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Friday, June 24, 2011

अब कांग्रेस को Common Man का डर सता रहा है

मित्रों सच कह रहा हूँ, अब कांग्रेस के मन का भय सामने आ रहा है| इस मौके को हाथ से जाने मत दो| यदि भ्रष्टाचार मिटाना है, सुराज स्थापित करना है, देश को समृद्धशाली बनाना है तो यह मौका अच्छा है|

ऐसे ही हवा में तीर नहीं मार रहा, सच कह रहा हूँ| पिछले कुछ समय से मैं फेसबुक पर एक ही प्रयास कर रहा हूँ| किसी प्रकार अपनी ब्लॉग पोस्ट अपनी वॉल पर कॉपी कर दूं| लेकिन नहीं कर पा रहा| केवल एक पोस्ट कॉपी हो सकी थी, जिसे मैंने २१ जून को लिखा था| पता नहीं यह कैसे हो गयी. इसके अलावा हर प्रकार से प्रयास करने के बाद भी मैं अपने ब्लॉग को अपनी फेसबुक वॉल पर पोस्ट नहीं कर पा रहा| और मेरी वॉल पर क्या किसी की भी वॉल पर पोस्ट नहीं हो रही| किसी ग्रुप में भी पोस्ट नहीं हो रही|

माजरा समझ नहीं आ रहा था| परसों मुझे मेरी पिछली पोस्ट का लिंक पोस्ट करना था किन्तु नहीं हुआ| मैंने कुछ अन्य ब्लोग्स के लिंक कॉपी किये तो वे सब कॉपी हो गए किन्तु मेरा नहीं हो रहा था| अब यह कैसे संभव है, समझ नहीं आ रहा था| फिर मैंने कुछ Text लिख कर उसके कमेन्ट में लिंक कॉपी कर दिया| मैंने फेसबुक पर १६ ग्रुप ज्वाइन कर रखे हैं| सभी पर मैंने इसी प्रकार अपने ब्लॉग का लिंक कॉपी किया| यहाँ फेसबुक का उपयोग इसलिए अधिक करता हूँ क्यों कि इसका बहुत अधिक लोग उपयोग करते हैं| इसके माध्यम से अपनी बात अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाई जा सकती है| जबकि ब्लॉग पर कुछ ही लोग इसे पढ़ पाते हैं| फेसबुक पर कई कमेन्ट मिलते हैं, उस पोस्ट पर भी मिले| लोग ब्लॉग पढ़कर फेसबुक पर कमेन्ट कर जाते हैं| आश्चर्य उस समय हुआ जब एक ग्रुप में किसी ने मेरी पोस्ट पर मेरा IP Address मेरे कमेन्ट में डाल दिया| मेरा IP Address किसी और को कैसे पता चला? मैं तो कमेन्ट करने वाले को जानता भी नहीं| इसका मतलब साफ़ था कि कोई मेरी लोकेशन ट्रेस कर रहा है| यह कमेन्ट देखकर कई लोगों ने कमेन्ट किया की सावधान रहिये, कोई आपको ट्रेस कर रहा है| एक मित्र ने कहा कि उसे भी ऐसे ही ट्रेस किया जा रहा था और कुछ दिन बाद उसका फेसबुक अकाउंट हैक हो गया| वह भी फेसबुक पर इसी प्रकार क्रान्ति छेड़े हुए था| किसी प्रकार उसने अपना पासवर्ड बदला|

एक मित्र ने कमेन्ट किया कि कुछ दिन पहले उसका ब्लॉग हैक हो गया था और कांग्रेस व सोनिया के विरोध में लिखे सारे लेख डिलीट कर दिए गए| 
अत: मैंने भी जल्दी से अपना पासवर्ड बदल लिया| अब सोच लिया है कि कम से कम हफ्ते में एक बार अपने फेसबुक, ट्विटर व ब्लॉगर के पासवर्ड बदल लूँगा|

फिर भी दिमाग में एक ही बात घूम रही थी कि केवल मेरा ही ब्लॉग फेसबुक पर कॉपी क्यों नहीं हो रहा? मैंने और बहुत से ब्लॉग कॉपी करके देखे, वे तो हो रहे थे| क्या इसका यही एक कारण तो नहीं कि मेरे पूरे ब्लॉग पर दो एक पोस्ट को छोड़कर बाकी सभी पोस्ट राजनीति पर ही हैं? जिनमे मैंने कांग्रेस का ही विरोध किया है|

कारण क्या है मैं नहीं जानता| इससे सम्बंधित मैंने फेसबुक पर एक पोस्ट भी लिखी थी कि मेरे साथ ऐसा हो रहा है| साथ ही मेरी लोकेशन भी ट्रेस की जा रही है| जिसकी प्रतिक्रिया में मुझे बहुत से कमेन्ट मिले| कई मित्रों ने कहा कि यह संभव है, हो सकता है सच में कोई लोकेशन ट्रेस कर रहा हो| अत: आप कुछ दिन ये सब छोड़ दें| ऐसा और कई लोगों के साथ भी हो रहा है, आप अकेले नहीं हैं|

मेरे दिमाग में यही उलझन थी कि भला मुझसे इन भ्रष्टों को क्या डर? मेरा ब्लॉग तो इतना विश्व विख्यात भी नहीं है| हाँ फेसबुक पर मैं पूरी तरह सक्रीय हूँ| मेरे ब्लॉग को पढ़कर कई लोग मुझे फेसबुक पर friend request भेज देते हैं| मुझे रोज ८-१० friend requests मिल जाती हैं| किन्तु इतने भर से ही भला किसी को मुझसे क्या डर?

खैर कारण जो भी हो, मुझे नहीं मालुम| यदि लोगों का अनुमान सही है तो मैं कांग्रेस के हाथों बाद में मरूँगा पहले तो ख़ुशी से ही मर जाऊँगा|

अरे भाई ख़ुशी नहीं होगी क्या, जिन भ्रष्टों को मैं मिटाने पर तुला हुआ हूँ वे ही मुझसे डरने लगें तो यह मेरे लिए ख़ुशी की बात ही होगी न| जिस उद्देश्य के लिए मैंने यह ब्लॉग लिखना शुरू किया था, वह उद्देश्य तो पूरा हो जाएगा न|

मित्रों कारण जो भी हो किन्तु यह एक सच है कि फेसबुक पर अब क्रान्ति छिड़ चुकी है| जिन १६ ग्रुप्स का मैं सदस्य हूँ वहां हर क्षण क्रान्ति की हवा चल रही है| किसी ग्रुप में हज़ार सदस्य हैं तो किसी में दो हज़ार| और कहीं कहीं तो १५ से २० हज़ार सदस्य हैं| और ऐसे न जाने कितने ग्रुप चल रहे हैं| देश का एक बहुत बड़ा पढ़ा लिखा व सक्षम वर्ग अब जाग रहा है व औरों को भी जगा रहा है|

स्मरण रहे कि मिस्र व लीबिया में फेसबुक के द्वारा ही क्रान्ति हुई थी| फेसबुक के माध्यम से एक जन आन्दोलन छिड़ गया था| और अंत में उन देशों की जनता ने तानाशाही सत्ता को उखाड़ फेंका था|

तो जो क्रान्ति वहां हो सकती है वह यहाँ भी तो संभव है| और हमारी भ्रष्ट व देशद्रोही सरकार इतनी मुर्ख नहीं कि वह पिछली इन दो क्रांतियों से कुछ न सीखे| कुछ न कुछ तो इस सरकार ने भी सोचा होगा| कुछ न कुछ तो यह सरकार भी कर रही होगी|

आज समाचार पत्र में एक समाचार पढ़ा, शीर्षक था "इंटरनेट पर सरकार की नज़र"...
खबर पढ़ी तो लिखा था कि आतंकवादी व राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को देखते हुए सरकार एक ऐसी तकनीक का विकास मरने में जुटी है, जिससे इंटरनेट उपभोक्ताओं पर निगरानी रखी जा सके| इस तकनीक के विकास में मदद के लिए सरकार ने इंफोसिस, विप्रो व टेक महिंद्रा को आमंत्रित किया है|

अरे ये क्या, आतंकवादी गतिविधियों को देखते हुए? अभी देश में कौनसी आतंकवादी गतिविधियाँ हो रही हैं? जब हो रही थीं, सरकार ने तब ही कोई कार्यवाही नहीं की तो अब कैसे कुम्भकरणी नींद खुल गयी? और जो आतंकवादी पकडे हुए हैं वे तो सरकारी दामाद बने हुए हैं| उनका तो कोई कुछ कर नहीं रहा, फिर ये नयी कार्यवाही करने की सरकार को क्या सूझी?
और जहाँ तक सवाल है राष्ट्र विरोधी गतिविधियों का तो थोडा संशोधन करना चाहूँगा| दरअसल यह राष्ट्र विरोधी नहीं राज विरोधी गतिविधियाँ हैं| अभी देश में राष्ट्र का नहीं राजनैतिक सत्ताओं का विरोध हो रहा है| शायद इन्ही पर नज़र रखने का सरकारी प्रयास चल रहा हो|

सरकार क्या चाहती है यह तो लगभग सभी जान चुके हैं| अब इन सन्दर्भों में कितनी सच्चाई है यह मैं नहीं जानता| केवल एक अनुमान है| सही भी हो सकता है और गलत भी|

सरकार चाहे कुछ भी करले, किसी भी परिस्थिति में अब ये अभियान रुकने वाला नहीं है| जब हम लाठियों से नहीं टूटे तो ये बचकानी हरकतें हमे क्या डराएंगी भला? अब तो सरकार गोलियां भी चला दे किन्तु यह अभियान नहीं रुकेगा|
तुम ढीठ तो हम भी पूरे ढीठ हैं| तुम नहीं सुधर सकते तो हम भी नहीं सुधरने वाले| मेरे देश के भ्रष्ट नेताओं, अब तुम्हारा समय ख़त्म हो चूका है| एक बार तुम कुर्सी से उतर गए तो पता नहीं देश की जनता तुम्हारा क्या हाल करेगी? शायद वही हाल जो तुमने रामलीला मैदान में हमारे साथ किया था|

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जाते जाते मेरे दिमाग की एक और उलझन को सुलझाने का कष्ट करें|

  • बाबा रामदेव के ट्रस्ट की संपत्ति है करीब ११०० करोड़ रुपये, जिसकी सरकार को बार बार जांच करनी है| 
  • श्री श्री रविशंकर जी महाराज के आर्ट ऑफ लिविंग की संपत्ति है करीब २५०० करोड़ रुपये| बाबा रामदेव का समर्थन करने के कारण इनका भी नंबर लगने वाला है|
  • माता अमृतान्दमयी  की संपत्ति है करीब ६००० करोड़ रुपये| इनकी भी बारी लग रही है|
  • पुट्टपर्थी के सत्य साईं बाबा की संपत्ति को लेकर अभी कुछ दिन पहले बवाला मच चूका है|

वही दूसरी ओर
  • Brother Dinakaran जो कि एक Self Styled Christian Evangelist हैं (कभी नाम सुना है?) की संपत्ति ५००० करोड़ से ज्यादा है|
  • Bishop K.P.Yohannan जिन्होंने २० वर्षों में एक Christian Sector बना दिया, की संपत्ति १७००० करोड़ है|
  • Brother Thanku (Kottayam, Kerela) एक और Christian Evangelist, की संपत्ति ६००० हज़ार करोड़ से अधिक है|


जाकर पूछिये मायनों से या उसकी चमचागिरी करते हुए उसके तलवे चाटने वाले दिग्विजय से कि इन तीन पादरियों (जिनका नाम शायद कुछ सौ लोग ही जानते होंगे) के पास इतनी संपत्ति कहाँ से आई? क्या कभी इनकी भी जांच होगी?


Wednesday, June 22, 2011

अब बाबा रामदेव पर ही कानूनी डंडा घुमाएगी कांग्रेस, यह कांग्रेस का डर नहीं तो और क्या है?

