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Thursday, August 4, 2011

तुम मुझे गाय दो, मैं तुम्हे भारत दूंगा


मित्रों शीर्षक पढ़कर चौंकिए मत| मैं कोई नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जैसा नारा लगाकर उनके समकक्ष बनने का प्रयास नहीं कर रहा| उनके समकक्ष बनना तो दूर यदि उनके अभियान का योद्धा मात्र भी बन सका तो स्वयं को भाग्यशाली समझूंगा|

अभी जो शीर्षक मैंने दिया, वह एक अटल सत्य है| यदि भारत निर्माण करना है तो गाय को बचाना होगा| एक भारतीय गाय ही काफी है सम्पूर्ण भारत की अर्थव्यवस्था चलाने के लिए| किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी की आवश्यकता ही नहीं है| ये कम्पनियां भारत बनाने नहीं, भारत को लूटने आई हैं|

खैर अब मुद्दे पर आते हैं|
मैं कह रहा था कि मुझे भारत निर्माण के लिए केवल भारतीय गाय चाहिए| यदि गायों का कत्लेआम भारत में रोक दिया जाए तो यह देश स्वत: ही उन्नति की ओर अग्रसर होने लगेगा| मैं दावे के साथ कहता हूँ कि केवल दस वर्ष का समय चाहिए| दस वर्ष पश्चात भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे ऊपर होगी| आज की सभी तथाकथित महाशक्तियां भारत के आगे घुटने टेके खड़ी होंगी|

सबसे पहले तो हम यह जानते ही हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है| कृषि ही भारत की आय का मुख्य स्त्रोत है| ऐसी अवस्था में किसान ही भारत की रीढ़ की हड्डी समझा जाना चाहिए| और गाय किसान की सबसे अच्छी साथी है| गाय के बिना किसान व भारतीय कृषि अधूरी है| किन्तु वर्तमान परिस्थितियों में किसान व गाय दोनों की स्थिति हमारे भारतीय समाज में दयनीय है|

एक समय वह भी था जब भारतीय किसान कृषि के क्षेत्र में पूरे विश्व में सर्वोपरि था| इसका कारण केवल गाय है| भारतीय गाय के गोबर से बनी खाद ही कृषि के लिए सबसे उपयुक्त साधन है| गाय का गोबर किसान के लिए भगवान् द्वारा प्रदत एक वरदान है| खेती के लिए भारतीय गाय का गोबर अमृत है| इसी अमृत के कारण भारत भूमि सहस्त्रों वर्षों से सोना उगलती आ रही है|

किन्तु हरित क्रान्ति के नाम पर सन १९६० से १९८५ तक रासायनिक खेती द्वारा भारतीय कृषि को नष्ट कर दिया गया| हरित क्रान्ति की शुरुआत भारत की खेती को उन्नत व उत्तम बनाने के लिए की गयी थी| किन्तु इसे शुरू करने वाले आज किस निष्कर्ष तक पहुंचे होंगे?
रासायनिक खेती ने धरती की उर्वरता शक्ति को घटा कर इसे बाँझ बना दिया| साथ ही साथ इसके द्वारा प्राप्त फसलों के सेवन से शरीर न केवल कई जटिल बिमारियों की चपेट में आया बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घटी है|
वहीँ दूसरी ओर गाय के गोबर से बनी खाद से हमारे देश में हज़ारों वर्षों से खेती हो रही थी| इसका परिणाम तो आप भी जानते ही होंगे| किन्तु पिछले कुछ दशकों में ही हमने अपनी भारत माँ को रासायनिक खेती द्वारा बाँझ बना डाला|

इसी प्रकार खेतों में कीटनाशक के रूप में भी गोबर व गौ मूत्र के उपयोग से उत्तम परिणाम वर्षों से प्राप्त किये जाते रहे| गाय के गोबर में गौ मूत्र, नीम, धतुरा, आक आदि के पत्तों को मिलाकर बनाए गए कीटनाशक द्वारा खेतों को किसी भी प्रकार के कीड़ों से बचाया जा सकता है| वर्षों से हमारे भारतीय किसान यही करते आए हैं| किन्तु आज का किसान तो बेचारा रासायनिक कीटनाशक का छिडकाव करते हुए स्वयं ही अपने प्राण गँवा देता है| कई बार किसान कीटनाशकों की चपेट में आकर मर जाते हैं| ज़रा सोचिये कि जब ये कीटनाशक इतने खतरनाक हैं तो पिछले कई दशकों से हमारी धरती इन्हें कैसे झेल रही होगी? और इन कीटनाशकों से पैदा हुई फसलें जब भोजन के रूप में हमारी थाली में आती हैं तो क्या हाल करती होंगी हमारा?

