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Friday, April 15, 2011

आर बी आई में नकली नोट, पाकिस्तान और स्विस के साथ साथ इटली का भी हाथ...

मित्रों अब मुझे पूरी तरह से विश्वास हो गया है की इस देश को कोई माफिया ही चला रहा है| आज सुबह ही चौथी दुनिया पर मैंने डॉ. मनीष कुमार (सम्पादक चौथी दुनिया) व श्री विश्व बंधू गुप्ता (पूर्व आयकर आयुक्त) की वार्ता देखी| चर्चा का मुख्य विषय था...
१.रिजर्व बैंक के खजाने तक नकली नोट कैसे पहुंचे?
२.सीबीआई ने रिजर्व बैंक में क्यों छापा मारा?
३.इस खुलासे के बाद यूरोप के देशों में क्यों भूचाल आया?

मेरे विचार से यह मामला नकली नोटों पर अब तक का सबसे बड़ा खुलासा है| जो श्री विश्व बंधू गुप्ता जी के कठिन परिश्रम और ईमानदारी से सामने आया है|
सबसे पहले बात करते हैं की रिजर्व बैंक के खजाने तक नकली नोट कैसे पहुंचे?
अगस्त २०१० को सीबीआई ने मुंबई के रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के वाल्ट पर छापा मारा| उसे वहां पांच सौ व हज़ार के नकली नोट मिले (ध्यान दें इस घटना को एक वर्ष पूरा होने वाला है किन्तु कहीं किसी को इस बात की खबर भी नहीं है)| जांच में सीबीआई ने वहां के अधिकारियों से पूछताछ की| इस छापे का मुख्य कारण दरअसल यह था कि इससे पहले सीबीआई ने नेपाल सीमा पर देश के करीब साठ-सत्तर बैंकों पर छापा मारा| जांच एजेंसियों को सूचना मिली थी कि पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई नेपाल के रास्ते भारत में नकली नोटों का कारोबार चला रही है| नेपाल-भारत सीमा पर सभी बैंकों में नकली नोटों का लेन देन हो रहा है| आईएसआई के द्वारा ५०० का नोट २५० में बेचा जा रहा है| छापे में बैंकों के खजाने में ५०० व १००० के नकली नोट मिले| बैंक अधिकारियों की धर पकड़ व पूछताछ में उन्होंने रोते हुए अपने बच्चों की कसमें खाते यह कहा कि हम इस विषय में कुछ नहीं जानते| हमें तो यह नोट रिजर्व बैंक से प्राप्त हुए हैं| यदि यह किसी एक बैंक का मामला होता तो सीबीआई इन बैंक अधिकारियों को बंदी बना लेती, किन्तु यहाँ तो सभी बैंकों का यह हाल था| अत: इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता था की ये नोट रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया से आये हैं|
इसकी जांच के लिए सीबीआई ने जब रिजर्व बैंक के वाल्ट पर छापा मारा तो उसके होश उड़ गए| रिजर्व बैंक के खजाने में ५०० व १००० के नकली नोट मिले| इसकी और अधिक जांच करने पर पता चला कि ये वही नकली नोट हैं जो आईएसआई के द्वारा नेपाल के रास्ते भारत में पंहुचाये जा रहे हैं|
ये नकली नोट देखने में बिलकुल असली लगते हैं, केवल एक मामूली सा अंतर है जिसे पकड़ पाना बेहद कठिन है| दरअसल जब उत्तर प्रदेश व बिहार के बैंकों में छापा मारा गया तो केस अदालत पहुंचा, जहाँ इन नोटों को जांच के लिए सरकारी लैबों में भेजा गया| वह से रिपोर्ट आई कि ये नोट असली हैं| अब सीबीआई परेशान हो गयी कि यदि ये नोट असली हैं तो ५०० का नोट २५० में कैसे मिल सकता है? इसके बाद इन्हें जांच के लिए टोक्यो व हांगकांग की सरकारी लैबों में भेजा गया, वहां से भी यही रिपोर्ट आई कि नोट असली हैं| फिर इन्हें अमरीका भेजा गया और अमरीकी जांच में पता चला की यह नोट नकली हैं| अमरीकी लैब ने यह बताया कि इन नकली नोटों में एक छोटी सी छेड़छाड़ की हुई है जिसे कोई छोटी मोटी संस्था नहीं कर सकती बल्कि नोट बनाने वाली कोई बेहतरीन कंपनी ही ऐसे नोट बना सकती है| अमरीकी लैब ने भारतीय जांच एजेंसियों को पूरे प्रूफ दे दिए और असली नकली नोट में अंतर को पहचानने का तरीका भी सिखाया|