मित्रों बाबा रामदेव के आन्दोलन का दमन करने के बाद भी इस भ्रष्ट सरकार को अपने किये पर कोई शर्म नहीं है| इस बर्बरता पूर्ण कृत्य के लिए हमे सरकार से जवाब माँगना था लेकिन जवाब मांगने वाले पर अब कानूनी डंडे घुमाए जा रहे हैं|

कांग्रेस की तरफ से किराए पर भौंकने वाले नेता दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर अपना गन्दा मूंह खोला है| दिग्गी का कहना है कि अब बाबा रामदेव पर Money Laundering Act के तहत कार्यवाही होगी| यह Act अवैध संपत्ति रखने वालों के विर्रुद्ध कार्यवाही करने के लिए बनाया गया है|

मतलब इन भ्रष्ट कांग्रेसियों को बाबा का जायज़ धन तो दिख रहा है किन्तु हमारे खून पसीने की कमाई को चूस कर भ्रष्ट नेताओं द्वारा अवैध रूप से विदेशी बैंकों में जमा किया हुआ धन नहीं दिखता| बाबा का आन्दोलन काले धन को भारत में वापस लाने के लिए था और उल्टे दिल्ली में बैठी भ्रष्ट सरकार ने ही इस पर कोई कार्यवाही करने के बजाय मुद्दे से भटक कर बार बार पहले बाबा रामदेव की संपत्ति की जांच करवाई| बाबा रामदेव के द्वारा संपत्ति का पूरा ब्यौरा देने के बाद भी इन्हें जांच करनी थी| बाबा रामदेव ने अपने ट्रस्ट की सारी संपत्ति का ब्यौरा दे दिया| बाबा रामदेव ने बताया कि इनके चार ट्रस्टों का कुल व्यवसाय ११७७.२१ करोड़ रुपये है| इन ट्रस्टों की कुल पूँजी ४२६.१९ करोड़ रुपये है जबकि खर्च ७५१.०२ करोड़ रुपये है|

जब सारी संपत्ति बता दी गयी है तो फिर बाबा रामदेव पर यह क़ानून क्यों लगाया जा रहा है? कांग्रेस बार बार मुद्दों से क्यों भटका रही है? इससे तो यह और भी साफ़ है कि विदेशों में जमा सारा काला धन इसी भ्रष्ट पार्टी का है| अब तो स्थिति यह है कि जो सरकार से हिसाब मांग रहा है उसे ही क़ानून का भय दिखाया जा रहा है| क्या हिसाब मांगने का अधिकार केवल कांग्रेस का ही है? क्या इसीलिए इस भ्रष्ट व देशद्रोही पार्टी को सत्ता सौंपी थी?

और तो और आयकर विभाग के साथ साथ अब सीबीआई को भी कांग्रेस ने अपना पालतू कुत्ता समझ कर बाबा रामदेव के पीछे छोड़ दिया है| आखिर एक सन्यासी की इतनी जुर्रत कैसे हुई कि वह इनके भ्रष्ट साम्राज्य को चुनौती देने चला आया? 
अब भी यदि कुछ मूर्खों को बाबाजी के विरुद्ध कोई बुद्धूजीवी बयानबाजी सूझ रही है तो इनसे बड़ा मुर्ख कोई नहीं| अभी तो राम लीला मैदान में घुस कर पुलिस रुपी गुंडों से पिटवाया था, अब भी नहीं चेते तो घरों में घुस कर मारेंगे| फिर करना फेसबुक पर बयानबाजी ब्लडी बाबा, फर्जी बाबा या व्यापारी बाबा|

इस सरकार को देश को लूटने के लिए सत्ता नहीं सौंपी थी| यदि कहीं भ्रष्टाचार है तो उस पर कार्यवाही करने की बाबा रामदेव की मांग को स्वीकार करना चाहिए था| परन्तु बाबा रामदेव पर इस प्रकार सभी दिशाओं से हमला करके तो इस सरकार ने यह विश्वास दिला दिया है कि लूटा हुआ धन कुछ नेताओं का नहीं अपितु पूरी सरकार का है| और खासकर इनकी राजमाता सोनिया का, क्यों कि इनकी परमिशन के बिना तो कांग्रेसी सुबह संडास तक नहीं जाते तो इतने घोटाले भला कैसे कर देते...

बाबा रामदेव पर निरंतर भौंकने वाले नेता दिग्विजय क्या यह बताएंगे कि सोनिया व राहुल अभी स्विट्ज़रलैंड किसके बाप की शादी में गए थे?



अंत में कुछ और बुद्धूजीवी विचार यहाँ, यहाँ व यहाँ देखें|


Tuesday, June 21, 2011

आज कोई लेख नहीं, बस वीडियो

मित्रों समयाभाव के चलते अभी कोई लेख नहीं लिख सकता| अभी ऑफिस के काम में अधिक व्यस्तता चल रही है| फील्ड वर्क के कारण समय नहीं मिल रहा लिखने का|

अत: अभी के लिए कुछ वीडियोज लगा रहा हूँ| इन्हें देखें और सोचें की क्या हम मुर्ख हैं जो इस वर्णसंकर परिवार का बोझ अपने कन्धों पर चकते फिर रहे हैं?











शायद अधिकतर लोगों ने ये वीडियोज पहले देख लिए हों|
पर शायद कुछ लोग रह गए हों| धन्य हैं डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी, जिन्होंने अकेले अपने दम पर सभी प्रमाण इकट्ठे किये|

इसके अतितिक्त एक और वीडियो, अरिंदम चौधरी का...



जो लोग भारत में Management Studies में हैं अथवा इस विषय में कुछ जानकारी रखते हैं, वे अरिंदम चौधरी को जानते होंगे| प्रबंधन के क्षेत्र में तेज़ी से उभरता हुआ नाम है अरिंदम चौधरी| एक सनकी आदमी जो अपने ही अलग दृष्टिकोण से दुनिया को देखता है| बाबा रामदेव के आन्दोलन को कुचलने के लिए उस काली रात सरकार द्वारा किये गए दुष्कर्म पर इनकी प्रतिक्रिया प्रशंसनीय है|


तो मित्रों अभी आज्ञा चाहूंगा| मेरी कुछ सीमाएं हैं| मेरा काम ही कुछ ऐसा है, कि मैं सदैव ब्लॉग से जुड़ा नहीं रह सकता|
फिर भी कुछ न कुछ तो करना ही है, अत: अभी की पोस्ट में इतना ही|

आभार...

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जाते जाते सोचिये कि क्या कारण है कि कांग्रेस और सोनिया बाबा रामदेव का विरोध कर रहे हैं?
सोनिया, राहुल व अन्य दस लोग अभी स्विट्ज़रलैंड क्यों गए थे?
राहुल के जन्मदिन पर दिग्गी जैसे लोगों ने राहुल की चापलूसी क्यों की?
क्यों कांग्रेस संघ से डरती है?



Tuesday, June 14, 2011

एक पुरानी पोस्ट - आर बी आई में नकली नोट, पाकिस्तान और स्विस के साथ साथ इटली का भी हाथ

मित्रों मैंने पिछली पोस्ट बुद्धुजीवियों की बयानबाजी से परेशान हो कर लिखी थी| अभी भी ऐसी ही बयानबाजियों का दौर चल रहा है| कुछ तो मुझसे सबूत मांग रहे हैं कि किस आधार पर मैं बार बार कांग्रेस व सोनिया पर आरोप लगा रहा हूँ| एक वामपंथी कार्यकर्ता ने तो मुझे पिछले दिनों तिहाड़ जेल की सजा सुना दी (यहाँ देखें)|
तिहाड़ जेल भी भेज दो, मुझे कोई आपत्ति नहीं है|
सबूत मांगने वालों को मैंने अपनी एक पोस्ट पढाई जिसे मैंने करीब दो महीने पहले लिखा था| उस समय मेरे ब्लॉग पर पाठकों की संख्या नहीं के बराबर थी| अभी पिछले कुछ दिनों से यहाँ नियमित रूप से कुछ पाठकों का आना हो रहा है| क्यों कि मैं अपने ब्लॉग को समय नहीं दे पाता| कुछ दिनों से इतना व्यस्त नहीं हूँ अत: कुछ समय अंतराल में नयी पोस्ट लिख देता हूँ, जहाँ पहले महीने में एक बार ही लिख पाता था|
टिप्पणियां भी करने का समय मिल जाता है जो पहले नहीं कर पाता था| ब्लॉग लिखना व अन्य ब्लॉग पढना व उन पर टिप्पणियां करना अच्छा लगता है किन्तु समयाभाव के कारण ऐसा हमेशा नहीं कर पाता| अभी कुछ दिनों बाद शायद फिर से कुछ दिनों के लिए ब्लॉग से दूर होना पड़े|
दरअसल मैं यहाँ ब्लॉग लिखने नहीं आया था| ना ही मैं यहाँ लेखक बनने आया था| मैं कोई लेखक नहीं हूँ| ब्लॉग तो केवल अपनी बात सब तक पहुंचाने के लिए ही लिख रहा हूँ| यह मात्र एक साधन है| किन्तु आवश्यकता पड़ने पर साधनों को बदला भी जा सकता है| मुझे ब्लॉग की प्रसिद्धि की महत्वकांक्षा नहीं है| हाँ अपने लिए लोगों का प्यार देखकर ख़ुशी जरुर मिलती है|

खैर मैं यहाँ सबूत की बात कर रहा था| दो महीने पहले मैंने जो पोस्ट लिखी थी उसे कुछ ही लोगों ने पढ़ा| मीडिया में भी इसपर कोई खबर नहीं आई| खैर मीडिया से ऐसी अपेक्षाएं रखना व्यर्थ है|
एक बहुत बड़ा सच जो अभी तक अधिकतर भारतवासियों की दृष्टि से दूर है, उसे यहाँ रखना चाहता हूँ| शायद कुछ लोग इसके बारे में जानते होंगे| मुझे इसके बारे में जानकर गहरा सदमा लगा था| यह पोस्ट मैं ट्रेन में बैठा लिख रहा हूँ| अपनी एक पुरानी पोस्ट को यहाँ रख रहा हूँ|



मित्रों अब मुझे पूरी तरह से विश्वास हो गया है कि इस देश को कोई माफिया ही चला रहा है| आज सुबह (१५ अप्रेल २०११) ही चौथी दुनिया पर मैंने डॉ. मनीष कुमार (सम्पादक चौथी दुनिया) व श्री विश्व बंधू गुप्ता (पूर्व आयकर आयुक्त) की वार्ता देखी| चर्चा का मुख्य विषय था...
१.रिजर्व बैंक के खजाने तक नकली नोट कैसे पहुंचे?
२.सीबीआई ने रिजर्व बैंक में क्यों छापा मारा?
३.इस खुलासे के बाद यूरोप के देशों में क्यों भूचाल आया?

