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Wednesday, August 10, 2011

सोनिया की अमरीका यात्रा, अमरीका की आर्थिक मंदी, सोने के बढ़ते भाव !!! संयोग बैठाएं, शायद मेरा अनुमान सही हो

मित्रों अगस्त 7, 2011 के दैनिक भास्कर में अमरीका में आई आर्थिक मंदी से सम्बंधित एक लेख पढ़ा| लेख से ऊपर उठकर यह एक व्यंग प्रतीत हुआ| उसमे लिखे कुछ अंश यहाँ रख रहा हूँ|

अमरीका जो दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति माना जाता है, पर इस समय 60,22,89,88,00,00,000 रुपये का क़र्ज़ है (यह राशि मुझे कम लग रही है)|
इसको और अधिक समझाने के लिए कुछ नए तरीके दिखाए गए हैं|
पृथ्वी की उत्पत्ति को करीब 460 करोड़ साल हो चुके हैं| पृथ्वी की उत्पत्ति से अब तक प्रतिदिन 44,740 रुपये जोड़े जाएं तो अमरीका पर चढ़ा कर्जा सामने आ जाएगा|
आधुनिक मानव की उत्पत्ति को करीब दो से ढाई लाख वर्ष हो चुके हैं| मानव की उत्पत्ति के प्रथम दिवस से अब तक 1,61,06,400 रुपये के हिसाब से जोड़ें तो कुल राशि के बराबर क़र्ज़ अमरीका पर होगा|
जीसस का जन्म 2016 वर्ष पहले हुआ था| जीसस के जन्म से अब तक प्रतिदिन 8,05,32,00,000 रुपये जोड़ने पर प्राप्त राशि अमरीका पर बकाया कर्जा होगी|
अमरीका 4 जुलाई 1776 में आज़ाद हुआ था| अमरीका की आज़ादी से अब तक प्रतिदिन 26,84,40,00,00,000 रुपये जोड़ने पर अमरीका पर बकाया उधार प्राप्त होगा|   
और तो और एक तरीका और भी है| अमरीका के एक डॉलर नोट की लम्बाई 6.14 इंच होती है| यदि एक एक डॉलर के नोट लम्बाई के साथ जोड़े जाएं व एक कतार बनाई जाए तो यह कतार पृथ्वी से शुरू होकर मंगल, ब्रहस्पति, शनि को पार करती हुई वरुण गृह तक पहुँच जाएगी|    
अब ये कैलकुलेशन कितनी सही है, मुझे नहीं पता, मैंने नहीं जोड़ा| किन्तु एक बात तो साफ़ है कि इस समय अमरीका भयंकर मंदी से गुजर रहा है|

जब अमरीका जैसी महाशक्ति पर इतना बड़ा उधर हो सकता है तो यह कैसा अर्थशास्त्र चल रहा है पूरी दुनिया में?

सोनिया गांधी अमरीका गयी, क्यों? इसके भाँती भाँती के उत्तर आ रहे हैं| खैर अभी मैं इन उत्तरों पर नहीं जाता|

पूरी दुनिया से लूटा हुआ धन जमा है स्विस और उसके जैसे और दुसरे यूरोपीय देशों में| अब यह तो जगह जगह से खबर आ रही है कि विदेशी बैंकों में पड़ा सबसे अधिक काला धन भारत का ही है| इस सत्य को भी कोई नहीं झुठला सकता कि स्विस बैंकों से ही वर्ल्ड बैंक चल रहा है| और वर्ल्ड बैंक की दया पर ही अमरीका व यूरोपीय देश चल रहे हैं| इसी पैसे से ये देश इतनी तरक्की कर पाए| मतलब दुनिया के सबसे अमीर देश भारत (मानो या न मानो) के धन से सुख समृद्धि पा रहे हैं अमरीका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्विट्ज़रलैंड आदि देश| और हम मर रहे हैं भूखे|

