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Thursday, May 26, 2011

भ्रष्टाचार का विरोध-अब युवाओं की बारी...

 मित्रों २१ मई को जयपुर में विद्यार्थी परिषद् द्वारा गठित  Youth Against Corruption संगठन के राजस्थान प्रदेश  इकाई का शुभारम्भ हुआ| जयपुर के Pinkcity Press Club में  यहाँ एक सभा बुलाई गयी थी| पिछले कुछ दिनों से फेसबुक  पर कुछ राष्ट्रवादी मित्रों द्वारा इस सभा में उपस्थित होने  का आमंत्रण देख रहा था| मैंने भी वहां जाने का निश्चय  किया| करीब दो सप्ताह की प्रतीक्षा के बाद यह दिन आया|  शाम को अपने ऑफिस से निकलकर मैंने अपने कुछ  सहकर्मियों से साथ में चलने का आग्रह किया| किन्तु हाय रे  नियति, सभी को कुछ न कुछ काम था|
 इन बातों को छोड़ते हैं| तो फिर मैं अकेला ही सभा में  उपस्थित होने के लिए चला गया|
 इस कार्यक्रम का विवरण मैं अगले ही दिन लिखना चाहता   था, किन्तु Field Work में बाहर जाना पड़ा| अत:  समयाभाव के चलते लिख न सका|
 सभागार में जब पहुंचा तो देखा करीब डेढ़ हज़ार युवाओं से  सभागार भरा हुआ था| देख कर अच्छा लगा, किन्तु थोड़ी ही  देर में विचार आया कि करीब चालीस लाख की आबादी वाले  जयपुर शहर में कम से कम पच्चीस लाख युवा तो होंगे ही|   फिर केवल डेढ़ हज़ार, कुछ जमा नहीं| खैर शाम के सात  बजे सभा आरम्भ हुई|
सबसे पहले माँ भारती के समक्ष दीप प्रज्वलित किये गए व  माँ भारती की वंदना की गयी|
फिर सबसे पहले Youth Against Corruption के जयपुर संयोजक श्री सुरेन्द्र चतुर्वेदी जी ने अपने विचार रखे|  पूरे पूरे भाषण तो मुझे याद नहीं किन्तु कुछ मुख्य बातें जो याद हैं वे यहाँ रख रहा हूँ|

सुरेन्द्र चतुर्वेदी : एक समय आज से करीब पच्चीस-तीस वर्ष पहले वह था जब हम किसी सरकारी कार्यालय में जाते थे तो वहां के कर्मचारी किसी व्यक्ति विशेष की ओर इशारा करके कहते थे कि यह आदमी रिश्वत खाता है| किन्तु आज जब हम वहां जाते हैं तो सभी कर्मचारी किसी एक की ओर इशारा कर कहते हैं कि वह आदमी घूस नहीं खाता| यह है परिवर्तन भ्रष्टाचार में| मैंने एक बार मनमोहन सिंह से पूछा कि "आपकी वर्तमान यूपीए द्वितीय सरकार में तीन बड़े घोटाले हुए हैं| पहला सबसे बड़ा घोटाला 2G Spectrum जिसमे करीब १,७६,००० करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है, दूसरा घोटाला राष्ट्रमंडल खेलों का जिसमे करीब ७०,००० करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है, तीसरा घोटाला आदर्श सोसायटी का जिसमे करीब ५०,००० करोड़ का घोटाला हुआ है| कुल मिलाकर लघभग तीन लाख करोड़ वो भी केवल दो वर्षों में| ऐसा क्या है आपकी सरकार में जो भ्रष्टाचारी इतने बेख़ौफ़ होकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं?"
 इस पर मनमोहन सिंह ने कहा कि "इस बार हमारी सरकार थोड़ी कमजोर साबित हुई है और हम कड़ी कार्यवाही कर रहे हैं| आगे से एक भी घोटाला देश में नहीं होगा| और हम भ्रष्टाचारियों को कठोर दंड देंगे| केवल इस बार हुए इन घोटालों ने हमारी सरकार को बदनाम किया है|"
 इस पर मैंने कहा कि "इस बार तो केवल तीन लाख करोड़ का ही घोटाला हुआ है| पिछले ६४ वर्षों में से ५५ वर्ष आपकी पार्टी की सरकार रही है जिसमे करीब चार सौ लाख करोड़ के घोटाले हो चुके हैं क्या उनसे आपकी सरकार की बदनामी नहीं हुई है? और आप भ्रष्टाचारी को दंड कहाँ से देंगे? हमारे संविधान में भ्रष्टाचार करने वाले के लिए अधिकतम सात वर्ष कारावास का प्रावधान है और वसूली का तो कोई प्रावधान ही नहीं है| हज़ारों करोड़ रुपये लेकर तो कोई भी सात वर्ष जेल में रह लेगा|"
इसका मनमोहन सिंह के पास कोई जवाब नहीं था|"