केवल चालीस करोड़ गौवंश के गोबर व मूत्र से भारत में चौरासी लाख एकड़ भूमि को उपजाऊ बनाया जा सकता है| किन्तु रासायनिक खेती के कारण आज भारत में १९० लाख किलो गोबर के लाभ से हम भारतवासी वंचित हो रहे हैं|


किसी भी खेत की जुताई करते समय चार से पांच इंच की जुताई के लिए बैलों द्वारा अधिकतम पांच होर्स पावर शक्ति की आवश्यकता होती है| किन्तु वहीँ ट्रैक्टर द्वारा इसी जुताई में ४० से ५० होर्स पावर के ट्रैक्टर की आवश्यकता होती है| अब ट्रैक्टर व बैल की कीमत के अंतर को बहुत सरलता से समझा जा सकता है| वहीँ ट्रैक्टर में काम आने वाले डीज़ल आदि का खर्चा अलग है| इसके अतिरिक्त भूमि के पोषक जीवाणू  ट्रैक्टर की गर्मी से व उसके नीचे दबकर ही मर जाते हैं|

इसके अलावा खेतों की सींचाई के लिए बैलों के द्वारा चालित पम्पिंग सेट और जनरेटर से ऊर्जा की आपूर्ति भी सफलता पूर्वक हो रही है| इससे अतिरिक्त बाह्य ऊर्जा में होने वाला व्यय भी बच गया|

यदि भारतीय कृषि में गौवंश का योगदान मिले तो आज भी भारत भूमि सोना उगल सकती है| सदियों तक भारत को सोने की चिड़िया बनाने में गाय का ही योगदान रहा है|


ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में भी पशुधन का उपयोग लिया जा सकता है| आज भारत में विधुत ऊर्जा उत्पादन का करीब ६७ प्रतिशत थर्मल पावर से, २७ प्रतिशत जलविधुत से, ४ प्रतिशत परमाणु ऊर्जा से व २ प्रतिशत पवन ऊर्जा के द्वारा हो रहा है|

थर्मल पावर प्लांट में विधुत उत्पादन के लिए कोयला, पैट्रोल, डीज़ल व प्राकृतिक गैस का उपयोग किया जाता है| इसके उपयोग से कार्बन डाई आक्साइड का उत्सर्जन वातावरण में हो रहा है| जिससे वातावरण के दूषित होने से भिन्न भिन्न प्रकार के रोगों का जन्म अलग से हो रहा है|
जलविधुत परियोजनाएं अधिकतर भूकंपीय क्षेत्रों में होने के कारण यहाँ भी खतरे की घंटी है| ऐसे में किसी भी बाँध का टूट जाना करोड़ों लोगों को प्रभावित कर सकता है| टिहरी बाँध के टूटने से चालीस करोड़ लोग प्रभावित होंगे|
परमाणु ऊर्जा के उपयोग का एक भयंकर परिणाम तो हम अभी कुछ समय पहले जापान में देख ही चुके हैं| परमाणु विकिरणों के दुष्प्रभाव को कई दशकों बाद भी देखा जाता है|



जबकि यहाँ भी गौवंश का योगदान लिया जा सकता है| स्व. श्री राजीब भाई दीक्षित अपने पूरे जीवन भर इस अनुसन्धान में लगे रहे व सफल भी हुए| उनके द्वारा बनाए गए गोबर गैस संयत्र से गोबर गैस को सिलेंडरों में भरकर उसे ईंधन के रूप में उपयोग लिया जा सकता है| आज एक साधारण कार को पैट्रोल से चलाने में करीब चार रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से खर्च होता है| जिस प्रकार से पैट्रोल, डीज़ल के दाम बढ़ रहे हैं, यह खर्च आगे और भी बढेगा| वहीँ दूसरी और गोबर गैस के उपयोग से उसी कार को ३५ से ४० पैसे प्रति किलोमीटर के हिसाब से चलाया जा सकता है|
आईआईटी दिल्ली ने कानपुर गोशाला और जयपुर गोशाला अनुसंधान केन्द्रों के द्वारा एक किलो सी .एन.जी. से २५ से ४० किलोमीटर एवरेज दे रही तीन गाड़ियां चलाई जा रही है|
रसोई गैस सिलेंडरों पर भी यह बायोगैस बहुत कारगर सिद्ध हुई है| सरकार की भ्रष्ट नीतियों के चलते आज रसोई गैस के दाम भी आसमान तक पहुँच गए हैं, जबकि गोबर गैस से एक सिलेंडर का खर्च केवल ५० से ७० रुपये तक आँका गया है|
इसी बायोगैस से अब हैलीकॉप्टर भी जल्द ही चलाया जा सकेगा| हम इस अनुसन्धान में अब सफलता के बहुत करीब हैं|
गोबर गैस प्लांट से करीब सात करोड़ टन लकड़ी बचाई जा सकती है, जिससे करीब साढ़े तीन करोड़ पेड़ों को जीवन दान दिया जा सकता है| साथ ही करीब तीन करोड़ टन उत्सर्जित कार्बन डाई आक्साइड को भी रोका जा सकता है|

