Pages

Tuesday, June 7, 2011

बाबा रामदेव का आन्दोलन, बाबा के साथ हमारा अनशन, देश के नाम पर मर मिटने को तत्पर हम व अंग्रेजी सरकार के तुल्य कांग्रेस द्वारा हमारा दमन - एक आँखों देखा सच

मित्रों कहने को तो बहुत कुछ है, बहुत कुछ कहा जा भी चूका है| मैं बाबा रामदेव के आन्दोलन में शामिल था, अत: आज शाम को ही जयपुर पहुंचा हूँ| इसलिए इस विषय पर अभी तक कुछ लिख न सका| किन्तु अब जब समय मिला है तो कुछ ऐसी बातें, कुछ ऐसी यादें जो आन्दोलन से जुडी हैं उन्हें यहाँ रखना चाहता हूँ|
जो कुछ भी मैंने वहां अपनी आँखों से देखा, केवल वही सब सामग्री यहाँ रखूँगा| शायद लेख कुछ लम्बा खिंच जाए| क्योंकि मेरी स्मृति में केवल एक ही दिन के आन्दोलन से जुडी ऐसी बहुत सी यादें हैं जिन्हें भुला पाना या उनकी अनदेखी करना मेरे लिए संभव नहीं होगा| इस आन्दोलन में ऐसे बहुत से व्यक्तियों से मेरा परिचय हुआ, जिनका जिक्र यहाँ करना मेरे लिए आवश्यक है|
मैं ४ जून, शनिवार की सुबह दिल्ली के रामलीला मैदान में पहुंचा| अकेला ही गया था| जाने से पहले एक साथी हिंदी ब्लॉगर मित्र व राष्ट्रवादी विचारधारा के धनी व्यक्ति, भाई संजय राणा जी से मेरी बात हुई थी| संजय भाई हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन के निवासी हैं व ३ जून की रात्री को ही अपने दो मित्रों के साथ वे दिल्ली पहुँच गए थे| रामलीला मैदान में पहुँचते ही देखा कि हर दिशा से राष्ट्रवादी नारे लगाए जा रहे हैं| पूरा मैदान लोगों की भीड़ से खचाखच भरा हुआ है| इन लोगों को गिनना तो असंभव सा काम था| जहाँ तक मैंने अनुमान लगाया यह संख्या करीब डेढ़ लाख के आस पास थी| ऐसा नज़ारा देख कर मन प्रसन्न हो गया|
इसके बाद मैंने संजय भाई से संपर्क स्थापित किया| उनसे मिल कर बड़ा अच्छा लगा| शाम तक वे मेरे साथ रहे| शाम को उन्हें पुन: सोलन जाना था| इस अंतराल में हमारे बीच स्वामी रामदेव, अन्ना हजारे व राजिव भाई दीक्षित आदि लोगों पर बातचीत हुई| संजय भाई, राजिव भाई से काफी प्राभावित हैं| उन्होंने मुझे बताया कि वे राजिव भाई से मिलना चाहते थे किन्तु कभी मौका नहीं मिल सका| किन्तु मैं राजिव भाई से कई बार मिल चुका हूँ व उनके साथ थोडा समय भी बिताया है| इसी कारण संजय भाई मुझसे उनके विषय में अधिक बातें कर रहे थे|
संजय भाई के जाने से कुछ देर पहले ही करीब पचास वर्ष से अधिक आयु के एक सज्जन मेरे पास आए| वे आकर मुझसे बोले कि "बेटा मेरे मोबाइल में रीचार्ज ख़त्म हो गया है| मुझे एक जरूरी फोन करना है, क्या मैं तुम्हारे फोन का उपयोग कर सकता हूँ?" मैंने उन्हें अपना फोन दे दिया| फोन करने के बाद वे हमसे बैठ कर कुछ बातचीत करने लगे| बातों बातों में उन्होंने अपना परिचय मुझे दिया| उनका नाम तो मैं भूल गया किन्तु इतना याद है कि वे भारत स्वाभिमान के पानीपत जिला संयोजक हैं| वे भी मुझसे राजिव भाई के विषय में ही चर्चा करने लगे| उन्होंने मुझसे पुछा कि मैं कहां से आया व क्या करता हूँ? जब मैंने उन्हें अपना परिचय दिया तो वे कहने लगे कि बेटा तुम बड़े सौभाग्य शाली हो| मैंने उनसे कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि एक तो तुम राजिव भाई के संपर्क में रह चुके हो और दूसरा तुम एक युवा इंजिनियर हो| जहाँ तक मैं जानता हूँ इंजीनियरों का यह तबका काफी हद तक दिशा भ्रमित हो चुका है| इन्हें देश की कुछ नहीं पड़ी है| यह तुम्हे मिले संस्कार ही हैं जो तुम यहाँ आये व अकेले आये और इस आन्दोलन में बाबा रामदेव के साथ अनशन कर तुम अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हो| 
आन्दोलन में एक और ब्लॉगर मित्र, भाई तरुण भारतीय भी उपस्थित थे, किन्तु किसी कारणवश उनसे मिलना न हो पाया| शाम को संजय भाई के जाने के बाद मैं एक जगह जाकर बैठ गया| बाबा रामदेव मंच पर बैठे हुए सभी आन्दोलनकारियों को संबोधित कर रहे थे| हमारे बीच जगह जगह बड़े बड़े स्क्रीन लगे हुए थे| मैं भी एक स्क्रीन के सामने ही बैठा हुआ था| कई सन्यासी, मुस्लिम उलेमा आदि सब एक ही मंच पर उपस्थित थे| फिर भी भ्रष्टाचारी सरकार ने इस आन्दोलन को साम्प्रदायिक करार दिया|
मंच पर भोजपुरी फिल्मों के प्रसिद्द अभिनेता श्री मनोज तिवारी भी उपस्थित थे| कुछ देर बाद बाबा ने उनके साथ मिलकर एक बेहद ही सुन्दर गीत गाया| बाबा रामदेव व मनोज तिवारी की जुगलबंदी में यह गीत "मेरा रंग दे बसंती चोला" कुछ ज्यादा ही कर्णप्रिय लग रहा था| मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि बाबा रामदेव इतने अच्छे गायक भी हैं| इस गीत ने हम सब में इतना जोश भर दिया कि पूरे दिन के भूखे व थके हुए हम आन्दोलनकारी झूम झूम कर नाचने लगे| सच में कितना मनोहर दृश्य था वह|
कुछ समय बाद पांडाल में मंच के पास कुछ मीडिया कर्मी भी पहुँच गए| पता नहीं वे कौनसी मानसिकता से ग्रसित थे? दो कौड़ी के टुच्चे सवालों के साथ बाबा रामदेव को घेरने का प्रयास उनके द्वारा किया जा रहा था| किन्तु बाबा रामदेव ने सभी की बोलतियाँ भी बंद कर दीं| जनता ने भी इन मीडिया कर्मियों का विरोध किया|
इसके बाद पुन: राष्ट्रवादी गीतों की बहार छा गयी| रात करीब ९ बजे के बाद बाबा रामदेव ने सभी आनोलनकारियों से कहा कि अब वे पानी पीकर सो जाएं क्योंकि मैं सुबह चार बजे सभी को हल्का प्राणायाम करने के लिए उठा दूंगा| सुबह की प्रतीक्षा में हम सब हाथ मूंह धोकर सो गए|
रात करीब ११:१५ बजे मेरे एक छोटे भाई भुवन शर्मा (मेरी बुआ का बेटा) का जयपुर से फोन आया| उसने कहा कि वह भी सुबह दिल्ली पहुँच रहा है| कल से वह भी आन्दोलन में शामिल हो रहा है| उससे बात कर मैं पुन: सो गया|