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इसके बाद आये राष्ट्रीय संयोजक श्री सुनील बंसल जी| सुनील बंसल ने बड़ी ही बेबाकी से अपने विचारों को रखा व युवाओं से अधिक से अधिक इस आन्दोलन में शामिल होने का आग्रह किया|

सुनील बंसल : सन २००१ में जब NDA की सरकार थी तब 1G Spectrum का आबंटन हुआ था, तब Spectrum का मूल्य १८०० करोड़ रुपये लगाया गया था| उस समय देश में केवल चालीस लाख मोबाइल उपभोक्ता थे| २००८ में जब देश में सत्तर करोड़ मोबाइल उपभोक्ता थे तब भी 2G Spectrum का मूल्य केवल १८०० करोड़ ही लगाया गया| यह सरासर गलत है| कुल ८६ कम्पनियों ने आवेदन किया था| उनमे से अधिकतर को तो मान्यता भी प्राप्त नहीं थी| राजा ने कहा था कि हम इसी मूल्य पर आबंटन करेंगे| जो भी आवेदन करना चाहें वे एक घंटे के अन्दर ड्राफ्ट के द्वारा पैसा जमा करवा दें| आप भी जानते हैं कि जब हम बैंकों में सौ या दो सौ रुपये का ड्राफ्ट बनवाते हैं तो वहां घंटों लाइन में लगना पड़ता है| किन्तु यहाँ हज़ारों करोड़ों के ड्राफ्ट मिनटों में बन गए| इससे यह साफ़ है कि पहले से ही Spectrum १८०० करोड़ की सस्ती दर पर कुछ कंपनियों को बेच दिया गया था| इन कम्पनियों ने फिर महँगी दर पर किसी अन्य कंपनी को बेच दिया व उसने और महँगी दर पर किसी अन्य को| इस प्रकार करीब एक लाख सत्तर हज़ार करोड़ का नुकसान सरकार को हुआ| घोटाला करीब साठ हज़ार करोड़ का हुआ था| शेष तो इन कम्पनियों के खातों में था| इस पर सरकार ने राजा को दोषी ठहरा दिया| अभी कुछ दिन पहले मेरा डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी जी मिलना हुआ| उन्होंने बताया कि मेरे पास ठोस सबूत हैं कि यह घोटाले का पैसा किस किस के पास है| राजा के खाते में तो केवल दस प्रतिशत (छ: हज़ार करोड़) धन ही है| तीस प्रतिशत (अठारह हज़ार करोड़) करूणानिधि के पास है, शायद उनकी तीन पत्नियों की वजह से| और शेष छत्तीस हज़ार करोड़ सोनिया गांधी के खाते में जमा हुआ है| इसी प्रकार राष्ट्रमंडल खेलों में भी कलमाड़ी के पास तो कुल सात हज़ार करोड़ धन ही पहुंचा| शेष धन तो शीला दीक्षित व सोनिया गांधी के खाते में जमा हुआ है|

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इसके बाद आये योगी रमननाथ जी महाराज| योगी रमननाथ जी पेशे से शिक्षक रह चुके हैं और अभी वे सद संस्कार समिती नामक संस्था चलाते हैं| योगी रमननाथ जी ने भी अपने पावन विचारों को कुछ इस प्रकार रखा...