चार साल पहले आई आर्थिक मंदी का कारण जो भी, मुझे लगता है कि शायद वह कारण चीन था| कैसे? इसकी चर्चा फिर कभी, क्योंकि ये विषय से हट जाएगा| किन्तु इस बार इसका कारण भारत ही है (मानो या न मानो)|

जब दुनिया भर से लूटा हुआ सारा काला धन भारत से लुटे गए काले धन का कुछ ही प्रतिशत होता है तो ऊपर वाले कथनों की पुष्टि स्वत: ही हो जाती है| हमारे खून पसीने की कमाई पर ऐश कर रहे थे कांग्रेसी अमरीका, व यूरोपीय देश| किन्तु बाबा रामदेव के एक आन्दोलन ने पूरी दुनिया में भूचाल ला दिया| कांग्रेस तो कांग्रेस यहाँ तक कि अब तो अमरीका की भी नींद उड़ गयी| चार जून को बाबा रामदेव व उनके साथ बैठे एक लाख से अधिक आन्दोलनकारियों ने ही पूरी दुनिया को हिला डाला| कैसे? अभी पता चल जाएगा|

चार जून के आन्दोलन के बाद दिल्ली के राजनैतिक गलियारों में हडकंप मच गया| नीचे से कुर्सियां खिंचने से अधिक भय धन खो देने का था, ऊपर से बदनामी की चिंता अलग से कि किस मूंह से अब वोट मांगेंगे| और तो और कहीं भारत की जनता इस धोखादडी के लिए क्रोध में आकर कहीं एक हो गयी तो इनका क्या हाल होगा? यही सब सोच कर सोनिया गांधी का स्विट्ज़रलैंड जाना तय हुआ| आठ जून का दिन मुक़र्रर हुआ| साथ में कौन कौन गया था, अब तक सबको पता चल चूका है| सोनिया की इस यात्रा को भी गुप्त रखा गया था|

चार जून के बाबा रामदेव के आन्दोलन से बहुत पहले ही यूबीएस ने भारत का करीब 250 लाख करोड़ रुपये अपने बैंकों में जमा होने का दावा किया था| कुछ जगह 70 लाख करोड़ रुपये का ज़िक्र है| आठ जून से पंद्रह जून तक की सोनिया की यात्रा के तुरंत बाद 19 जून को यूबीएस से यह बयान आना कि "हमारे बैंकों में भारतीयों का कोई धन नहीं है" शंका उत्पन्न करता है| दरअसल संभावना यही है कि इस यात्रा के दौरान वहां जमा तकरीबन सारा काला धन निकाल लिया गया| किन्तु नोटों को रखना आसान नहीं है| क्या पता कल कौनसी मुद्रा नीचे गिर जाए? क्यंकि जो कुछ हो रहा है, उससे तो यही लगता है कि अब विश्व में कुछ भी हो सकता है| ऐसे में धन को सोने के रूप में कहीं पहुंचाया गया होगा| संभवत: इटली में ही| अन्यथा क्या कारण था कि अभी पंद्रह दिन पहले जिस सोने का भाव करीब 21,000 रुपये प्रति दस ग्राम था, आज बढ़कर करीब 27,000 रुपये प्रति दस ग्राम तक पहुँच गया है?     
अब इससे अमरीका में आई आर्थिक मंदी का कारण भी साफ़ दिखाई दे रहा है| जबकि सारा धन निकाल लिया गया है, ऐसे में स्विस तो पहले ही नंगा होने की कगार पर होगा, वर्ल्ड बैंक के सामने भी संकट है कि अब पैसा कहाँ से आएगा? अब ऐसी परिस्थिति में तो अमरीका जैसे देश के भी नंगे हो जाने की संभावना दिख ही रही है| कुछ तो कारण होगा जो अमरीकी विदेश मंत्री का भारत आगमन हुआ| अब तक हमारे नेताओं को फटकार लगाने वाला देश शायद अब गिडगिडाने की नौबत में आ गया हो| पर क्या करें, ये लुटेरे तो किसी के बाप के सगे नहीं हैं न| अमरीका को भी तभी तक बाप बनाया जब तक कि इससे कुछ फायदा हो रहा था| किन्तु अब ब्याज से अधिक जब मूल खोने का डर सताने लगा तो कौन सा बाप, किसका बाप?