रात में करीब १२:१५ बजे स्वामी जी की आवाज से मेरी नींद खुल गयी| स्वामी जी लाउड स्पीकर पर कह रहे थे "मेरे साथियों, रामदेव तुम्हारे बीच था और तुम्हारे बीच ही रहेगा|"
मुझे समझ नहीं आया कि बाबा कहना क्या चाहते हैं?
तभी बाबा रामदेव ने कहा " मेरे साथियों, यदि मैं गिरफ्तार हो जाऊं तो भी आप सब इस आन्दोलन को चलाए रखना||" मुझे यह आभास हो गया कि शायद कुछ गड़बड़ है| कहीं पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने तो नहीं आ गयी? तभी कुछ लोग मंच की तरफ भागे| भागते हुए वे कह रहे थे कि हम भी अपनी गिरफ्तारी देंगे| उठो साथियों दिल्ली की जेलें भर डालो| स्वामी जी अगर गिरफ्तार हुए तो हम भी अपनी गिरफ्तारी देंगे| तभी बाबा रामदेव की आवाज फिर आई| वे कह रहे थे "साथियों यदि तुम मुझसे प्यार करते हो तो मुझे वचन दो कि किसी भी परिस्थिति में पुलिस से नहीं भिड़ोगे| साथ ही मैं पुलिस से भी यह विनती करता हूँ कि मेरे साथियों पर किसी प्रकार का कोई हमला न किया जाए| हम पूरी अहिंसा के साथ अपना आन्दोलन कर रहे हैं| अत: किसी प्रकार की हिंसा से इसे कलंकित मत होने देना| साथ ही मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि मेरे गिरफ्तार होने पर भी आप लोग इस आन्दोलन को चलाए रखना|"
अब माजरा समझ आने लगा था| मेरे पास कन्धों पर लटकाने वाला एक छोटा सा बैग था जिसमे मेरे एक जोड़ी कपडे व एक तौलिया रखा था| कन्धों पर अपना बैग लटका मैं भी मंच की तरफ भागा| जब मैं मंच पर पहुंचा तो देखा कि बाबा रामदेव बारह फीट ऊंचे मंच से छलांग लगा रहे हैं| छलांग लगाने के बाद एक कार्यकर्ता ने उन्हें अपने कन्धों पर उठा लिया| वहीँ से वे जनता को संबोधित करने लगे| इधर उधर देखा तो पुलिस के सैंकड़ों सिपाही मैदान में प्रवेश कर चुके थे| पुलिस स्वामी जी की ओर बढ़ रही थी| मंच पर चढ़कर पुलिस ने सन्यासियों का अपमान किया| उन्हें लाते मार मार कर मंच से नीचे फेंका गया| कुछ महिलाएं भी मंच पर चढ़ गयीं थीं| पुलिस ने उन्हें भी नहीं छोड़ा, महिलाओं को बाल पकड़ कर घसीटते हुए मंच से नीचे फेंक दिया| एक महिला को तो शोचालय से नग्न अवस्था में ही बाहर निकाल दिया| हम सब ने मंच का घेराव करना शुरू कर दिया| कुछ महिलाओं ने स्वामी जी को अपने वस्त्र लाकर दिए, जिन्हें पहन स्वामी जी भीड़ में गुम हो गए| हम लोगों ने पुलिस को स्वामी जी तक नहीं पहुँचने दिया| पुलिस ने हवा में आंसू गैस के गोले छोड़े| जिस कारण हमारी आँखों में जलन के साथ पानी आने लगा| उसकी अजीब सी गंध से नाक में सनसनी सी होने लगी| कुछ बुज़ुर्ग लोग इसकी गन्ध से बेहोश हो गए| तभी मंच पर गोले छोड़ने के कारण आग लग गयी| यह एक बहुत बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती थी| पूरा मैदान तम्बुओं से ढका हुआ था| यदि आग फ़ैल जाती तो पता नहीं कितनी ही जाने चली जातीं|
आंसू गैस के कारन मैं भी अपनी आँखे मसलने लगा| तभी पुलिस ने लाठियां बरसाना शुरू कर दिया| मेरी तो आँख भी अभी पूरी तरह नहीं खुली थी कि पुलिस की एक लाठी मेरे दाहिने पैर पर पीछे की ओर घुटने से कुछ ऊपर लगी| अचानक लगी इस चोट से मैं अपने ही स्थान पर ज़मीन पर गिर गया| जिस कारण पंजे में मोच भी आ गयी| किसी प्रकार खड़े हो कर मैंने भागते हुए अपनी जेब से रुमाल निकाला व उसे नाक पर बाँधा जिससे कि आंसू गैस से बचा जा सके| मैदान में भीड़ बिखर चुकी थी| पुलिस ने हमें बाहर की ओर खदेड़ना शुरू कर दिया| बाहर निकलने के द्वारा पर हम कुछ लोग खड़े हो गए| हम चिल्ला चिल्ला कर जनता से कह रहे थे कि बाहर ही खड़े रहें, कहीं ओर न जाएं| हम सब अपनी गिरफ्तारियां देंगे|
बाहर आकर देखा तो सडकों पर करीब एक लाख से ज्यादा लोग यहाँ वहां बिखरे हुए थे| इतनी बड़ी संख्या को नियंत्रित करना काफी मुश्किल होता है| जगह जगह हम लोग जनता से चिल्ला चिल्ला कर कह रहे थे कि सभी एक जगह इकट्ठे हो जाएं| अभी हम सब एक रैली में जंतर मंतर पर जाकर अपना प्रदर्शन करेंगे व अपनी गिरफ्तारियां भी देंगे| किसी प्रकार सभी को इकठ्ठा कर हम सब जंतर मंतर की ओर नारे लगाते हुए बढ़ने लगे| अभी थोडा ही आगे पहुंचे थे कि देखा पीछे से पुलिस ने आधी से ज्यादा भीड़ को मैदान व मैदान के समीप एक चौराहे के बीच अवरोध लगा कर बंदी बना लिया है ताकि वे रैली में शामिल न हो सकें| इस पर कुछ लोग पुन: पीछे की ओर गए व लोगों से चिल्ला कर कहा कि वे अवरोध को हटाकर या ऊपर से कूद कर आ जाएं| इस पर पुलिस ने हमें पुन: लाठियों का भय दिखाया| तभी कुछ युवकों ने कुछ अवरोध उठाकर सड़क किनारे फेंक दिए| अवरोध हट्टे ही भीड़ भागती हुई सभी अवरोध गिराती हुई आगे बढ़ने लगी| इस प्रकार हम सब पुन: साथ में हो लिए|
अब हम सब गला फाड़ फाड़ कर नारे लगाते हुए जंतर मंतर की ओर बढ़ने लगे| इस समय बिलकुल ऐसा ही अनुभव हो रहा था जैसा कि आज़ादी से पहले हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को होता होगा|
अभी हमें चलते हुए मुश्किल से बीस मिनट ही हुए थे कि कुछ ही दूरी पर एक मोड़ पर अचानक कुछ पुलिस कर्मी भागते हुए हमारी तरफ आए व लाठियां चलाने लगे| अचानक हुए इस हमले से भीड़ फिर से इधर उधर बिखर गयी| रैली में मैं आगे की ओर ही था, अत: फिर से पुलिस की चपेट में आ गया| अचानक मेरे दाएं क्न्धे पर एक जोरदार लाठी पड़ी| मैं अभी संभल भी नहीं पाया था कि तभी मेरी पींठ पर एक और वार हुआ| किसी प्रकार मैं अपनी जान बचाकर वहां से दूर हट गया| भीड़ इधर उधर भागने लगी| भागते हुए हम एक मोड़ पर मुड़ गए व सड़क के दुसरे किनारे तक पहुंचे| किन्तु देखा कि हम केवल पांच सौ-छ: सौ लोग ही रह गए| बाकी जनता भी अपनी जान बचाकर इधर उधर भाग गयी| किसी प्रकार हम एक सुरक्षित स्थान देख कर वहीँ सड़क पर बैठ गए| तभी हम में से किसी ने कहा कि ऐसे कब तक भागेंगे? सभी लोग एक एक पत्थर अपने हाथ में उठा लो पुलिस पर बरसाना शुरू कर दो| हम एक लाख से ज्यादा थे जबकि पुलिस कुछ चार पांच हज़ार|
