया था कि जब तक सरकार लिखित में हमारी मांगे नहीं मानेगी हम आन्दोलन नहीं रोकेंगे|

फिर किसी प्रकार चिट्ठी पर सवाल उठाने वाले बुद्धुजीवियों की संख्या घटने लगी पर शीघ्र ही नए बुद्धूजीवी एक और नयी समस्या ले कर हाज़िर हैं|
एक साईट पर मेरे एक लेख पर एक टिप्पणीकार ने तो बाबा रामदेव को चूड़ियाँ पहनने की सलाह दे डाली|
टिपण्णी इस प्रकार है-
"बाबा का चोरी और सीनाज़ोरी का अँदाज़ भी बड़ा निराला है। अब वे अपने हर कृत्य को कुछ राजनीतिक दलों की शह पर ग्लैमर का जामा पहनाने पर उतारु हैं। एक नेताजी ने किसी चैनल पर बोलते हुए क्ल्यू दे दिया, तो अब बाबाजी ने अपने सुर बदल दिये। कल तक तो जान बचाने के लिये “माताओं-बहनों” के कपड़े मजबूरन इस्तेमाल करने की दुहाई देने वाले बाबाजी अब तेवर दिखा रहे हैं। अब वे पुलिस पर चीर हरण का आरोप लगा रगे हैं। वे इतने पर ही नहीं रुकते। वे सरकार पर पँडाल को लाक्षागृह बनाने, बम फ़ेंकने, उनकी हत्या या एनकाउंटर करने का षडयंत्र रचने का आरोप भी लगा रहे हैं।
देश का नेतृत्व करने की चाहत रखने वाला बाबा खाकी के रौब से इतना खौफ़ज़दा हो गया कि अपने समर्थकों को मुसीबत में छोड़कर भेस बदलकर दुम दबाकर भाग निकला। ऎसे ही आँदोलनकारी थे, देशभक्त थे, क्राँतिकारी थे, तो मँच से शान से अपनी गिरफ़्तारी देते और भगतसिंग की तरह “रंग दे बसंती” का नारा बुलंद करते।"
लेख का लिंक यहाँ है|

ऐसे बुद्धुजीवियों को क्या कहना जो अपने ड्राइंगरूम में बैठकर कोरी बकवास पेलना जानते हैं| यदि इतने ही साहसी हैं तो सड़क पर उतरकर चार लाठियां अपने सीने पर खाएं| खुद में दो टके का जिगरा नहीं और बाबाजी को मर्दानगी सिखाने चले हैं|

दूसरी बात किसी भी सेना का सेनापति महत्वपूर्ण होता है| उसकी अनुपस्थिति में सेना का विजयी होना असंभव सा है| अत: सैनिक अपनी जान देकर भी सेनापति की रक्षा करता है| यहाँ बाबा रामदेव हमारे सेनापति हैं| वे किसी भी परिस्थिति में वहां से जाने को तैयार नहीं थे| लोगों ने उनकी रक्षा के लिए जबरदस्ती उन्हें वहां से भेजा| यदि उस रात स्वामी जी को कुछ हो जाता तो यह आन्दोलन तो कभी का ख़त्म हो गया होता|

इसी प्रकार आचार्य बालकृष्ण के साथ भी यही हुआ| वे अंतिम क्षण तक वहीँ छिपे रहे| टीवी पर जब उन्हें रोते देखा तो यह लगा की सन्यासियों के इस देश में सन्यासियों का ऐसा अपमान कहाँ तक उचित है?

यदि स्वामी रामदेव को मरने का इतना ही भय होता तो आज तक वे अपना आन्दोलन क्यों चला रहे हैं| क्यों वे छठे दिन भी भूखे बैठे हैं|
India TV के रजत शर्मा के शब्दों पर यहाँ ध्यान देना आवश्यक है|
रजत शर्मा के शब्द कुछ इस प्रकार हैं-