पैट्रोल, डीज़ल, कोयला व गैस तो सब प्राकृतिक स्त्रोत हैं, किन्तु यह बायोगैस तो कभी न समाप्त होने वाला स्त्रोत है| जब तक गौवंश है, अब तक हमें यह ऊर्जा मिलती रहेगी|


हाल ही में कानपुर की एक गौशाला ने एक ऐसा सीऍफ़एल बल्ब बनाया है जो बैटरी से चलता है| इस बैटरी को चार्ज करने के लिए गौमूत्र की आवश्यकता पड़ती है| आधा लीटर गौमूत्र से २८ घंटे तक सीऍफ़एल जलता रहेगा|
यदि सरकार चाहे तो इस क्षेत्र में सकारात्मक कदम उठाकर इससे भारी मुनाफा कमाया जा सकता है|




इसके अतिरिक्त चिकित्सा के क्षेत्र में तो भारतीय गाय के योगदान को कोई झुठला ही नहीं सकता| हम भारतीय गाय को ऐसे ही माता नहीं कहते| इस पशु में वह ममता है जो हमारी माँ में है|
भारतीय गाय की रीढ़ की हड्डी में सूर्यकेतु नाड़ी होती है| सूर्य के संपर्क में आने पर यह स्वर्ण का उत्पादन करती है| गाय के शरीर से उत्पन्न यह सोना गाय के दूध, मूत्र व गोबर में भी होता है|
अक्सर ह्रदय रोगियों को घी न खाने की सलाह डॉक्टर देते रहते हैं| साथ ही एलोपैथी में ह्रदय रोगियों को दवाई में सोना ही कैप्सूल के रूप में दिया जाता है| यह चिकित्सा अत्यंत महँगी साबित होती है|
जबकि आयुर्वेद में ह्रदय रोगियों को भारतीय गाय के दूध से बना शुद्ध घी खाने की सलाह दी जाती है| इस घी में विद्यमान स्वर्ण के कारण ही गाय का दूध व घी अमृत के समान हैं|
गाय के दूध का प्रतिदिन सेवन अनेकों बीमारियों से दूर रखता है|
गौ मूत्र से बनी औषधियों से कैंसर, ब्लडप्रेशर, अर्थराइटिस, सवाईकल हड्डी सम्बंधित रोगों का उपचार भी संभव है| ऐसा कोई रोग नहीं है, जिसका इलाज पंचगव्य से न किया जा सके|


यहाँ तक कि हवन में प्रयुक्त होने वाले गाय के घी व गोबर से निकलने वाले धुंए से प्रदुषण जनित रोगों से बचा जा सकता है| हवन से निकलने वाली गैसों में इथीलीन आक्साइड, प्रोपीलीन आक्साइड व फॉर्मएल्डीहाइड गैसे प्रमुख हैं|
इथीलीन आक्साईड गैस जीवाणु रोधक होने पर आजकल आपरेशन थियेटर से लेकर जीवन रक्षक औषधियों के निर्माण में प्रयोग मे लायी जा रही है। वही प्रोपीलीन आक्साइड गैस का प्रयोग कृत्रिम वर्षा कराने के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है|
साथ ही गाय के दूध से रेडियो एक्टिव विकिरणों से होने वाले रोगों से भी बचा जा सकता है|

यदि सरकार वैदिक शिक्षा पर कुछ शोध करे तो दवाइयों पर होने वाले करीब दो लाख पचास हज़ार करोड़ के खर्चे से छुटकारा पाया जा सकता है|

अब आप ही बताइये कहने को तो गाय केवल एक जानवर है, किन्तु इतने कमाल का एक जानवर क्या हमें ऐसे ही बूचडखानों में तड़पती मौत मरने के लिए छोड़ देना चाहिए?

कुछ तो कारण है जो हज़ारों वर्षों से हम भारतीय गाय को अपनी माँ कहते आए हैं|

भारत निर्माण में गाय के अतुलनीय योगदान को देखते हुए शीर्षक की सार्थकता में मुझे यही शीर्षक उचित लगा|




18 comments:

  1. कुछ तो कारण है जो हज़ारों वर्षों से हम भारतीय गाय को अपनी माँ कहते आए हैं....

    सच कहा ...गोवंश के योगदान की इतनी विस्तृत जानकारी पाकर बहत अच्छा लगा ...सार्थक आव्हान ..

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  2. प्रेमचंद ने अपने कथा-साहित्य में भी कृषक-समाज की इस पीड़ा को परोक्ष रूप से ज़ाहिर किया था. और आज़ आपने बड़े वैज्ञानिक और विश्वासपूर्वक ढंग से उन बातों को दोहराया है.
    साधुवाद दिवस जी.