इस पर साथ ही खड़े एक दुसरे व्यक्ति ने कहा कि हम चाहते तो पुलिस को मज़ा चखा सकते थे किन्तु हमने स्वामी जी को वचन दिया है कि हम पुलिस से नहीं भिड़ेंगे| इस पर वह व्यक्ति बोला कि ऐसे कब तक मार खाते रहेंगे? पुलिस तो हाथ धोकर हमारे पीछे पड़ी है| मैंने उनसे कहा कि यदि हमने पुलिस पर हमला किया तो हो सकता है कि लाठी धारी सिपाहियों के पीछे खड़े बन्दूक धारी सिपाही हम पर गोलियां चला दें| ऐसे में कितनी ही मौतें हो सकती हैं|
इस पर उन व्यक्ति ने मुझसे कहा कि क्या आप मरने से डरते हो? मैंने उसे उत्तर दिया कि यदि मरने से डरते तो यहाँ तक न आते| हम तो बुरे से बुरा सोच कर अपने घरों से निकल कर यहाँ तक पहुंचे हैं| किन्तु इस प्रकार फ़ोकट में मर जाने से क्या फायदा? हम सबका बलिदान व्यर्थ ही जाएगा| इस सरकार व बर्बर पुलिस को हमें मारने में कोई परेशानी नहीं होगी| यह सरकार इसी देश में सिक्खों का संहार कर चुकी है| फिर भी बेशर्मों की तरह हमारे सामने वोट मांगने चली आती है| आज भी कुछ हज़ार लोगों के मरने से इसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा| किन्तु हमारी मौत से स्वामी जी का बहुत दुःख होगा| उनका मनोबल भी टूट सकता है| हम सब तो यहाँ उनकी एक आवाज़ पर मर मिटने को ही आएं हैं, किन्तु यदि हमारी मौत व्यर्थ चली गयी तो इसमें सरकार का क्या नुक्सान?
इस पर वे व्यक्ति मुझसे सहमत हो गए| मेरे साथ में लन्दन (इंग्लैण्ड) निवासी भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक भी थे| उनसे यही मिलना हुआ था| अभी वे मेरे पास ही बैठे थे| बातचीत में उन्होंने बताया कि वे भारत स्वाभिमान के एक कार्यकर्ता हैं व २७ फरवरी को बाबा रामदेव की रैली में भाग लेने भारत आए थे| तब से वापस नहीं गए| अन्ना हजारे के साथ भी वे चार दिन के अनशन पर बैठे थे| आज उन्हें भी चोटें आईं थीं| वे भी राजिव भाई से प्रभावित हो कर इस संगठन से जुड़े थे|
तभी किसी ने कहा कि यहाँ पास ही एक आर्य समाज का मंदिर है, वहीँ चलकर शरण लेते हैं|
हम सब मंदिर की ओर चल दिए| मंदिर पहुँच कर हमने मंदिर में स्थित एक बगीचे में शरण ली| मंदिर के पुजारी हमसे मिले| हमने उन्हें अपनी आपबीती सुनाई| उन्होंने कहा कि वे भी आज बाबा रामदेव के इस आन्दोलन में शामिल होने वाले थे|
उन्होंने हमसे मंदिर में ही विश्राम करने को कहा व आश्वासन दिया कि यहाँ कोई हमें नुक्सान नहीं पहुंचा सकता|
इसी बीच करीब चार बजे के आस पास संघ के मेरे एक स्वयं सेवक मित्र भाई अभिषेक पुरोहित का फोन आया| उन्होंने इस समय फोन करने के लिए क्षमा मांगी| उन्होंने कहा कि दरअसल वे अभी अभी किसी साईट से लौटे हैं व आते ही इंटरनेट पर यह खबर पढ़ी कि पुलिस ने आन्दोलन बिखेर दिया|
मैंने उन्हें संक्षिप्त में पूरी घटना बताई|
हम सब मंदिर के बगीचे में बैठे हुए आपस में बातें कर रहे थे तभी एक सन्यासी हनुमान का रूप धारण कर हमारे बीच आ बैठे| वे रैली में भी हमारे साथ थे| उनसे बातचीत में पता चला कि वे कन्नोज से आये हैं| उन्होंने बताया कि पुलिस ने उनकी कमर पर जोर से लात मारी जिससे वे सड़क पर गिर गए व उनके पाँव में चोट आई है| अब देखिये इस सरकार की तानाशाही एक सन्यासी का भी इतना अपमान किया वह भी उस सन्यासी का जो हनुमान का रूप धारण किये अनशन पर बैठा था|
मैंने उनसे कहा "बजरंग बलि, आज पूरा भारत यहाँ मैदान में इकठ्ठा हुआ था| भारत के सभी प्रदेशों से यहाँ लोग आन्दोलन में शामिल होने आए| यहाँ तक कि विदेशों में रहने वाले कई भारतीय भी इसमें शामिल हुए| और तो और सन्यासी, पुजारी, मौलवी आदि भी एक साथ एक ही मंच पर साथ बैठे थे| आज जब सारा भारत एक हो रहा है तब इस सरकार की यह तानाशाही कि औरतों व बच्चों को भी नहीं छोड़ा| यहाँ तक कि आप एक सन्यासी हैं, ऊपर से हनुमान का रूप ले कर आए हैं| पुलिस वालों ने इंसान का तो दमन किया ही, कम से कम भगवान् को तो बख्श देते|"
इस पर वे बोले "मैं तो एक मानव ही हूँ| मैंने संन्यास ले लिया है| मैंने जीवन का मोह छोड़ दिया है| मुझे मान अपमान का भी कोई ज्ञान नहीं है| अत: मैंने हनुमान रूप धारण किया है| पुलिस यदि इस हनुमान का अपमान करती है तो यह हनुमान तो इन्हें क्षमा कर देगा किन्तु वह बजरंग बलि रामभक्त वीर हनुमान इन्हें कभी क्षमा नहीं करेगा|"
लगभग हम सभी पुलिस की लाठियों का शिकार हुए थे| अत: एक दुसरे के घावों को सहलाते हम आपस में बातें करते रहे| बातों बातों में किसी ने राजिव भाई का जिक्र छेड़ दिया| मैं भी उनके विषय में बात करने लगा| बातों में शामिल उन लोगों में से केवल मैं ही ऐसा था जो राजिव भाई से मिल चुका था| सभी मुझसे उनके बारे में पूछने लगे| मैंने उन्हें राजिव भाई से जुडी मेरी यादें बताएँ| इस प्रकार कुछ देर हमारी बातें चलती रहीं| इस बीच कुछ लोगों ने बाहर जाकर हालत देखने का प्रयास किया| उन्होंने आ कर बताया कि पुलिस हर जगह तैनात है व किसी को भी संगठन में चलने की अनुमति नहीं है| अत: हमें अकेले ही यहाँ से निकलना होगा|
