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Sunday, August 7, 2011

किसका महत्व अधिक है, हिना रब्बानी का या भारतीय सेना के जवानों का???


मित्रों हिना रब्बानी अब अपनी भारत यात्रा पूरी कर फिर से अपने देश पापी पाकिस्तान चली गयी है| अब तक इस विषय में कई जगह बहुत कुछ लिखा भी जा चूका है|

जिस तरह से उसे मीडिया में दिखाया जा रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे हिना रब्बानी न हुई स्वर्ग की कोई अप्सरा हो गयी| कोई उसके पर्स पर कैमरा फोकस कर रहा है, तो कोई सैंडल पर| और तो और बैकग्राउंड में गाना चल रहा था "एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा"

यहाँ तक कि हमारे माननीय(?) नेतागण भी ऐसे दीवाने हुए मानों पाकिस्तानी दूत न होकर कोई देवदूत स्वर्ग से उतर कर आया हो| हाथ मिलाने लगे तो हाथ छोड़ने का मन ही नहीं हुआ|

समझ नहीं आता किस देश से दोस्ती की वार्ता की जा रही है| उस देश से जो नफरत के कारण हमसे टूट कर अलग हुआ है? उस देश से जो अपने जन्म के समय से आतंकवाद के ज़रिये हमे परेशान करता रहा है? उस देश से जो हमारे हज़ारों लाखों भाई बहनों के हत्यारा है? उस देश से जो हमारी एकता को खंड खंड कर देने के सपने देखता है? उस देश से जितने वर्षों से हमारे सुन्दर कश्मीर को खून से लाल कर रहा है?

अभी १३ जुलाई को मुंबई में हुए आतंकी हमले को दो हफ्ते भी नहीं बीते थे कि हमारे नेता व मीडिया पाकिस्तानी विदेश मंत्री की चाटुकारी में लग गए| अब इस बात से ही इनकार हो कि वह आतंकी हमला पाकिस्तानी आतंकवाद ने करवाया हो तो बात अलग है| इसमें भी शायद इन सेक्युलरों को आर एस एस या हिन्दू आतंकवाद (?) का हाथ नज़र आए| वैसे दिग्गी ने तो इसकी भी संभावना दे ही दी थी|

भाई ऐसा भी क्या प्यार इस पापी पाकिस्तान से कि ठीक कारगिल विजय की वर्षगाँठ वाले दिन ही यह नंगा नाच शुरू कर दिया? ये तो सीधा सीधा सोच पर वार है| सीधा सीधा कारगिल विजय का अपमान है|

जिस समय हमारे नपुंसक नेता हिना रब्बानी की आवभगत में लगे थे ठीक उसी समय पाकिस्तानी आतंकियों ने दो भारतीय सैनिकों की निर्मम हत्या कर उनके सर धड से अलग कर अपने साथ पाकिस्तान ले गए, मानों जीत की ट्रॉफी ले कर गए हों| भांड मीडिया को हिना रब्बानी से फुर्सत मिलती तब तो इस खबर के बारे में चार पंक्तियाँ कहता| यहाँ तक कि हमारी आतंकी सरकार को भी फुर्सत के कुछ क्षण मिले होते तब तो इस घृणित कार्य के लिए आतंकियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही करती| किन्तु हाय रे हिना रब्बानी, तेरी सुन्दरता ने इन्हें ऐसा मोह लिया कि तेरे आने का षड्यंत्र भी न समझ पाए|
ऐसा लगता है कि पाकिस्तान ने विदेश मंत्री न भेज कर कोई आइटम गर्ल भेज दी, और हमारे नेता व मीडिया उसके जलवों में खो कर रह गए| पीछे से पाकिस्तान ने अपनी गंदी चालें चलनी शुरू कर दीं| हिना रब्बानी के भारत आने का जो कुचक्र था वह उसने सिद्ध कर दिया| पाकिस्तान पहुँच कर उसने तो भारत के लिए वही पुराना जहर उगलना शुरू कर दिया जो  इसका पापी देश पिछले ६४ वर्षों से उगलता आया है|

काहे की दोस्ती???