"‎5 जून को स्वामी रामदेव ने मुझसे पूछा था कि क्या ऐसा हो सकता है कि पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश करे ? मैंने उनसे कहा कि कोई भी सरकार इतनी ब़ड़ी गलती नही करेगी “लेकिन कुछ ही घंटे बाद सरकार ने मुझे गलत साबित कर दिया.मैंने स्वामी रामदेव को अपने सहयोगी के कंधे पर बैठकर बार-बार पुलिस से ये कहते सुना- "यहां लोगों को मत मारो, मैं गिरफ्तारी देने को तैयार हूं"...लेकिन जब सरकार पांच हजा़र की पुलिस फोर्स को कहीं भेजती है तो वो फोर्स ऐसी बातें सुनने के लिए तैयार नहीं होती.
जब दिन में स्वामी रामदेव ने मुझे फोन किया था तो उन्होंने कहा था कि किसी ने उन्हें पक्की खबर दी है कि ''आधी रात को हजारों पुलिसवाले शिविर को खाली कराने की कोशिश करेंगे'' और ये भी कहा कि ''पुलिस गोली चलाकर या आग लगाकर उन्हें मार भी सकती है''...मैंने स्वामी रामदेव से कहा था कि ''ऐसा नहीं हो सकता-हजारों पुलिस शिविर में घुसे ये कभी नहीं होगा और आप को मारने की तो बात कोई सपने में सोच भी नहीं सकता''...रात एक बजे से सुबह पांच बजे तक टी वी पर पुलिस का तांडव देखते हुए मैं यही सोचता रहा कि रामदेव कितने सही थे और मैं कितना गलत...ये मुझे बाद में समझ आया कि स्वामी रामदेव ने महिला के कपड़े पहनकर भागने की कोशिश क्यों की...उन्होंने सोचा जब पुलिस घुसने की बात सही है लाठियां चलाने की बात सही है तो Encounter की बात भी सही होगी|"

अगली बात कांग्रेस की जिसने इस देश को बरबाद करने की प्रतिज्ञा ले ली है| कांग्रेसी बुद्धुजीवियों में इस समय सबसे ऊपर हैं दिग्विजय| इनके नाम के आगे सिंह लगाना मैं उचित नहीं समझता|

इसे तो हर कार्य में संघ व भाजपा का हाथ लगता है| यदि किसी दिन इसके परिवार में किसी बच्चे का जन्म हो जाए तो वह कहेगा की इसमें संघ व भाजपा का हाथ है|
अभी यही सोच रहा था कि एक दो कौड़ी के पेंटर एम् ऍफ़ हुसैन के मरने की खबर आई है| शायद दिग्गी का नया डायलोग यही होगा कि इस महान चित्रकार की मृत्यु में संघ व भाजपा का हाथ है|

और यदि संघ व भाजपा बाबा रामदेव का साथ दे रहे हैं तो इसमें गलत क्या है? कहीं ऐसा तो नहीं कि कांग्रेसी यही सोचते हैं कि देश के लिए कोई भी निर्णय लेने का अधिकार केवल कांग्रेस का है|


भारत इस कांग्रेस व गांधी परिवार के बाप की जागीर नहीं है|


अभी तो भौंकते हुए दिग्गी ने बाबा रामदेव को महाठग की उपाधि तक दे डाली थी| आतंकवादियों को सम्मान व राष्ट्रवादियों का अपमान की कांग्रेस की इस नीति को वोट बैंक की राजनीति के अतिरिक्त और क्या कहें?
अभी भी भौंक रहा है की इसके धन की जांच होनी चाहिए| कल ही बाबाजी ने फिर से अपने ट्रस्ट की पूरी संपत्ति का ब्यौरा दे दिया है| फिर भी इसे और जांच करनी है|
संभल के रहना रे दिग्गी, अब हम तेरी जांच करेंगे|

इतना सब कुछ हो जाने के बाद कांग्रेस के चरित्र पर शंका न करना ही मुर्खता है| अभी कुछ महीनों पहले दिल्ली में मण्डी हाउस के समीप जब गिलानी व अरुंधती सरकार की नाक के नीचे पाकिस्तान जिंदाबाद व हिन्दुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे, तो कुछ कश्मीरी पंडितों ने इनका विरोध किया| उस समय इस सरकार ने गिलानी व अरुंधती को सुरक्षित शहर से बाहर निकलवा दिया व पुलिस ने कश्मीरी पंडितों को गिरफ्तार कर लिया|
उसी दिल्ली में जब बाबा रामदेव ने भ्रष्टाचार के विरोध में अहिंसक सत्याग्रह किया तो पुलिस ने हम पर लाठियां बरसाईं, आंसू गैस के गोले फैंके|
फिर भी यदि कोई बुद्धूजीवी इस कांग्रेस के कुचक्रों को नहीं समझ रहा तो वह बुद्धूजीवी नहीं है तो और क्या है? शायद इन्हें तब अक्ल आएगी जब यह लुटेरी सरकार अपने पुलिस रुपी गुंडों को इनके घर भेज कर लाठियां बरसाएगी|