मैंने भी अपने कुछ साथियों को फोन किया जिनसे मैं आन्दोलन में ही मिला था| वहीँ उनका फोन नंबर भी लिया| पूछने पर उन्होंने बताया कि वे भी अकेले ही यहाँ वहां भटक रहे हैं| पुलिस ने शहर में शायद धारा १४४ लगा दी है| अत: हम संगठन में साथ नहीं घूम सकते|
पांच बजे के करीब मैंने भुवन (मेरी बुआ का बेटा जो आन्दोलन में शामिल होने जयपुर से दिल्ली आ रहा था) को फोन किया व उसे रामलीला मैदान पहुँचने से मना किया| वह दिल्ली को ठीक से नहीं जानता था| मैं कुछ समय दिल्ली में रह चुका हूँ अत; शहर से कुछ परिचित हूँ|
उसने बताया कि वह कश्मीरी गेट बस अड्डे पर उतरेगा| मैंने उसे कश्मीरी गेट मैट्रो स्टेशन से राजिव चौक पहुँचने के लिए कहा| वहां कनौट प्लेस स्थित सेंट्रल पार्क से वह परिचित है| मैंने उसे वहीँ बुला लिया| अब मैं भी लंगडाता हुआ करीब दो किमी दूर सेन्ट्रल पार्क तक पहुंचा| क्यों कि सुबह के पांच बजे वहां कोई ऑटो भी नहीं मिला अत: मैं पैदल ही निकल पड़ा|
करीब छ: बजे मैं सेन्ट्रल पार्क पहुंचा| वहां हरी घास पर सुबह सुबह पानी का छिडकाव किया हुआ था| एक पेड़ के नीचे मैं गीली घास पर ही लेट गया| शरीर पर पड़ी लाठियों के कारण आई चोटों से अब पीड़ा बढ़ने लगी थी| किन्तु थकान, पिछली दो रातों की बची हुई नींद व पिछले करीब एक दिन से ज्यादा समय तक भूखे रहने से मुझे कमजोरी महसूस होने लगी| इस कारण थोड़ी ही देर में मुझे एक झपकी लग गयी| लगभग ६:४५ पर सूरज की रौशनी चेहरे पर पड़ने के कारण मेरी आँख खुली| आस पास देखा तो मुझसे थोड़ी ही दूरी पर पांच वृद्ध जन बैठे बातें कर रहे थे| मैं लेटा हुआ उनकी बातचीत सुन रहा था| उनकी बातचीत का विषय बाबा रामदेव का यह आन्दोलन ही था| चार लोग बाबा रामदेव के समर्थन में थे जबकि एक व्यक्ति कांग्रेस का समर्थन कर रहा था| उनकी बाते सुनकर मैं भी उठकर उनके बीच जा बैठा| बातचीत में पता चला कि वे यहाँ से कुछ दूरी पर स्थित एक कॉलोनी के निवासी हैं व रोज़ सुबह यहाँ घूमने आते हैं|
जो व्यक्ति कांग्रेस का समर्थन कर रहे थे मैंने उनसे कहा कि आप जिस कांग्रेस का गुणगान कर रहे हैं, आपको पता है कल इसी सरकार ने आधी रात में क्या किया? इस पर उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ नहीं पता| जाहिर सी बात है, आधी रात में हम पर हुए इस अत्याचार के बारे में दिल्ली वासियों को कहाँ से पता चलता? और ये बुज़ुर्ग लोग तो सुबह सुबह ही यहाँ पार्क में आ गए हैं| तब मैंने उन्हें पिछली रात की पूरी घटना बताई| इस बीच भुवन भी वहां पहुँच गया| मैंने उन सबको अपने शरीर पर पड़ी लाठियों से आई चोटें दिखाईं तो एक सज्जन यह देख क्रोध से भड़क उठे व कांग्रेस के समर्थक व्यक्ति से चिल्ला कर बोले "देख ले बुड्ढ़े, तेरी कांग्रेस का अत्याचार| इस बेचारे बच्चे की टांग तोड़ दी तेरी इस कांग्रेस ने|" इस पर सामने वाले सज्जन चुप हो गए|
हमारी बातें सुनकर पास ही बैठे एक और सज्जन वहां आ गए व मुझसे बोले कि वे भी इस आन्दोलन में शामिल थे| किसी प्रकार पुलिस के हाथों से बच निकले|
उसी समय वे व्यक्ति जो क्रोध से चिल्ला पड़े थे, मुझसे बोले बेटे तुमने भोजन कब किया था? मैंने उन्हें बताया कि परसों रात को आठ बजे जयपुर में खाना खाया था, तब से अब तक पेट में एक दाना भी नहीं गया है| उन्होंने कहा कि पहले कुछ खा लो फिर सोचना आगे क्या करना है|
मैंने कहा कि हम सब तो अनशन पर हैं| जब तक स्वामी जी की कोई सूचना नहीं मिल जाती कि वे कहाँ हैं, सुरक्षित तो हैं, तब तक हम कुछ नहीं खा सकते| उन्होंने मुझे समझाया किन्तु मैं नहीं माना|
थोड़ी देर बाद मैं और भुवन पार्क से बाहर निकले| सोच ही रहे थे कि अब आगे क्या करना है? सड़क पर अब यातायात बढ़ने लगा था| पुलिस की गश्त अभी भी जारी थी| मैं समझ गया कि यहाँ कुछ न कुछ गड़बड़ जरुर होने वाली है| साथी आन्दोलनकारियों से भी संपर्क नहीं हो पा रहा था| क्यों कि लम्बे समय से रामलीला मैदान में बैठ बैठे सबसे फोन की बैटरी ख़त्म हो चुकी थी| मेरा फोन भी बंद होने वाला था|
अत: हमने निश्चय किया कि यहाँ से गुडगाँव जाते हैं जहाँ मेरा एक और भाई नितिन पांडे (मेरी दूसरी बुआ का बेटा) रहता है| वह गुडगाँव में एक कंपनी में सॉफ्टवेर इंजिनियर है|
वहां जाने से पहले मेरी उससे फोन पर बात हो गयी थी| रविवार होने के कारण वह घर पर ही था| मैंने उसे पूरी कहानी फोन पर बता दी थी| उसने मुझसे कहा कि भैया आप जल्दी ही यहाँ आ जाओ|
वहां पहुँचते ही वह मुझसे मज़ाक में हँसते हुए बोला "आ गए भईया पिट कर?"
ऐसी परिस्थिति में उसके मूंह से निकले इस व्यंग से मुझे भी हंसी आ गयी| मैंने भी उससे हंसकर कहा कि भाई देश के लिए लाठियां खाई हैं| आज तो मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं ही भगत सिंह हूँ|
बाद में उसने मेरी चोटों पर मरहम लगाया| एक दिन वहीँ रुक कर अगले दिन सुबह करीं ११ बजे मैं जयपुर के लिए निकल पड़ा|
अभी रास्ते में ही था कि मोबाईल पर Youth Against Correuption के जयपुर जिला संयोजक श्री सुरेन्द्र चतुर्वेदी जी का सन्देश मिला| उन्होंने बताया कि आज शाम पांच बजे जयपुर के स्टेच्यु सर्किल पर काले दिवस के रूप में आज इकठ्ठा होना है| यहाँ पर आगे की रणनीति तय की जाएगी| अत: मुझे भी वहां उपस्थित होना है|
शाम करीब ४:३० बजे जयपुर पहुँचते ही मैं अपने घर आया व नहा धो कर, कपडे बदल मैं स्टेच्यु सर्किल पर पहुँच गया| यहाँ भी कई संत उपस्थित थे| ७ जून की शाम को जयपुर में एक रैली निकाली जाएगी, जिसमे अपने मूंह व हाथ पर काली पट्टी बांधकर सरकार का विरोध करना है|