योगी रमननाथ : मैं एक संस्था चलाता हूँ| जिसके द्वारा हम सेवा कार्य चलाते हैं| इस संस्था के लिए हम कोई भी सरकारी सहायता नहीं लेते| समिती के सदस्य अपने बूते पर ही धन एकत्र कर यह कार्य करते हैं| NGO तो आजकल धंधा हो गया है| मुझे तो NGO शब्द एक गाली के जैसा लगता है| मैं यह नहीं चाहता कि हमारी संस्था को सरकार सौ रुपये का दान दे जिसे पाने के लिए हमें अधिकारी को पचास रुपये की रिश्वत देनी पड़े| शेष पचास रुपये में से केवल दस रुपये से मैं सेवा करूं व चालीस रुपये अपनी जेब में डाल लूं? यह काम मुझसे तो नहीं होगा| ऐसा करने के लिए तो मुझे मेरी संस्था का नाम बदलकर कुछ और रखना होगा|
एक बार एक विद्यार्थी परिषद् के एक नेता से मेरी मुलाक़ात हुई| उसने एक बहुत ही अच्छी बात कही| उसने कहा कि "जब रात में हमें मच्छर काटते हैं तो एक एक मच्छर को ताली बजा कर मारते हैं या कमरे में गुडनाईट या ऑलआउट लगा कर सो जाते हैं| किन्तु हम कभी भी इस बात पर ध्यान नहीं देते कि ये मच्छर कहाँ से पैदा हुए हैं| क्यों न उस गन्दगी को ही साफ़ कर दिया जाए तो कभी भी कोई मच्छर हमें नहीं काटेगा| एक बार काम करना होगा फिर हमें कभी भी कोई गुडनाईट या ऑलआउट नहीं लगाना पड़ेगा ना ही ताली पीट-पीट कर मच्छरों को मारना पड़ेगा|"
ठीक इसी प्रकार राजा और कलमाड़ी तो केवल मच्छर हैं| क्यों न इस कांग्रेस नामक गन्दगी को ही साफ़ कर दिया जाए जहाँ ये मच्छर पैदा होते हैं|

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इसके बाद एक पांच वर्ष की बच्ची ने एक सुन्दर सी कविता भ्रष्टाचार के विषय पर सुनाई| कविता सुनकर बड़ी ख़ुशी हुई कि इस छोटी सी बच्ची में भी कितना साहस है कि वह इस बिमारी के खिलाफ लड़ रही है|

