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Friday, August 19, 2011

मैं भी अन्ना भक्त, किन्तु आज अन्ना भक्तों से गालियाँ सुनने आया हूँ


मित्रों लेख शुरू करने से पहले यहाँ आने वाले सभी पाठकों से आग्रह है कि कृपया इस लेख को ध्यान से पढ़ें|

मित्रों अन्ना हजारे का अनशन जनलोकपाल मुद्दे को लेकर चल ही रहा है| अनशन दिल्ली में है लेकिन उसकी आग देश भर में लगी हुई दिखाई दे रही है| मैं तो यहाँ जयपुर में देख रहा हूँ कि जो कहीं नहीं हो रहा वो कल दिनांक १८ अगस्त को जयपुर में हो गया| आन्दोलनकारियों ने सुबह से ही रैली निकालनी शुरू कर दी| इसमें यहाँ के व्यापारी भी शामिल थे| उन्होंने शहर भर में घूम घूम कर आधे दिन के लिए अन्ना के समर्थन में दुकाने व बाज़ार बंद रखने की याचना लोगों से की| कोई जोर ज़बरदस्ती नहीं थी, जिसकी इच्छा हो वो बंद करे जिसकी इच्छा न हो वो न करे| अधिकतर दुकाने व बाज़ार कल बंद रहे|
इसके अतिरिक्त रोज़ शाम को शहर के मुख्य मार्गों व चौराहों पर लोग एकत्र हो जाते हैं| ये लोग किसी दल के नहीं होते, इनका कोई नेता नहीं होता, केवल अपनी इच्छा से सड़कों पर उतर आए हैं व अन्ना के समर्थन में नारे लगा रहे हैं, मोमबत्तियां जला रहे हैं|
तीन दिनों से मेरा भी टाइम टेबल कुछ ऐसा ही चल रहा है| दिन भर अपना काम करते हैं व शाम को सड़कों पर उतर आते हैं| रोज़ भीड़ बढ़ती ही जा रही है| कल तो इतनी भीड़ थी कि लग रहा था कि पूरा देश ही अन्ना के समर्थन में आ गया है| खैर अपने को तो यूपीए सरकार या कहिये कांग्रेस पार्टी को घेरने का बहाना चाहिए|

देश भर का मीडिया भी जैसे सरकार गिराने पर तुला है| जहां देखो अन्ना, अन्ना और केवल अन्ना| जब भी, जहां भी कोई समाचार देखो तो बस अन्ना|

एक नारा जो बार बार सुनाई दे रहा है, वह है - "अन्ना एक आंधी है, देश का दूसरा गांधी है|"

बिलकुल मैं भी आज यही कह रहा हूँ| अन्ना दूसरा गांधी ही है| और अंग्रेजों की संज्ञा इस कांग्रेस को दी जा सकती है| बिलकुल ऐसा ही लग रहा है जैसे १९४७ से पहले का कोई सीन चल रहा हो| देश भर में रैलियाँ प्रदर्शन हो रहे हैं, जैसे गांधी जी के समर्थन में व अंग्रेजों के विरोध में १९४७ से पहले होते थे|

किन्तु अंग्रेजों को इनसे कोई फर्क नहीं पड़ता था| जिसकी प्रकृति ही अत्याचारी हो, उसे इन नारों व भाषणों से भला क्या समस्या होती? अंग्रेजों को कौनसा यहाँ भारतीयों का दिल जीतना था? उनका मकसद तो भारत को लूटना व भारतीयों पर अत्याचार करना था| और वही काम आज कांग्रेस कर रही है| इन काले अंग्रेजों ने अपने गुरु गोरे अंग्रेजों से बहुत कुछ सीखा है|

याद रखने वाली बात यह है कि आज़ादी की लड़ाई केवल गांधी ने नहीं लड़ी| लेकिन अंग्रेजों ने केवल गांधी जी को हाई लाईट कर यह दिखाया कि भारत की आज़ादी के लिए लड़ने वाला सिर्फ गांधी ही है, क्योंकि गांधी से उन्हें कोई समस्या जो नहीं थी| जिनसे समस्या थी (भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, सुभाष चन्द्र बोस आदि) उन्हें पीछे धकेल दिया गया| जिनसे डर था वे गुमनामी में जीते रहे, और तो और अपने ही देशवासियों से अपमानित होते रहे| यहाँ तक कि उन्होंने अपनी लड़ाई के साथ साथ गांधी का भी सहयोग किया किन्तु स्वयं गांधीवादियों ने भी उन्हें अपनी लड़ाई से दूर रखा| निश्चित रूप से गांधी जी का अभियान देश के हित में था| इसके लिए भारत सदैव गांधी जी को याद रखेगा| लेकिन साथ ही यह भी ध्यान देने योग्य है कि समस्या को जड़ से मिटाने के लिए गांधी के रास्तों के साथ साथ कोई अन्य रास्ता भी अपनाना चाहिए था|

बिलकुल वही सीन अभी दोहराया आ रहा है|

कांग्रेस को डर अन्ना का नहीं है| अन्ना का डर होता तो आज अन्ना को मीडिया में इतना कवरेज नहीं मिलता| डर है तो बाबा रामदेव का| तभी तो अन्ना की गिरफ्तारी पर हो हल्ला होने पर भी कांग्रेसियों के कान पर जून तक नहीं रेंग रही थी| लेकिन जैसे ही बाबा रामदेव दिल्ली पहुंचे कि अन्ना की रिहाई के लिए सरकार ही पलकें बिछाने लगी| जो सरकार कल तक अनशन की इजाज़त तक नहीं दे रही थी, आज अचानक अनशन की अवधी का बढ़ाकर पहले तीन दिन से सात दिन व बाद में सात दिन से बढ़ाकर १५ दिन कर देती है| अन्ना थोड़े भाव और खाते तो शायद एक महिना या एक साल की अनुमति भी मिल जाती| ऐसा लग रहा था जैसे सरकार अन्ना से गुहार लगा रही हो कि आइये आप अनशन कीजिये और हो सके तो बचाइये अपने देश को| कहीं ऐसा न हो जाए कि इस पूरे प्रकरण में बाबा रामदेव हीरो बन जाएं और हम देखते रह जाएं|

इस बात से बिलकुल भी इनकार नहीं किया जा सकता कि कांग्रेस को डर मुख्यत: बाबा रामदेव से ही है| जहां अन्ना को मीडिया में हाई लाईट किया आ रहा है वहीँ बाबा रामदेव के किसी कार्यक्रम को टीवी चैनलों का हिस्सा एक मिनट के लिए भी नहीं बनने दिया गया| क्योंकि अन्ना भ्रष्टाचार रुपी दानव के पैरों के नाखून काटने से शुरुआत कर रहे हैं जबकि बाबा रामदेव सीधा गले पर वार कर रहे हैं|
ध्यान रहे १९४७ से पहले गांधी जी भी किसी न किसी क़ानून को लेकर अंग्रेजों से बहस किया करते थे जबकि क्रांतिकारी सीधे भारत से अंग्रेजों को भगाने के लिए लड़ते थे|
क़ानून बन जाने से क्या होगा? बन जाए लोकपाल, जब कपिल सिब्बल जैसे क़ानून का बलात्कार करने वाले स्वयं मंत्रिमंडल में बैठे हों तो भला कोई क़ानून क्या उखाड़ लेगा?