ऐसी शान्ति से हमें तो कोई प्रेम नहीं है|

कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा के समीप भारतीय सेना व पाकिस्तानी आतंकवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में आतंकियों ने यह घटिया काम किया| मरने वाले दोनों जवान कुमाऊं रेजिमेंट के थे| शहीदों की पहचान हवालदार जयपाल सिंह अधिकारी व लांस नायक देवेन्द्र सिंह के रूप में की गयी है| इसके साथ ही पैट्रोलिंग पार्टी का 19 राजपूत रेजिमेंट का एक अन्य जवान भी शहीद हुआ है| 

शहीद हुए जवानों के शव इतने बुरी हालत में थे कि परिज़नों को उनके शवों को देखने की आज्ञा भी नहीं दी गयी|
ऐसी घटनाओं से सेना के जवानों का मनोबल टूट रहा है जो कश्मीर घाटी में आतंकियों से लोहा लेने के लिए प्रतिक्षण मुस्तैद हैं| ऊपर से सरकार का किसी प्रकार का कोई सहयोग न मिलना आग में घी का काम कर रहा है| क्या इन वीरों को वहाँ कुत्ते की मौत मरने के लिए ही छोड़ रखा है?
ऐसी परिस्थिति में यदि सेना भी बगावत कर दे तो कोई आश्चर्य नहीं| इसकी जिम्मेदार सेना नहीं, यही भ्रष्ट सरकार होगी जो आतंकियों के साथ मिलकर हमारे जवानों की बलि चढ़ा रही है|

फिर भी पता नहीं देश में यह कैसी शान्ति छाई है? मानों जो कुछ भी हो रहा है, इससे किसी को कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा| आज सुबह से ही पता नहीं कितने ही मुर्ख मुझे यहाँ वहां Friendship Day की बधाइयां दे रहे हैं| अब ऐसे लोगों से मित्रता करने के निर्णय पर भी विचार करना पड़ रहा है|


13 comments:

  1. मंग्लेश्वेरAugust 7, 2011 at 7:09 PM

    बहुत खूब दिवस भाई...
    मैं चाहता तो नहीं की भारत में कभी मिलट्री राज आये.. पर पाकिस्तान जैसे देशों की मिलट्री से भारत की सेना की तुलना की जाए, तो हमारे वीर देश और देशवासियों पर अपनी जान न्योछावर करने का जज्बा रखते हैं.. एक तो भारत की सेना कभी बगावत करेगी नहीं.. और कर भी दी तो वो पाकिस्तानी ISI जैसी सेना कभी नहीं होगी... पर हाँ.. अगर भारत में मिलट्री राज एक बार आ जाए, (पर राष्ट्रपति परांठे बनाने वाली न हो)..तो सबसे पहले तो भारत साफ़ और आतंक हीन हो जाएगा और दूसरा पाकिस्तान और चीन की फट जायेगी.. और ऐसी फटेगी की तार तार हो जायेगी... आज की स्थिति को देखते हुए तो अब दिल करता है की एक बार मिलट्री को ही ये देश सोंप के देख लो... जब तक सच्चा लोकतंत्र स्थापित न हो जाए...

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  2. bahut hi acche visay ke baare me likha hai

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  3. चिंतनीय विषय ! समझ में नहीं आता इस देश में बदलाव कब आयेंगे !

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  4. कश्मीर में तो हालत यह है कि वहां सेना को कोई भी पसंद नहीं करता है . दिल्ली में बैठे लोगो को कश्मीर के हालात पता चलते चलते कई दिन बीत जाते है. कश्मीर में सेना तो हमेशा ही खतरों से घिरी रहती है . जेड सुरक्षा वाले लोग कुछ मिनट भी इन खतरों के बीच रह जाये तो शायद उन्हें हृदयाघात हो जायेगा.

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  5. दुर्भाग्य है ये देश का ! दाश की समस्याओं से न प्रभावित होकर कुछ एक लोग फ्रेंडशिप डे जैसे औपचारिक दिवस मानते हैं ! ज़रूरी है की हम वक़्त निकालें ज़रूरी समस्याओं के लिए !

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  6. दिवस भाई आपने सही विषय को रखा ..हालात बहुत विकट हैं ..हम सब को मिलकर ही इनसे बदला लेना है ...इस देश कि जनता कि अब उमीद अब नेताओ से पूरी तरह टूट चुकी है .