यह पूरा घटना क्रम लिखना मेरे लिए आवश्यक था| मीडिया क्या दिखा रहा है, उससे मुझे कोई मतलब नहीं है| मैंने जो देखा वो यहाँ लिख दिया|
इस घटना के बाद आज मैंने एक प्रण लिया है| जब तक यह देश कांग्रेस नामक बिमारी से निजात नहीं पा लेता, जब तक इस देश के अंतिम व्यक्ति के मन मस्तिष्क से कांग्रेस का नाम लुप्त नहीं हो जाता, जब तक इस देश का अंतिम व्यक्ति ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, संस्कारी व भारत भक्त नहीं हो जाता तब तक मेरे दाहिने हाथ के बाजू पर एक काली पट्टी बंधी रहेगी| अभी के हालात देख कर लगता है की यह काली पट्टी अधिक दिनों तक मेरे हाथ पर नहीं बंधी रहेगी| किन्तु यदि किसी कारणवश इससे पहले मेरी मृत्यु हो जाए तो मेरी इच्छा है यह पट्टी चिता पर मेरे साथ जले ताकि अगला जन्म इसी पट्टी को बाँध कर ले सकूं व इसी संकल्प के साथ अपना जीवन बिता दूं|

अंत में जाते जाते कुछ अपने दिल की बात इस आन्दोलन से हटकर करना चाहता हूँ|
उस काली रात जो कुछ हुआ वह बहुत गलत था| किन्तु उसके परिणाम स्वरुप जो कुछ भी हो रहा है, वह बहुत अच्छा हो रहा है| हर तरफ से यह बर्बर सरकार नंगी हो गयी है|
इसलिए आज नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की एक फिल्म Bose-The forgotten Hero का एक गीत बहुत याद आ रहा है| आज यह गीत खुद पर लागू कर गाने का मन हो रहा है| आप भी देखें यह वीडियो|