गांधी जी के साथ "नेहरु" था, तो यहाँ अन्ना के साथ भी एक दल्ला "अग्निवेश" है| इन जैसों की छत्र छाया में भला कोई क़ानून कैसे सुरक्षित रह सकता है?
मुझे लगता है कि अन्ना की टीम में यदि किसी पर भरोसा किया जा सकता है तो वह स्वयं अन्ना पर अथवा किरण बेदी व अरविन्द केजरीवाल पर| भूषण बाप बेटे भला कब से भ्रष्टाचार की लड़ाई लड़ने लगे?

कांग्रेस का बाबा से डर तो उसी समय समझ आ जाना चाहिए था जब अन्ना को राम लीला मैदान में अनशन की अनुमति मिली| जिस राम लीला मैदान से बाबा रामदेव व उनके एक लाख से अधिक समर्थकों को आधी रात में ही मार मार कर भगाया गया वहां अन्ना को सरकारी खर्चे पर जल्द से जल्द मैदान की सफाई करवा कर अनशन के लिए जमीन उपलब्ध की जा रही है|
बाबा रामदेव के आन्दोलन का दमन करने का कांग्रेस के पास जो सबसे बड़ा बहाना था वह ये कि "राम लीला मैदान चांदनी चौक के निकट है और यह स्थान साम्प्रदायिक हिंसा का केंद्र रहा है|"
तो अब अन्ना को ऐसे साम्प्रदायिक हिंसा के केंद्र पर अनशन की अनुमति क्यों दी गयी? क्या दिल्ली में और कोई जगह नहीं है?


कांग्रेस का मकसद साफ़ साफ़ दिखाई दे जाना चाहिए| उसे पता है कि इतनी फजीती होने के बाद वह २०१४ के लोकसभा चुनावों में नहीं आ सकती| उसकी हालत अभी वैसी ही है, जैसी इंदिरा गांधी के आपातकाल के समय थी| अत: जितना हो सके उसे जनलोकपाल के मुद्दे को घसीटना ही पड़ेगा| और दो साल बाद यह क़ानून पारित कर दिया जाएगा, जिसमे प्रधानमंत्री भी लोकपाल का शिकार होगा| ऐसे में बाबा रामदेव से भी पीछा छुडाया जा सकेगा और आने वाली सरकार को इसी लोकपाल से गिराकर फिर से तख़्त पर बैठा जा सकेगा|
कोई आश्चर्य नहीं जो ऐसे समय में पुन: कांग्रेस सत्ता में आ जाए| जब आपातकाल के बाद केवल दो वर्षों के जनता पार्टी के शासन के बाद पुन: सत्ता में आ सकती है तो आज क्यों नहीं? दरअसल भारत देश की जनता भूलती बहुत जल्दी है| देखिये न केवल दो ही वर्षों में इंदिरा का आपातकाल भूल गयी| १९४७ पूरा होते ही अंग्रेजों के दो सौ साल के अत्याचार भूल कर इंग्लैण्ड से दोस्ती कर बैठी| पाकिस्तान द्वारा थोपे गए चार युद्ध व सैकड़ों आतंकवादी घटनाओं को भूल कर दोस्ती की बात कर बैठी|

अन्ना की गलती वही है जो गांधी ने की| अन्ना जिस प्रकार बाबा रामदेव से दूरी बना रहे हैं वह प्रशंसनीय नहीं है| बाबा रामदेव अब भी अन्ना के सहयोग के लिए दिल्ली पहुँच गए, किन्तु अन्ना ने तो उनसे मिलने से भी मना कर दिया| ये सब कांग्रेस की चाल है जो वह अन्ना व बाबा को एक नहीं होने दे रही|

अन्ना को इन धूर्तों के षड्यंत्र को समझना होगा, नहीं तो वही इतिहास दोहराया जाएगा जो १९४७ में सत्ता के हस्तांतरण द्वारा देश आज तक झेल रहा है|

इस पूरे विवाद में मैं ये बात साफ़ कर देना चाहता हूँ कि मुझे अन्ना के आन्दोलन से कोई तकलीफ नहीं है| मैं तो खुद गला फाड़ फाड़ कर नारेबाजियां कर रहा हूँ| गला छिल गया है, ठीक से आवाज़ भी नहीं आ रही अब तो| लोकपाल के मुद्दे को लेकर देश भर में जो कुछ भी हो रहा है वह बहुत सही हो रहा है| किन्तु भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर जो हो रहा है वह सही नहीं है| यही जन आक्रोश बाबा रामदेव के समर्थन में भी चाहता हूँ| लोकपाल की लड़ाई अंतिम लड़ाई नहीं है| यह तो केवल एक शुरुआत है, अंत नहीं| ऐसा न हो कि लोकपाल का मुद्दा शांत होते ही सब अपने अपने घरों की ओर चल दें|





41 comments:

  1. दिवस भाई , आपने मेरे दिल की बात कह दी |
    आन्दोलन तो चलना चाहिये पर अन्ना को इतना ऊपर ना चढाओ कि उसके खिलाफ बोलने वाले की देशभक्ति पर संदेह किया जाने लगे | अन्ना वाकई दूसरे गाँधी हैं जो एक दूसरे नेहरु को जन्म देंगे और व्यवस्था वही पुरानी ही रहेगी | बस पुराना मॉल नए पैकेट में आ जायेगा |
    अगर वाकई देश का भला करना है तो वो बाबा रामदेव का साथ दिए बिना नहीं होगा | इस समय मुझे मेरे आदर्श भगत सिंह , बोस आदि की याद आ रही है जिन्होंने हमें आजादी दिलाई पर उन्हें आज कोई पूछता तक नहीं | कुछ ऐसा ही अपने बाबा रामदेव के साथ भी हो रहा है |