खैर यह सब एक चुनौती के समान हैं| और यह चुनौती यदि मुझे परिस्थितियों ने दी है तो इससे पलायन कैसा? यहां आवश्यकता पलायन की नहीं पराक्रम की है| प्रसव का कष्ट तो होता ही है| निर्माण की पीड़ा भी होती है| परन्तु करना पड़ेगा|

इन सब बातों के अतिरिक्त कुछ अशुभ और भी है और वह यह कि बाबा रामदेव का स्वास्थ्य गिरता जा रहा है| पिछले छ: दिनों में उनका छ: किलो वजन कम हो गया है| आज दोपहर को उन्हें जबरन हरिद्वार से देहरादून ले जाया गया| जहाँ उन्हें ऑक्सीज़न देनी पड़ी| सत्रह डॉक्टरों की एक टीम उनका ध्यान रख रही है| स्वामी रामदेव ने अभी भी अनशन न तोड़ने की बात कही है| किन्तु डॉक्टर ने कहा है कि इन्हें बचाने के लिए इन्हें ग्लूकोज़ देना बहुत ज़रूरी है|

स्वामी जी से यही विनती है कि आप अपना अनशन तोड़ दें| हम आन्दोलन जारी रखेंगे| इस भ्रष्ट सरकार को आपकी मृत्यु से कोई फर्क नहीं पड़ेगा| फर्क हमें पड़ेगा| हमे आपकी आवश्यकता है| यदि आप नहीं हुए तो हमारा मार्गदर्शन कौन करेगा? कौन इस सेना को लड़ने के लिए प्रेरित करेगा?
अत: अब स्वयं कष्ट झेलने का समय गया| अब समय कष्ट देने का है| आप हमारे साथ हैं तो हम बड़ी से बड़ी सत्ता को चुनौती दे देंगे|
अब बस आप गांधी की भूमिका को त्याग कर आचार्य चाणक्य की भूमिका को स्वीकार करें|


12 comments:

  1. खुद में दो टके का जिगरा नहीं और बाबाजी को मर्दानगी सिखाने चले हैं|
    एक दो कौड़ी के पेंटर एम् ऍफ़ हुसैन के मरने की खबर आई है
    क्या असली बात कही है।



    अरे भाई बाबा को समझाओ कि मरने से कोई जंग नहीं जीती जाती है।

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  2. दिवस जी आपने बिलकुल सही कहा .........मैं इनको मूर्ख ही मानता हूँ .....जब शास्त्री मे पढ़ता था तो गुरुजी कहा करते थे की मूर्ख को टका दे दो लेकिन अक्ल देने की कोशिश मत करो ....अपना ई समय बर्बाद होगा .............ये सब इशी तरह के मूर्ख हैं ......वो बहुत उम्दा

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  3. दिवस जी इन बुद्दूजीवियों को इतनी मूर्खता कर लेने दो कि एक तो इनकी सिनाख्त हो जाय, दूसरे इनकी मंसाएँ खुल जाय, तीसरे इनके सारे भेद ये लोग अपने कुतर्कों से खोल दे।

    मैं तो छांट रहा हूँ ब्लॉग-जगत के कुत्सित कपटयुक्त मानसिकता को।

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  4. Congress to chaahati hi yahi hai ki kaise na kaise BABA mar jaaye... par sahi me hame Chanakya chahiye, aise dhananand ko khatm karne ke liye..
    If BABA is CURREPT/DHONGI/THAG ( as congressi says) then just try hunger for 7 days... not a single CURREPT/DHONGI/THAG (congressi) can do it for 3 days even for our nation...
    BABA is fighting for us... congress wants destroy our faith in our Leader...
    Dhoke me mat aana... Jaago INDIA Jaago...

    Sonia is holding Dimond membership in Swiss Bank account, so she never allow either Lokpaal Bill or any person, who wanted to declair her money as a national treasury. and our nation is governed by her...
    Diwas bhai, aapka lekh shaayad tathakathit Buddhijeevi (actull buddU-jeeviyon) ka vivek jaga de.. Saadhuwaad.

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  5. दिवस जी आपने सही सही कह ड़ाला की अरे दिग्गी कुत्ते तुझे आखिर कितनी बार बाबा की संपत्ति का हिसाब चाहिए अभी तेरा शक नहीं मिटा साले खुद चोरी करते हैं दूसरों को भी चोर ही समझते हैं, लग गया है तेरी ओकात का पता की तू भी नेहरु परिवार के बर्तन साफ़ करता था जयादा ना बोल वर्ना मैं और दिवस भाई मिलकर तेरी जांच छेड देंगे !की कहीं राहुल को सुसु टूटू ना करवाता हो कहीं कंधे पर शोपिंग करवाता हो ....हाँ

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  6. सहमत हूँ हर बात से.... गहन विश्लेषण और स्पष्ट लिए पोस्ट...