अब सवाल यह था कि आईएसआई द्वारा नेपाल के रास्ते भारतीय बैंकों में पहुंचाए गए ५०० व १००० के नकली नोट बिलकुल वैसे ही हैं जैसे रिजर्व बैंक के खजाने में मिले, तो क्या आईएसआई की पहुँच रिजर्व बैंक तक है? क्योंकि दोनों नोटों का पेपर, इंक व उनकी छपाई एक जैसी ही थी|
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि भारत के ५०० व १००० के नोटों की डिजाइन व क्वालिटी कुछ ऐसी है जो की आसानी से नहीं बनाई जा सकती| फिर आईएसआई ने यह नोट कैसे बना लिए क्योंकि पाकिस्तान के पास तो वैसी टेक्नोलॉजी ही नहीं है|
अब या तो जो संस्था आईएसआई को यह नोट पहुंचा रही है वही रिजर्व बैंक तक भी अपनी पहुँच रखती हो, या फिर आई एस आई की पहुँच रिजर्व बैंक तक हो गयी है| दोनों ही परिस्थितियों में देश के लिए एक bahut बड़ा खतरा है| और उससे भी गंभीर बात यह है कि ये नोट कौनसी कंपनी बना रही है?
जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि ये नकली नोट डे ला रू नाम की कंपनी बना रही है| जी हाँ वही कंपनी जो भारत के लिए नोट छापती है| विश्व बंधू गुप्ता की बात सही है कि दुनिया में केवल ६-७ ऐसे देश हैं जो चाँद तक अपने उपगृह पहुंचाने में सफल हुए हैं| चंद्रयान छोड़ने के बाद भारत भी इन देशों में शामिल हो गया है| इतने आधुनिक तकनीक होने के बाद भी क्या हम अपनी कोई कंपनी नहीं बना सकते जो नोट छापे? उसके लिए भी विदेशों के पास जाना पड़ेगा?
डे ला रू की कमाई का २५ प्रतिशत हिस्सा भारत से कमाया जाता है| डे ला रू का सबसे बड़ा करार रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के साथ है| यह कंपनी आरबीआई को स्पेशल वाटर मार्क वाला बैंक पेपर नोट सप्लाई करती थी| यह खबर आते ही यूरोप में हंगामा मच गया| डे रा रू के शेयर नीचे गिरने लगे|आरबीआई से अपनी डील को बचाने के लिए कंपनी ने अपनी गलती मानी और १३ अगस्त २०१० को कंपनी के चीफ एक्ज़ीक्यूटिव जेम्स हसी को इस्तीफा देना पड़ा| कंपनी में अभी तक जांच चल रही है किन्तु आरबीआई खामोश है, हमारी संसद आज तक खामोश है| और इतनी खामोश है कि देश की मीडिया से यह बात छुपी रह गयी या मीडिया के मूंह में बोटी ठूंस कर उसे चुप करा दिया | और इतना बड़ा काण्ड देश के जनता के सामने आने से रह गया|
सबसे सनसनीखेज व शर्मांक बात जो इस तहकीकात में सामने आई वह यह है कि २००५ में सरकार की अनुमति से डे ला रू कैश इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम से यह कंपनी दिल्ली में रजिस्टर्ड हुई थी| २००४ में यूपीए  प्रथम की सरकार केंद्र में आई थी| आपको पता होगा कि क्वात्रोची छिपा बैठा है| सीबीआई उसे ढूंढ रही है| किन्तु २००५ में उसके बेटे मलुस्मा को अंडमान निकोबार में तेल की खुदाई का ठेका इसी सरकार ने दिया है| ईएनआई इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड