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Saturday, May 7, 2011

अरे ओ ओसामा, तू तो निरा मुर्ख निकला रे...

मित्रों आतंकवादी सरंगना ओसामा बिन लादेन की मृत्यु को लेकर भाँती भाँती के विचार सुनने एवं पढने में आ रहे हैं| कोई कहता है कि अमरीका ने आखिर दस साल बाद अपने अपमान का प्रतिशोध ले ही लिया, तो कुछ का कहना है कि मरने वाला लादेन नहीं कोई और है| भाँती भाँती के लोग, भाँती भाँती के दिमाग, भाँती भाँती की सोच, भाँती भाँती के विचार और भाँती भाँती के निर्णय|
अब सच क्या है यह तो भगवान् ही जाने, किन्तु इन सब प्रकरणों में एक बात जो मुझे समझ आई वह यह कि यदि मरने वाला ओसामा ही था तो यह तो निरा मुर्ख था जो पाकिस्तान में जाकर छिप गया| अरे पाकिस्तान में भला कोई सुरक्षित रह सकता है| वह देश तो बेचारे अपने नागरिकों को भी सुरक्षा नहीं दे सकता| पता नहीं कब तो वहां सत्ताएं पलट जाती हैं| कभी लोकतंत्र तो कभी सैनिक शासन| जनता तो बेचारी इन सब झमेलों से बाहर निकल ही नहीं पाती| अब ऐसे में पाकिस्तान में जाकर छिपना मुर्खता नहीं तो और क्या है| देखलो अब मारा गया न|
अरे भाई इससे तो अच्छा होता कि वह भारत में ही शरण ले लेता| कम से कम सुरक्षा तो मिलती उसे| हमारे देश की सभी सेक्युलर रुदालियाँ (वामपंथी एवं कांग्रेसी) उसे अपना घर जमाई बना कर रखते| खाने को रोज चिकन शिकन मिलता| रहने के लिए आलिशान जेल (हालांकि इसे जेल कहना सरासर गलत होगा) मिलती| सुरक्षा के बहाने पता नहीं कितना करोड़ रुपया देश की जनता के खून पसीनें की कमाई से खर्च हो जाता| कुल मिला कर ऐश करता यहाँ पर|
इसकी मुर्खता पर तो हंसी आती है| कम से कम इतना अंदाजा ही लगा लेता कि अफजल गुरु व कसाब जैसों को भी यहाँ विलास की सामग्रियां मिल रही हैं तो वह तो इन सब का बाप ही था| उसके लिए तो शायद दस जनपथ पर अलग से एक महल बनाया जाता, हालांकि उसे जेल की ही संज्ञा दी जाती| जहाँ पर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त होते| खाने में शायद रोज किसी काफिर का गोश्त मिल जाता| वो बात और है कि मालेंगाव बम धमाकों की आरोपी (?) और हिन्दू आतंकवादी (अव्वल तो यह शब्द आया कौनसी डिक्शनरी से यह किसी को नहीं पता) साध्वी प्रज्ञा देवी पर आरोप सिद्ध न होने एवं केवल शंका होने पर भी जेल में यातनाएं दी जा रही हैं| एक स्त्री पर इस प्रकार के अत्याहार करके इन सेक्युलरों को मर्दानगी का भ्रम हो रहा है| सभी महिला मुक्ति संगठन कान में तेल दाल कर सो रहे हैं| सभी मानवाधिकारी (सॉरी सॉरी दानवाधिकारी) इन गर्मियों में भी रजाई में मूंह घुसेड के सो रहे हैं| किन्तु लादेन के साथ ऐसा नहीं हो सकता| आखिर सेक्युलरिज्म नाम की चिड़िया की रक्षा भी तो करनी हैं न| इसके लिए तो महिला मुक्ति, दलित मुक्ति, मानवाधिकारी सभी संगठन बचाव में आ जाते| सबसे पहले तो खुद कांग्रेसी और झोला छाप बुद्धिजीवी वामपंथी आते|
और क्या पता इसके लिए दिग्गी राजा का जो प्रेम इसके मरने की बाद फुंकार मार रहा है वह पहले ही सामने आ जाता| दिग्गी शायद अपना खुद का बेडरूम अपने हाथों से सजा कर उसके शयन का इंतजाम करता| अमरीका के हाथों मरना तो दूर कभी कोई मच्छर भी काट लेता तो इसमें संघ का षड्यंत्र (?) कहकर वोटबैंक की राजनीति खेली जाती| और क्या पता आजमगढ़ से उसे टिकट दिलवाने के लिए सभी दलों में होड़ मच जाती| विधानसभाएं उसके आगे पीछे चक्कर काटतीं| और क्या पता बिग बॉस के अगले सीज़न में भी एंट्री मिल जाती|
अब बताइये मुर्ख नहीं था तो और क्या था? यूँही पवित्र भारत की धरती को छोड़कर पाक सरजमीं पर मरने गया| अरे उसके लिए तो ये सेक्युलर अमरीका से भी लड़ लेते| अमरीका महाशक्ति होगा अपने देश में हमारे यहाँ तो शर्मनिरपेक्षता से बढ़ कर कुछ नहीं है| आखिर उसकी रक्षा के लिए तो शायद इन नपुंसकों का पौरुष भी जाग उठता| वो बात और है कि कश्मीर की हालत देख कर पाकिस्तान जैसे दो कौड़ी (शायद कुछ ज्यादा ही मूल्य लगा दिया इसका) के देश के सामने इनके मूंह में दही जम जाता है किन्तु ओसामा के लिए तो यूं एन भी इनके पांवों की धूल ही होता| शायद कल को ये सेक्युलर उसके लिए अलकायदा का हैड ऑफिस दिल्ली में ही खोल देते| अरे भाई उसे अपना काम धाम भी तो संभालना होता न| बाहर कहाँ इधर उधर भागता फिरता? कभी सऊदी अरब, कभी अफगानिस्तान तो कभी पाकिस्तान| आराम से दिल्ली में बैठकर अपना पूरा नेटवर्क संभालता| और यहाँ की जनता तो पैदा ही बम धमाकों में मरने के लिए होती है| जितने जी में आये उतने बम फोड़ता, हम तो इसे हाथ भी नहीं लगाते| और अगर गलती से कोई मुक़दमा चल भी जाता तो इस देश में आलिशान जेलें लादेन जैसों जिहादियों के लिए ही तो बनी हैं| और वैसे तो मुझे पूरा विश्वास है कि ये सेक्युलर लादेन का बाल भी बांका नहीं होने देते किन्तु मृत्यु तो एक अटल सत्य है| जब कभी भी लादेन का इससे सामना होता तो दिग्गी अपने घर के पिछवाड़े में ही उसके लिए मकबरा बनवा देता, जहाँ बाबरी मस्जिद टाइप कोई लादेन मस्जिद भी बन जाती|
अरे ओ ओसामा, बड़ा जिहादी बना फिरता था, तू तो निरा मुर्ख निकला रे...