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  7. .

    प्रिय भाई दिवस ,

    जिस जज्बे के साथ आपने ये आलेख लिखा है , वो जज्बा और जिगर विरले ही किसी के पास होता है। धन्य हैं वे लोग जिन के पास देश-भक्ति का जज्बा होता है। अन्यथा पशु के समान पैदा हुए , इधर-उधर घास चरी और मर गए।

    मैं भी अपने आलेख पर आई टिप्पणियों को देखकर हतप्रभ हूँ। क्या वास्तव में इन्हें बुद्धिजीवी की संज्ञा दी भी जा सकती है ? ये लोग 'intention' पहचानना भी नहीं जानते । बाबा भ्रष्टाचार और काला धन के मुद्दे पर लड़ रहे हैं। जो बाबा के खिलाफ हैं वे या तो स्वयं भ्रष्टाचारी है अथवा नितांत स्वार्थी हैं। बाबा रामदेव जो कर रहे हैं , वो एक संत ही कर सकता है। देशभक्ति का जज्बा भी ईश्वरीय कृपा से पैदा होता है। पूर्वाग्रहों से ग्रसित कुतर्कियों को बाबा की देशभक्ति और गरीबों के लिए स्वास्थ्य और उनकी खुशहाली का जज्बा इतनी आसानी से नहीं समझ आएगा।

    ये देश आजादी के ६५ साल बाद भी गुलाम है। गुलाम है बहुत से so called भारतीयों की भी मानसिकता । दो टुकड़ों में बंटा हुआ है ये देश । आधा राष्ट्र सबको जोड़ना चाहता है , जबकि दूसरा आधा हिस्सा उन्हें तोड़ देना चाहता है । वो नहीं चाहता की भारत देश का विकास हो और खुशहाली आये।

    समय आ गया है की हम ऐसे लोगों को चिन्हित करते चलें । लोगों की टिप्पणियां उनके चरित्र और सोच का बेहतरीन प्रमाणपत्र होती हैं। इससे हमें लोगों की मानसिकता समझने में मदद मिलती है।

    आशीर्वाद,
    दीदी

    .

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  8. अंतिम पंक्ति में सारा निष्‍कर्ष निकल आया है कि आज चाणक्‍य की आवश्‍यकता है। आपने बुद्धिजीवी की व्‍याख्‍या की है असल में बुद्धिजीवी वह है जो बुद्धि से आजीविका चलाता हो। इसी कारण अधिकांश बुद्धिजीवी सत्ता की दलाली करते नजर आते हैं। जो प्रबुद्ध है वही व्‍यक्ति कभी भी सत्तापेक्षी नहीं होता। देश के सारे ही लाभ इन बुद्धिजीवियों को चाहिए, इन्‍हें जब लगता है कि हमारे लाभ छिन सकते हैं तब ये हाहाकार मचाने लगते हैं। इसलिए इन्‍हें ना तो व्‍यवस्‍था परिवर्तन चाहिए और ना ही सत्ता परिवर्तन।

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  9. ऐसे ही कई बुद्धुजिवियों से हम भी जूझ रहे है आपने शत प्रतिशत सही लिखा है . धन्यवाद

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  10. aaj mujhe ek aur bhudhhu jeevi k bare me jan kari mili ha...

    https://www.facebook.com/profile.php?id=1734614047#!/profile.php?id=1734614047

    inki profile pe aap iske praman dekh sakte ha.

    main inke bar me bas itna hi kahana chahunga "GET WELL SOON"

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  11. आपकी हर बात से सहमत हैं, बस अब बात विचार बहुत हो चुके हैं और सड़क पर उतर कर ही कोई भी परिणाम मिल सकता है, तथ्य तो हमारे पास भी बहुत हैं लेकिन सार केवल इतना है कि ये लड़ाई अब कुछ इस तरह हो चुकी है

    बहुराष्ट्रीय कम्पनियां + काला धन के पोषक और धारक + इसाइयत + देश को लूट ने वाले और घूसखोर + तथा कथित बुद्धिजीवी = बाबा रामदेव + भारत की आम जनता

    शंखनाद समूह है फेसबुक में, वहां बहुत से तथ्य मिल जायेंगे हमारी इस गणित के आधार के रूप में

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