मेरे विचार से यह मामला नकली नोटों पर अब तक का सबसे बड़ा खुलासा है| जो श्री विश्व बंधू गुप्ता जी के कठिन परिश्रम और ईमानदारी से सामने आया है|
सबसे पहले बात करते हैं कि रिजर्व बैंक के खजाने तक नकली नोट कैसे पहुंचे?
अगस्त २०१० को सीबीआई ने मुंबई के रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के वाल्ट पर छापा मारा| उसे वहां पांच सौ व हज़ार के नकली नोट मिले (ध्यान दें इस घटना को एक वर्ष पूरा होने वाला है किन्तु कहीं किसी को इस बात की खबर भी नहीं है)| जांच में सीबीआई ने वहां के अधिकारियों से पूछताछ की| इस छापे का मुख्य कारण दरअसल यह था कि इससे पहले सीबीआई ने नेपाल सीमा पर देश के करीब साठ-सत्तर बैंकों पर छापा मारा| जांच एजेंसियों को सूचना मिली थी कि पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई नेपाल के रास्ते भारत में नकली नोटों का कारोबार चला रही है| नेपाल-भारत सीमा पर सभी बैंकों में नकली नोटों का लेन देन हो रहा है| आईएसआई के द्वारा ५०० का नोट २५० में बेचा जा रहा है| छापे में बैंकों के खजाने में ५०० व १००० के नकली नोट मिले| बैंक अधिकारियों की धर पकड़ व पूछताछ में उन्होंने रोते हुए अपने बच्चों की कसमें खाते यह कहा कि हम इस विषय में कुछ नहीं जानते| हमें तो यह नोट रिजर्व बैंक से प्राप्त हुए हैं| यदि यह किसी एक बैंक का मामला होता तो सीबीआई इन बैंक अधिकारियों को बंदी बना लेती, किन्तु यहाँ तो सभी बैंकों का यह हाल था| अत: इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता था की ये नोट रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया से आये हैं|
इसकी जांच के लिए सीबीआई ने जब रिजर्व बैंक के वाल्ट पर छापा मारा तो उसके होश उड़ गए| रिजर्व बैंक के खजाने में ५०० व १००० के नकली नोट मिले| इसकी और अधिक जांच करने पर पता चला कि ये वही नकली नोट हैं जो आईएसआई के द्वारा नेपाल के रास्ते भारत में पंहुचाये जा रहे हैं|
ये नकली नोट देखने में बिलकुल असली लगते हैं, केवल एक मामूली सा अंतर है जिसे पकड़ पाना बेहद कठिन है| दरअसल जब उत्तर प्रदेश व बिहार के बैंकों में छापा मारा गया तो केस अदालत पहुंचा, जहाँ इन नोटों को जांच के लिए सरकारी लैबों में भेजा गया| वह से रिपोर्ट आई कि ये नोट असली हैं| अब सीबीआई परेशान हो गयी कि यदि ये नोट असली हैं तो ५०० का नोट २५० में कैसे मिल सकता है? इसके बाद इन्हें जांच के लिए टोक्यो व हांगकांग की सरकारी लैबों में भेजा गया, वहां से भी यही रिपोर्ट आई कि नोट असली हैं| फिर इन्हें अमरीका भेजा गया और अमरीकी जांच में पता चला की यह नोट नकली हैं| अमरीकी लैब ने यह बताया कि इन नकली नोटों में एक छोटी सी छेड़छाड़ की हुई है जिसे कोई छोटी मोटी संस्था नहीं कर सकती बल्कि नोट बनाने वाली कोई बेहतरीन कंपनी ही ऐसे नोट बना सकती है| अमरीकी लैब ने भारतीय जांच एजेंसियों को पूरे प्रूफ दे दिए और असली नकली नोट में अंतर को पहचानने का तरीका भी सिखाया|
अब सवाल यह था कि आईएसआई द्वारा नेपाल के रास्ते भारतीय बैंकों में पहुंचाए गए ५०० व १००० के नकली नोट बिलकुल वैसे ही हैं जैसे रिजर्व बैंक के खजाने में मिले, तो क्या आईएसआई की पहुँच रिजर्व बैंक तक है? क्योंकि दोनों नोटों का पेपर, इंक व उनकी छपाई एक जैसी ही थी|
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि भारत के ५०० व १००० के नोटों की डिजाइन व क्वालिटी कुछ ऐसी है जो की आसानी से नहीं बनाई जा सकती| फिर आईएसआई ने यह नोट कैसे बना लिए क्योंकि पाकिस्तान के पास तो वैसी टेक्नोलॉजी ही नहीं है|
अब या तो जो संस्था आईएसआई को यह नोट पहुंचा रही है वही रिजर्व बैंक तक भी अपनी पहुँच रखती हो, या फिर आई एस आई की पहुँच रिजर्व बैंक तक हो गयी है| दोनों ही परिस्थितियों में देश के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है| और उससे भी गंभीर बात यह है कि ये नोट कौनसी कंपनी बना रही है?
जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि ये नकली नोट डे ला रू नाम की कंपनी बना रही है| जी हाँ वही कंपनी जो भारत के लिए असली नोट छापती है| विश्व बंधू गुप्ता की बात सही है कि दुनिया में केवल ६-७ ऐसे देश हैं जो चाँद तक अपने उपगृह पहुंचाने में सफल हुए हैं| चंद्रयान छोड़ने के बाद भारत भी इन देशों में शामिल हो गया है| इतने आधुनिक तकनीक होने के बाद भी क्या हम अपनी कोई कंपनी नहीं बना सकते जो नोट छापे? उसके लिए भी विदेशों के पास जाना पड़ेगा?
डे ला रू की कमाई का २५ प्रतिशत हिस्सा भारत से कमाया जाता है| डे ला रू का सबसे बड़ा करार रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के साथ है| यह कंपनी आरबीआई को स्पेशल वाटर मार्क वाला बैंक पेपर नोट सप्लाई करती थी| यह खबर आते ही यूरोप में हंगामा मच गया| डे रा रू के शेयर नीचे गिरने लगे|आरबीआई से अपनी डील को बचाने के लिए कंपनी ने अपनी गलती मानी और १३ अगस्त २०१० को कंपनी के चीफ एक्ज़ीक्यूटिव जेम्स हसी को इस्तीफा देना पड़ा| कंपनी में अभी तक जांच चल रही है किन्तु आरबीआई खामोश है, हमारी संसद आज तक खामोश है| और इतनी खामोश है कि देश की मीडिया से यह बात छुपी रह गयी या मीडिया के मूंह में बोटी ठूंस कर उसे चुप करा दिया | और इतना बड़ा काण्ड देश की जनता के सामने आने से रह गया|
सबसे सनसनीखेज व शर्मनाक बात जो इस तहकीकात में सामने आई वह यह है कि २००५ में सरकार की अनुमति से डे ला रू कैश इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम से यह कंपनी दिल्ली में रजिस्टर्ड हुई थी| २००४ में यूपीए  प्रथम की सरकार केंद्र में आई थी| आपको पता होगा कि क्वात्रोची छिपा बैठा है| सीबीआई उसे ढूंढ रही है| किन्तु २००५ में उसके बेटे मलुस्मा को अंडमान निकोबार में तेल की खुदाई का ठेका इसी सरकार ने दिया है| उसे १५ हज्जार एकड़ भूमि भी आबंटित की गयी है|  ईएनआई इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड नाम से उसकी कंपनी भारत में रजिस्टर्ड है| जिस इटैलियन माफिया क्वात्रोची व उसके बेटे मलुस्मा को गिरफ्तार करना है, उसका दफ्तर दिल्ली के मैरेडियन होटल में है| किसी की इतनी हिम्मत नहीं जो उसे हाथ भी लगा दे| आखिर इटली से आया है न| देश के कुछ जिम्मेदार नागरिकों को याद होगा कि २००५ में ही इटली के आठ बैंक व स्विट्ज़रलैंड के चार बैंकों को भारत में व्यापार करने की अनुमति केंद्र सरकार ने दी थी| ये इटली के वो बैंक हैं जिन्हें वहां का माफिया चला रहा है| और ये स्विट्जरलैंड के वो बैंक हैं जिन्हें यूबीएस चला रहा है| अर्थात देश के गद्दार नेताओं का जमा किया हुआ काला धन व अंतर्राष्ट्रीय माफिया द्वारा कमाया गया काला धन मुंबई के स्टॉक मार्केट में पहुंचाया गया और उससे सट्टा खेला गया| और यह सब हुआ यूपीए सरकार की परमीशन से| मतलब सत्ता में आते ही इस भ्रष्ट सरकार ने अपना खेल खेलना शुरू कर दिया| देश को लूटने की इन्हें इतनी जल्दी थी कि ये खुद को एक साल के लिए भी रोक नहीं पाए|
मित्रों कांग्रेस को गालियाँ बाद में देंगे पहले बात करते हैं डे ला रू की| २००५ में यह कंपनी भारत में रजिस्टर्ड हुई| यह कंपनी करंसी पेपर के अलावा पासपोर्ट, हाई सिक्योरिटी पेपर, सिक्योरिटी प्रिंट, होलोग्राम और कैश प्रोसेसिंग सोल्यूशन में भी डील करती है| इसके अलावा यह भारत में असली नकली नोटों की पहचान करने वाली मशीन भी बनाकर बेचती है| मतलब जो कंपनी नकली नोट भारत में भेज रही है वही नकली नोटों की पहचान करने वाली मशीन भी बेच रही है, तो बताइये कैसे भरोसा किया जाए इन मशीनों पर? और इसी प्रकार यह पैसा आरबीआई के पास पहुंचा, देश के बैंकों व एटीएम तक पहुंचा| और आरबीआई के गवर्नर व हमारा वित्त मंत्रालय इन सब से अनभिज्ञ रहा| संभावनाएं दो ही हैं, कि या तो हमारा वित्त मंत्रालय निहायत ही मुर्ख व नालायक है या फिर वह भी इस लूट में शामिल है| सीबीआई के सूत्रों ने बताया कि डे ला रू का मालिक इटालियन रैकेट के साथ मिलकर देश में नकली नोट सप्लाई कर रहा है और पाकिस्तान के साथ मिलकर आतंकवादियों तक नकली नोट पहुंचा रहा है| यही नोट आईएसआई के द्वारा नेपाल के रास्ते से भारत में आ रहे हैं और आतंकवादी अपनी गतिविधियों को भी इन्ही के द्वारा अंजाम दे रहे हैं| यह सब किसके इशारे पर हो रहा है आप सोच सकते हैं| हमारी जांच एजेंसियां नकली नोटों के इस व्यापार को इस लिए नहीं रोक पा रही थी क्यों कि   वे पाकिस्तान, नेपाल, हांगकांग, थाईलैंड, मॉरिशस व मलेशिया आदि से आगे सोच नहीं पा रहे थे| किन्तु यूरोप में इतना कुछ घटित हो गया और आरबीआई चुप है, वित्त मंत्रालय चुप है और भारत सरकार भी चुप है| सच्चाई यही है की देश में आतंकवादी गतिविधियों में मरने वालों के खून से सोनिया, मनमोहन, चिदंबरम व प्रणव मुखर्जी के हाथ रंगे हुए हैं| वरना क्या वजह रही कि डे ला रू की धोखाधडी उजागर होने के बाद भी उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी केवल उसके साथ डील तोड़ने के अलावा? क्यों इसे संसद में नहीं उठाया गया? डे ला रू से डील तोड़ कर चार अन्य कंपनियों के साथ डील कर ली गयी किसी को पता क्यों नहीं चला? किससे पूछ कर यह डील की गयी? इसके लिए संसद में बहस क्यों नहीं हुई?
डे ला रू का नेपाल व आईएसआई से क्या कनेक्शन है यह भी सुन लो| कंधार विमान अपहरण का मामला वैसे तो पुराना हो गया किन्तु एक व्यक्ति इस विमान में ऐसा था जिसके बारे में जानकर हैरानी हो सकती है| उसका नाम है रोबेर्तो गयोरी| यही आदमी डे ला रू कंपनी का मालिक है जिसे यह कंपनी अपने पिता से विरासत में मिली है| यह कंपनी दुनिया के ९० देशों के लिए नोट छपती है और आईएसआई के लिए भी काम करती है| इस आदमी की एक भी तस्वीर किसी के पास नहीं है| केवल एक तस्वीर है, अपहरण से छूटने के बाद उस विमान से उतरते हुए| रोबेर्तो गयोरी के पास एक ऐसा रसायन है जिसे वह अपने चेहरे पर लगा लेता है और उसके बाद कोई भी कैमरा उसकी तस्वीर नहीं उतार सकता| विमान अपहरण के समय दो दिन विमान में रहने के बाद उसका वह रसायन ख़त्म हो गया और उसकी तस्वीर कैमरा में आ गयी| उस विमान में यह आदमी दो महिलाओं के साथ यात्रा कर रहा था| दोनों महिलाओं के पास स्विट्ज़रलैंड की नागरिकता थी| स्वयं रोबेर्तो गयोरी के पास भी दो देशों की नागरिकता है, एक स्विट्ज़रलैंड व दूसरा इटली (देख लीजिये इन दो देशों का नाम तो हमेशा ही आता है)| नेपाल से उड़ान भरने के बाद जब विमान का अपहरण हुआ तो स्विट्ज़रलैंड के एक विशिष्ट दल ने भारत सरकार पर दबाव बनाना शुरू किया कि वह हमारे नागरिकों की सुरक्षा करे| इसी दल को स्विट्ज़रलैंड सरकार ने हाईजैकर्स से बातचीत करने कंधार भी भेजा| सभी यात्री विमान में घबराए हुए थे जबकि रोबेर्तो गयोरी विमान के पिछले हिस्से में बैठा आराम से अपने लैपटॉप पर काम कर रहा था| उसके पास  सेटेलाईट पेनड्राइव व फोन भी था| अब यह आदमी उस विमान में क्या कर रहा था, उसके पास यह सामान आतंकवादियों ने क्यों छोड़ दिया, नेपाल में ऐसा क्या था जो स्विटज़र लैंड का सबसे अमीर आदमी (जिसे दुनिया में करंसी किंग के नाम से जाना जाता है, क्यों की दुनिया में इतने बड़े लेवल पर वह करंसी निर्माण कर रहा है) वहां क्यों गया था, क्या नेपाल जाने से पहले वह भारत में भी आया था? आदि कई सवाल हैं जिनके जवाब शायद आप खुद ही जान सके हों|
मित्रों इतना सब कुछ होने के बाद भी यदि इस भ्रष्ट कांग्रेस, व एंटोनिया मायनों पर आपका विश्वास है तो भगवान् ही बचाए इस देश को| यह तो भला हो विश्व बंधू गुप्ता का जिन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर इतना बड़ा सच देश के सामने ला दिया| भगवान् उन्हें दीर्घायु प्रदान करे|
विश्व बंधू गुप्ता से डॉ. मनीष कुमार की बातचीत देखने के लिए यहाँ चटका लगाएं|
इसके अतिरिक्त विश्व बंधू गुप्ता का ही हसन अली व उसके सहयोगियों के खुलासे पर जल्दी ही एक पोस्ट लिखूंगा|
आप सभी स्वजनों से आग्रह है कि इस पोस्ट को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं| इस पर मेरा कोई कॉपी राईट नहीं है, सबको कॉपी करने का राईट है| आप इस पोस्ट को अपने ब्लॉग पर अपने नाम से भी लिख सकते हैं| मेरा उद्देश्य शोहरत हासिल करना नहीं है| सच सबके सामने आना बहुत ज़रूरी है...
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जाते जाते एक दुखद सूचना जो आज सुबह ही मिली कि गंगा बचाओ आन्दोलन के लिए पहले ७३ दिन व बाद में ६८ दिन का अनशन करने वाले संत स्वामी निगमानंद अनंत में विलीन हो चुके हैं| वैसे तो भारतीय अध्यात्म परंपरा में संत व अनंत एक सामान ही है| स्वामी निगमानंद सही अर्थों में गंगा पुत्र थे|
वैसे तो एक संत का जीवन लेखनी से लिखना बेहद कठिन कार्य है| शब्दों का भी आभाव पड़ सकता है| किन्तु इनके विषय पर कुछ लिखने की इच्छा है| जल्दी ही एक पोस्ट स्वामी निगमानंद के लिए भी लिखने की कोशिश करूँगा|