8 comments:

  1. Are Bhai... Sania uski 6th BB banane ko taiyaar ho jaati aur Priyanka Saatvin... Mayavati aur Mamta aur Jaylalita bhi apna vivah na karne ka pran chhod deti... sabse jyada dhoka hota to Paratibha ji aur Sheela ji ko.. ki inki jawani me ye kyon nahi mila... Laaden... tu sachmuch murkh hi tha re... tere aage peechhe saina ki gaadiyan hoti teri raksha karne ke liye.. aur tu khule aam custody (Z level Suraksha) me apani poori life bita raha hota.. tera case teri natural death ke baad apane aap band ho jaata, jaise baaki netaon (Gaddaron) ke ho rahe hain...

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  2. बिलकुल सटीक और स्पष्ट लिखा है.............. यहाँ उसे कोई ख़तरा नहीं होता ..........

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  3. दिनेश जी, मैं आपके ब्लॉग पर आया, अच्छा लगा, हमें ख़ुशी है की आप जैसे लोग हल्ला बोल से जुड़कर हिंदुत्व और भारत के स्वाभिमान की रक्षा में सहायक बने, यह मंच मेरा नहीं प्रत्येक उस हिन्दुस्तानी का है जो आप जैसी सोच रखता हो. इस मंच से आप जुड़ने से पहले जान ले की यहाँ आपका उतना ही दायित्व होगा जितना मेरा या मंच से जुड़े प्रत्येक बंधुओ का है. हमें निष्ठांवान हिन्दुओ की खोज भी करना है. और इस कार्य में आप भी कुछ समय निकाल कर अवश्य सहायक बनेंगे. जो ब्लोगर आप जैसे विचार रखते हो उन्हें इस मंच से जुड़ने को प्रेरित करें. धन्यवाद् , हल्ला बोल परिवार में आपका स्वागत है.

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  4. मंग्लेश्वेर भैया आपकी टिप्पणी बड़ी ही व्यंगात्मक है...हंसी हंसी में यह हमें सोचने पर मजबूर कर रही है कि हम कहाँ जा रहे हैं?
    बहन मोनिका जी उत्साह वर्धन के लिए आपका आभार...इस विकट परिस्थिति से आप परिचित हैं यह हमारे लिए शुभ संकेत है...
    @हल्ला बोल..बिलकुल सही कहा आपने...मै पूरा प्रयास करूँगा...ईश्वर करे आपका अभियान सफल हो...

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  5. .

    प्रिय भाई दिवस ,
    आपके आलेख की जितनी भी प्रशंसा की जाए, कम होगी। एक बेहद सटीक प्रस्तुति कहना उचित होगा। देश के लिए जो जज्बा और आक्रोश आप के अन्दर है , आज उसी की ज़रुरत है हर किसी में।
    शुभकामनाएं।

    .

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  6. दिव्या दीदी उत्साह वर्धन के लिए आपका धन्यवाद...समस्या गंभीर है अत: सभी को अवश्य ही सजग होना होगा...
    आपकी टिप्पणी से विशेष उत्साह मिलता है, अत: अपने भाई पर यह कृपा सदैव बनाएं रखें...
    धन्यवाद...
    सादर...
    दिवस...

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  7. प्रिय बंधुवर दिवस दिनेश जी
    ससस्नेहाभिवादन !

    जिसे कुत्ते की मौत मरना था , आराम से नरक पहुंच गया … :(
    आपका व्यंग्य मन को कुरेदता है … भारत में अपराधियों को जिस तरह लाड़ लडाया जाता है वह शर्मनाक है …

    मुझे तब ही तो कहना पड़ता है -
    सियासतदां जो होते मर्द , उनका खौल उठता ख़ूं
    अख़ीरी जंग की फ़िर पाक से तैयारियां होतीं

    न हिजड़ों को बिठाते हम अगर दिल्ली की गद्दी पर
    न चारों ओर बहते ख़ून की ये नालियां होतीं


    विलंब से पहुंचा हूं … क्षमाप्रार्थी हूं ।
    बहरहाल ,अच्छे आलेख के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  8. divas jee
    sader vande acheee partstootee

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