27 comments:

  1. दिवस भाई,
    अब कुछ जान पाए वहाँ के बारे में। आपके मुँह से सुनकर लगा कि क्या हुआ है। आपको एक बात कहूँ तो शायद पसन्द नहीं आए लेकिन भारतीय सेना और पुलिस कांग्रेसी सरकार से ज्यादा भ्रष्ट और तानाशाह है। इसपर ज्यादा अभी नहीं कहूंगा। आपको कुछ मेल किया है। देख लीजिएगा। और नीचे तीनों लिंक जरूर पढ़ लें क्योंकि मैंने चार और पाँच जून को लिखा था। मैं आपसे सम्पर्क के लिए मोबाइल नम्बर खोजता रहा। बाबा का सम्पर्क भी कोशिश करता रहा कि पता चले लेकिन पता नहीं चल पाया।

    संभव है मेरे विचारों से आपको कुछ असहमति हो लेकिन मैंने बहुत सोच समझ कर लिखा था। राजीव भाई को जितना समझा उसी की बदौलत लिख था, कोई बकवास नहीं की थी।

    एक आलेख भोजपुरी में है जिसमें मैंने कपिल सिब्बल, दिगविजय आदि की निंदा की है। शायद भोजपुरी में थोड़ा समझ में ना आए, तो बता दें।
    बेहद दुख है कि इस चोर सरकार ने इतना अत्याचार किया।

    http://bhojpurihindi.blogspot.com/2011/06/blog-post_07.html

    http://tewaronline.com/?p=2097

    http://tewaronline.com/?p=2092

    ReplyDelete
  2. दिवस आपनें तो हमें भी व्यथित कर दिया!! काले रविवार से हम भी दुखी थे पर मित्र के इस दुखद संस्मरण नें तो अत्याचार की गहरे अनुभुति करवा दी।

    बहुत ही शौर्य पूर्ण जज्बा है भाई दिवस आपका!!
    ईश्वर करे यह अत्याचार कांग्रेसी पाप की अन्तिम कील हो। और आपके बाजु की काली-पट्टी शीघ्र हट जाय।

    ReplyDelete
  3. दिवस भाई आपने अपने ब्लॉग पर मेरा जिक्र करके मुझे जो सम्मान व् प्यार दिया उसका में आपका हमेशा आभारी रहूंगा, सच कहूँ आज से पहले आपके ब्लॉग पर आकर जल्दी जल्दी आपके लेख को पढता था परन्तु दिल्ली रामलीला मैदान में आपसे मिलने के बाद आपके मिलन ने अपने लिए मेंरे दिल में जो अपनत्व पैदा किया उसके लिए दिल आज भी गद्-गद् हो रहा है, आज अपने कार्यालय के काम के साथ साथ अपने ब्लॉग पर लोग इन किया तो आपकी नई पोस्ट पढ़ने को मिली अभी तक ये पूरी पढ़ भी नहीं पाया था की आँखों में अश्रु धारा और गला रुक गया, छटपटाते हुए झट से फोन उठाया और आपका नम्बर मिलाकर बात करी तो जाकर कहीं मन का गुब्बार काम हुआ,आपने जो घटनाक्रम दिखाया है वो लगता है ये मैंने अपनी आँखों से अपने छोटे भाई के माध्यम से खुद देखा है मैं आपकी पीड़ा को शारीरिक तौर पर तो बाँट नहीं सकता परन्तु दिली तौर पर उसमे सहभागी बनना चाहता हूँ और उस दर्द को महसूस करता हूँ, मुझे विश्वाश है ये दर्द आपको उतनी पीड़ा कभी नहीं दे सकता जो जितनी पीड़ा आप राष्ट्र के दुःख से महसूस करते हैं, मैंने आपके अंदर राजिव भाई दीक्षित के विचारों, संस्कारों को खूब महसूस किया, दुआ करूँगा उस परमेश्वर से की स्वामी जी के नेतृत्व में आप व् हम सभी एक गौरबमयी मंच पर अपने इस पवित्र मकसद में कामयाब होकर हमेशा मिलते रहें और बंदे मातरम, जय हिंद , राजिव भाई अमर रहे , स्वामी जी के नारों से आने वाली पीड़ी को सुन्दर और गरिमामयी सन्देश देते रहें,
    अंत में यही कहूँगा की इस कांग्रेस का नाम ही इतिहास से मिटा देना चाहिए इस देश की जनता को जो काम महत्मा गाँधी अपने जीते जी नहीं कर पाए स्वामी जी कर जाएँ ,
    जय हिंद जय भारत ,

    ReplyDelete
  4. आदरणीय भाई जी आपसे मिलन तो नहीं हो पाया लेकिन ॥देश की हर लड़ाई मे स्वामीजी के साथ हूँ ...इन कुत्तो की जितनी निंदा की जाये वो ही कम है |.....आगे यदि जान भी देनी पड़े तो मैं भी तैयार हूँ |

    ReplyDelete
  5. .

    भाई दिवस ,

    आपका समाचार मिला। मन निश्चिन्त हुआ।

    ५ जून को समाचारों में खबर सुनकर देश विदेश में लाखों लोग व्यथित और अश्रुपूरित थे । आपके आलेख पढ़कर और भी दुखद स्थिति का परिचय मिला, जिसे मिडिया नहीं कवर कर पाया। स्त्रियों , बुजुर्गों के साथ बहुत बदसलूकी की गयी है। क्रूरता की हदें तोड़ दी गयीं हैं इस कृत्य में ।

    सरकार का डर सामने आ गया है। उन्होंने इस सत्याग्रह को विफल बनाने की असफल कोशिश की है , लेकिन शायद उन्हें पाता चल गया होगा की उन्होंने इस आन्दोलन की लपटों को और भी हवा दे दी ।

    क्रांति की इस लहर को अब कोई न रोक सकेगा , न ही दबा सकेगा।

    जय हिंद !

    .

    ReplyDelete
  6. Shaabash bhai... mujhe fakhr hai ki main aise veer deshbhakton ka bhai hun.... Hamaari Jeet Sunishchit hai...

    ReplyDelete
  7. dinesh bhai in atyachaar ke vishy me padhkar man vyathit ho utha . maine bhi sankalp liya hai ki aajiwan congress ko vote aho doonga.

    ReplyDelete
  8. डेड़ लाख लोगो को देखकर कांग्रेस हिल गयी थी.
    अगर दो तीन दिन भी आन्दोलन चल जाता तो सरकार गिर जाती
    इस आन्दोलन से छोटा बबुआ राहुल गांधी इतना डर गया कि अभी तक अपने बिल से नही निकला.

    ReplyDelete
  9. बहुत दुखद -मेरे ब्लॉग इसे राष्ट्रीय शोक से संबोधित किया गया है

    ReplyDelete
  10. Bro, Amazing ....Speechless...