Friday, June 10, 2011

बुद्धुजिवियों की बयानबाजी, राष्ट्रद्रोहियों से भरी कांग्रेस, बाबा का स्वास्थ्य बिगड़ा, हम बाबा को कुछ नहीं होने देंगे

मित्रों दिल्ली में उस काली रात बाबा रामदेव के आन्दोलन का दमन इस बर्बरता से होने के बाद भी कई बुद्धूजीवी पता नहीं क्या क्या कहते जा रहे हैं| यह एक ऐसा वर्ग है जिनका नामकरण तो बुद्धिजीवी के नाम से हुआ था किन्तु इन्हें बुद्धूजीवी नाम ज्यादा सूट करता है|
बुद्धू जीवी ऐसे प्राणी होते हैं जो आजकल कांग्रेस, वामपंथ आदि अन्य सेक्युलर दलों में बहुतायत पाए जाते हैं| इसके अतिरिक्त अभी भी कुछ बुद्धूजीवी समाज में स्वतंत्र विचरण करते हुए देखे जा सकते हैं|
मुख्यत: ये दो प्रकार के होते हैं-

१. वे जीव जो अपने ज्ञान(?) के आधार पर गहरा शोध(?) करते हैं व उस शोध के अनुसार एक निष्कर्ष जल्दी ही निकाल लेते हैं| यह निष्कर्ष प्राय: भविष्यवाणी सा ही प्रतीत होता है|
(अब देख लो, कैसा समय आ गया है, इतने ज्ञानी लोगों को भी बुद्धूजीवी कहना पड़ रहा है|)

२. वे जीव जो पूरी तरह से अज्ञानी होने के बाद भी अपना ज्ञान झाड़ने व थोड़ी सी पब्लिसिटी के लिए बिना किसी बात के निष्कर्ष निकाल रहे हैं|
(अब इन्हें बुद्धूजीवी न कहें तो और क्या कहें?)

उस काली रात के बाद आज तक ये जीव भाँती भाँती की बयानबाजी कर चुके हैं| बहुतेरे मिले तो ऐसे, जिनका कोई पैन्दा ही नहीं है| पता नहीं चाहते क्या हैं? जब जहाँ दिल किया लुढ़क लेते हैं|

जब से दिल्ली से लौटा हूँ, ऐसे कई बुद्धुजिवियों से सामना हो चूका है| इनसे बात करने बैठें तो अपना ही सर पीटने का मन करता है कि किस मुर्ख से माथा मार रहे हैं?

सबसे पहले बुद्धुजिवियों ने जो प्रश्न किया वह उस चिट्ठी से सम्बंधित था जिस पर आचार्य बालकृष्ण ने हस्ताक्षर किये थे| अब अव्वल तो यही समझ नहीं आता की उस पत्र में ऐसा क्या था जो इतना विवाद खड़ा कर रखा है? दरअसल मीडिया ने जो दिखा दिया उसी को Universal Truth मान बैठे हैं| किन्तु जब बात शाहरुख खान या सलमान खान की आती है तो कहते हैं कि मीडिया उन्हें बदनाम कर रहा है|

चार जून की शाम बाबा रामदेव ने हमें उस पत्र के विषय में पहले ही बता दिया था जिसे यह सरकार बाबा रामदेव के विरुद्ध एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही थी| दरअसल जब स्वामीजी से बात करने के लिए उन्हें होटल में बुलाया गया तो यह पत्र उन्हें दिखाया गया| पत्र में लिखा था कि यदि हम ६ जून को आपकी सभी मांगे मान लें तो क्या आप अनशन तोड़ देंगे? इस पर स्वामीजी ने कहा की यह कैसा प्रश्न है? मुझे अनशन करने का कोई शौक तो है नहीं| आप अभी मेरी मांगे मान लो तो मैं अनशन पर बैठूँगा ही नहीं| तो फिर पत्र पर हस्ताक्षर करने की बात ही क्या है?
इस पर सरकार का कहना था की हमे प्रधान मंत्री को भी कुछ जवाब देना होता है, अत: औपचारिकता के लिए इस पर हस्ताक्षर कर दें| अत: आचार्य बालकृष्ण ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए| पत्र में स्वामीजी ने साफ़ साफ़ यह स्पष्ट कर दिया था कि हमारी मांगे पूरी होने पर ही हम आन्दोलन रोकेंगे| यदि हमारी एक भी मांग नहीं मानी गयी तो अनशन जारी रहेगा|

इस पत्र को सरकार ने भांड मीडिया के द्वारा यह कहकर प्रचारित करवाया कि हमारा तो स्वामी रामदेव से समझौता हो गया है और उन्होंने ६ जून को अपना अनशन तोड़ने की बात पर हस्ताक्षर कर दिए हैं|

बुद्धूजीवी मुझसे कहते हैं कि टीवी पर वह पत्र दिखाया गया है तो मैंने उनसे पूछा क्या तुमने उसे पूरा पढ़ा? क्या टीवी पर पत्र दिखाते समय उसे पढने जितना समय दिया? यदि नहीं तो पेट में मरोड़े क्यों उठ रहे हैं?
वे तो यहाँ तक कहने लगे की जब सरकार से पूरी बात हो गयी कि ६ जून को मांगे मान ली जाएंगी तो केवल अपनी जिद के लिए अनशन करना कहाँ तक उचित है?
अब बताइये इनका बुद्धिबल देखकर माथा न पीटें तो और क्या करें?

बाबाजी के हस्ताक्षर से क्या होना है? जवाब उन्हें देना जो सरकार में बैठे हैं बाबाजी को नहीं| हस्ताक्षर उन्हें करना है जो सरकार में बैठे हैं बाबाजी को नहीं| बाबा रामदेव ने यह स्पष्ट कर दिया था कि जब तक सरकार लिखित में हमारी मांगे नहीं मानेगी हम आन्दोलन नहीं रोकेंगे|

फिर किसी प्रकार चिट्ठी पर सवाल उठाने वाले बुद्धुजीवियों की संख्या घटने लगी पर शीघ्र ही नए बुद्धूजीवी एक और नयी समस्या ले कर हाज़िर हैं|
एक साईट पर मेरे एक लेख पर एक टिप्पणीकार ने तो बाबा रामदेव को चूड़ियाँ पहनने की सलाह दे डाली|
टिपण्णी इस प्रकार है-
"बाबा का चोरी और सीनाज़ोरी का अँदाज़ भी बड़ा निराला है। अब वे अपने हर कृत्य को कुछ राजनीतिक दलों की शह पर ग्लैमर का जामा पहनाने पर उतारु हैं। एक नेताजी ने किसी चैनल पर बोलते हुए क्ल्यू दे दिया, तो अब बाबाजी ने अपने सुर बदल दिये। कल तक तो जान बचाने के लिये “माताओं-बहनों” के कपड़े मजबूरन इस्तेमाल करने की दुहाई देने वाले बाबाजी अब तेवर दिखा रहे हैं। अब वे पुलिस पर चीर हरण का आरोप लगा रगे हैं। वे इतने पर ही नहीं रुकते। वे सरकार पर पँडाल को लाक्षागृह बनाने, बम फ़ेंकने, उनकी हत्या या एनकाउंटर करने का षडयंत्र रचने का आरोप भी लगा रहे हैं।
देश का नेतृत्व करने की चाहत रखने वाला बाबा खाकी के रौब से इतना खौफ़ज़दा हो गया कि अपने समर्थकों को मुसीबत में छोड़कर भेस बदलकर दुम दबाकर भाग निकला। ऎसे ही आँदोलनकारी थे, देशभक्त थे, क्राँतिकारी थे, तो मँच से शान से अपनी गिरफ़्तारी देते और भगतसिंग की तरह “रंग दे बसंती” का नारा बुलंद करते।"
लेख का लिंक यहाँ है|

ऐसे बुद्धुजीवियों को क्या कहना जो अपने ड्राइंगरूम में बैठकर कोरी बकवास पेलना जानते हैं| यदि इतने ही साहसी हैं तो सड़क पर उतरकर चार लाठियां अपने सीने पर खाएं| खुद में दो टके का जिगरा नहीं और बाबाजी को मर्दानगी सिखाने चले हैं|

दूसरी बात किसी भी सेना का सेनापति महत्वपूर्ण होता है| उसकी अनुपस्थिति में सेना का विजयी होना असंभव सा है| अत: सैनिक अपनी जान देकर भी सेनापति की रक्षा करता है| यहाँ बाबा रामदेव हमारे सेनापति हैं| वे किसी भी परिस्थिति में वहां से जाने को तैयार नहीं थे| लोगों ने उनकी रक्षा के लिए जबरदस्ती उन्हें वहां से भेजा| यदि उस रात स्वामी जी को कुछ हो जाता तो यह आन्दोलन तो कभी का ख़त्म हो गया होता|

इसी प्रकार आचार्य बालकृष्ण के साथ भी यही हुआ| वे अंतिम क्षण तक वहीँ छिपे रहे| टीवी पर जब उन्हें रोते देखा तो यह लगा की सन्यासियों के इस देश में सन्यासियों का ऐसा अपमान कहाँ तक उचित है?