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  4. .

    Dear brother Diwas ,

    Accept my gratitude for writing such a sensible post. I wish our people can understand the significance of our culture, heritage and the reason behind our prosperity .

    Our government is forgetting our Farmers and agriculture and unfortunately investing in foreign countries by bringing Walmart type of companies .

    Best wishes to you . Continue bringing such issues . You can move mountains galore.

    .

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  5. गाय HMARI माँ HE HEM AAPNI MA KO BECHANE KE LIYE KUCHH BHI KERE GE, JO MA HME GENEM DE TI HE USH KA TO hem kebel 2-3 year tek dudh pite he lekin gay mata ka to jeb tek hem mer te he teb tek pite he

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  6. सही कहा, गोउ माता तो सच में कामधेनु ही होतीं हैं .आपने तर्कपूर्ण ढंग से विस्तारपूर्वक उपयोगी जानकारी उपलब्ध करायी है .....धन्यवाद

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  7. अगर आपकी बात मान ली जाये तो इसमें नुक्सान वाली तो कोई वजह नहीं है।

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  8. वाह गाय की शक्ति बेजोड़ है !बहुत ही सुन्दर जानकारी दी है आप ने !एक समय था जब गाय और बछडा कांग्रेसियों का चुनाव चिन्ह था ! आज वे भी भूल सा गए है !

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  9. आदरणीय दिवस दिनेश गौर जी,
    नमस्ते,
    बहुत सच कहा है आपने "मुझे भारत निर्माण के लिए केवल भारतीय गाय चाहिए|यदि गायों का कत्लेआम भारत में रोक दिया जाए तो यह देश स्वत: ही उन्नति की ओर अग्रसर होने लगेगा| मैं दावे के साथ कहता हूँ कि केवल दस वर्ष का समय चाहिए| दस वर्ष पश्चात भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे ऊपर होगी| आज की सभी तथाकथित महाशक्तियां भारत के आगे घुटने टेके खड़ी होंगी|"
    आपकी बात सही है और बहुत ही सार्थक सन्देश है आप और आप जैसे यदि और भी लोग आऐ तो गौ माता की ह्त्या बंद हो जाएगी आभार आपका इस लेख के लिए

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  10. गौ माता से जुडे बहुत ही महत्वपूर्ण पोस्ट पर स्वागत है आपका
    गौ ह्त्या के चंद कारण और हमारे जीवन में भूमिका

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  11. आदरणीय दिवस दिनेश गौर जी,
    काश सबको पढ़ा पाना मेरे बस में होता... लेकिन जितना हो सकेगा शेयर करूंगा, अपने ब्लॉग से भी ज्यादा .....अगर आपकी इजाजत हो तो कुछ दिनों बाद आपकी इस पोस्ट को अपने ब्लॉग पर आपके नाम के साथ साभार लगाना चाहता हूँ.!

    कृपया ज़रूर जवाब दीजियेगा....

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  12. आदरणीय भाई सवाई सिंह जी, यह लेख आपके ब्लॉग पर लगे तो मुझे ख़ुशी होगी...
    मैं तो बीएस दुनिया तक अपनी आवाज़ पहुँचाना चाहता हूँ, माध्यम चाहे जो हो...
    इस सम्मान के लिए आपका आभार...

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  13. बहन मोनिका जी, भाई प्रतुल जी, उत्साहवर्धन के लिए आपका आभार...

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  14. दिव्या दीदी, आपका विशेष आभार जो आपने मुझे इस योग्य समझा...

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  15. भाई कुलदीप जी, भाई संदीप जी, बहन रेखा जी, जी एन जी आपका भी धन्यवाद...
    संदीप जी इसमें कोई नुक्सान नहीं है...

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  16. इस तथ्य पूर्ण लेख के लिये बहुत-२ धन्यवाद .

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  17. इस तथ्य पूर्ण लेख के लिये बहुत-२ धन्यवाद.

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  18. दिवस भाई जी
    आपके ब्लॉग का लिंक संजय राणा ने दिया था वो मेरा अच्छा मित्र है
    आपका लेख पड़कर काफी अच्छा लगा आखें खोलने वाला लेख है
    हम भी इस दिशा में काम कर रहे है
    गौमाता को आर्थिक रूप से स्थापित करने की दिशा में अभी हमने एक प्रोजेक्ट सुरु किया है
    comerical बायोगैस प्लांट जिसमे हम गैस को सिलेंडर में शुद्ध कर के कॉम्प्रेस करके भरके मार्किट में उतरेंगे और किसानो को जैविक खाद मुहिया भी कराएँगे
    अधिक जानकारी के लिए मेरे फ़ोन पे सम्पर्क कर सकते है ०९२१५९५९५००

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