    Proud of you....Jai Ho..:)

    ReplyDelete
  11. दिवस जी,
    चरण वंदन,
    कोई जब कोई तीर्थ से लौटता है तो उसके चरण छूकर ही पुण्य का लाभ लिया जाता है.
    मुझे आपके संस्मरण ने अभिभूत कर दिया इसे पढ़ने के बाद तो मैं आपके चरण छूकर ही इस जन-चेतना यज्ञ का पुण्य ले लेना चाहता हूँ. आप कभी दिल्ली आयें तो मुझसे संपर्क किया करें :

    09312819509
    वन्देमातरम

    ReplyDelete
  12. दिवस जी, समाचार के लिए साधुवाद !

    ReplyDelete
  13. सुलभ जी आभार...
    .............................................
    आदरणीय प्रतुल भाईसाहब...आप मेरे लिए अग्रज हाँ, मेरे लिए सम्माननीय हैं, चरण वंदना तो मुझे आपकी करनी चाहिए...अत: यह अधिकार मेरा है...
    मैं आपसे अवश्य ही संपर्क करूँगा...जब भी दिल्ली आना हो गा, आपसे अवश्य ही मिलूँगा...
    मेरा नंबर-09829798033
    -------------------------------
    गौरव, जय हो....
    --------------------------------
    आदरणीय अरविन्द मिश्र जी...आभार...आपके ब्लॉग पर मैं अपने विचार रख आया हूँ...
    --------------------------------
    @रोहित...
    भाई अब डेढ़ लाख नहीं, कांग्रेस के सामने १२१ करोड़ लोग खड़े होंगे...
    ---------------------------------
    @विकास...आभार बंधू...
    ---------------------------------
    मनप्रीत जी आपका भी धन्यवाद, आपके ब्लॉग पर अवश्य ही आना होगा...
    ----------------------------------
    मोनू भईया आप बड़े भाई हैं...हमने सीखा तो आपसे ही है न...हमे फख्र है की आप हमारे भाई हैं...
    -----------------------------------
    दिव्या दीदी...आप हम पर हुए अत्याचार से चिंतित थीं, आपका आभार...हमे ख़ुशी है इस बात की...
    समाचारों में दिखाने के कारण लोगों का चिंतित होना स्वाभाविक था, किन्तु जो टीवी पर दिखाया जा रहा था, वह तो अधुरा ही सच था| जो वहां देखा वह बहुत भयानक, बर्बर व पीड़ादायी था...
    अत: इसे लिखा गया...
    सादर...
    -----------------------------------
    तरुण भाई, मुझे भी आपसे मिलने की बेहद इच्छा थी...कोई बात नहीं, अब तो क्रान्ति का दौर आ गया है| अब तो इस जंग में मिलना जुलना होता ही रहेगा ...
    ------------------------------------
    संजय भाई...आप मेरे बड़े भाई हैं...इस आन्दोलन में आपके साथ बिताया समय जीवन भर याद रहेगा...आपकी इस विस्तृत टिप्पणी से बेहद ख़ुशी हुई है...अब टी इस क्रान्ति में आपसे बार बार मिलने की इच्छा है...आप और हम तिरंगा उठाए एक साथ क्रान्ति करेंगे...
    आपका अनुज...
    ......................................................
    हंसराज भाई, आपका बहुत बहुत धन्यवाद...मेरे शरीर पर लगी चोटों से आप पीड़ित हैं, यही तो अपनत्व है...
    -------------------------------------
    चन्दन भाई...शायद इस लेख से आपको मेरे लक्ष्य का कुछ पता चल सके...
    आपकी मेल का उत्तर जरुर दूंगा...थोडा समय लगेगा...क्योंकि मैं इतना अधिक समय नहीं निकाल पाता लिखने के लिए...
    --------------------------------------
    बहन मोनिका जी...सच में यह निंदनीय है...

    ReplyDelete
  14. भाई दिवस जी...आपने पूरे देश के लिए होने वाले आन्दोलन में भाग किया और अपने अनुभवों को अच्छे तरीके से रखा ...!! साधुवाद के पात्र है आप..!! बाबा के साथ आज पूरा देश खड़ा है सिर्फ कुछ बेवकुफो को छोरकर...(दिग्विजय जैसो को) जिन्हें इतिहास कभी माफ़ नहीं करेगा...!!

    ReplyDelete
  15. भाई दिवस जी , मैं भी वहीँ मौजूद था| जो कुछ हुआ उससे ह्रदय बहुत कष्ट में है | कांग्रेस तो अंग्रेजों से भी आगे निकली | अंग्रेज तो विदेशियों को पीटते थे , ये तो स्वदेशियों को ही पिटवाने लगी है | पर हम रुकने या हार मानने वाले नहीं हैं | जंग को अंजाम तक पंहुचाया जाएगा |
    एक बात और कि मैं देश के लिए मरना नहीं चाहता , मैं देश के लिए जीना चाहता हूँ | इतिहास ने इतना तो बता ही दिया है कि जो देश के लिए मार गए हैं वो अपने सपनों के साथ कहीं बिलख रहें हैं | हमें उनका अधूरा काम पूरा करना है जो मरने से नहीं ,जिन्दा रहने से और उनके विचारों को प्रसारित करने से होगा |

    समय मिले तो रामलीला मैदान में मेरा अनुभव मेरी संलग्न पोस्ट में पढ़ें :
    http://avaneesh99.blogspot.com/2011/06/blog-post.html

    ReplyDelete
  16. काश! गांधी के सत्याग्रह की तरह ये असफ़ल ना रहे, सफ़ल रहे ये मेरी इच्छा है।

    ReplyDelete
  17. दिवस दिनेश गौर जी बहुत सही कहा आपने | मुझे आपके संस्मरण ने अभिभूत कर दिया | हमें आप जैसे लोगों पर गर्व होना चाहिए | बाबा ने जो मुद्दा उठाया है वो सारे देश की जनता के हित मे ही तो है..रही बात राजनीति की तो जो ये नेता इतने सालों से देश को लूट खसोट रहे हैं अगर कोई सन्यासी इनके विरुद्ध देश की जनता को जागरूक कर रहा है तो इन्हे क्या दिक्कत हो रही है? बाबा के हीरो बनने मे कांग्रेस को क्या तकलीफ़ हो रही है???...और बाबा ने मीडिया वालों के सामने कहा भी हैं की वो कोई चुनाव नही लड़ेंगे तब इसमे कौन सी ग़लत बात है...ये सरकार धूर्तों की सरकार है...चिठ्ठी वाला कांड तो इन नेताओं की घिनौनी राजनीति है जब इनसे कुछ ना बन पड़ा तो ये चिठ्ठी
    मीडिया को दिखाकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की....एक बात मैं खुद ही देख रहा हूँ की बाबा 2 महीने से कह रहे थे की दिल्ली मे वो सत्याग्रह करेंगे तब सरकार ये कैसे कह सकती है की रामलीला मैदान में सिर्फ योग शिविर होना था??...इतनी घ्रणित और क्रूर कार्यवाही को सरकार ठीक बता रही है |
    और मुंबई हमलों का पकड़ा गया एकमात्र आतंकवादी को ये अब तक जिंदा पाल रहे हैं...और सीधी सी बात ये है की जितने मंत्री हैं जितने नेता हैं सबका काला पैसा जमा है तो कोई नहीं चाहेगा की इस तेरह के अनशन हों....क्युकी पोल खुलते ही सब नंगे हो जायेंगे......और बाबा कुछ भी गलत नही कर रहे हैं जब ये नीच देश के नेता बन सकते हैं तो बाबा क्यों नही..?