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  2. दिवस भाई बिलकुल यही विचार कल से मेरे मन में चल रहे थे कल से ...आपने एकदम सही आकलन किया ...और ये भी साफ़ किया है कि हम उनके विरोधी नहीं हैं लेकिन आपका आकलन एक दम सटीक है ...बहुत धन्यवाद ..यूँ ही सच्चाई को लिखते रहे

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  3. रामदेव या अन्ना!
    प्रश्न ये है की रामदेव और अन्ना दोनों ही एक अच्छे उदेश्य के लिए आन्दोलन कर रहे है! लेकिन दोनों की ही राहे एक दुसरे जे जुदा या अलग क्यों है! जन्हा सुरु मे बाबा रामदेव ने अन्ना का साथ दिया वन्ही अन्ना ने पहले ही दिन से बाबा के आन्दोलन से दूरी बना ली! क्योंकि उनके मंच पर कुछ सांप्रदायिक लोग पहुँच गए! जबकि बाबा के मंच पर ऐसे भी लोग थे जो एक अच्छे उदेश्य के लिए इकट्ठा हुए थे! और स्वतंत्र भारत मे सभी को अपनी राय देना का हक है चाहे वो धार्मिक हो या राजनातिक हो! आप किसी भी व्यक्ति की बहिस्कार इसलिए नहीं कर सकते की वो धार्मिक है या राजनातिक है! एक ही विषय पर एक ही संगठन के लोगो की बातें या उनके विचार अलग हो सकते है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है की संगठन को समाप्त ही कर दिया जाये.

    अब बात करते है असली मुद्दों की, की रामदेव या अन्ना के आन्दोलन मे सबसे ज्यादा असरदार आन्दोलन किसका है!

    १. रामदेव बात करते है काले धन पर, भ्रस्टाचार पर, स्वदेशी पर, स्व-रोजगार पर. जबकि अन्ना बात करते है सिर्फ भ्रस्टाचार पर.
    क्या भ्रस्टाचार को समाप्त करने से ये सभी समस्याएँ समाप्त हो जाएँगी, नहीं होंगी क्योंकि सिर्फ भ्रस्टाचार हटाने से गरीबी दूर नहीं होगी.

    २. रामदेव ने अपनी बात जो की आन्दोलन से जुडी हुई है देश के उस कोने तक पहुंचाई है जन्हा देश की आत्मा बस्ती है यानि की गाँव तक, जबकि अन्ना के आन्दोलन से जुड़ा हुआ है सिर्फ और सिर्फ सहरी व्यक्ति जो सिर्फ कभी-कभी इस भ्रस्ट तंत्र की चपेट मे आता है, जबकि ग्रामीण व्यक्ति हर रोज भ्रस्टाचार से आमना -सामना करता है.
    क्या भ्रस्टाचार को समाप्त करने से गाँवो का विकास हो सकता है! नहीं होगा क्योंकि इतने घोटाले करके जो पैसा विदेशो मे भेज दिया अगर वो देश मे आये तो कुछ हो सकता है!

    ३. अन्ना सिर्फ बात करते है भ्रस्टाचार पर रोक की लेकिन जो पैसा भ्रस्टाचार करके विदेशो मे भेज दिया क्या वो देश का नहीं है! क्या उस पर हम जैसे करोडो कर देने वालो का कोई हक नहीं है! रामदेव इसी पैसे की वापस लाकर इससे विकास करने की बात करते है और यही एक गलत बात है जो वो करते है क्योंकि सरकार ये नहीं चाहती की वो पैसा वापस आये.
    क्या विकास कोई बुरी बात है क्या ये अच्छा नहीं होगा की हमारे देश मे कोई गरीब नहीं होगा! कोई व्यक्ति रात की भूखा नहीं सोयेगा! हमारे देश के नन्हे बच्चो को मजदूरी नहीं करनी पड़ेगी.

    ४. किसी भी आन्दोलन को किसी धार्मिक संगठन के समर्थन दे देने से ये साबित नहीं हो सकता की वो आन्दोलन समाप्त हो जायेगा! हमारी आत्मा हमारे संस्कारो मे बस्ती है और अगर हम अपने संस्कारो को अच्छे से निर्वाह करे तो इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की कोण समर्थन दे रहा है और कोण नहीं!
    अन्ना अपने मंच से हिन्दू धार्मिक लोगो को भगा देते है भारत माता का चित्र हटा देते है और अपने मंच पर स्वागत करते है देश के विभाजन करने की बात करने वालो को, स्वागत करते है मओवादियो का समर्थन करने वालो का, समर्थन करते है एक धर्म विशेस को गलियां देने वाले लोगो को, अगर अन्ना को अपने आन्दोलन के लिए किसी की जरुरत ही नहीं थी खासकर हिंदूवादी सोच वालो के लिए तो फिर क्यों उन्होंने उन अधर्मियों की मंच पर जगह दी जो सिर्फ देश को बटने के कार्य करते है.

    जबकि रामदेव ने सभी का आह्वान किया अपने आन्दोलन मे, सभी को सामिल किया किसी से जाती या धर्म नहीं पुछा गया, सिर्फ सहयोग माँगा गया उस आन्दोलन मे जो असलियत मे भारत की तस्वीर बदल देगा, बना देगा फिर से भारत को सोने की चिड़िया!

    मे व्यक्तिगत तौर पर न बाबा का समर्थक हूँ न अन्ना का विरोधी! लेकिन अगर बात मुद्दों की की जाये तो बाबा रामदेव के आन्दोलन मे वो आग थी जिससे सरकार को खुद एहसास हुआ की ये आग उसे जला देगी! इसीलिए ४-४ मंत्री पहले अगवानी करते है फिर लाखो लोगो को रात को पिटवाते है! ये सिर्फ यही कहता है की सरकार को अगर डर है तो सिर्फ रामदेव के आन्दोलन से. अन्ना के आन्दोलन से कुछ फर्क नहीं पड़ता जिसके उद्हरण आप लोग देख ही चुके है संसद मे पेश सरकार की विधेयक और सरकार की मानसिकता आप देख चुके है आप की किस तरह से बाबा की परेशान किया जा रहा है हर रोज एक नया आरोप लगा दिया जाता है. अगर आप सोचते है की बाबा के पास इतनी दौलत है तो मे यही कहूँगा की बाबा ने इतनी इच्छा-शक्ति तो दिखाई की उन्होंने अपनी सम्पति को उजागर किया! क्या सरकार मे बैठे भ्रस्ट लोगो मे इतनी इच्छा-सकती है!

    मेरी दुआ है की बाबा और अन्ना जी एक मंच पर आये और इस भ्रस्ट तंत्र और इस भ्रस्ट सरकार से लोगो को निजात दिलाये. मे इस आन्दोलन मे बाबा और अन्ना के साथ हूँ.