यदि स्वामी रामदेव को मरने का इतना ही भय होता तो आज तक वे अपना आन्दोलन क्यों चला रहे हैं| क्यों वे छठे दिन भी भूखे बैठे हैं|
India TV के रजत शर्मा के शब्दों पर यहाँ ध्यान देना आवश्यक है|
रजत शर्मा के शब्द कुछ इस प्रकार हैं-

"‎5 जून को स्वामी रामदेव ने मुझसे पूछा था कि क्या ऐसा हो सकता है कि पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश करे ? मैंने उनसे कहा कि कोई भी सरकार इतनी ब़ड़ी गलती नही करेगी “लेकिन कुछ ही घंटे बाद सरकार ने मुझे गलत साबित कर दिया.मैंने स्वामी रामदेव को अपने सहयोगी के कंधे पर बैठकर बार-बार पुलिस से ये कहते सुना- "यहां लोगों को मत मारो, मैं गिरफ्तारी देने को तैयार हूं"...लेकिन जब सरकार पांच हजा़र की पुलिस फोर्स को कहीं भेजती है तो वो फोर्स ऐसी बातें सुनने के लिए तैयार नहीं होती.
जब दिन में स्वामी रामदेव ने मुझे फोन किया था तो उन्होंने कहा था कि किसी ने उन्हें पक्की खबर दी है कि ''आधी रात को हजारों पुलिसवाले शिविर को खाली कराने की कोशिश करेंगे'' और ये भी कहा कि ''पुलिस गोली चलाकर या आग लगाकर उन्हें मार भी सकती है''...मैंने स्वामी रामदेव से कहा था कि ''ऐसा नहीं हो सकता-हजारों पुलिस शिविर में घुसे ये कभी नहीं होगा और आप को मारने की तो बात कोई सपने में सोच भी नहीं सकता''...रात एक बजे से सुबह पांच बजे तक टी वी पर पुलिस का तांडव देखते हुए मैं यही सोचता रहा कि रामदेव कितने सही थे और मैं कितना गलत...ये मुझे बाद में समझ आया कि स्वामी रामदेव ने महिला के कपड़े पहनकर भागने की कोशिश क्यों की...उन्होंने सोचा जब पुलिस घुसने की बात सही है लाठियां चलाने की बात सही है तो Encounter की बात भी सही होगी|"

अगली बात कांग्रेस की जिसने इस देश को बरबाद करने की प्रतिज्ञा ले ली है| कांग्रेसी बुद्धुजीवियों में इस समय सबसे ऊपर हैं दिग्विजय| इनके नाम के आगे सिंह लगाना मैं उचित नहीं समझता|

इसे तो हर कार्य में संघ व भाजपा का हाथ लगता है| यदि किसी दिन इसके परिवार में किसी बच्चे का जन्म हो जाए तो वह कहेगा की इसमें संघ व भाजपा का हाथ है|
अभी यही सोच रहा था कि एक दो कौड़ी के पेंटर एम् ऍफ़ हुसैन के मरने की खबर आई है| शायद दिग्गी का नया डायलोग यही होगा कि इस महान चित्रकार की मृत्यु में संघ व भाजपा का हाथ है|

और यदि संघ व भाजपा बाबा रामदेव का साथ दे रहे हैं तो इसमें गलत क्या है? कहीं ऐसा तो नहीं कि कांग्रेसी यही सोचते हैं कि देश के लिए कोई भी निर्णय लेने का अधिकार केवल कांग्रेस का है|


भारत इस कांग्रेस व गांधी परिवार के बाप की जागीर नहीं है|


अभी तो भौंकते हुए दिग्गी ने बाबा रामदेव को महाठग की उपाधि तक दे डाली थी| आतंकवादियों को सम्मान व राष्ट्रवादियों का अपमान की कांग्रेस की इस नीति को वोट बैंक की राजनीति के अतिरिक्त और क्या कहें?
अभी भी भौंक रहा है की इसके धन की जांच होनी चाहिए| कल ही बाबाजी ने फिर से अपने ट्रस्ट की पूरी संपत्ति का ब्यौरा दे दिया है| फिर भी इसे और जांच करनी है|
संभल के रहना रे दिग्गी, अब हम तेरी जांच करेंगे|

इतना सब कुछ हो जाने के बाद कांग्रेस के चरित्र पर शंका न करना ही मुर्खता है| अभी कुछ महीनों पहले दिल्ली में मण्डी हाउस के समीप जब गिलानी व अरुंधती सरकार की नाक के नीचे पाकिस्तान जिंदाबाद व हिन्दुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे, तो कुछ कश्मीरी पंडितों ने इनका विरोध किया| उस समय इस सरकार ने गिलानी व अरुंधती को सुरक्षित शहर से बाहर निकलवा दिया व पुलिस ने कश्मीरी पंडितों को गिरफ्तार कर लिया|
उसी दिल्ली में जब बाबा रामदेव ने भ्रष्टाचार के विरोध में अहिंसक सत्याग्रह किया तो पुलिस ने हम पर लाठियां बरसाईं, आंसू गैस के गोले फैंके|
फिर भी यदि कोई बुद्धूजीवी इस कांग्रेस के कुचक्रों को नहीं समझ रहा तो वह बुद्धूजीवी नहीं है तो और क्या है? शायद इन्हें तब अक्ल आएगी जब यह लुटेरी सरकार अपने पुलिस रुपी गुंडों को इनके घर भेज कर लाठियां बरसाएगी|

खैर यह सब एक चुनौती के समान हैं| और यह चुनौती यदि मुझे परिस्थितियों ने दी है तो इससे पलायन कैसा? यहां आवश्यकता पलायन की नहीं पराक्रम की है| प्रसव का कष्ट तो होता ही है| निर्माण की पीड़ा भी होती है| परन्तु करना पड़ेगा|

इन सब बातों के अतिरिक्त कुछ अशुभ और भी है और वह यह कि बाबा रामदेव का स्वास्थ्य गिरता जा रहा है| पिछले छ: दिनों में उनका छ: किलो वजन कम हो गया है| आज दोपहर को उन्हें जबरन हरिद्वार से देहरादून ले जाया गया| जहाँ उन्हें ऑक्सीज़न देनी पड़ी| सत्रह डॉक्टरों की एक टीम उनका ध्यान रख रही है| स्वामी रामदेव ने अभी भी अनशन न तोड़ने की बात कही है| किन्तु डॉक्टर ने कहा है कि इन्हें बचाने के लिए इन्हें ग्लूकोज़ देना बहुत ज़रूरी है|

स्वामी जी से यही विनती है कि आप अपना अनशन तोड़ दें| हम आन्दोलन जारी रखेंगे| इस भ्रष्ट सरकार को आपकी मृत्यु से कोई फर्क नहीं पड़ेगा| फर्क हमें पड़ेगा| हमे आपकी आवश्यकता है| यदि आप नहीं हुए तो हमारा मार्गदर्शन कौन करेगा? कौन इस सेना को लड़ने के लिए प्रेरित करेगा?
अत: अब स्वयं कष्ट झेलने का समय गया| अब समय कष्ट देने का है| आप हमारे साथ हैं तो हम बड़ी से बड़ी सत्ता को चुनौती दे देंगे|
अब बस आप गांधी की भूमिका को त्याग कर आचार्य चाणक्य की भूमिका को स्वीकार करें|


Tuesday, June 7, 2011

बाबा रामदेव का आन्दोलन, बाबा के साथ हमारा अनशन, देश के नाम पर मर मिटने को तत्पर हम व अंग्रेजी सरकार के तुल्य कांग्रेस द्वारा हमारा दमन - एक आँखों देखा सच

