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Wednesday, May 11, 2011

जैन मुनि श्री मैत्री प्रभा सागर दिला रहे हैं निर्दोष पशुओं को जीने का अधिकार

मित्रों अब तो भारत देश कहने को ही भगवान् कृष्ण का देश रह गया है| जहाँ कभी गाय को माँ कहा जाता था आज उसी माँ को काट कर उसका मांस विदेशों में बेच कर पैसा कमाया जा रहा है इन लुटेरे नेताओं द्वारा|
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार के द्वारा प्रदेश में दस यांत्रिक बूचडखाने खोले जाने को स्वीकृति दी गयी है| यहाँ एक बूचडखाने में दस से पंद्रह हज़ार पशु प्रतिदिन मारे जाएंगे| अर्थात पूरे प्रदेश में एक दिन में एक से डेढ़ लाख पशु प्रतिदिन काट दिए जाएंगे| इन पशुओं में मुख्यत: गाय व भैंस शामिल हैं| अब बताइये भगवान् कृष्ण की जन्म भूमि उत्तर प्रदेश में यह हाल है तो बाकी पूरे देश में क्या होगा?
इसके विरोध में जैन मुनि श्री मैत्री प्रभा सागर पिछले तेरह दिनों से बडौत में आमरण अनशन पर बैठे हैं| उनका स्वास्थ्य निरंतर गिरता जा रहा है किन्तु सरकार के कानों पर जूँ तक नहीं रेंग रही| जैन मुनि का उत्तर प्रदेश से कोई लेना देना भी नहीं है| वे तो कुछ दिन पहले गुजरात से मेरठ पहुंचे तो वहां उन्हें मायावती सरकार के इस दुश्चक्र का पता चला कि सरकार प्रदेश के आठ जिलों में ये बूचडखाने खोलने जा रही है| ये बूचडखाने मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर, झांसी, लखनऊ, कानपुर, अलीगढ एवं आगरा में खोले जाने हैं| जैन मुनि मेरठ में ही इसके विरोध में आन्दोलन करना चाहते थे किन्तु लोगों ने इस कार्य में उन्हें सहयोग नहीं दिया| अत: उन्होंने बडौत से अपना आन्दोलन शुरू किया| वहां उन्हें भारी जन समर्थन मिल रहा है| धीरे धीरे यह आन्दोलन पूरे प्रदेश में फ़ैल रहा है| किन्तु राज्य सरकार तो कान में तेल डाल कर सो रही है| केंद्र सरकार ने भी इस विषय में अपना मूंह बंद कर रखा है| सरकार की तरफ से कोई झुकाव न देख कर उन्होंने १० मई को मेरठ में एक ऐतिहासिक आन्दोलन किया| वहां भी उन्हें भारी समर्थन मिल रहा है| किन्तु सरकार पर कोई असर नहीं हुआ|
इसका अर्थ यह निकाला जाए कि सरकार अब चाहती है कि हमारी संस्कृति व हमारी भावनाएं जाएं तेल लेने, हमारी माँ को गला काट कर मार दिया जाए और उसका मांस इनके आकाओं को बेचा जाए और हम चुप चाप बैठे तमाशा देखते रहें|
बात केवल गौ हत्या तक ही सीमित नहीं है| अपनी जीभ के स्वाद के लिए किसी भी प्रकार की जीव हत्या कर देना मैं गलत मानता हूँ|
आप जानते ही होंगे कि इन बूचडखानों में किस प्रकार पशुओं को तडपा तडपा कर मारा जाता है| नहीं पता है तो यह वीडियो देखें|