    जय हिंद.

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  4. मंच से माँ भारती का चित्र हटाकर, उमा भारती को अपने आन्दोलन से वापस भेजकर, बाबा रामदेव का साथ इसलिए न देना की मंच पर साध्वी ऋतंभरा थी, क्या अन्ना हजारे जी ये बताएँगे की खुद को सेकुलर कहलाकर कितने % मुसलमानों का समर्थन हासिल किया!

    क्या मोमबती छाप NGO वाले कुछ बताएँगे की वो क्यों बार बार हिन्दुओ का अपमान करते है!

    मै अन्ना बाबा का विरोधी नहीं हूँ पर उनका साथ दे रहे हिन्दू-विरोधियो को सहन नहीं कर सकता!

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  5. कृपया कुछ प्रश्नों के उत्तर दें!

    १. क्या लोकपाल बनाने से भ्रस्टाचार समाप्त हो जायेगा?
    २. क्या गारंटी है की जो लोकपाल होगा वो भ्रस्ट नहीं होगा?
    ३. क्या भ्रस्टाचारी को सजा होने पर लोग भ्रस्टाचार छोड़ देंगे? (जबकि चाइना मे भ्रस्टाचारी को फांसी की सजा है और वंहा सजा पर अमल भी होता है लेकिन फिर भी भ्रस्टाचार होता है.)
    ...
    मेरा मानना है की कानून बनाने से नहीं लोगो को जागरूक करने से ही भ्रस्टाचार समाप्त हो सकता है! पहले जो भ्रस्ट है उन्हें तो हटाओ, भ्रस्ट लोगो के हाथ मे ही नए लोगो को चुनने का अधिकार होता है तो वो अच्छे लोगो को क्यों चुनेगा! भ्रस्ताचारियो को हटाओ भ्रस्टाचार खुद समाप्त हो जायेगा!

    कांग्रेस हटाओ देश बचाओ!

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  6. बिलकुल तथ्यपरक लिखा है आपनें।
    अन्ना के इस आन्दोलन पर आंख कान खुल्ले रखने की आवश्यकता है। टीम की मंशाएं स्पष्ठ नहीं है। जनता में अगर 80% भ्रष्टाचारी है तो आश्चर्य है उनका भी समर्थन इस आन्दोलन को है। यह पैदा किया गया समर्थन इन लोगो को पगला देने के लिए पर्याप्त है।

    जनता को चाहिए कि भ्रष्टाचार के विरोध जाग्रति का यह आम चुसने के बाद शीघ्र ही गुटली फैक देने का इन्तजाम करे, अन्यथा वह गुटली गले की फांस बन सकती है।

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  7. Bhai aapka bichar mere bicharon se 100% mel khata hai. Aapne bilkul thik kaha.

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  8. दिवस जी,
    स्पष्ट और सही-सही आकलन किया ....... आपकी इस लेख में दूरदर्शिता दिखायी दी.
    मैं भी भावुकता में बह रहा था... लेकिन जब सुरेश-चिपलूनकर को पढ़ा, सतीश जायसवाल जी को पढ़ा, और अब आपको पढ़ा तो विवेक जागृत हो गया.
    सुरेश जी कहते हैं... वे इस भटके जनाक्रोश के धूल-गुबार के बैठने का इंतज़ार कर रहे हैं.. और आप हैं कि अभी भी धूल का गुबार उड़ाने में रात-दिन एक किये हैं. मेरा प्रयास भी कुछ वैसा ही है जैसा सन सत्तावन के ग़दर से पहले किसी 'उत्पीडित रजवाड़े' का था. जब तक सभी प्रयास एकजुट नहीं होंगे.. और जनआक्रोश का योजनाबद्ध तरीके से स्फोट नहीं होगा तब तक सफलता दूर ही रहेगी... हम मीडिया संचालित इस क्रान्ति में बहे जा रहे हैं... अब केवल एक काम किया जा सकता है ... वह यह कि .... इस प्रवाह को सही दिशा दी जाये.... इस क्रान्ति की तपिश से करंट 'करप्ट कर्णधारों' की केवल त्वचा ही न झुलस पाये, अपितु वह पूरी तरह भस्म भी हो.... हमें चाहिए कि सम्पूर्ण व्यवस्था-परिवर्तन हो.. भ्रष्टाचार के रावण का दहन इस दशहरे तक हो जाये... यदि यह होना संभव नहीं तो ..एक भावना ही नयी पीढी में कम-से-कम भर पायें कि - "'भ्रष्ट-आचार' जीवन का आदर्श नहीं... जीवन को राष्ट्र-सापेक्ष बनाया जाये."

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  9. आदरणीय कुलदीप त्यागी जी, साधुवाद...
    आपने सभी मुद्दों पर बेहतरीन प्रकाश डाला है| बस ये बात जनता को भी समझ आ जाए तो विजय निश्चित है|

    आदरणीय प्रतुल भाई, अन्ना के पहले वाले अनशन में मैं भी भावुक हो रहा था, किन्तु उसके बाद जो कुछ होता गया, उससे एक नया ही चित्र बन रहा था| धूर्तों की चाल तो अब समझ में आई है|

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  10. आदरणीय सुज्ञ भाईसाहब, धन्यवाद...समस्या को आपने सटीक पहचाना है|

    अवनीश भाई, मुझे लगता है की आपकी व मेरी सोच वाले सभी व्यक्ति इस दिशा में विचार कर रहे हैं| यहाँ एक ऐसा चक्रव्यूह रचा जा रहा है जो आसानी से समझ में आने वाला नहीं है|

    तरुण भाई, समस्या गंभीर है, हमे फूंक फूंक कर कदम रखने होंगे| आज तो ऐसा माहौल है की अन्ना के खिलाफ कुछ बोल दिया तो सीधा राष्ट्रद्रोह का आरोप लगा दिया जाएगा|

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  11. मै आपकी सारी बातो से सहमत नहीं हू ....... पर हा अन्ना जी को जितना लोगो ने सिर पे उठा लिया है इतना उठाने की जरुरत नहीं थी .......
    रही बात बाबा रामदेव की तो उनके अन्दर पुरुषार्थ की कमी है ........ जो इंसान hunger strike पे बैठे और मौत सामने देख के पलट जाये .........
    बाकि भ्रष्टाचार, कला धन ये सब इतने बड़े मसले है की आन्दोलन और अनसन से ख़तम नहीं हो सकते अनसन तो केवल लोकपाल लाने के लिए हो रहा है ....... सही है जो भरष्ट हो सजा मिलनी ही चाहिए ....... बात ये नहीं है की इससे भर्ष्टाचार घटेगी या नहीं .