नाम से उसकी कंपनी भारत में रजिस्टर्ड है| जिस इटैलियन माफिया क्वात्रोची व उसके बेटे मलुस्मा को गिरफ्तार करना है, उसका दफ्तर दिल्ली के मैरेडियन होटल में है| किसी की इतनी हिम्मत नहीं जो उसे हाथ भी लगा दे| आखिर इटली से आया है न| देश के कुछ जिम्मेदार नागरिकों को याद होगा कि २००५ में ही इटली के आठ बैंक व स्विट्ज़रलैंड के चार बैंकों को भारत में व्यापार करने की अनुमति केंद्र सरकार ने दी थी| ये इटली के वो बैंक हैं जिन्हें वहां का माफिया चला रहा है| और ये स्विट्जरलैंड के वो बैंक हैं जिन्हें यूबीएस चला रहा है| अर्थात देश के गद्दार नेताओं का जामा किया हुआ काला धन व अंतर्राष्ट्रीय माफिया द्वारा कमाया गया काला धन मुंबई के स्टॉक मार्केट में पहुंचाया गया और उससे सट्टा खेला गया| और यह सब हुआ यूपीए सरकार की परमीशन से| मतलब सत्ता में आते ही इस भ्रष्ट सरकार ने अपना खेल खेलना शुरू कर दिया| देश को लूटने की इन्हें इतनी जल्दी थी कि ये खुद को एक साल के लिए भी रोक नहीं पाए|
मित्रों कांग्रेस को गालियाँ बाद में देंगे पहले बात करते हैं डे ला रू की| २००५ में यह कंपनी भारत में रजिस्टर्ड हुई| यह कंपनी करंसी पेपर के अलावा पासपोर्ट, हाई सिक्योरिटी पेपर, सिक्योरिटी प्रिंट, होलोग्राम और कैश प्रोसेसिंग सोल्यूशन में भी डील करती है| इसके अलावा यह भारत में असली नकली नोटों की पहचान करने वाली मशीन भी बनाकर बेचती है| मतलब जो कंपनी नकली नोट भारत में भेज रही है वही नकली नोटों की पहचान करने वाली मशीन भी बेच रही है, तो बताइये कैसे भरोसा किया जाए इन मशीनों पर? और इसी प्रकार यह पैसा आरबीआई के पास पहुंचा, देश के बैंकों व एटीएम तक पहुंचा| और आरबीआई के गवर्नर व हमारा वित्त मंत्रालय इन सब से अनभिज्ञ रहा| संभावनाएं दो ही हैं, कि या तो हमारा वित्त मंत्रालय निहायत ही मुर्ख व नालायक है या फिर वह भी इस लूट में शामिल है| सीबीआई के सूत्रों ने बताया कि डे ला रू का मालिक इटालियन रैकेट के साथ मिलकर देश में नकली नोट सप्लाई कर रहा है और पाकिस्तान के साथ मिलकर आतंकवादियों तक नकली नोट पहुंचा रहा है| यही नोट आईएसआई के द्वारा नेपाल के रास्ते से भारत में आ रहे हैं और आतंकवादी अपनी गतिविधियों को भी इन्ही के द्वारा अंजाम दे रहे हैं| यह सब किसके इशारे पर हो रहा है आप सोच सकते हैं| हमारी जांच एजेंसियां नकली नोटों के इस व्यापार को इस लिए नहीं रोक पा रही थी क्यों कि   वे पाकिस्तान, नेपाल, हांगकांग व मलेशिया आदि से आगे सोच नहीं पा रहे थे| किन्तु यूरोप में इतना कुछ घटित हो गया और आरबीआई चुप है, वित्त मंत्रालय चुप है और भारत सरकार भी चुप है| सच्चाई यही है की देश में आतंकवादी गतिविधियों में मरने वालों के खून से सोनिया, मनमोहन, चिदंबरम व प्रणव मुखर्जी के हाथ रंगे हुए हैं| वरना क्या वजह रही कि डे ला रू की धोखाधडी उजागर होने के बाद भी उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी केवल उसके साथ डील तोड़ने के अलावा? क्यों इसे संसद में नहीं उठाया गया? डे ला रू से डील तोड़ कर चार अन्य कंपनियों के साथ डील कर ली गयी किसी को पता क्यों नहीं चला? किस्से पूछ कर यह डील की गयी? इसके लिए संसद में बहस क्यों नहीं हुई?