अमरीका तो लुट ही रहा है अब बारी है बाकी यूरोपीय देशों (कृपया इन देशों में इटली का नाम शामिल न करें) की| 

यह अनुमान सही है या गलत, ये तो समय के साथ पता चल ही जाएगा| अभी तो केवल एक अंदाजा लगाया जा सकता है| हमारा काम तो केवल एक एक लिंक को जोड़ कर देखना है| यह कोई कठिन कार्य नहीं है| यदि पढ़े लिखे भारतवासी खुद ही सोचें कि विश्व भर में क्या क्या हो रहा है, और उसका कहाँ क्या असर हो रहा है, तो वे खुद निष्कर्ष निकाल सकते हैं| 
इससे पहले भी जब पांच सौ व हज़ार के नकली नोट अचानक से बंद हो गए व देश में आतंकवादी घटनाओं पर भी अचानक से रोक लग गयी हो तो यह सोचने वाली बात थी| इस बात पर ध्यान दिया जाए तो पता चलता है कि इन्ही नकली नोटों के दम पर भारत में आतंकी घटनाएं होती थीं| क्योंकि जब पांच सौ का नोट 75 रुपये में मिल जाए तो भारत में कहीं भी बम फोड़ देना कितना आसान काम है| सरकारी सहायता भी मिल ही रही है| किन्तु जब आरबीआई के वाल्ट में नकली नोट पकडे गए तो अचानक से नकली नोटों का गोरख धंधा भी ख़त्म करना पड़ा, जिस कारण आतंकियों को ब्लास्ट करने के लिए धन का अभाव हो गया| विस्तार से जानकारी के लिए यहाँ देखें|
आवश्यकता मात्र विचार करने की है, किन्तु भारतीयों को बाबा रामदेव व आचार्य बालकृष्ण को गालियाँ देने से फुर्सत तो मिले| मिल भी जाए तो पहले अपनी पेट पूजा फिर कोई काम दूजा| सलमान खान ने रेडी में क्या किया है, अथवा आमीर खान ने देल्ही बेल्ली में कैसे डायलोग रखवाए हैं या शाहरुख की रा वन का क्या होगा, इसकी चर्चा भी तो करनी है| 

अभी भी बाबा रामदेव को गालियाँ देने वाले मूर्खों को अक्ल न आई हो तो शायद तब आएगी जब इनके भी कपडे फटने लगेंगे| खुद तो डूबेंगे ही, देश को भी डुबाएंगे| 
सोचने की बात यह है कि भारत एक इतना शक्तिशाली देश है कि केवल एक से डेढ़ लाख लोगों के केवल एक दिन के अनशन के कारण जब पूरी दुनिया में भूचाल आ सकता है तो सोचिये 121 करोड़ भारतवासी एक हो जाएं तो क्या से क्या हो सकता है| बाबा रामदेव व आचार्य बालकृष्ण पर ऊँगली उठाने वाले मूर्खों को समझाने के लिए इससे अच्छा उदाहरण कुछ हो ही नहीं सकता|


अमरीका में क्या हो रहा है, यह हमारी चिंता का विषय नहीं है| चिंता का विषय यह है कि इस सब में भारत का भी बहुत बड़ा नुक्सान है| शायद काले धन के नाम पर भारत में कुछ सौ या हज़ार रुपये ही आ पाएं| दूसरा अब तक हमारे धन से पल्लवित हो रहे थे अमरीका व यूरोपीय देश, अब होगा केवल इटली|