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  12. @Anubhav Mishra
    बंधुवर, आपने बाबा रामदेव पर जो आरोप लगाए हैं, उसके उत्तर में केवल ये लिंक देख लें|
    http://www.diwasgaur.com/2011/06/blog-post_10.html

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  13. गांधी ने सुभाष की उपेक्षा करके बहुत गलत किया था..
    गणेशशंकर विद्यार्थी, बिस्मिल, भगतसिंह जैसे सैकड़ों क्रांतिकारियों को नेहरू-(उद्दीन) आतंकवादी कहते रहे ...
    नेहरू और गांधी को बेनकाब करने वालों को अधिक तवज्जो कभी नहीं मिली.

    क्या आज़ पुराना इतिहास दोहराया जा रहा है :
    क्या अन्ना ने रामदेव की उपेक्षा करके बहुत गलत किया है?
    क्या आज़ गांधी नामधारी (यूज़र) फिर से जन-चेतना का इस्तेमाल कर ले जायेंगे?

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  14. @anubhav mishra ji ... aapki tippni padh kar kewal itna kahna chahata hoon .. jis prakar rat ko lights off karake Delhi Police ne Kratya kiya. Tear gas ka prayog kiya ..laathi charge kiya ... logon mein bhagdar aur stampede karne ki koshish ki. aap kewal newspaper mein likha ussse alag apni akal ka bhi use karke samjo... kya wahan par jo police ne kiya .. uski jarurat thi kya ? Baba Ramdev wahan se bhag khare hue ..kya agar mar jaate tau kya aap fool mala arpan karte aur usse kya milne wala tha?
    agar stampede mein 1 karyakarta bhi sheed hota tau uska ilzaam bhi baba ke upar aa jata.
    doosri baat jo media mein aa rahi hai aur congress prachar kar rahi hai ..1100 cr baba ki sampatti.. halaki trust ki hai sab lekin maan lo baba ki hai .. tau woh janta ke dwara di gayi hai ..doosri taraf SONIA GANDHI 1800 cr 3 saal mein kewal apne personal air fare mein uda deri hai ..uska koi jikra nahi .. woh 1800 cr janta ke hai aur abb wapas nahi milege jab tak court mein prove karke sonis se oogai nahi hoti.
    rahi baat pursarth ki jo aapne kaha .. tau yeh ek suruwaat thi ..baba anubhavi nahi hai and politics ke daav pench maidan mein aa kar hi sikhe jaayegey ..

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  15. दिवस भाई बिलकुल यही विचार कल से मेरे मन में चल रहे थे कल से ...आपने एकदम सही आकलन किया .

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  16. कोई मेरे एक प्रश्न का उत्तर दे सकता है तो मुझे जरूर बताये कि अन्ना के अनशन में अमरीकी कंपनी लेहमैन ब्रदर्स (lehman brothers) ने क्यों पैसा लगाया है ? आखिर एक अमरीकी कंपनी को भारत में चल रहे राजनीतिक , सामाजिक आन्दोलन से क्या मतलब हो सकता है ? वो भी ऐसी कंपनी जो खुद आज अपनी आखिरी सांसे गिन रही है |(ये वही कंपनी है जो २००८ की वैश्विक मंदी में सबसे पहले दिवालिया हुई थी |)इस कंपनी को तो इस समय खुद को पुनर्जीवित करने के प्रयास करना चाहिये | क्या अन्ना कोई प्रोडक्ट हैं जो ये भारत में बेच रही है या इस आन्दोलन से उसका भी कुछ फायदा होने वाला है |
    फ़ोर्ड फ़ाउण्डेशन के कर्ताधर्ता अण्णा के आंदोलन में इतने सक्रिय क्यों हैं?

    मेरे इस प्रश्न के कारण मुझे अन्ना विरोधी ना समझा जाये | भ्रष्टाचार के विरूद्ध आन्दोलन में मैं भी उनके साथ हूँ पर लोकतंत्र में विचार विमर्श की गुंजाईश होनी चाहिये | मैं यह बिलकुल नहीं पसंद करूँगा कि कोई कट्टर अन्नावादी मुझे देशद्रोही साबित करने पर तुल जाये |

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  17. bhai apne to mere dil ki gehrai se baat chheen li, mai bhi aise hi vichar se gujar riha hu.Ye apne bohut achha kiya ke in vicharo ko shabdo me dhaal diya. bohut bohut dhanyavad............

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  18. अवनीश भाई, जो सवाल आपने उठाए हैं, उस विषय में मैंने भी बहुत कुछ सुना है| हालांकि पुख्ता तौर पर अभी तक कोई जानकारी नही मिली है, अत: दावे के साथ तो कुछ नही कह सकता| किन्तु इस विषय को नज़र अंदाज़ नही करना चाहिए|

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  19. Dear, Ye public hai, ye sub jaanti hai, Andar kya hai, baahar kya hai... Aaj ke IT yug me saari baate open ho rahi hai... Aadarsh se Anshaan tak.. do't worry. jo ho rahaa hai bilkul Thik ho rahaa hai.

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  20. दिवस भैया - सहमत |

    सहमत हूँ कि बाबा को परे कर कुछ हो न पायेगा | यह भी कि सरकार अंग्रेजों के "डिवाइड एंड रुल" सिद्धांत पर है | किन्तु अभी एक कदम तो बढें - यह शुरुआत है | हमें बचना है फिर सो जाने से दिवस भाई !!! आप जैसे युवा - जो जागे हुए हैं - उनका कर्त्तव्य है कि जो फिर सो जाना चाहते हैं उन्हें सोने न दिया जाए | अन्ना जो कर रहे हैं वह है कि - एक मुद्दे पर केन्द्रित रहूँ, अपनी सारी शक्ति उसमे लगा दूं , जब वह हो जाए तब दूसरे मुद्दे पर आ सकते हैं |

    रामदेव जी युवा हैं, अन्ना उम्रदराज़ हैं | रामदेव जी तो खुद कहते हैं कि मैं बहुत जियूँगा [यदि मुझे ये भ्रष्ट लोग मरवा ना पाए तो :) ] तो अभी यह हो जाए, वे आगे भी बहुत कुछ करेंगे - चुप बैठने वालों में से नहीं हैं बाबा !!!