वीडियो के लिए सीधा लिंक यहाँ उपलब्ध है...
ऐसा भी क्या चटकारा जीभ का कि उसे मिटाने के लिए जंगली बनना पड़े? मानव को मानवता की हद में ही रहना चाहिए| निर्दोष पशुओं पर क्रूरता मानवता का गुणधर्म नहीं है| इन बेजुबान जीवों का कुछ तो दर्द हमें समझना ही होगा| ऐसा तो है नहीं कि भगवान् ने केवल मनुष्य को ही समस्त पृथ्वी पर अधिकार के सूत्र दिए हैं| जिनता अधिकार मानव का है उतना ही इन जीवों का भी है| और इनसे इनका अधिकार छीनना पकृति के नियमों के विरुद्ध जाना है|
मैं जानता हूँ कि बहुत से महानुभाव मेरे इस कथन से सहमत नहीं होंगे| कहेंगे कि यह तो एक जीवन चक्र है, उसको इसी प्रकार मरना था, यदि हम नहीं खाएंगे तो कोई और खाएगा अथवा यदि इन्हें हम नहीं खाएंगे तो इनकी संख्या धरती पर इतनी बढ़ जाएगी कि प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाएगा आदि आदि|
इन सब दलीलों का कोई औचित्य नहीं है| यदि देश में गाय व भैसों की संख्या बढ़ जाए तो यह देश उन्नति के शिखर को छूने लगेगा| जितना अधिक पशुधन होगा उतनी अधिक उन्नति होगी|
एक गाय अपने पूरे जीवन में क्या नहीं देती हमें? भारतीय गाय के दूध और गोबर के लाभ तो हम सभी जानते हैं| इसके मूत्र से होने वाले लाभों से भी हम परिचित हैं| प्राय: गाय के मूत्र को एक औषधि के रूप में काम में लिया जाता है| इसके अलावा हिन्दू धार्मिक कर्मों में भी इसकी महत्ता है| किन्तु इन सबके अलावा भी गौ मूत्र काफी उपयोगी सिद्ध हो सकता है| कानपुर की एक गौशाला में काम करने वाले लोगों ने एक ऐसे सीएफएल बल्ब का निर्माण किया है जिसे जलाने के लिए एक विशेष बैटरी की आवश्यकता होती है| इस बैटरी को गौ मूत्र के द्वारा चार्ज किया जाता है| आधा लीटर गौ मूत्र से यह बल्ब २८ घंटों तक जलता रहता है| जो कि अपने आप में एक अद्भुत खोज है| 
इस खबर का स्त्रोत यहाँ है...
 कानपुर की ही एक गौशाला ने गाय के गोबर से गोबर गैस बनाई और उसे गाड़ियों में उपयोग में आने वाली सीएनजी (CNG- Compressed Natural Gas) की तरह काम में लिया| परिणाम आश्चर्य जनक थे| इस गैस से एक टाटा इंडिका पर इंधन पर होने वाला औसत व्यय ३५ से ४० पैसे प्रति किलोमीटर था| इतना उपयोगी पशु क्या हमें यूँही मार देना चाहिए| गाय को ऐसे ही तो माता नहीं कहते, इसके पास वह प्रेम है जो एक माँ के मन में अपने बच्चे के लिए होता है|
मान लीजिये कि गाय बूढी हो गयी और उसने दूध देना बंद कर दिया तो भी उसे कसाई को बेच देने से तो अच्छा है कि उसके मूत्र व गोबर से ही लाभ उठाया जाए| और बेशक यह लाभ गाय के मांस से होने वाली आमदनी से कहीं अधिक होगा| मरने के बाद भी यह काफी उपयोगी सिद्ध होगी| एक शोध के अनुसार गाय के मरने पर उसका चमड़ा उतारने से अच्छा है कि उसे किसी स्थाम पर भूमि में गाढ़ दिया जाए व उस भूमि पर एक आम का पेड़ लगा दिया जाए| यह पेड़ अन्य पेड़ों से अधिक तेज़ी से बढेगा व फल भी अधिक देगा|
तो अब बताइये कि उसे मार कर उसका मांस व चमड़ा बेचना अधिक लाभकारी है या उसे बचाना?
बात केवल गौ हत्या तक ही सीमित नहीं है| मनुष्य को कोई अधिकार नहीं कि वह अपनी जीभ के स्वाद के लिए किसी जीव की हत्या कर दे| आपका एक समय का भोजन होगा और एक जीव अपनी जान से गया| हम कोई जंगली जानवर नहीं है| समाज में रहने वाले सभ्य लोग हैं| अत: सभ्य लोगों सा आचरण भी तो करना चाहिए|
और जहाँ तक प्रश्न है इन जीव जंतुओं की संख्या बढ़ जाने का तो इसे एक उदाहरण से बताना चाहूँगा कि यह किस प्रकार गलत है|
बूचड़खाने में मारी जाने वाली मुर्गियां ऐसे ही नहीं आ जाती| इसके लिए पोल्ट्री फ़ार्म में इनकी खेती की जाती है| जी हाँ बिलकुल खेती ही की जाती है| इन्हें फसल की ही तरह अपने गोदामों में भरा जाता है| एक पिजरे में दस दस मुर्गियां ठूंस दी जाती हैं| इनका पूरा जीवन इसी प्रकार निकल जाता है| जब तक वे अंडे देती हैं तब तक तो इसी प्रकार जीवन जीती रहती हैं| बाद में एक दर्दनाक मौत को प्राप्त होती हैं| तो इनकी संख्या बढ़ने का तो कोई सवाल ही नहीं है| इनकी तो संख्या खुद इन्हें मारने वाले बढ़ा रहे हैं|
इन निर्दोष जीवों की सुरक्षा के लिए जैन मुनि श्री श्री मैत्री प्रभा सागर जी मैदान में उतर आये हैं| हमें उन्हें सहयोग देना चाहिए|
अंत में बताना चाहूँगा कि आयुर्वेद के अनुसार मानव शरीर मांसाहार के लिए नहीं बना है| अत: दया कीजिये इन जीवों पर और इन्हें अपना जीवन शान्ति से जीने दीजिये|