अंत में श्रोताओं से आग्रह किया गया कि जो कोई भी कुछ कहना चाहता है वह मंच पर आकर पांच मिनट में अपनी बात रखें|
श्रोताओं  में से उठकर मंच पर जाने वाला पहला व्यक्ति मैं ही था| मैं आपको बता दूं कि मैं एक अच्छा लेखक तो नहीं हूँ किन्तु लोग कहते हैं कि एक अच्छा वक्ता हूँ| मुझे यह गुण मेरे पिता से विरासत में मिला है| उनके भाषण मैंने बहुत सुने हैं| उनकी भाषा व बोलने की शक्ति से लोग मुग्ध हो जाया करते थे|
कॉलेज के दिनों में मैं कई बार Paper Presentation दे चूका हूँ| यह बात और है कि वहां मेरे ज्ञान को दरकिनार कर केवल मेरी अंग्रेजी पर ध्यान दिया जाता था|
जिस कंपनी में मैं काम करता हूँ वहां भी मैंने कई Seminar दिए हैं| किन्तु अपने देश के लिए सबके सामने बोलने का यह मेरा पहला अवसर था|
मंच पर जाकर मैंने सबसे पहले यही मुद्दा उठाया कि हमारा उद्देश्य क्या है? क्या केवल किसी भ्रष्टाचारी को दंड देना हमारा उद्देश्य है या भ्रष्टाचार को जड़ समूल नष्ट कर देना हमारा उद्देश्य है?
भ्रष्टाचार है क्या? क्या केवल पैसे का लेनदेन ही भ्रष्टाचार के अंतर्गत आता है? भ्रष्टाचार तो भ्रष्ट आचार है| जो कि हमारे मानस पटल में भीतर तक घुस गया है| हमें तो उसे मिटाना है| अभी कुछ दिन पहले दिल्ली विश्वविद्यालय की एक छात्रा की उसके सहपाठी ने बीच सड़क पर गोली मार कर हत्या कर दी| कारण केवल इतना सा था कि उस लड़के ने इस लड़की को I LOVE YOU बोला, बदले में लड़की ने उसे मना कर दिया| बस गोली चली और एक लड़की वहीँ ढेर| क्या यह भ्रष्टाचार नहीं है? जिस लड़की से वह प्रेम करता था (हालांकि वह कोई प्रेम नहीं करता था) उसे ही मार डाला|
दोषी को दंड देना परम आवश्यक है किन्तु देश के नागरिकों को इस भ्रष्टाचार से मुक्त करवाना उससे भी अधिक आवश्यक है| हत्या के विरोध में धारा ३०२ का क़ानून है फिर भी देश में हत्याएं होती हैं| तो भ्रष्टाचार के विरुद्ध भी केवल कोई क़ानून बना देने से क्या भ्रष्टाचार रुक जाएगा? सबसे जरुरी है लोगों को नैतिकता सिखाना कि यह गलत है| जिस दिन लोगों को यह आभास हो जाएगा भ्रष्टाचार उसी दिन मिट जाएगा| इसके लिए हमें अपनी शिक्षा पद्धति में भी कुछ परिवर्तन करना पड़ेगा|
दूसरी बात भ्रष्टाचार का एक कारण भय भी है|और यह भय इतना अधिक फ़ैल चूका है कि व्यर्थ ही हमें सताता रहता है| भ्रष्टाचार का एक कारण भय अवश्य है किन्तु भय का एक कारण भ्रष्टाचार भी है| अब जैसे कि मैं यहाँ मंच पर खड़ा हूँ और मुझे भय है कि कहीं कोई बाहर मेरी गाडी न चुरा ले जाए|

(सभा में बैठे केवल डेढ़ हज़ार युवाओं की संख्या से मैं थोडा विचलित था| इस कारण लोगों के सामने मैंने कुछ विद्रोही बातें भी कह दीं जिससे शायद मेरा विरोध हो सकता था| किन्तु जानकर आश्चर्य व ख़ुशी हुई कि जिनका मैं विरोध कर रह था वे मुझसे सहमत थे|)

मैंने कहा कि अभी इस समय देश के महिलावादी  संगठन कहाँ घास चरने चले गए? अभी कोई महिला आरक्षण की चर्चा होती तो यहाँ महिलाओं की भीड़ लग जाती कि यह हमारा अधिकार है और हम इसे लेकर ही रहेंगे|
मतलब फ़ोकट में मिलने वाला अधिकार लेने तो सबसे आगे हैं किन्तु कर्तव्य की बारी आई तो इस सभा में डेढ़ हज़ार की भीड़ में केवल आठ युवतियां, तीन महिलाएं व एक पांच वर्ष की बच्ची ही उपस्थित हुए हैं|
किन्तु आशा के विपरीत मेरे इस विद्रोही कथन के लिए मुझे समर्थन मिला|