    और एक बात याद रखिये -- रामदेव जी जो हैं ना - वे भगतसिंह जी की ही तरह सच्चे देशसेवक हैं | उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन्हें क्रेडिट मिले या नहीं - उनके लिए अपनी धरती माँ की सेवा ही धर्म है| जैसे भगत सिंह जी ने अपनी जान भी दे दी हँसते हँसते, रामदेव जी भी अपने नाम की कुर्बानी दे देने को तैयार हैं | यह तो हम उनके फोलोएर्स हैं, जो उनके "नाम का सम्मान जाने" से या उनके "परे कर दिए जाने" से परेशान हैं | बाबा परेशान नहीं हैं इन चीज़ों से | क्योंकि उनका ध्येय नाम कमाना नहीं है, अपनी भारत माँ की सेवा करना है | वे स्वयं भी अन्ना का साथ दे रहे हैं अभी, बिना यह चाहे कि अन्ना उनका साथ दें बदले में | इसी से समझिये कि रामदेव जी क्या हैं |

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  21. आदरणीय शिल्पा दीदी, आपसे सहमती रखता हूँ किन्तु समस्या इतनी सस्ती नहीं है| जो कुछ हो रहा है, किसी पर भी विश्वास करना कठिन लग रहा है|
    हालांकि मैं व्यक्तिगत रूप से अन्ना का समर्थन करता हूँ, अन्ना से कोई शिकायत नहीं है| किन्तु पिछले दिनों अन्ना ने जो गलतियां की वे प्रशंसनीय नही हैं|
    यहाँ तक की अन्ना इस प्रकार बार बार खुद ही अपनी पींठ ठोक रहे हैं की छ: मंत्रियों के विकेट गिरा चूका हूँ| प्रश्न यही है की आखिर ये छ: मंत्री थे कौन? मुझे यह देखकर आश्चर्य होता है कि कलमाड़ी, चव्हान, देशमुख, शिंदे, ए आर अंतुले, मुरली प्रसाद देवड़ा आदि के राज्य में उन्हें केवल NCP शिवसेना के नेता ही मिले विकेट गिराने के लिए| क्या महाराष्ट्र में कांग्रेस के नेता नहीं मिले विकेट गिराने के लिए|
    राजनीति में रूचि रखने वाले कुछ मुम्बईवासी मित्रों से ही पता चला है कि अन्ना के महाराष्ट्र में किये गए आन्दोलनों से फायदा कांग्रेस को ही हुआ है| इसके द्वारा अपनी सहयोगी पार्टी NCP व विरोशी पार्टी शिवसेना पर कांग्रेस ने दबाव बनाया|
    आज दिल्ली में भी कहीं कुछ ऐसा ही न हो रहा हो| भारत के अव्वल दर्जे के धूर्तों की ज़मात ही कांग्रेस है| अन्ना जाने अनजाने इसके द्वारा बहकाए जा रहे हैं| रही सही कसर भूषण बाप बेटे व अग्निवेश जैसे दल्ले पूरी कर रहे हैं|
    अन्ना को धूर्तों से बच कर रहना होगा, नहीं तो फिर से वही होगा जो १९४७ में गांधी द्वारा हुआ था|
    दुःख तो तब होता है जब किरण बेदी व केजरीवाल जैसे कर्तव्यनिष्ठ लोग भी इन षड्यंत्रों को समझ नहीं पाते|

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  22. आपने सही ही कहा है .....जब उद्देश्य एक ही है तो सारी ताकतों को एकजुट हो कर मुकाबला करना चाहिए .......ताकि असर प्रभावी हो और इस घमंडी सरकार पर लगाम लगाई जा सके .....

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  23. दिवस इस विषय में जो कुछ कहा जा चुका है वही मेरा भी मत है..... सौ बात की एक बात यह है की अन्ना अगर बाबा रामदेव का साथ देते तो इस दूसरे अनशन की आवश्यकता ही न होती ........ और कुछ ठोस परिणाम भी निकलते ......

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  24. दिवस भाई आपने बहुत ही अच्छा आकलन किया है और आपको इस विषय पर दोस्तों का भरपूर साथ भी मिला, खैर इन सब बातों के साथ आपके आँखों देखी अनशन का हाल मालूम पड़ा, और मैं तो जो अनुमान लगा पाया वो ऐसा लगा कि इस बार भी कहीं ऐसा ना हो जो १९४७ में हुआ था कि महात्मा गांधी के साथ नेहरु था और आज अन्ना जी के साथ दल्ला अन्गिवेश, कहीं फिर वही कहानी ना दोहराई जाए और अंत में देश की जनता के हाथ में अधूरे 50-50% सहमति वाले जन लोकपाल का झुं झुना पकड़ा दिया जाए ! चलो हम तो दुआ करेंगे के ये आंदोलन और भी जोर से बढे और हम बाबा रामदेव जी के साथ पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई शुरू करें और अंत में भारत माँ को आजाद करा पायें, जो हमारे वीरों का सपना रहा था !

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  25. एक बार एक गाँव में एक भैंस कूएं में गिर गयी. और आसपास बहुत दुर्गन्ध आने लगी... जब एक पंडित जी से इसका उपाय पुछा तो उत्तर मिला के इस कूएं में गंगा जल छिड़का जाये और हवन करवाया जाये.......१-२ महीने के बाद दुर्गन्ध फिर से आने लगी..लोग दुबारा पंडित के पास गए..पंडित ...ने पुछा के क्या तुम लोगों ने भैंस पानी से निकाली थी..लोगों ने जवाब दिया के पंडित जी...भैंस तो हमने नहीं निकली वो तो अभी भी कूएं में है...पंडित जी ने कहा हे मूर्खो!!! जब तक भैंस पानी से बाहर नहीं निकालोगे.....गंगा जल और हवन अस्थायी तौर पर तो फ़ायदा कर सकता है...लेकिन उस रोग से मुक्त नहीं कर सकते...रोग का जब तक जड़ से इलाज नहीं करोगे..फिर से पनपने लगेगा.......सकता..ठीक उस प्रकार हे मेरे भोले भारत वासियों जन लोकपाल आपको थोड़े समय तक तो रहत दिला सकता है लेकिन अगर इस भ्रष्टचार नामक रोग का स्थायी इलाज़ चाहते हो तो बाबा रामदेव के आन्दोलन को विफल मत होने देना....जब तक विदेशों से कला धन वापिस नहीं आ जाता और भ्रष्टाचारी लोग सलाखों के पीछे अपना दंड नहीं भुगतते..चैन की सांस मत लेना.....