डे ला रू का नेपाल व आईएसआई से क्या कनेक्शन है यह भी सुन लो| कंधार विमान अपहरण का मामला वैसे तो पुराना हो गया किन्तु एक व्यक्ति इस विमान में ऐसा था जिसके बारे में जानकार हैरानी हो सकती है| उसका नाम है रोबेर्तो गयोरी| यही आदमी डे ला रू कंपनी का मालिक है जिसे यह कंपनी अपने पिता से विरासत में मिली है| यह कंपनी दुनिया के ९० देशों के लिए नोट छपती है और आईएसआई के लिए भी काम करती है| इस आदमी की एक भी तस्वीर किसी के पास नहीं है| केवल एक तस्वीर है, अपहरण से छूटने के बाद उस विमान से उतरते हुए| रोबेर्तो गयोरी के पास एक ऐसा रसायन है जिसे वह अपने चेहरे पर लगा लेता है और उसके बाद कोई भी कैमरा उसकी तस्वीर नहीं उतार सकता| विमान अपहरण के समय दो दिन विमान में रहने के बाद उसका वह रसायन ख़त्म हो गया और उसकी तस्वीर कैमरा में आ गयी| उस विमान में यह आदमी दो महिलाओं के साथ यात्रा कर रहा था| दोनों महिलाओं के पास स्विट्ज़रलैंड की नागरिकता थी| स्वयं रोबेर्तो गयोरी के पास भी दो देशों की नागरिकता है, एक स्विट्ज़रलैंड व दूसरा इटली (देख लीजिये इन दो देशों का नाम तो हमेशा ही आता है)| नेपाल से उड़ान भरने के बाद जब विमान का अपहरण हुआ तो स्विट्ज़रलैंड के एक विशिष्ट दल ने भारत सरकार पर दबाव बनाना शुरू किया कि वह हमारे नागरिकों की सुरक्षा करे| इसी दल को स्विट्ज़रलैंड सरकार ने हाईजैकर्स से बातचीत करने कंधार भी भेजा| सभी यात्री विमान में घबराए हुए थे जबकि रोबेर्तो गयोरी विमान के पिछले हिस्से में बैठा आराम से अपने लैपटॉप पर काम कर रहा था| उसके पास  सेटेलाईट पेनड्राइव व फोन भी था| अब यह आदमी उस विमान में क्या कर रहा था, उसके पास यह सामान आतंकवादियों ने क्यों छोड़ दिया, नेपाल में ऐसा क्या था जो स्विटज़र लैंड का सबसे अमीर आदमी (जिसे दुनिया में करंसी किंग के नाम से जाना जाता है, क्यों की दुनिया में इतने बड़े लेवल पर वह करंसी निर्माण कर रहा है) वहां क्यों गया था, क्या नेपाल जाने से पहले वह भारत में भी आया था? आदि कई सवाल हैं जिनके जवाब शायद आप खुद ही जान सके हों|
मित्रों इतना सब कुछ होने के बाद भी यदि इस भ्रष्ट कांग्रेस, व एंटोनिया मायनों पर आपका विश्वास है तो भगवान् ही बचाए इस देश को| यह तो भला हो विश्व बंधू गुप्ता का जिन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर इतना बड़ा सच देश के सामने ला दिया| भगवान् उन्हें दीर्घायु प्रदान करे|
विश्व बंधू गुप्ता से डॉ. मनीष कुमार की बातचीत देखने के लिए यहाँ चटका लगाएं|

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