    ReplyDelete
  18. भारत माता की जय बोलना भी वहाँ अपराध हो गया ,
    काले धन की यह दानव लीला ,जिससे देश बर्बाद हो गया !
    आबाद अगर करना है वतन को, चलो भारत स्वाभिमान जगाओ ,
    एक साथ सब मिलकर आओ, एक साथ सब मिलकर आओ !

    ReplyDelete
  19. बहुत बढिया मैं तो सिर्फ एक बात कहूँगा की सत्य हमेशा विजयी होता हैं हम तो मात्र निमित्त बने

    ReplyDelete
  20. दिवास भाई मैं केशव विद्या पीठ जामडोली का छात्र हूँ , आपके प्रण मैं मैं भी आपके साथ हूँ ,मेरा एक दोस्त यशवर्धन शर्मा ,मुरलीपुरा जयपुर मैं रहता हैं ,आप कहा रहते हैं ? आपसे मिलकर अच्छा रहेगा ? मैं तो एक बात जनता हूँ की सत्य हमेशा विजयी होता हैं हम तो मात्र निमित्त बने , मैं भी इंजीनियरिंग का छात्र हूँ ,व आज आप जैसे इंजिनियरों की देश को जरुरत हैं न की विदेशी मानसिकता के गुलामो की ,जिसे अपने देश व् भाषा का अभिमान नहीं होता वह पशु के समान होता हैं , आप अपना नंबर दे ,मेरा नंबर हैं ,९७९९१७७० ,9719913770 जब कभी जयपुर आऊंगा आपसे मिलाना चाहूँगा ,स्वामी विवेकानंद मेरे आदर्श व्यक्तित्व हैं ,जय स्वामी जी ,जय भारत

    ReplyDelete
  21. दिवस भाई, अपना नंबर दें। आज कुछ अजीब तरह की चीजें भेजी हैं आपको। जरूर देखिएगा।

    ReplyDelete




  22. प्रिय बंधुवर दिवस दिनेश जी
    सादर वंदे मातरम्!

    मन पहले ही बहुत उदास है , अभी स्वामीजी को अस्पताल में जबरदस्ती ग्लूकोज़ चढ़ाए जाने के समाचार चैनलों पर आ रहे हैं …

    4 जून की काली रात की बर्बर सरकारी दमन कार्यवाही से हर ईमानदार भारतीय की तरह मेरा भी मन अभी तक द्रवित है ,व्यथित है , आहत है !

    आपकी पूरी पोस्ट पढ़ते हुए आंखें कितनी बार भर आईं … बता नहीं सकता …

    कवि हूं न ! मां सरस्वती ने इस वीभत्स घटना पर भी मेरी लेखनी से बहुत रचनाएं लिखवा डाली … कुछ मेरे ब्लॉग पर लगाई हैं , देखें -
    अब तक तो लादेन-इलियास
    करते थे छुप-छुप कर वार !
    सोए हुओं पर अश्रुगैस
    डंडे और गोली बौछार !
    बूढ़ों-मांओं-बच्चों पर
    पागल कुत्ते पांच हज़ार !

    सौ धिक्कार ! सौ धिक्कार !
    ऐ दिल्ली वाली सरकार !

    पूरी रचना के लिए उपरोक्त लिंक पर पधारिए…
    आपका हार्दिक स्वागत है

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    ReplyDelete
  23. मैं भी वहीं था और मैंने भी एक लेख लिखा है उस आधार पर जो की मैंने देखा था मुझे लगता है की वहां पर उपस्थत प्रत्येक व्यक्ति जो ब्लॉग जगत में या फेसबुक में है उसे ये कम करना चाहए ताकि हम मीडिया के शोर का मुकाबला कर सकें |मैं maidan se बहार nikalane vaale antim 100 logon m th aisle maidan के बहार के मेरे अनुभव कुछ अलग अहिं मैं वो भी लिखूंगा
    5 JUNE रामलीला मैदान :एक छिपा हुआ सत्य एक प्रत्यक्षदर्शी के शब्दों में

    ReplyDelete
  24. भाई दिवस आपने मेरे बारे में जो लिखा उसके लिए धन्यवाद् , मुझे दुःख है की मैं एक दिन देरी से पहुँच कर आप के साथ इस आन्दोलन में शामिल नहीं हो पाया ,लेकिन मेरी किस्मत में कुछ ऐसा ही लिखा था ....लेकिन मैं इस क्रांति को असे ही जाया नहीं जाने दूंगा ! मैं भी हर कदम पर बाबा के और इस देश के हर क्रांतिकारी के साथ हूँ ! मैं हर समय बाबा के अछे स्वास्थय की प्रार्थना करता हूँ ! बाबा रामदेव जी की इस मेहनत को हम नहीं भूल सकते , इस कार्य में बाबा का कोई हित नहीं छुपा हुआ है , वो ये सब देश के लिए ही कर रहे हैं और हम बाबा के हमेशा साथ रहेंगे......वन्दे मातरम !!

    ReplyDelete
  25. दिवस जी दिल्ली का आँखों देखा हाल जान कर खून खौल जाता है हालाँकि हम उस रात पूरे घटनाक्रम को टी .वी.पर देख रहे थे | लेकिन क्या कर सकते हैं | लोगों को जागरूक कर रहे हैं वैसे बहुत गुस्सा है लोगों में बस उसे जारी रखा जाये यही प्रयास है | इस समय दिग्विजय सिंह का मुहं किस तरह बंद हो यह चिंता का विषय है | ये नाली का कीड़ा पता नहीं क्यों स्वाभिमानी सदस्यों को भड़काने की बातें कर रहा है | क्या इसे देश भक्ति का ज्वार नहीं दिख रहा | मुझे डर है कहीं कोई स्वाभिमानी भाई............ कुछ कर न दे |

    ReplyDelete
  26. yah jo jor julm ho raha hai, ghor nindniya hai.

    ReplyDelete