(मैं यहाँ स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि मुझे परेशानी केवल महिलावादी संगठनों से है ना कि महिलाओं से| क्यों कि अरुंधती राय, बरखा दत्त, तीस्ता सीतलवाड़, शबाना आज़मी और तो और राखी सावंत, मल्लिका शेरावत जैसी खरपतवार इन्ही संगठनों की पैदाइश हैं| यदि किसी छिछोरी फिल्म अभिनेत्री पर अश्लीलता फैलाने का आरोप लग जाए तो इनके पेट में जलन होने लगती है किन्तु जब साध्वी प्रज्ञा देवी को किसी आरोप की पुष्टि ना होने पर भी केवल शंका के आधार पर जेल में कड़ी यातनाएं दी जाति हैं तो ये सभी मौन धारण कर लेते हैं| जी हाँ बिलकुल यही सत्य है इन महिलावादी संगठनों का| मेरे मन में महिलाओं के लिए क्या है यह जानने के लिए यहाँ देख सकते हैं| महिलावादी ही नहीं मुझे उस प्रत्येक संगठन से परेशानी है जो केवल किसी वर्ग विशेष के अधिकारों की बात करता है| चाहे वह महिलावादी संगठन हो या पुरुषवादी, कोई जातिवादी हो या धर्मवादी, कोई क्षेत्रवादी हो या रंगवादी| जातिवाद का असली चेहरा क्या है मेरी नज़र में, यदि जानना चाहते हैं तो एक लेख पर मेरी कुछ टिप्पणियाँ देख लीजिये| तीव्र भाषा में की गयी इन टिप्पणियों से कईयों को मरोड़े उठे थे| इन्हें आप यहाँ देख सकते हैं| अत; कोई भी यह ना समझें कि मैं कोई महिला विरोधी हूँ| मैं तो आज ही एक देहाती स्त्री से गुरु ज्ञान लेकर आ रहा हूँ|)

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मेरे बाद एक महिला ने बड़े ही बुलंद हौंसले के साथ अपनी दो पंक्तियाँ कहीं| उसके बाद एक सज्जन ने दो सुन्दर शेर सुनाए|

सभा विसर्जन से पहले वन्देमातरम गाया गया| माँ भारती का जय घोष किया गया| और हम सब अपने-अपने घर को चल दिए|

अब २७ मई को जयपुर के बिड़ला सभागार में Youth Against Corruption द्वारा फिर से एक सभा बुलाई गयी है, जिसे भाजपा के नेता श्री अरुण जेटली संबोधित करेंगे|

अंत में आपको अपने मन की एक बात और बता देना चाहता हूँ| सभागार से बाहर आते समय मेरे मन में विचार आया की यहाँ आने वाले युवा कहाँ कहाँ से आये होंगे? कुछ लोगों से पूछने पर पता चला कि उनमे से कई राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवक थे| कुछ लोग बाबा रामदेव के भारत स्वाभिमान संगठन के कार्यकर्ता थे| कुछ लोग मीडिया की तरफ से थे| कुछ लोग अन्ना हजारे के आन्दोलन India Against Corruption से थे| कुछ लोग डॉ. स्वामी की जनता पार्टी के कार्यकर्ता थे| Youth Against Corruption के लोग तो होने ही थे| विश्व हिन्दू परिषद् के भी कुछ लोग उपस्थित थे| कुछ लोग स्वतंत्र रूप से आये थे| स्वतंत्र रूप से आये लोग भाँती-भाँती के हो सकते हैं| कुछ लोग जयपुर में चलने वाली गौशालाओं से सम्बंधित थे|
भिन्न-भिन्न प्रकार के लोगों से मिलने के बाद याद आया कि इस समय भारतीय जनता पार्टी कहाँ मूंह छिपाए बैठी है? पिछले कुछ आन्दोलनों पर ध्यान दिया जाए तो दिल्ली के राम लीला मैदान में बाबा रामदेव की महारैली में भी यह दल नदारद था| उसके बाद अन्ना हजारे के आन्दोलन India Against Corruption के समय भी लगभग इसकी अनुपस्थिति रही| डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा विभिन्न न्यालालयों में कांग्रेस व नेहरु-गांधी परिवार के विरुद्ध दायर किये गए मुकदमों के समय भी यह पार्टी पता नहीं कहाँ लापता हो गयी थी| डॉ. स्वामी ने अकेले अपने दम पर दुनिया भर में घूम-घूम कर मायनों, राजिव गांधी, चिदम्बरम, प्रणव मुखर्जी व अन्य कई कांग्रेसी नेताओं के विरुद्ध प्रमाण इकट्ठे किये| एक अकेला आदमी अपने दम पर इतना कुछ कर सकता है तो इस समय देश की मुख्य विपक्ष पार्टी क्या नहीं कर सकती? किन्तु लगता है कि श्रीमान लाल कृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज व गडकरी आदियों को फुरसत नहीं है| मुद्दों की तो कोई कमी ही नहीं है, सहयोगियों की भी कोई कमी नहीं है| विपक्ष चाहे तो एक झटके में ही देश व देशवासियों को इस भ्रष्टाचारी सरकार से मुक्त करवा सकती है| अरे इस कार्य के लिए तो अकेले नरेंद्र मोदी ही काफी हैं जिन्होंने कांग्रेस की नाक में दम कर रखा है| फिर भाजपा शान्त क्यों है? वह चाहती क्या है? आखिर क्या चल रहा है आडवाणी जी के दिमाग में? उनसे हमें बहुत उम्मीदें थीं किन्तु अब विश्वास डगमगा रहा है|
अच्छी बात है की अब २७ मई को अरुण जेटली आ रहे हैं| चलो कुछ तो किया भाजपा ने भी| शायद अरुण जेटली कुछ कमाल करें| शायद अबकी बार भाजपा हमारी उम्मीदों पर खरी उतरे|