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  26. दिवस भाई
    मै तो बहुत पहले ही अन्ना पार्टी को समझ चुका था.
    बाबा रामदेव के देश विदेश मे फैले विरोधियो ने खूब षडयंत्र किये. लेकिन सफल नही हो पा रहे थे.
    तब उन्होने एक अचूक चाल चली
    कि किसी बड़ी लाइन को छोटा करना हो तो उससे भी बड़ी लाईन खीच दो.
    और इस काम मे उनका साथ दिया इस बिकाऊ मीडिया ने.
    इस बिकाऊ मीडिया ने दो तीन महिनो मे अन्ना को वहाँ पहुचा दिया. जहाँ बाबा रामदेव अपनी 10 साल की कड़ी मेहनत के बाद पहुचे थे.
    और तो और इस मीडिया ने कोई कसर नही छोड़ी बाबा रामदेव की छवि खराब करने मे.
    आज के समय मे सबसे बड़ी ताकत मीडिया ही है.
    क्यो कि आदमी किसी के बारे मे जो देखता सुनता पढ़ता है. वैसी ही उसकी सोच बन जाती है.
    अपना दिमाग लगाने वाले बहुत कम लोग है.
    खैर बाबा रामदेव भी कर्मयोगी है.वो हार मानने वालो मे से नही है.
    उन्होने 20 सितम्बर से फिर से पूरे भारत की दो लाख किलो मी भारत स्वाभिमान यात्रा का ऐलान कर दिया है. जिसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश से होगी.
    अन्ना भले ही मीडिया के दम पे उछल ले.
    लेकिन बाबा अपनी मेहनत और संघर्ष के बल पे अपने लक्ष्य तक पहुच जायेँगे.दिवस भाई
    मै तो बहुत पहले ही अन्ना पार्टी को समझ चुका था.
    बाबा रामदेव के देश विदेश मे फैले विरोधियो ने खूब षडयंत्र किये. लेकिन सफल नही हो पा रहे थे.
    तब उन्होने एक अचूक चाल चली
    कि किसी बड़ी लाइन को छोटा करना हो तो उससे भी बड़ी लाईन खीच दो.
    और इस काम मे उनका साथ दिया इस बिकाऊ मीडिया ने.
    इस बिकाऊ मीडिया ने दो तीन महिनो मे अन्ना को वहाँ पहुचा दिया. जहाँ बाबा रामदेव अपनी 10 साल की कड़ी मेहनत के बाद पहुचे थे.
    और तो और इस मीडिया ने कोई कसर नही छोड़ी बाबा रामदेव की छवि खराब करने मे.
    आज के समय मे सबसे बड़ी ताकत मीडिया ही है.
    क्यो कि आदमी किसी के बारे मे जो देखता सुनता पढ़ता है. वैसी ही उसकी सोच बन जाती है.
    अपना दिमाग लगाने वाले बहुत कम लोग है.
    खैर बाबा रामदेव भी कर्मयोगी है.वो हार मानने वालो मे से नही है.
    उन्होने 20 सितम्बर से फिर से पूरे भारत की दो लाख किलो मी भारत स्वाभिमान यात्रा का ऐलान कर दिया है. जिसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश से होगी.
    अन्ना भले ही मीडिया के दम पे उछल ले.
    लेकिन बाबा अपनी मेहनत और संघर्ष के बल पे अपने लक्ष्य तक पहुच जायेँगे.

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  27. हमारे देश की आर्थिक हालत के जिम्मेदार जनता और सरकार दोनो है। परन्तु अब जनता जाग चुकी है तो सरकार को भी सहयोग देना चाहिये और भ्रष्टाचार को मिटाने के लिये एक सशक्त जन लोकपाल बिल लाना चाहिये।

    मेरी अनुजा विनिता गर्ग के श्रीमुख से।

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  28. अवनीश भाई साधुवाद...
    आपने सटीक वार किया है| समस्या को बिलकुल सही पहचाने हैं| इतनी सी बात भी अगर किसी की बुद्धि में नही घुस रही तो क्या उखाड़ लोगे लोकपाल से? फेंक दो इसे कचरे के डब्बे में, यदि इसे उपयोग करने का तरीका ही न पता हो|

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  29. भाई रोहित जी ये कांग्रेस का बहुत गहरा षड्यंत्र है| इसे पहचानना बहुत ज़रूरी है|

    संजय भाई, उस समय का दल्ला नेहरु था और आज अग्निवेश| फर्क इतना ही है की आ के दल्ले की कोई औकात नही है| केवल यही एक शुभ संकेत है|

    मोनिका जी, रेखा जी, आपने सही कहा है| बँट जाने के कारण लड़ाई भी बँट गयी है, ऊर्जा भी बँट गयी है|

    देवेश भाई, ये ज़रूर सच है की जनता जाग गयी है, लेकिन ये नींद थोड़े समय के लिए ही टूटी है| मुझे डर है की लोकपाल के नाम पर भड़की जनता, सम्पूर्ण भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कहीं दुबारा न सो आए|

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  30. दिवस जी, कल आपसे इस विषय पर बात भी हुई थी, आपसे 100% सहमत हूँ. लेकिन जो युवा इस समय भावना में बहकर ही सही जाग गया है, बस उसे सही दिशा देने की जरूरत है. यह दिशा आंदोलन का समर्थन करके ही दी जा सकती है, उससे अलग होकर नहीं. आशा है आप मेरा आशय मझ रहे होंगे. बेनामी टिप्पणी देने के लिये क्षमा चाहता हूं.
    अवधेश
    9958092091

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  31. दिवस भाई , जरा यहाँ भी गौर फरमायें ,
    http://www.facebook.com/note.php?saved&&note_id=275752799105841#

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  32. कहना तो आपका सही है लेकिन एक हद तक| बाबा रामदेव से कुछ रणनीतिक भूले हुई थी ४ जुलाई के आंदोलन में| पर बीती ताहि बिसार दे आगे की सुध ले| हिन्दूवादियों को चाहिए कि फिलहाल हवा की दिशा के विपरीत ना चलें| अन्ना का साथ देने-लेने से फिलहाल कांग्रेस ही कमजोर होगी| आगे अग्निवेश आदि को निपटाया जा सकता है| हो सकता है अन्ना ही ऐसे तत्वों को खुद निपटा दे :-)| अभी बड़े दुश्मन का दुश्मन जो है उसे दोस्त ही माने| बाद में देखा जाएगा| यह बेवजह का शुद्धतावाद ही हमें डूबा देता है| पृथ्वीराज चौहान की नहीं छत्रपति शिवाजी महाराज की रणनीति से चलना चाहिए हिंदुत्व वादी ताकतों को| -हितेन्द्र सिंह

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  33. आदरणीय हितेंद्र सिंह जी, आपसे सहमती रखता हूँ| बेशक आपने दूर की कौड़ी निकाली है|
    बस मेरा कहना केवल इतना है कि यह आन्दोलन कहीं दिशा भ्रमित न हो जाए|
    दूसरी बात, यहाँ हिंदुवादियों वाली कोई बात नहीं है|

