tag:blogger.com,1999:blog-494967273069849228.post1117495230183970677..comments2023-08-01T17:57:29.474+05:30Comments on भारत स्वाभिमान दिवस: 2013 कहाँ, अभी तो 2012 ही है दिवसhttp://www.blogger.com/profile/07981168953019617780noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-494967273069849228.post-64994935892604819602013-01-22T17:35:24.827+05:302013-01-22T17:35:24.827+05:30सटीक सामयिक अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
सटीक सामयिक अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...<br />प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-494967273069849228.post-29867102145828031082013-01-03T18:05:41.315+05:302013-01-03T18:05:41.315+05:30दिवस जी,
इस तरह सोचने से चूक गया ... धन्यवाद पुन...दिवस जी, <br /><br />इस तरह सोचने से चूक गया ... धन्यवाद पुनः समझाने के लिए। <br /><br />आलेख को बहुत ध्यान से न पढने के कारण भी ऐसा हो जाता है। लज्जित हूँ।प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-494967273069849228.post-21282836332807836072013-01-02T22:33:40.830+05:302013-01-02T22:33:40.830+05:30प्रतुल जी, वह 1460 दिन नहीं अपितु वर्ष ही है। 1460...प्रतुल जी, वह 1460 दिन नहीं अपितु वर्ष ही है। 1460 वर्षों में 365 बार 29 फरवरी आएगा। जो एक पूरा वर्ष बना देगा।दिवसhttps://www.blogger.com/profile/07981168953019617780noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-494967273069849228.post-24214615572296287632013-01-02T21:17:42.974+05:302013-01-02T21:17:42.974+05:30उत्कृष्ट प्रस्तुति ,अंग्रेजी कलेंडर का पूरा जीवन क...उत्कृष्ट प्रस्तुति ,अंग्रेजी कलेंडर का पूरा जीवन काल देखें तो इसको किसी भी तरह से विज्ञान सम्मत नहीं कहा जा सकता क्योंकि इसका कोई आधार ही नहीं है और कई बार इसमें जोड़तोड़ की गयी है यह शुरुआत में तो २६४ दिन का ही होता था जिसको फेरबदल करते करते आज ३६५ दिनों तक पहुंचाया जा चूका है !!पूरण खण्डेलवालhttps://www.blogger.com/profile/04860147209904796304noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-494967273069849228.post-39136547916753288792013-01-02T10:31:28.643+05:302013-01-02T10:31:28.643+05:30.
दिवस जी , वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित इस आलेख द्....<br /><br />दिवस जी , वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित इस आलेख द्वारा आपने आपने राष्ट्रीय चेतना जगाई है। अपनी धरोहर और ज्ञान को समक्ष रखा है ! हमारे विद्वानों ने जो गणितीय गणनाएं की थीं उनका मुकाबला ये अँगरेज़ क्या करेंगे जो आनन्-फानन में , चुरायी हुयी सामग्री से मनचाहा खाका तैयार कर देते हैं, फिर चाहे छह घंटों के हिसाब के लिए चार वर्ष इंतज़ार ही क्यों न करना पड़े ! हमारा नया वर्ष तो होली बाद ही ही आयेगा और तब ही आपको बधाई भी देंगे नव वर्ष की अपने हिंदी केलेंडर के अनुसार ! <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-494967273069849228.post-13709898718845743822013-01-02T09:38:26.968+05:302013-01-02T09:38:26.968+05:30दिवस जी, दैनिक जीवन में ईसवी सन का महत्व बढ गया है...दिवस जी, दैनिक जीवन में ईसवी सन का महत्व बढ गया है और इसे स्वीकार करते हुए मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूँ कि यह ईसवी सन 2013 की शुरुआत को नववर्ष का नाम देना न सिर्फ अनुचित है, बल्कि अव्यवहारिक भी. आपकी एक अच्छी पोस्ट के लिये आपको सादर धन्यवाद. Awadhesh Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/00762497106433640729noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-494967273069849228.post-16142167714710887682013-01-01T16:23:15.859+05:302013-01-01T16:23:15.859+05:30दिवस जी, 1460 दिनों के स्थान पर आप भूल से 1460 वर्...दिवस जी, 1460 दिनों के स्थान पर आप भूल से 1460 वर्षों लिख रहे हैं। आपके विचारों से सहमती रखता हूँ ... काल गणना के सम्बन्ध में पंडित अमित शर्मा जी ने भी अपने ब्लॉग पर कभी इसका विस्तृत ब्यौरा दिया था। <br /><br />बातचीत शैली का वह आलेख मुझे बहुत पसंद आया था। कुछ वैसा ही आपका आलेख भी है। अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर कौन भारतीय गौरव नहीं करता लेकिन दुःख यही है कि अधिकांश युवा इन सब बातों से अनजान हैं। <br /><br /><br />लेकिन इस बात की हमेशा सुखानुभूति होती है कि आप एक जागरूक युवा हैं और हम सबके प्रेरक भी हैं। <br /><br /><br />आपके प्रति हमारे मन में सर्वदा अच्छे भावों की पूँजी है जो व्यय करने पर भी समाप्त नहीं होती। <br /><br /><br />आपके देशप्रेम के समक्ष नत होना स्वभाविक है। <br /><br /><br />बस आयु में कुछ वरिष्ठता होने का लाभ लेने के लिए ही आपको जबरन अपने अनुभवों की झलक देते रहते हैं। <br /><br />"सात्विक भावुकता को भी आत्मीय जन कभी-कभी हमारी कमजोरी मान लेते हैं।" <br /><br />"सूर्य को दीपक दिखाना क्या सूर्य का अपमान होता है? ... "दीपक तो जलकर सूर्य को यह प्रतीत कराता है कि उसकी उज्ज्वलता के सामने वह कुछ भी नहीं।" .... <br /><br />"अग्नि कभी किसी भी वस्तु (ज्वलनशील) में भेद नहीं करती ... वह हवन कुण्ड में भी रहती है और कूढ़े के ढेर में भी।"<br /><br />"दिन का उजाला देवता को भी मिलता है और धूर्त को भी।" <br /><br /><br />मित्र, कुछ लिंक देखिएगा :<br /><br /><br />http://www.amitsharma.org/2011/04/blog-post_2021.html<br /><br /><br />http://www.amitsharma.org/2011/04/blog-post_11.htmlप्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-494967273069849228.post-34653540739471486842013-01-01T15:39:46.461+05:302013-01-01T15:39:46.461+05:30आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के चर्चा मंच पर ... आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर ।। <br /><br />रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.com