मित्रों अब लग रहा हैं कि भारत में पूरी तरह से तानाशाही आ चुकी है| ये सरकार बात करती है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की और कोई अपने विचार अथवा समर्थन अभिव्यक्त करे तो उसके घर में गुंडे भेज कर तोड़ फोड़ करवा देती है, नारेबाज़ी करवाती है, समाज में जीना मुश्किल कर देती है| जब फिल्म अभिनेता अनुपम खेर जैसे एक ख़ास आदमी की इस प्रकार दुर्गति कर सकती है तो आम आदमी का तो पता नहीं क्या हो? और ये समझ नहीं आता कि अनुपम खेर ने ऐसा क्या कह दिया जो विवादास्पद था? केवल अन्ना के आन्दोलन में शामिल हुए और उन्हें समर्थन दिया, और पूछने पर इतना कहा कि यदि संविधान में बदलाव की आवश्यकता है तो इसे बदला जाना चाहिए बस| इस पर इस भ्रष्ट कांग्रेस का इतना भड़क जाना कि "अनुपम खेर ने हमारे संविधान का अपमान किया, इसे उठाकर बाहर फेंक देने की बात कही", सरासर मुर्खता है| जैसे इन्हें बहुत प्रेम है इस संविधान से, इनके तो रात दिन जैसे सपनों में संविधान ही घूमता रहता है| और इतना कह देने पर से संविधान का किस प्रकार अपमान हुआ यह मेरी समझ में नहीं आया| आज तक संविधान में ११० से ज्यादा संशोधन हो चुके हैं तो अब भी हो सकता है| संविधान में बदलाव की बात करना कोई गैर संवैधानिक तो नहीं है| साथ ही संविधान को उठाकर बाहर फेंक देने की बात तो अनुपम खेर ने कही ही नहीं|
दरअसल इन भ्रष्ट कांग्रेसियों के लिए भारत माता से बड़ी कांग्रेस माता(?) व सोनिया माता(?) है| अक्टूबर २०१० में जब दिल्ली में अरुंधती राय ने अपनी जहरीली जबान से यह देश विरोधी बयान दिया था कि "कश्मीर कभी भी भारत का अभिन्न अंग नहीं रहा", तब इन संविधान के पैरोकारों(?) के मूंह में दही जम गया था| इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कह कर पल्ला झाड लिया गया| और न केवल पल्ला झाड़ा अपितु बा इज्जत गिलानी जैसे आतंकवादी व दो कौड़ी के आदमी को कश्मीर तक का रास्ता दिखाया व इस घटना का विरोध करने वाले देश भक्तों को उठा कर जेलों में ठूंसा गया| उस समय इनका संविधान प्रेम(?) कहाँ गया था? यहाँ चटका लगाएं...
ये वो दो कौड़ी का गिलानी है जो भारत में बैठा भारत के विरोध में ज़हर उगल रहा है और स्वयं को पाकिस्तानी बता रहा है| यहाँ चटका लगाएं...
इस घटना के कुछ ही दिनों पश्चात जब संघ प्रमुख सुदर्शन जी ने सोनिया गांधी पर कुछ टिप्पणी की जिसमे उन्होंने सोनिया को केजीबी का एजेंट बताया तब देश भर में घूम घूम कर संघ कार्यालयों में तोड़फोड़ कांग्रेस द्वारा की गयी| उस समय इनका संविधान प्रेम(?) कहाँ गया था? यहाँ व यहाँ चटका लगाएं..
उदाहरण बहुत से हैं,..
और अब जब अनुपम खेर ने अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन का समर्थन क्या कर दिया इन भ्रष्टाचारियों के पेट में दर्द होने लगा| अनुपम खेर ने ऐसा कुछ विवादास्पद नहीं कहा फिर क्यों उनके घर व स्कूल में इस प्रकार गुंडों को भेज कर तोड़फोड़ करवाई गयी? संविधान की कौनसी धारा में ऐसी सजा लिखी गयी है? अब ये मत कहना कि यह कहाँ सिद्ध हुआ है कि ये सब कांग्रेस ने करवाया है? हम भी दाल रोटी ही खाते हैं कोई घास फूस नहीं जो इतनी सी बात को न समझ सकें|
सवाल उठाया गया है अनुपम खेर पर तो आइये उनका वह बयान भी देख लें...
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६ अप्रेल २०१० को अनुपम खेर ने IBN 7 पर यह बयान दिया था| जहाँ अनुपम के सामने कांग्रेस नेता नवाब मलिक बैठें हैं, जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोप के चलते त्यागपत्र देना पड़ा (अब आप ही सोचिये कि क्यों इस आदमी को मिर्ची लगी?)| १० अप्रेल २०१० को IBN 7 पर एक कार्यक्रम दिखाया जा रहा था| जिसमे अनुपम खेर ने बताया कि किस प्रकार उनके घर व स्कूल में तोड़फोड़ की गयी| इस समय भी नवाब मलिक यहाँ उपस्थित थे एवं उनसे जब इसके बारे में पूछा गया तो जनाब ने पता नहीं क्या क्या उल जुलूल कहा| इस पर अनुपम का वह छ: तारीख वाला बयान दोबारा दिखाया गया| तब ये मुर्ख प्राणी (इस प्रकार देश के एक नेता को मुर्ख कहने के लिए मै कोई क्षमा नहीं मांगूंगा, भले ही किसी भी विचारधारा वाले किसी भी व्यक्ति की भावना क्यों न आहत हो, क्यों कि इसकी मुर्खता अभी आपको भी दिख जाएगी|) इस प्रकार बौखलाया कि इस मुद्दे के बीच में संघ व भाजपा को बीच में लाया और साथ ही साथ सवर्ण-दलित जैसा जातिवाद बीच में लाया| अब बताएं इस में संघ, भाजपा व जातिवाद कहाँ से आया? (ध्यान दें इस वीडियो में ९:०० से ९:२० मिनट तक)...