मित्रों कहने को तो बहुत कुछ है, बहुत कुछ कहा जा भी चूका है| मैं बाबा रामदेव के आन्दोलन में शामिल था, अत: आज शाम को ही जयपुर पहुंचा हूँ| इसलिए इस विषय पर अभी तक कुछ लिख न सका| किन्तु अब जब समय मिला है तो कुछ ऐसी बातें, कुछ ऐसी यादें जो आन्दोलन से जुडी हैं उन्हें यहाँ रखना चाहता हूँ|
जो कुछ भी मैंने वहां अपनी आँखों से देखा, केवल वही सब सामग्री यहाँ रखूँगा| शायद लेख कुछ लम्बा खिंच जाए| क्योंकि मेरी स्मृति में केवल एक ही दिन के आन्दोलन से जुडी ऐसी बहुत सी यादें हैं जिन्हें भुला पाना या उनकी अनदेखी करना मेरे लिए संभव नहीं होगा| इस आन्दोलन में ऐसे बहुत से व्यक्तियों से मेरा परिचय हुआ, जिनका जिक्र यहाँ करना मेरे लिए आवश्यक है|
मैं ४ जून, शनिवार की सुबह दिल्ली के रामलीला मैदान में पहुंचा| अकेला ही गया था| जाने से पहले एक साथी हिंदी ब्लॉगर मित्र व राष्ट्रवादी विचारधारा के धनी व्यक्ति, भाई संजय राणा जी से मेरी बात हुई थी| संजय भाई हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन के निवासी हैं व ३ जून की रात्री को ही अपने दो मित्रों के साथ वे दिल्ली पहुँच गए थे| रामलीला मैदान में पहुँचते ही देखा कि हर दिशा से राष्ट्रवादी नारे लगाए जा रहे हैं| पूरा मैदान लोगों की भीड़ से खचाखच भरा हुआ है| इन लोगों को गिनना तो असंभव सा काम था| जहाँ तक मैंने अनुमान लगाया यह संख्या करीब डेढ़ लाख के आस पास थी| ऐसा नज़ारा देख कर मन प्रसन्न हो गया|
इसके बाद मैंने संजय भाई से संपर्क स्थापित किया| उनसे मिल कर बड़ा अच्छा लगा| शाम तक वे मेरे साथ रहे| शाम को उन्हें पुन: सोलन जाना था| इस अंतराल में हमारे बीच स्वामी रामदेव, अन्ना हजारे व राजिव भाई दीक्षित आदि लोगों पर बातचीत हुई| संजय भाई, राजिव भाई से काफी प्राभावित हैं| उन्होंने मुझे बताया कि वे राजिव भाई से मिलना चाहते थे किन्तु कभी मौका नहीं मिल सका| किन्तु मैं राजिव भाई से कई बार मिल चुका हूँ व उनके साथ थोडा समय भी बिताया है| इसी कारण संजय भाई मुझसे उनके विषय में अधिक बातें कर रहे थे|
संजय भाई के जाने से कुछ देर पहले ही करीब पचास वर्ष से अधिक आयु के एक सज्जन मेरे पास आए| वे आकर मुझसे बोले कि "बेटा मेरे मोबाइल में रीचार्ज ख़त्म हो गया है| मुझे एक जरूरी फोन करना है, क्या मैं तुम्हारे फोन का उपयोग कर सकता हूँ?" मैंने उन्हें अपना फोन दे दिया| फोन करने के बाद वे हमसे बैठ कर कुछ बातचीत करने लगे| बातों बातों में उन्होंने अपना परिचय मुझे दिया| उनका नाम तो मैं भूल गया किन्तु इतना याद है कि वे भारत स्वाभिमान के पानीपत जिला संयोजक हैं| वे भी मुझसे राजिव भाई के विषय में ही चर्चा करने लगे| उन्होंने मुझसे पुछा कि मैं कहां से आया व क्या करता हूँ? जब मैंने उन्हें अपना परिचय दिया तो वे कहने लगे कि बेटा तुम बड़े सौभाग्य शाली हो| मैंने उनसे कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि एक तो तुम राजिव भाई के संपर्क में रह चुके हो और दूसरा तुम एक युवा इंजिनियर हो| जहाँ तक मैं जानता हूँ इंजीनियरों का यह तबका काफी हद तक दिशा भ्रमित हो चुका है| इन्हें देश की कुछ नहीं पड़ी है| यह तुम्हे मिले संस्कार ही हैं जो तुम यहाँ आये व अकेले आये और इस आन्दोलन में बाबा रामदेव के साथ अनशन कर तुम अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हो| 
आन्दोलन में एक और ब्लॉगर मित्र, भाई तरुण भारतीय भी उपस्थित थे, किन्तु किसी कारणवश उनसे मिलना न हो पाया| शाम को संजय भाई के जाने के बाद मैं एक जगह जाकर बैठ गया| बाबा रामदेव मंच पर बैठे हुए सभी आन्दोलनकारियों को संबोधित कर रहे थे| हमारे बीच जगह जगह बड़े बड़े स्क्रीन लगे हुए थे| मैं भी एक स्क्रीन के सामने ही बैठा हुआ था| कई सन्यासी, मुस्लिम उलेमा आदि सब एक ही मंच पर उपस्थित थे| फिर भी भ्रष्टाचारी सरकार ने इस आन्दोलन को साम्प्रदायिक करार दिया|
मंच पर भोजपुरी फिल्मों के प्रसिद्द अभिनेता श्री मनोज तिवारी भी उपस्थित थे| कुछ देर बाद बाबा ने उनके साथ मिलकर एक बेहद ही सुन्दर गीत गाया| बाबा रामदेव व मनोज तिवारी की जुगलबंदी में यह गीत "मेरा रंग दे बसंती चोला" कुछ ज्यादा ही कर्णप्रिय लग रहा था| मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि बाबा रामदेव इतने अच्छे गायक भी हैं| इस गीत ने हम सब में इतना जोश भर दिया कि पूरे दिन के भूखे व थके हुए हम आन्दोलनकारी झूम झूम कर नाचने लगे| सच में कितना मनोहर दृश्य था वह|
कुछ समय बाद पांडाल में मंच के पास कुछ मीडिया कर्मी भी पहुँच गए| पता नहीं वे कौनसी मानसिकता से ग्रसित थे? दो कौड़ी के टुच्चे सवालों के साथ बाबा रामदेव को घेरने का प्रयास उनके द्वारा किया जा रहा था| किन्तु बाबा रामदेव ने सभी की बोलतियाँ भी बंद कर दीं| जनता ने भी इन मीडिया कर्मियों का विरोध किया|
इसके बाद पुन: राष्ट्रवादी गीतों की बहार छा गयी| रात करीब ९ बजे के बाद बाबा रामदेव ने सभी आनोलनकारियों से कहा कि अब वे पानी पीकर सो जाएं क्योंकि मैं सुबह चार बजे सभी को हल्का प्राणायाम करने के लिए उठा दूंगा| सुबह की प्रतीक्षा में हम सब हाथ मूंह धोकर सो गए|
रात करीब ११:१५ बजे मेरे एक छोटे भाई भुवन शर्मा (मेरी बुआ का बेटा) का जयपुर से फोन आया| उसने कहा कि वह भी सुबह दिल्ली पहुँच रहा है| कल से वह भी आन्दोलन में शामिल हो रहा है| उससे बात कर मैं पुन: सो गया|
रात में करीब १२:१५ बजे स्वामी जी की आवाज से मेरी नींद खुल गयी| स्वामी जी लाउड स्पीकर पर कह रहे थे "मेरे साथियों, रामदेव तुम्हारे बीच था और तुम्हारे बीच ही रहेगा|"
मुझे समझ नहीं आया कि बाबा कहना क्या चाहते हैं?
तभी बाबा रामदेव ने कहा " मेरे साथियों, यदि मैं गिरफ्तार हो जाऊं तो भी आप सब इस आन्दोलन को चलाए रखना||" मुझे यह आभास हो गया कि शायद कुछ गड़बड़ है| कहीं पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने तो नहीं आ गयी? तभी कुछ लोग मंच की तरफ भागे| भागते हुए वे कह रहे थे कि हम भी अपनी गिरफ्तारी देंगे| उठो साथियों दिल्ली की जेलें भर डालो| स्वामी जी अगर गिरफ्तार हुए तो हम भी अपनी गिरफ्तारी देंगे| तभी बाबा रामदेव की आवाज फिर आई| वे कह रहे थे "साथियों यदि तुम मुझसे प्यार करते हो तो मुझे वचन दो कि किसी भी परिस्थिति में पुलिस से नहीं भिड़ोगे| साथ ही मैं पुलिस से भी यह विनती करता हूँ कि मेरे साथियों पर किसी प्रकार का कोई हमला न किया जाए| हम पूरी अहिंसा के साथ अपना आन्दोलन कर रहे हैं| अत: किसी प्रकार की हिंसा से इसे कलंकित मत होने देना| साथ ही मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि मेरे गिरफ्तार होने पर भी आप लोग इस आन्दोलन को चलाए रखना|"
अब माजरा समझ आने लगा था| मेरे पास कन्धों पर लटकाने वाला एक छोटा सा बैग था जिसमे मेरे एक जोड़ी कपडे व एक तौलिया रखा था| कन्धों पर अपना बैग लटका मैं भी मंच की तरफ भागा| जब मैं मंच पर पहुंचा तो देखा कि बाबा रामदेव बारह फीट ऊंचे मंच से छलांग लगा रहे हैं| छलांग लगाने के बाद एक कार्यकर्ता ने उन्हें अपने कन्धों पर उठा लिया| वहीँ से वे जनता को संबोधित करने लगे| इधर उधर देखा तो पुलिस के सैंकड़ों सिपाही मैदान में प्रवेश कर चुके थे| पुलिस स्वामी जी की ओर बढ़ रही थी| मंच पर चढ़कर पुलिस ने सन्यासियों का अपमान किया| उन्हें लाते मार मार कर मंच से नीचे फेंका गया| कुछ महिलाएं भी मंच पर चढ़ गयीं थीं| पुलिस ने उन्हें भी नहीं छोड़ा, महिलाओं को बाल पकड़ कर घसीटते हुए मंच से नीचे फेंक दिया| एक महिला को तो शोचालय से नग्न अवस्था में ही बाहर निकाल दिया| हम सब ने मंच का घेराव करना शुरू कर दिया| कुछ महिलाओं ने स्वामी जी को अपने वस्त्र लाकर दिए, जिन्हें पहन स्वामी जी भीड़ में गुम हो गए| हम लोगों ने पुलिस को स्वामी जी तक नहीं पहुँचने दिया| पुलिस ने हवा में आंसू गैस के गोले छोड़े| जिस कारण हमारी आँखों में जलन के साथ पानी आने लगा| उसकी अजीब सी गंध से नाक में सनसनी सी होने लगी| कुछ बुज़ुर्ग लोग इसकी गन्ध से बेहोश हो गए| तभी मंच पर गोले छोड़ने के कारण आग लग गयी| यह एक बहुत बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती थी| पूरा मैदान तम्बुओं से ढका हुआ था| यदि आग फ़ैल जाती तो पता नहीं कितनी ही जाने चली जातीं|
आंसू गैस के कारन मैं भी अपनी आँखे मसलने लगा| तभी पुलिस ने लाठियां बरसाना शुरू कर दिया| मेरी तो आँख भी अभी पूरी तरह नहीं खुली थी कि पुलिस की एक लाठी मेरे दाहिने पैर पर पीछे की ओर घुटने से कुछ ऊपर लगी| अचानक लगी इस चोट से मैं अपने ही स्थान पर ज़मीन पर गिर गया| जिस कारण पंजे में मोच भी आ गयी| किसी प्रकार खड़े हो कर मैंने भागते हुए अपनी जेब से रुमाल निकाला व उसे नाक पर बाँधा जिससे कि आंसू गैस से बचा जा सके| मैदान में भीड़ बिखर चुकी थी| पुलिस ने हमें बाहर की ओर खदेड़ना शुरू कर दिया| बाहर निकलने के द्वारा पर हम कुछ लोग खड़े हो गए| हम चिल्ला चिल्ला कर जनता से कह रहे थे कि बाहर ही खड़े रहें, कहीं ओर न जाएं| हम सब अपनी गिरफ्तारियां देंगे|
बाहर आकर देखा तो सडकों पर करीब एक लाख से ज्यादा लोग यहाँ वहां बिखरे हुए थे| इतनी बड़ी संख्या को नियंत्रित करना काफी मुश्किल होता है| जगह जगह हम लोग जनता से चिल्ला चिल्ला कर कह रहे थे कि सभी एक जगह इकट्ठे हो जाएं| अभी हम सब एक रैली में जंतर मंतर पर जाकर अपना प्रदर्शन करेंगे व अपनी गिरफ्तारियां भी देंगे| किसी प्रकार सभी को इकठ्ठा कर हम सब जंतर मंतर की ओर नारे लगाते हुए बढ़ने लगे| अभी थोडा ही आगे पहुंचे थे कि देखा पीछे से पुलिस ने आधी से ज्यादा भीड़ को मैदान व मैदान के समीप एक चौराहे के बीच अवरोध लगा कर बंदी बना लिया है ताकि वे रैली में शामिल न हो सकें| इस पर कुछ लोग पुन: पीछे की ओर गए व लोगों से चिल्ला कर कहा कि वे अवरोध को हटाकर या ऊपर से कूद कर आ जाएं| इस पर पुलिस ने हमें पुन: लाठियों का भय दिखाया| तभी कुछ युवकों ने कुछ अवरोध उठाकर सड़क किनारे फेंक दिए| अवरोध हट्टे ही भीड़ भागती हुई सभी अवरोध गिराती हुई आगे बढ़ने लगी| इस प्रकार हम सब पुन: साथ में हो लिए|
अब हम सब गला फाड़ फाड़ कर नारे लगाते हुए जंतर मंतर की ओर बढ़ने लगे| इस समय बिलकुल ऐसा ही अनुभव हो रहा था जैसा कि आज़ादी से पहले हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को होता होगा|
अभी हमें चलते हुए मुश्किल से बीस मिनट ही हुए थे कि कुछ ही दूरी पर एक मोड़ पर अचानक कुछ पुलिस कर्मी भागते हुए हमारी तरफ आए व लाठियां चलाने लगे| अचानक हुए इस हमले से भीड़ फिर से इधर उधर बिखर गयी| रैली में मैं आगे की ओर ही था, अत: फिर से पुलिस की चपेट में आ गया| अचानक मेरे दाएं क्न्धे पर एक जोरदार लाठी पड़ी| मैं अभी संभल भी नहीं पाया था कि तभी मेरी पींठ पर एक और वार हुआ| किसी प्रकार मैं अपनी जान बचाकर वहां से दूर हट गया| भीड़ इधर उधर भागने लगी| भागते हुए हम एक मोड़ पर मुड़ गए व सड़क के दुसरे किनारे तक पहुंचे| किन्तु देखा कि हम केवल पांच सौ-छ: सौ लोग ही रह गए| बाकी जनता भी अपनी जान बचाकर इधर उधर भाग गयी| किसी प्रकार हम एक सुरक्षित स्थान देख कर वहीँ सड़क पर बैठ गए| तभी हम में से किसी ने कहा कि ऐसे कब तक भागेंगे? सभी लोग एक एक पत्थर अपने हाथ में उठा लो पुलिस पर बरसाना शुरू कर दो| हम एक लाख से ज्यादा थे जबकि पुलिस कुछ चार पांच हज़ार|