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  34. सही बुद्धि-जीवियों की टिप्पणियां पढ़ी है.. वरना तो पूरा FB बुद्धू-जीवियों से भरा पड़ा है..
    बाबा के अनशन की शुरुआत जो रैलियों और सभाओं से हुई, उनका किसी भी मिडिया को प्रचार नहीं करने दिया.. बल्कि कांग्रेस अचानक उससे बचने का साधन देखने लगी.. हथियार बनाया अन्ना को (मोहन दास करमचंद गाँधी जैसा बेवक़ूफ़).. माफ़ी चाहूँगा बेवक़ूफ़ शब्द के लिए, पर वास्तव में अगर अन्ना जीतने बड़े देशभक्त हैं, उतने बड़े बेवक़ूफ़ भी हैं... उनके मंच पर अग्निवेश और अरुंधती जैसे पाकिस्तान के लिए पैसे लेकर लोबिंग करने वाले कांग्रेस के जासूस कुत्ते-लोमड़िया बेठे हैं..
    जो अन्ना पहले मोदी की तारीफ करते हैं, उन्हें ये लोग दूध की लाइन को शराब की दूकान के बाहर की लाइन बता के पहले बयान को बदलवाया गया और दूसरे बयान को ज्यादा बड़े रूप में मिडिया में दिखाया गया..
    लाखों लोगो की बाबा की रैली को किसी मिडिया ने नहीं देखा, पर ४ लोगों के अन्ना के अनशन को (जो बाबा की शुरू की गई मुहीम के ३-४ महीने बाद आया) मिडिया ने इतना कवर किया..
    बाबा ने इजाजत ले कर जिस आन्दोलन / अनशन को शुरू किया था, उसे साफ़ - दुबारा से कहूँगा साफ़ धोके से, दगा करके, झूठा लैटर दिखा के, बर्बरता के साथ कुचल दिया था... बच्चों, औरतों, बूढों पे लाठियां बरसा के... पर अन्ना का अनशन खुद सरकार ने प्लान किया है..
    बाबा के अनशन पर अचानक हिलेरी क्लिंकतन भारत आती है नया प्लान बनाने के लिए, और अब सोनिया अमेरिका जा कर बैठी है, परिद्रश्य के अनुसार नया प्लान बनाने को..
    १९७७ जैसी घटना रिपीट होगी.. एक बार तो कांग्रेस जायेगी, पर २ साल के अन्दर अन्दर सोनिया की नौटंकी बिमारी की हवा या किसी नेता की बलि की सहानुभूति के नाम पे ये कांग्रेस दुबारा आ जायेगी..
    अगर अभी कांग्रेस नहीं गयी तो लोकपाल का खामियाजा विपक्षी दल को भुगतना ही पड़ेगा.. ये इसी प्लान का हिस्सा है, क्योंकि बीजेपी चाहे कितना भी छुपाये, ये तय है की अगले चुनाव में नरेन्द्र मोदी बीजेपी लीड करेंगे.. और कांग्रेस की वाट लगने वाली है.. इसलिए कांग्रेस की आज की कौशिश है मुख्य विपक्षी दल को पूरा ख़त्म कर देने की.. ताकि आने वाले १०० सालों तक कांग्रेस को किसी का डर न रहे...
    ये १९७७ जैसा रिपीट नहीं... १८५७ जैसा रिपीट है... ९० साल की प्रत्यक्ष गुलामी का.. कब समझेंगे ये लोग..

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  35. अभी मेरे एक मित्र ने पूछा की लोकपाल का खामियाजा विपक्षी दल को क्यूं भुगतना पड़ेगा...
    तो इसका तो बड़ा ताजा उदाहरण है... जिस हेगड़े की रिपोर्ट पे कांग्रेस ने येदुरप्पा से इस्तीफा लिया है, उसी हेगड़े की रिपोर्ट में शीला दीक्षित पे भी इलजाम लगा है... देश के दूसरे सबसे बड़े घोटाले में शामिल होने का... पर भुगतना पड़ा केवल येदुरप्पा को.. इस्तीफा दे कर... शीला की जवानी अभी भी बरकरार है कुर्सी पर.. और अभी तक बैठी है डायन कुंडली मार कर..

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  36. आप ने बिलकुल वही बात कही जो पिछले २ -३ दिन से मेरे मन में भी आ रही थी पर मन अन्ना के विरोध में कुछ भी सोचने को तैयार नहीं था .पर सभी आन्दोलनकारियों को भावुकता में ना बह कर यथार्थ को भी ध्यान में रखना चाहिए वरना एक और धोखा जनता को मिलेगा .राइट टु रिकाल लोकपाल उसमे जोड़ने से जन लोकपाल की कमजोरी दूर हो सकती और लोकतंत्र और भी मजबूत हो सकता है पर ना जाने क्यों वे लोग इस सलाह को मानने से इनकार करते है .

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  37. बहुत सठिक ! मुझे तो अन्ना के साथ दल में कला नजर आ रहा है ! आप मेरे ब्लॉग ॐ साईं पर जा कर विकलीस को देखें ! इसे मिडिया वालो ने कभी भी समाचार में नहीं दिखाया ! आखिर क्यों ?

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  38. Inspiring and motivating post. I agree with you on all counts.

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  39. Er. Diwas Dinesh Gaur
    श्रीमान जी , आप को बहुत बहुत बधाई और धन्यवाद् भी | आप के विचार बिलकुल सही लग रहे है | ये कोंग्रेसियों की चाल है ऐसा प्रतीत भी होता है | आप ने सही समय पर इतनी बढ़िया तरीके से ये विचार हमारे सामने रखा और जो भी वैचारिक पात्रतावाले लोग है उन्होंने स्वीकार भी किया और सराहा भी | जिसके परिणाम स्वरुप इतने सारे समर्थन भी मिले | अब इस विचार को हमें बहुत सारे लोगों तक और इन सारे आन्दोलन के नेताओं तक भी पहोचाना होगा जो मै करने जा रहा हूँ | नहीं तो इस आन्दोलन का उद्देश्य कही अधुरा ना रह जाय | आप जरुर अपने विचार लिखते रहिये | आप के संपर्क में हम रहना चाहेंगे इसलिए आप का e - mail address यहाँ लिखे |
    वन्दे मातरम
    Er. Ramkumar Rao (e mail - rmkmr_rao@yahoo.com

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  40. Please see my blog and compare it with the present situation. The link is given here:
    http://krantmlverma.blogspot.com/2011/04/english-scotch-in-gandhian-bottle_19.html

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