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  7. ऐसी बेहूदा और वीभत्स घटना के लिए सबक ज़रूरी है ...... इन नेताओं को शर्म कब आएगी.... दिल दुखी है हमारे जवानों के साथ हुई इस ह्रदय विदारक घटना के विषय में जानकर

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  8. दिवस भाई , आज के हालात देख कर बहुत नाउम्मीदी के साथ कहना पद रहा है कि अभी ५ - १० सालों तक तो यही चलने वाला है भले हम आप जैसे राष्ट्रभक्त चिल्लाते रहें |

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  9. आदरणीय दिवस दिनेश गौड जी मैं आपसे पूर्णतः सहमत हूँ । हमारे भारत की भ्रष्ट सरकार आतंकवादियों से मिलकर हमारे वीर जवानों की बलि चढा रही है । एडविना के सौन्दर्य पाश में बंधकर सत्ता के भूखे नेहरू ने अपनी कुनीतियों द्वारा भारतीय वीर जवानों की बलि चढाने की जो परंपरा शुरू की थी , उसे ही आज उसके अनुयायी आगे बढा रहे है ।
    एक ओर भारत के नपुंसक नेता पाकिस्तानी विदेशमंत्री हिना रब्बानी के सौन्दर्य जाल में बंधे थे तो दूसरी ओर पाकिस्तानी आतंकी भारतीय जवानों का सिर काट कर ले जा रहे थे बहुत शर्म की बात है , और इससे भी अधिक शर्म की बात है कि वीर शहीदों के शरीर को ताबूत के साथ चिता पर रख जलाने की बात की गई , परिवार जनों के प्रबल विरोध के कारण उनके शव तो ताबूत से निकाल दिये गये लेकिन कफन हटाकर उनके शरीर के दर्शन न करने दिये गये ।
    मैं जम्मू कश्मीर में रहा हूँ और भारतीय वीर जवानों के साथ वहाँ के निवासियों द्वारा किये जाने वाले दुर्व्यवहार को देखा है । भारत का जवान कश्मीर के लिए अपनी जान तो दे सकता है लेकिन वहा जमीन का एक छोटा सा टुकडा भी नहीं सकता !
    हृदय को रूलाती हुई चिंतनीय प्रस्तुती ...... आभार ।

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  10. आदरणीय दिवस दिनेश गौड जी मैं आपसे पूर्णतः सहमत हूँ । हमारे भारत की भ्रष्ट सरकार आतंकवादियों से मिलकर हमारे वीर जवानों की बलि चढा रही है । एडविना के सौन्दर्य पाश में बंधकर सत्ता के भूखे नेहरू ने अपनी कुनीतियों द्वारा भारतीय वीर जवानों की बलि चढाने की जो परंपरा शुरू की थी , उसे ही आज उसके अनुयायी आगे बढा रहे है ।
    एक ओर भारत के नपुंसक नेता पाकिस्तानी विदेशमंत्री हिना रब्बानी के सौन्दर्य जाल में बंधे थे तो दूसरी ओर पाकिस्तानी आतंकी भारतीय जवानों का सिर काट कर ले जा रहे थे बहुत शर्म की बात है , और इससे भी अधिक शर्म की बात है कि वीर शहीदों के शरीर को ताबूत के साथ चिता पर रख जलाने की बात की गई , परिवार जनों के प्रबल विरोध के कारण उनके शव तो ताबूत से निकाल दिये गये लेकिन कफन हटाकर उनके शरीर के दर्शन न करने दिये गये ।
    मैं जम्मू कश्मीर में रहा हूँ और भारतीय वीर जवानों के साथ वहाँ के निवासियों द्वारा किये जाने वाले दुर्व्यवहार को देखा है । भारत का जवान कश्मीर के लिए अपनी जान तो दे सकता है लेकिन वहा जमीन का एक छोटा सा टुकडा भी नहीं सकता !
    हृदय को रूलाती हुई चिंतनीय प्रस्तुती ...... आभार ।

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  11. आदरणीय दिवस दिनेश गौड जी मैं आपकी बात से १००% सहमत हूँ और आपका उत्तर देख लिया है मैं जल्दी ही उस लेख को अपने ब्लॉग पर पोस्ट करुगा ..शुक्रिया
    आपका छोटा भाई

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  12. आदरणीय श्री दिवस दिनेश गौरजी “आज का आगरा”ब्लॉग परिवार में शामिल होने पर शुक्रिया और आपके सहयोग एवं स्नेह का सदैव आकांक्षी रहूँगा..आपका छोटा भाई

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  13. दिवस भैया - शत प्रति शत सही है आपकी बात | पहले तो छुप कर गड़बड़ियाँ होती थीं, अब तो खुले आम छाती ठोक कर सरकार के नुमाइंदे जो मर्जी करते हैं | पता नहीं कब हम जागेंगे इस कुम्भकरणी नींद से | मीडिया ने बहुत ही निराश कर दिया है ... | हीना रब्बानी जी के आने पर मीडिया ने जो बेशर्मी और इर्रिस्पोन्सिबिलिटि दिखाई , उस से वितृष्णा सी होती है ...

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