इस पर साथ ही खड़े एक दुसरे व्यक्ति ने कहा कि हम चाहते तो पुलिस को मज़ा चखा सकते थे किन्तु हमने स्वामी जी को वचन दिया है कि हम पुलिस से नहीं भिड़ेंगे| इस पर वह व्यक्ति बोला कि ऐसे कब तक मार खाते रहेंगे? पुलिस तो हाथ धोकर हमारे पीछे पड़ी है| मैंने उनसे कहा कि यदि हमने पुलिस पर हमला किया तो हो सकता है कि लाठी धारी सिपाहियों के पीछे खड़े बन्दूक धारी सिपाही हम पर गोलियां चला दें| ऐसे में कितनी ही मौतें हो सकती हैं|
इस पर उन व्यक्ति ने मुझसे कहा कि क्या आप मरने से डरते हो? मैंने उसे उत्तर दिया कि यदि मरने से डरते तो यहाँ तक न आते| हम तो बुरे से बुरा सोच कर अपने घरों से निकल कर यहाँ तक पहुंचे हैं| किन्तु इस प्रकार फ़ोकट में मर जाने से क्या फायदा? हम सबका बलिदान व्यर्थ ही जाएगा| इस सरकार व बर्बर पुलिस को हमें मारने में कोई परेशानी नहीं होगी| यह सरकार इसी देश में सिक्खों का संहार कर चुकी है| फिर भी बेशर्मों की तरह हमारे सामने वोट मांगने चली आती है| आज भी कुछ हज़ार लोगों के मरने से इसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा| किन्तु हमारी मौत से स्वामी जी का बहुत दुःख होगा| उनका मनोबल भी टूट सकता है| हम सब तो यहाँ उनकी एक आवाज़ पर मर मिटने को ही आएं हैं, किन्तु यदि हमारी मौत व्यर्थ चली गयी तो इसमें सरकार का क्या नुक्सान?
इस पर वे व्यक्ति मुझसे सहमत हो गए| मेरे साथ में लन्दन (इंग्लैण्ड) निवासी भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक भी थे| उनसे यही मिलना हुआ था| अभी वे मेरे पास ही बैठे थे| बातचीत में उन्होंने बताया कि वे भारत स्वाभिमान के एक कार्यकर्ता हैं व २७ फरवरी को बाबा रामदेव की रैली में भाग लेने भारत आए थे| तब से वापस नहीं गए| अन्ना हजारे के साथ भी वे चार दिन के अनशन पर बैठे थे| आज उन्हें भी चोटें आईं थीं| वे भी राजिव भाई से प्रभावित हो कर इस संगठन से जुड़े थे|
तभी किसी ने कहा कि यहाँ पास ही एक आर्य समाज का मंदिर है, वहीँ चलकर शरण लेते हैं|
हम सब मंदिर की ओर चल दिए| मंदिर पहुँच कर हमने मंदिर में स्थित एक बगीचे में शरण ली| मंदिर के पुजारी हमसे मिले| हमने उन्हें अपनी आपबीती सुनाई| उन्होंने कहा कि वे भी आज बाबा रामदेव के इस आन्दोलन में शामिल होने वाले थे|
उन्होंने हमसे मंदिर में ही विश्राम करने को कहा व आश्वासन दिया कि यहाँ कोई हमें नुक्सान नहीं पहुंचा सकता|
इसी बीच करीब चार बजे के आस पास संघ के मेरे एक स्वयं सेवक मित्र भाई अभिषेक पुरोहित का फोन आया| उन्होंने इस समय फोन करने के लिए क्षमा मांगी| उन्होंने कहा कि दरअसल वे अभी अभी किसी साईट से लौटे हैं व आते ही इंटरनेट पर यह खबर पढ़ी कि पुलिस ने आन्दोलन बिखेर दिया|
मैंने उन्हें संक्षिप्त में पूरी घटना बताई|
हम सब मंदिर के बगीचे में बैठे हुए आपस में बातें कर रहे थे तभी एक सन्यासी हनुमान का रूप धारण कर हमारे बीच आ बैठे| वे रैली में भी हमारे साथ थे| उनसे बातचीत में पता चला कि वे कन्नोज से आये हैं| उन्होंने बताया कि पुलिस ने उनकी कमर पर जोर से लात मारी जिससे वे सड़क पर गिर गए व उनके पाँव में चोट आई है| अब देखिये इस सरकार की तानाशाही एक सन्यासी का भी इतना अपमान किया वह भी उस सन्यासी का जो हनुमान का रूप धारण किये अनशन पर बैठा था|
मैंने उनसे कहा "बजरंग बलि, आज पूरा भारत यहाँ मैदान में इकठ्ठा हुआ था| भारत के सभी प्रदेशों से यहाँ लोग आन्दोलन में शामिल होने आए| यहाँ तक कि विदेशों में रहने वाले कई भारतीय भी इसमें शामिल हुए| और तो और सन्यासी, पुजारी, मौलवी आदि भी एक साथ एक ही मंच पर साथ बैठे थे| आज जब सारा भारत एक हो रहा है तब इस सरकार की यह तानाशाही कि औरतों व बच्चों को भी नहीं छोड़ा| यहाँ तक कि आप एक सन्यासी हैं, ऊपर से हनुमान का रूप ले कर आए हैं| पुलिस वालों ने इंसान का तो दमन किया ही, कम से कम भगवान् को तो बख्श देते|"
इस पर वे बोले "मैं तो एक मानव ही हूँ| मैंने संन्यास ले लिया है| मैंने जीवन का मोह छोड़ दिया है| मुझे मान अपमान का भी कोई ज्ञान नहीं है| अत: मैंने हनुमान रूप धारण किया है| पुलिस यदि इस हनुमान का अपमान करती है तो यह हनुमान तो इन्हें क्षमा कर देगा किन्तु वह बजरंग बलि रामभक्त वीर हनुमान इन्हें कभी क्षमा नहीं करेगा|"
लगभग हम सभी पुलिस की लाठियों का शिकार हुए थे| अत: एक दुसरे के घावों को सहलाते हम आपस में बातें करते रहे| बातों बातों में किसी ने राजिव भाई का जिक्र छेड़ दिया| मैं भी उनके विषय में बात करने लगा| बातों में शामिल उन लोगों में से केवल मैं ही ऐसा था जो राजिव भाई से मिल चुका था| सभी मुझसे उनके बारे में पूछने लगे| मैंने उन्हें राजिव भाई से जुडी मेरी यादें बताएँ| इस प्रकार कुछ देर हमारी बातें चलती रहीं| इस बीच कुछ लोगों ने बाहर जाकर हालत देखने का प्रयास किया| उन्होंने आ कर बताया कि पुलिस हर जगह तैनात है व किसी को भी संगठन में चलने की अनुमति नहीं है| अत: हमें अकेले ही यहाँ से निकलना होगा|
मैंने भी अपने कुछ साथियों को फोन किया जिनसे मैं आन्दोलन में ही मिला था| वहीँ उनका फोन नंबर भी लिया| पूछने पर उन्होंने बताया कि वे भी अकेले ही यहाँ वहां भटक रहे हैं| पुलिस ने शहर में शायद धारा १४४ लगा दी है| अत: हम संगठन में साथ नहीं घूम सकते|
पांच बजे के करीब मैंने भुवन (मेरी बुआ का बेटा जो आन्दोलन में शामिल होने जयपुर से दिल्ली आ रहा था) को फोन किया व उसे रामलीला मैदान पहुँचने से मना किया| वह दिल्ली को ठीक से नहीं जानता था| मैं कुछ समय दिल्ली में रह चुका हूँ अत; शहर से कुछ परिचित हूँ|
उसने बताया कि वह कश्मीरी गेट बस अड्डे पर उतरेगा| मैंने उसे कश्मीरी गेट मैट्रो स्टेशन से राजिव चौक पहुँचने के लिए कहा| वहां कनौट प्लेस स्थित सेंट्रल पार्क से वह परिचित है| मैंने उसे वहीँ बुला लिया| अब मैं भी लंगडाता हुआ करीब दो किमी दूर सेन्ट्रल पार्क तक पहुंचा| क्यों कि सुबह के पांच बजे वहां कोई ऑटो भी नहीं मिला अत: मैं पैदल ही निकल पड़ा|
करीब छ: बजे मैं सेन्ट्रल पार्क पहुंचा| वहां हरी घास पर सुबह सुबह पानी का छिडकाव किया हुआ था| एक पेड़ के नीचे मैं गीली घास पर ही लेट गया| शरीर पर पड़ी लाठियों के कारण आई चोटों से अब पीड़ा बढ़ने लगी थी| किन्तु थकान, पिछली दो रातों की बची हुई नींद व पिछले करीब एक दिन से ज्यादा समय तक भूखे रहने से मुझे कमजोरी महसूस होने लगी| इस कारण थोड़ी ही देर में मुझे एक झपकी लग गयी| लगभग ६:४५ पर सूरज की रौशनी चेहरे पर पड़ने के कारण मेरी आँख खुली| आस पास देखा तो मुझसे थोड़ी ही दूरी पर पांच वृद्ध जन बैठे बातें कर रहे थे| मैं लेटा हुआ उनकी बातचीत सुन रहा था| उनकी बातचीत का विषय बाबा रामदेव का यह आन्दोलन ही था| चार लोग बाबा रामदेव के समर्थन में थे जबकि एक व्यक्ति कांग्रेस का समर्थन कर रहा था| उनकी बाते सुनकर मैं भी उठकर उनके बीच जा बैठा| बातचीत में पता चला कि वे यहाँ से कुछ दूरी पर स्थित एक कॉलोनी के निवासी हैं व रोज़ सुबह यहाँ घूमने आते हैं|
जो व्यक्ति कांग्रेस का समर्थन कर रहे थे मैंने उनसे कहा कि आप जिस कांग्रेस का गुणगान कर रहे हैं, आपको पता है कल इसी सरकार ने आधी रात में क्या किया? इस पर उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ नहीं पता| जाहिर सी बात है, आधी रात में हम पर हुए इस अत्याचार के बारे में दिल्ली वासियों को कहाँ से पता चलता? और ये बुज़ुर्ग लोग तो सुबह सुबह ही यहाँ पार्क में आ गए हैं| तब मैंने उन्हें पिछली रात की पूरी घटना बताई| इस बीच भुवन भी वहां पहुँच गया| मैंने उन सबको अपने शरीर पर पड़ी लाठियों से आई चोटें दिखाईं तो एक सज्जन यह देख क्रोध से भड़क उठे व कांग्रेस के समर्थक व्यक्ति से चिल्ला कर बोले "देख ले बुड्ढ़े, तेरी कांग्रेस का अत्याचार| इस बेचारे बच्चे की टांग तोड़ दी तेरी इस कांग्रेस ने|" इस पर सामने वाले सज्जन चुप हो गए|
हमारी बातें सुनकर पास ही बैठे एक और सज्जन वहां आ गए व मुझसे बोले कि वे भी इस आन्दोलन में शामिल थे| किसी प्रकार पुलिस के हाथों से बच निकले|
उसी समय वे व्यक्ति जो क्रोध से चिल्ला पड़े थे, मुझसे बोले बेटे तुमने भोजन कब किया था? मैंने उन्हें बताया कि परसों रात को आठ बजे जयपुर में खाना खाया था, तब से अब तक पेट में एक दाना भी नहीं गया है| उन्होंने कहा कि पहले कुछ खा लो फिर सोचना आगे क्या करना है|
मैंने कहा कि हम सब तो अनशन पर हैं| जब तक स्वामी जी की कोई सूचना नहीं मिल जाती कि वे कहाँ हैं, सुरक्षित तो हैं, तब तक हम कुछ नहीं खा सकते| उन्होंने मुझे समझाया किन्तु मैं नहीं माना|
थोड़ी देर बाद मैं और भुवन पार्क से बाहर निकले| सोच ही रहे थे कि अब आगे क्या करना है? सड़क पर अब यातायात बढ़ने लगा था| पुलिस की गश्त अभी भी जारी थी| मैं समझ गया कि यहाँ कुछ न कुछ गड़बड़ जरुर होने वाली है| साथी आन्दोलनकारियों से भी संपर्क नहीं हो पा रहा था| क्यों कि लम्बे समय से रामलीला मैदान में बैठ बैठे सबसे फोन की बैटरी ख़त्म हो चुकी थी| मेरा फोन भी बंद होने वाला था|
अत: हमने निश्चय किया कि यहाँ से गुडगाँव जाते हैं जहाँ मेरा एक और भाई नितिन पांडे (मेरी दूसरी बुआ का बेटा) रहता है| वह गुडगाँव में एक कंपनी में सॉफ्टवेर इंजिनियर है|
वहां जाने से पहले मेरी उससे फोन पर बात हो गयी थी| रविवार होने के कारण वह घर पर ही था| मैंने उसे पूरी कहानी फोन पर बता दी थी| उसने मुझसे कहा कि भैया आप जल्दी ही यहाँ आ जाओ|
वहां पहुँचते ही वह मुझसे मज़ाक में हँसते हुए बोला "आ गए भईया पिट कर?"
ऐसी परिस्थिति में उसके मूंह से निकले इस व्यंग से मुझे भी हंसी आ गयी| मैंने भी उससे हंसकर कहा कि भाई देश के लिए लाठियां खाई हैं| आज तो मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं ही भगत सिंह हूँ|
बाद में उसने मेरी चोटों पर मरहम लगाया| एक दिन वहीँ रुक कर अगले दिन सुबह करीं ११ बजे मैं जयपुर के लिए निकल पड़ा|
अभी रास्ते में ही था कि मोबाईल पर Youth Against Correuption के जयपुर जिला संयोजक श्री सुरेन्द्र चतुर्वेदी जी का सन्देश मिला| उन्होंने बताया कि आज शाम पांच बजे जयपुर के स्टेच्यु सर्किल पर काले दिवस के रूप में आज इकठ्ठा होना है| यहाँ पर आगे की रणनीति तय की जाएगी| अत: मुझे भी वहां उपस्थित होना है|
शाम करीब ४:३० बजे जयपुर पहुँचते ही मैं अपने घर आया व नहा धो कर, कपडे बदल मैं स्टेच्यु सर्किल पर पहुँच गया| यहाँ भी कई संत उपस्थित थे| ७ जून की शाम को जयपुर में एक रैली निकाली जाएगी, जिसमे अपने मूंह व हाथ पर काली पट्टी बांधकर सरकार का विरोध करना है|