वैसे इस विषय से सम्बंधित एक जानकारी पर भी ध्यान देना होगा|
भारतीय क़ानून व्यवस्था के अंतर्गत एक कानून जो केवल नेताओं के लिए है-
कोई भी नेता, प्रधानमंत्री, मंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक, पार्षद व अन्य राज्य एवं केन्द्रीय मंत्री जब विदेशी दौरे पर जाते हैं (चाहे राजनैतिक हो अथवा व्यक्तिगत) तो उन्हें सचिवालय को सूचित करना जरुरी है कि कहाँ जा रहे हैं, क्यों जा रहे हैं, कब आएँगे आदि| और RTI के अंतर्गत देश की जनता को इस विषय में सूचना मांगने का व सचिवालय को सूचना देने का अधिकार है| क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ये लोग जनता के सेवक हैं, अत: इनके विषय में जनता को जानकारी होनी चाहिए|
सोनिया गांधी के विदेशी दौरे सम्बन्धी RTI के द्वारा जानकारी मांगने पर पता चला है कि 2004 (जबसे यूपीए सरकार सत्ता में आई है) से अब तक सोनिया की एक भी विदेशी यात्रा की कोई भी जानकारी सचिवालय के पास नहीं है| 
न तो सचिवालय ने कभी पूछने की ज़हमत उठाई और सोनिया से तो उम्मीद रखना ही बेकार है कि वह ऐसी कोई जानकारी सचिवालय को देगी|
आखिर कुछ तो रहस्य है सोनिया की इन गुप्त यात्राओं का| शायद अमरीका ने सप्रेम आमंत्रण भेजा हो कि हमे लुटने से बचा लो| कुछ ऐसा किया जाए कि जिससे तुम भी सुरक्षित रहो व हमारा देश भी भूखा नंगा होने से बच जाए| भारत का क्या है? इतने सालों से यूं लूट ही रहे हो, अब हम भी तुम्हारा साथ देंगे|

इस क़ानून के विषय में विस्तार से जानने के लिए यहाँ अवश्य देखें...

14 comments:

  1. @अब ये कैलकुलेशन कितनी सही है ...
    ... या कितनी ग़लत है। जिसने भी की है, इसमें अतिश्योक्ति है। शेष बातें फिर कभी।

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  2. जहाँ भी गोपनीय होगा वहीं शंका की गुंजाइ
    श भी होगी ही।

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  3. रोचक सांख्यकि!!! अजित जी नें सही कहा, जहां छुपा होगा, शंका की सर्वाधिक सम्भावना होगी।

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  4. "अमेरिका की विदेश मंत्री का ऐसे समय में भारत दौरा, जब काला धन स्विस से गायब हुआ..." बात पते की है... वरना बे मौसम की इस बरसात का क्या मतलब ???
    लगता है की अभी तक ये पैसा (काला धन) इटली की बैंक में भी जमा नहीं हुआ है... क्यूंकि कल के न्यूज़ पेपर में इटली पर भी कर्ज का भार उसके सकल बजट से 120 गुना ज्यादा बताया है.... महारानी सोनिया गाँधी की तो बहुत पूछ हो गई है... एक और उसका अपना देश इटली उसके कदमो में है... दूसरी और विश्व की महाशक्ति उसके तलवे चाट रही है... और ये सब कुछ हो रहा है हमारे खून पसीने की कमाई के बल पर... जो आज हमारी नहीं है... हमसे लूट ली गई है...और शायद इसके वापस आने के भी आसार नहीं है... आज ये भी साफ़ हो गया की सीबीआई बालकृष्ण जी के पासपोर्ट के जाली होने का कोई भी प्रूफ नहीं दे पायी न ही उनके डिग्री के फर्जी होने का... अब वो बालकृष्ण जी के डेट ऑफ़ बर्थ के अन्दर उलझी है.... भारत की इतनी बड़ी गुप्तचर संस्था.. काले धन को पकड़ने की बजाय देश भक्तों के डेट ऑफ़ बर्थ सर्टिफिकेट चेक कर रही है... क्या दिन आ गए इस सीबीआई के और क्या दिन आने वाले हैं इन कांग्रेसियों के... थू इन भ्रष्ट नेताओं पर... इनकी तो इतनी बजेगी की ये मौत की भीख मांगेगे..