11 comments:

  1. बहुत सुंदर सार्थक लेख..... सहमत हूँ आपसे...

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  2. marvellous article. also unbelievably great information. Thanks for this wonderful article...

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  3. .

    भाई दिवस , बहुत ही शोधपरक आलेख है । बधाई। मैं मांसाहार के विरुद्ध हूँ । बहुत गलत तरीके से fowls को grow करते हैं। और ये सच है की हमारा शरीर शाकाहार भोजन के अनुसार बना है। animal protein की तुलना में शाकाहार में protein की मात्रा अधिक होती है। शाकाहार एक संतुलित आहार है। बहुत ही सार्थक आलेख।
    शुभकामनाएं

    .

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  4. सही बात ...हम सबको जानवरों के लिए सेंसिटिव बनना चाहिए

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  5. .

    I have commented on this post earlier, but i cannot see my comment here. I guess some technical problem is there with blogger.com and hence the comments are removed.

    Again I repeat , it's a wonderful post. An eye opener rather.

    .

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  6. Yes Divya Didi, some comments have been deleted by the Blogger. I don't know why but may be due to some technical problem.
    Thanks a lot for commenting again on my post...

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  7. महाहिंसा के कारण इन बुचड़खानो का बडे स्तर पर विरोध होना चाहिए।
    आपका यह जाग्रति प्रेरक लेख सराहनीय है।

    इस विरोध आलेख को कृपया निरामिष पर प्रस्तुत करें

    मैं आपको निरामिष के लेखक मंडल में सम्मलित होने के लिए आमंत्रण भेज रहा हूँ।

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  8. निरिह जीव रक्षा के लिए चल रहे आन्दोलन को हमारा समर्थन है।

    सभी को इस प्रस्तावित बुचड़खानों का जोरदार शब्दों में विरोध करना चाहिए।

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  9. भाई दिवस जी
    नमस्कार !

    जैन मुनि श्री मैत्री प्रभा सागर जी को शत शत नमन !
    हृदय द्रवित हो रहा है आपका लेख पढ़ कर

    ऐसा भी क्या चटकारा जीभ का कि उसे मिटाने के लिए जंगली बनना पड़े? मानव को मानवता की हद में ही रहना चाहिए| निर्दोष पशुओं पर क्रूरता मानवता का गुणधर्म नहीं है|

    गौ माता ही नहीं हम किसी जीव की हत्या के पक्षधर नहीं …

    मेरी एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय गीत रचना के दो चरण आपके लिए
    करुणा है कोहेनूर ! अहिंसा आभूषण इंसानों का !
    जीवन का दर्पण दया-धर्म ! दर्पण प्रतिपल उजलाता चल !!

    पर-जीवों के भक्षण से बढ़कर कृत्य नहीं वीभत्स कोई !
    ‘हिंसक न बनें, राक्षस न बनें’ – नासमझों को समझाता चल !!

    तू करुणा - रस बरसाता चल !!

    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  10. महात्मा गाँधी जी से एक बार किसी ने पुछा था की आपको देश और गाएँ में से किसी एक को बचना पड़े तो आप किसे बचाएँगे उन्होंने कहा गाएँ को अगर गाएँ बच गई तो देश अपने आप बच जाएगा और ये सच भी हे

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  11. Very good i agree and support you,
    Navin Kumar Aggarwal

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