यह पूरा घटना क्रम लिखना मेरे लिए आवश्यक था| मीडिया क्या दिखा रहा है, उससे मुझे कोई मतलब नहीं है| मैंने जो देखा वो यहाँ लिख दिया|
इस घटना के बाद आज मैंने एक प्रण लिया है| जब तक यह देश कांग्रेस नामक बिमारी से निजात नहीं पा लेता, जब तक इस देश के अंतिम व्यक्ति के मन मस्तिष्क से कांग्रेस का नाम लुप्त नहीं हो जाता, जब तक इस देश का अंतिम व्यक्ति ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, संस्कारी व भारत भक्त नहीं हो जाता तब तक मेरे दाहिने हाथ के बाजू पर एक काली पट्टी बंधी रहेगी| अभी के हालात देख कर लगता है की यह काली पट्टी अधिक दिनों तक मेरे हाथ पर नहीं बंधी रहेगी| किन्तु यदि किसी कारणवश इससे पहले मेरी मृत्यु हो जाए तो मेरी इच्छा है यह पट्टी चिता पर मेरे साथ जले ताकि अगला जन्म इसी पट्टी को बाँध कर ले सकूं व इसी संकल्प के साथ अपना जीवन बिता दूं|

अंत में जाते जाते कुछ अपने दिल की बात इस आन्दोलन से हटकर करना चाहता हूँ|
उस काली रात जो कुछ हुआ वह बहुत गलत था| किन्तु उसके परिणाम स्वरुप जो कुछ भी हो रहा है, वह बहुत अच्छा हो रहा है| हर तरफ से यह बर्बर सरकार नंगी हो गयी है|
इसलिए आज नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की एक फिल्म Bose-The forgotten Hero का एक गीत बहुत याद आ रहा है| आज यह गीत खुद पर लागू कर गाने का मन हो रहा है| आप भी देखें यह वीडियो|

Friday, June 3, 2011

अब हम भी चल दिए शामिल होने...

मित्रों सच में अब हमारी बारी आ ही गयी है| ४ जून को स्वामी रामदेव आपके व हमारे लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में आमरण अनशन पर बैठने जा रहे हैं| समस्या उनकी नहीं है| वे तो एक योगी हैं| वे भ्रष्टाचार से पीड़ित नहीं हैं, पीड़ित हैं आपकी हमारी पीड़ा से|
मेरी पीड़ा उनकी पीड़ा है| और हैं तो हम भी इसी माटी की संतान, अत: कर्तव्य तो निभाना ही है| अब वह समय आ गया है जब कुछ करने की इच्छा साकार हो रही है| तो मित्रों कल मैं भी चल पडूंगा दिल्ली के लिए, उनके इस अभियान में शामिल होने| कुछ छुट्टियों का बंदोबस्त भी हो ही गया है|
अन्ना के अनशन के समय तो वहां जा नहीं सका, किन्तु यहीं जयपुर में काम करते हुए अनशन किया| पर अब अवसर मिल ही गया| तो अब कुछ दिनों बाद ही मिलना होगा|

चलते चलते उस हस्ती की याद आज बड़ी पीड़ा दे गयी जिसे मैंने जीवित रूप में देखा और जिसने मुझे मेरे जीवन में सबसे अधिक प्रभावित किया|
स्व. श्री राजिव भाई दीक्षित...
जाते जाते उन्हें श्रद्धांजलि देना चाहता हूँ...


इस वीडियो में राजीव भाई की यादों को एक सुन्दर गीत में पिरोया गया है| कृपया एक दृष्टि यहाँ अवश्य डालें|

Wednesday, June 1, 2011

साप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा विधेयक-कांग्रेस और सेक्युलरिज्म का एक और नंगा नाच

मित्रों नेशनल एडवाइज़री काउंसिल (NAC) ने साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा विधेयक का एक मसौदा तैयार किया है जहाँ से सेक्युलरिज्म की बदबू हर किसी को आ सकती है| वैसे तो यह मसौदा शायद चार दिन पहले ही तैयार कर लिया गया था| आज लिखने का समय मिला है| इस विधेयक के पूरे ड्राफ्ट को आप यहाँ देख सकते हैं|


ऊपर से देखते ही इसमें अल्पसंख्यक वोट बैंक की गन्दी राजनीति के दर्शन हो जाएँगे| मुझे एक बात समझ नहीं आती कि कोई भी क़ानून हमेशा जनहित को ध्यान में रखकर बनाया जाता है, किन्तु यहाँ तो ऐसी कोई व्यवस्था ही नहीं है| यह मसौदा तो केवल अल्पसंख्यकों को खुश करने की एक चाल भर है|
इस विधेयक से जुड़े कुछ मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं...

इस विधेयक के अनुसार किसी भी साम्प्रदायिक हिंसा में अल्पसंख्यक को हमेशा पीड़ित व बहुसंख्यक को हिंसा फैलाने वाला माना जाएगा|
मतलब किसी दंगे फसाद में यदि कोई मुसलमान व ईसाई मारा जाए तो इस क़ानून के अंतर्गत इसकी जांच होगी| लेकिन वहीँ कोई हिन्दू मारा जाता है तो वही साधारण जांच होगी| जाहिर है अल्पसंख्यक पीड़ित है तो इस क़ानून के अंतर्गत किसी अल्पसंख्यक को तो सजा का कोई प्रावधान भी नहीं है| भले ही वह कितने ही बहुसंख्यकों को काट चूका हो| वहीँ बहुसंख्यकों के विरुद्ध कठोर दंड का प्रावधान है|

इस विधेयक के अनुसार यदि किसी अल्पसंख्यक महिला के साथ बलात्कार होता है तो वह बलात्कार माना जाएगा| लेकिन बहुसंख्यक महिला का बलात्कार बलात्कार नहीं है| उसकी तो वही साधारण जांच होनी है|
मतलब यदि किसी महिला के साथ बलात्कार होता है तो पहले उससे उसकी जाति पूछी जाएगी फिर कौनसी कार्यवाही करनी है यह निर्धारित किया जाएगा| ऐसे में हवस के भूखे भेड़िये इसका नाजायज़ लाभ उठाएंगे व किसी भी बहुसंख्यक महिला से अपनी भूख शांत कर लेंगे| किसी पीडिता से कार्यवाही करने से पहले उसकी जाति पूछना क्या साम्प्रदायिक नहीं है? सरकार क्या चाहती है कि कोई भी बलात्कारी किसी महिला का बलात्कार करने से पहले उसकी जाति पूछे? यदि वह अल्पसंख्यक है तो छोड़ दे नहीं तो तुझे परमिशन है मूंह काला करने की|

इस प्रकार की घटनाओं में क़ानून व्यवस्था राज्य सरकारों के हाथ में होती है| किन्तु यदि केंद्र सरकार चाहे तो वह दंगों की तीव्रता को देखते हुए राज्य सरकारों के मामले में हस्तक्षेप कर सकती है| चाहे तो बर्खास्त भी कर सकती है| इसका सीधा सीधा असर मुस्लिम व ईसाई बहुल क्षेत्रों में पड़ेगा| यदि गुजरात में दंगे होते हैं तो मोदी को बर्खास्त किया जा सकता है, किन्तु कश्मीर, केरल, असम, बंगाल आदि क्षेत्रों में तो बहुसंख्यकों के मरने पर भी कोई कार्यवाही होनी ही नहीं है|

इस विधेयक के अनुसार किसी अल्पसंख्यक समुदाय विशेष के लिए कहीं पर भी घृणा अभियान चलाना अपराध है| मतलब बहुसंख्यकों के विरुद्ध चलाओ तो जायज़ है| यहाँ तक कि फेसबुक, ट्विटर व ब्लॉग में भी|

इस विधेयक के अनुसार कोई भी अल्पसंख्यक किसी भी बहुसंख्यक पर किसी भी प्रकार का आरोप लगा सकता है, किन्तु बहुसंख्यक को यह अधिकार नहीं है| क्यों कि सरकार तो मान बैठी है कि बहुसंख्यक हमेशा हिंसक व आक्रामक है जबकि अल्पसंख्यक तो बेचारा पीड़ित है|

इस विधेयक से होने वाला सबसे बड़ा दुष्परिणाम यह होगा कि जिस क्षेत्र में मुसलमान या इसाई बहुसंख्यक हैं व हिन्दू अल्पसंख्यक है वहां आसानी से हिन्दुओं का संहार किया जा सकता है|
सरकार कब यह समझेगी कि दंगों में अल्पसंख्यक व बहुसंख्यक नहीं बल्कि एक आम आदमी ही मारा जाता है| सीधा सवाल इन सेक्युलर भांडों से कि क्या इस देश में एक आम आदमी के जीने लायक हालात छोड़ोगे भी या नहीं?
सोचिये कैसा लगे यदि किसी दंगे में दंगाइयों ने मेरे स्वजनों को मार डाला व मेरा घरबार उजाड़ डाला| जब मैं न्याय मांगने जाऊं तो पहले मुझसे मेरी जाति पूछी जाएगी| और बहुसंख्यक होने के कारण मुझे कोई न्याय भी नहीं मिलेगा| उस समय मुझे यही लगेगा कि मैंने ब्राह्मण परिवार में पैदा होकर शायद सबसे बड़ी गलती कर दी|

अभी तक यह विधेयक पारित नहीं किया गया है| शायद अगले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले यह कुकर्म किया जाए| ताकि अल्पसंख्यक वोट बैंक को अपने कब्जे में लिया जा सके|
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अंत में जाते-जाते एक और ताज़ा गरमा गरम खबर है कि उमर अब्दुल्ला ने कश्मीर में आतंकवादियों से विनती की है कि वे कश्मीर में आतंकवाद केवल सर्दियों में ही फैलाएं| गर्मियों में आतंकवाद के डर से यहाँ आने वाले सैलानियों की संख्या में आई कमी को देखते हुए उमर अब्दुल्ला ने सैलानियों से विनती की है कि वे गर्मियों में अपनी छुट्टियां मनाने यहाँ आए| गर्मियों में घाटी में कोई भी आतंकवादी घटना नहीं घटेगी इसके लिए वे स्वयं आतंकवादियों से बातचीत करेंगे| विस्तार से पढने के लिए यहाँ देखें|