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  5. विश्व के सभी काले धन बैंको से बाहर जा रहे है ! बैंको के पास लाले पड़ने लग गए है ! पैसे को निकालने के लिए बिदेशी यात्राये बढ़ेगी ही ! आगे और कुछ होने वाला है !

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  6. बहुत ही खोज पूर्ण एवं तथ्यात्मक बात कही है आपने | इसके लिए आपका बहुत धन्यवाद |
    मेरा आपसे निवेदन है कि 16 अगस्त से आप एक हफ्ता देश के नाम करें, अन्ना के आमरण अनशन के शुरू होने के साथ ही आप भी अनशन करें, सड़कों पर उतरें। अपने घर के सामने बैठ जाइए या फिर किसी चौराहे या पार्क में तिरंगा लेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ नारे लगाइए। इस बार चूके तो फिर पता नहीं कि यह मौका दोबारा कब आए

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  7. भनक तो थी दाल में कुछ काला जरूर है... आपने विस्तार से बताकर मुझे इस बात का स्वैच्छिक प्रचारक बना दिया.

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  8. आँखे खोलने वाली जानकारी.....

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  9. क्या दूर की कौड़ी लाए हो दिवस भाई , मजा आ गया पढ़ कर |
    अमरीका ,ब्रिटेन जैसे देश तो परजीवी हैं, हमेशा से दूसरों का खून चूसते रहे हैं | वे अपना स्वभाव नहीं छोड़ेंगे | जरूरत है हमें अपना स्वभाव बदलने की , जरूरत है सोनिया जैसी नागिन का जहर निकालने की , जरूरत है राहुल जैसे संपोले का फन निकंलने से पहले ही कुचलने की|

    औ सबसे ज्यादा जरूरत है ऊर्जावान और देशभक्त नवयुवकों की जो देश की बागडोर अपने हाथ में ले सकें और उसे हमारे परम सन्यासी स्वामी विवेकानन्द जी के आदर्शों की प्रेरणा से विकसित कर सकें |

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  10. दिवसजी आपने तो कई ऐसे सच को उजागर किया है जिसके बारे में लोग सोच भी नहीं सकते ...सार्थक पोस्ट

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  11. शोधपरक आलेख ! आपकी खोजी पत्रकारिता ने अचंभित करने वाले तथ्य उजागर किये हैं ! कोई अचानक तो बीमार नहीं पड़ता ! आपके अनुमान सत्य प्रतीत हो रहे हैं !

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  12. प्रिय बंधुवर दिवस जी
    सस्नेहाभिवादन !

    पूरे श्रम और तथ्यों के आधार पर अत्यंत महत्वपूर्ण सारगर्भित और सार्थक आलेख के लिए साधुवाद !
    बाबा रामदेव को गालियाँ देने वाले मूर्खों को अक्ल न आई हो तो शायद तब आएगी जब इनके भी कपडे फटने लगेंगे
    सच कहा आपने … … …


    रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  13. कई समानांतर घटनाओं का गहन विश्लेषण है इस लेख में। तर्क इतने जानदार हैं कि तथ्य एकदम सही लग रहे हैं।

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  14. आदरणीय दिवस दिनेश गौर जी,
    सच कहा आपने "सोचने की बात यह है कि भारत एक इतना शक्तिशाली देश है कि केवल एक से डेढ़ लाख लोगों के केवल एक दिन के अनशन के कारण जब पूरी दुनिया में भूचाल आ सकता है तो सोचिये 121 करोड़ भारतवासी एक हो जाएं तो क्या से क्या हो सकता है"


    कड़वे सच को उजागर करती पोस्ट

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