नोट : मेरे द्वारा लिखी गयी कुछ सामग्री से यदि किसी को कोई पीड़ा हो तो क्षमा चाहूँगा| मेरा ऐसा कोई उद्देश्य नहीं है| दरअसल इधर उधर के हाल देखकर पीड़ा हो रही है| इसी के चलते जबान व कलम भी कडवाहट उगल रही है|


5 comments:

  1. 21 ko sammelan tha, iska poora prachaar nahi hua tha, yahi kaaran hai ki mujhe bhi 21 ke sammelan ka pata aapke blog se chala. 27 ko main bhi jaroor upasthit hounga. BJP can do it on a big scal, but still there is no awareness for 27th. These poletical parties expend so much on election, bt don't have the party fund for public welfare and social works. Shame on this. Lalkrishna Aadwani went on RATH YATRA, then so much propoganda, bt for this occasion, party don't have fund for awareness !... daal me kaala hai ya daal hi kaali hai... kya sabhi ek hi thali ke chatte-batte hain. We think that a new national party should create with all new young/agressive/clean and dedicated faces...
    Blogpost was nice... Saadhuwaad..

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  2. बहुत विस्तृत रिपोर्ट दी है आपने। गतिविधियों से अवगत हुयी। निसंदेह एक सकारात्मक कदम है ये। मंगलेश्वर जी से सहमत हूँ। ठीक से प्रचार प्रसार नहीं करते जागरूकता लाने के लिए , इसीलिए इच्छुक लोग भी शिरकत नहीं कर पाते ऐसे आन्दोलनों में।

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  3. भी की सहभागिता ही कुछ बदलाव ला सकती है...... पोस्ट से कई बातें की जानकारी हुई..... आभार

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  4. भा.जा.पा. से जुड़े बंधुओं से एक निवेदन वे अपने अपने क्षेत्र के भा.जा.पा. कार्यालय में सूचना दे दें सभी राष्ट्रवादियों की मांग है कि श्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में घोषित कर दें और देश के अधिकांश युवाओं का वोट ले लें मित्रों क्या कहते हो आप लोग क्या मेरा कहना सही है यह बात सिर्फ लाइक करने से नहीं फैलेगी ऐसी और पोस्ट बनायें और भर दें अपनी अपनी वाल को शायद कुछ तो आवाज़ पहुंचेगी गडकरी जी और संघ तक

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