जब अनुपम खेर के घर तोड़फोड़ हो रही थी उसके कुछ देर बाद वहां पुलिस पहुंची| देखिये आप पुलिस इन प्रदर्शन कारियों से कितने प्रेम से बात कर रही है जैसे कि इनके ससुराल वाले हों| (ध्यान से देखें वीडियो में १०:०० से १०:३० मिनट तक)...
एक और नेता कोई तारिक भाई नाम से भी यहाँ बैठा था| इसकी बातें तो बिलकुल बचकाना है| वो कहता है कि "अन्ना कौन होते हैं हमें भ्रष्ट कहने वाले? जो आदमी कभी मुखिया का चुनाव कभी नहीं लड़ा क्या वो हमें सर्टिफिकेट देगा?" अब आप बताएं क्या ये बचकाना बातें नहीं हैं? क्या केवल उसी व्यक्ति को अपनी मांग रखने का अधिकार है जो चुनाव लड़कर नेता बन जाए? क्या बाकी जनता भाड़ में जाए? बाद में यही प्राणी चिल्ला भी रहा है कि जनता की अदालत से बड़ी कोई अदालत नहीं होती| और वो जवाब दे कि मनमोहन सिंह ने कौनसा चुनाव लड़ा है कि वो हमारे देश का प्रधान मंत्री बन गया? ( देखिये ११:०० से ११:१० मिनट तक)...
इन्हें भ्रष्टों को आपत्ति है कि अनुपम खेर ने अन्ना का समर्थन किया और अन्ना से आपत्ति है कि उन्होंने भ्रष्टाचार का विरोध व नरेन्द्र भाई मोदी का समर्थन किया| उन्हें समस्या इस बात से भी है कि अनुपम खेर की पत्नी भाजपा की सदस्य है|
अब एक वीडियो देखिये जब अनुपम खेर ने अन्ना के आन्दोलन का समर्थन किया व सचिन तेंदुलकर. शाहरुख खान व अमिताभ बच्चन से यह अपील की कि उन्हें भी अन्ना के समर्थन में आगे आना चाहिए| वीडियो देख कर तो ऐसा नहीं लगता कि इसमें भी अनुपम खेर ने कुछ विवादास्पद बयान दिया हो|
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अब देख लीजिये यह तानाशाही नहीं तो और क्या है???
स्वामी रामदेव ने एक आशा की किरण दिखाई है| पर मुझे पूरा विश्वास है कि सभी देश विरोधी ताकतें स्वामी रामदेव को भी साप्रदायिक करार देंगी| उन्हें भी सवर्ण-दलित जैसी जातिवादी राजनीति से जोड़ा जाएगा| क्यों कि यह देख कर इन राष्ट्र्विरोधियों के पेट में मरोड़े उठ रहे हैं कि देश के बहुत से मुस्लिम मौलवी बाबा रामदेव के समर्थन में खड़े हैं|
सही कहा दिवस दिनेश जी कांग्रेसियों के लिए भारत माता से बड़ी है सोनिया माता उफ! सॉरी इसका तो कुछ इटेलियन नाम है यह तो मुखौटा है। हां जब कश्मीर में तिरंगा जलाया जाता है , खुलेआम अरुंधती और गिलानी-पिलानी देश को बांटने की बात करते हैं, देश विरोधी बात करते हैं तब इन्हें दर्द नहीं होता। इन्हें दर्द तो तब जरूर होता है जब कोई इनका या उक्त देश विरोधियों का विरोध करता है।
ReplyDeleteएक बार १० ट्रक , अलग-अलग देशों के केंकड़ों से भरे हुए जा रहे थे । सभी ट्रक ऊपर से बंद थे ताकि कोई केंकड़ा बाहर न निकल जाए । लेकिन भारतीय-केंकड़ों से भरा ट्रक खुला हुआ था । मार्ग में इंस्पेक्टर ने जांच के दौरान पूछा , इसको खुला क्यूँ रखा है , कहीं कोई ऊपर से निकल गया तो ? ड्राईवर ने जवाब दिया - " नहीं जनाब , ऐसा नहीं हो सकता , ये भारतीय केंकड़े हैं । जैसे ही कोई ऊंचाई तक पहुंचेगा , नीचे वाले उसकी टांग पकड़कर खींच लेंगे"
ReplyDeleteसच तो ये है की लोग डरते हैं , सत्यवादियों से , इमानदार लोगों से , देश भक्तों से , अन्याय और अनाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों से । ऐसा इसलिए है क्यूंकि उनकी बईमानी से चल रही दूकान बंद जो हो जायेगी।लोग स्वयं तो कुछ करना नहीं चाहते , लेकिन अच्छे लोगों की राह में रोड़ा अटकाना , निंदा करना आदि उनका प्रिय शगल बन जाता है । ईर्ष्या का इलाज नहीं है ।
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